अणु ऊर्जा विभाग
azadi ka amrit mahotsav

परमाणु ऊर्जा विभाग की वर्षांत समीक्षा


काकरापार यूनिट 3 (केएपीपी-3) ने पूरी तरह वाणिज्यिक बिजली उत्पादन शुरू कर दिया और काकरापार यूनिट 4 (केएपीपी-4) ने महत्ता प्राप्त की

भारत का पहला फिशन मोलिब्डेनम -99 प्लांट (मुंबई) और रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट प्लांट, क्रमशः मुंबई और विशाखापत्तनम में चालू; और प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया

भारत का अगले 6 वर्षों में 900 करोड़ रुपये के योगदान के साथ भारत-अमेरिका सहयोगी फर्मिलैब परियोजना के निर्माण चरण में प्रवेश

एक उन्नत गुरुत्वाकर्षण तरंग वेधशाला परियोजना, एलआईजीओ इंडिया की 2,600 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर मंजूरी, जो भारतीय धरती पर पहली मेगा विज्ञान परियोजना है

1250 करोड़ रुपए की लागत पर अंतर्राष्ट्रीय मेगा विज्ञान परियोजना, स्क्वायर किलोमीटर एरे (एसकेए) में भारत की भागीदारी के लिए मंजूरी

टाटा मेमोरियल सेंटर अब 2,450 बिस्तरों वाला अस्पताल; सालाना लगभग 125,000 नए कैंसर रोगियों (भारत के 10 प्रतिशत) का इलाज करते हुए, एसीटीआरईसी का 500 बिस्तरों तक विस्तार

होमी भाभा कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, न्यू चंडीगढ़, पंजाब पूरी तरह से चालू; टीएमसी का अब वाराणसी (2), गुवाहाटी, संगरूर, विशाखापत्तनम, चंडीगढ़ और मुजफ्फरपुर में स्थित छह अन्य अस्पतालों तक विस्तार

पीईटी स्कैनिंग आदि के मद्देनजर ओ18 -वॉटर का स्वदेशी उत्पादन विभिन्न रोगों के निदान और उपचार के लिए कई नए रेडियोफार्मास्यूटिकल्स के स्वदेशी उत्पादन के साथ शुरू, विभिन्न प्रकार के कैंसर रोगों का इलाज संभव; चिकित्सकीय प्रयोगों वाले ड्यूटेरेटेड वॉटर के उत्पादन के लिए निजी संस्थाओं के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

छह ट्रॉम्बे फसल किस्मों को व्यावसायिक खेती के लिए राजपत्र में अधिसूचित किया गया

विकिरण-संवर्धित शेल्फ जीवन के साथ रिकॉर्ड 2,500 टन आम को कृषक सुविधा के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका भेजा गया (देश से कुल निर्यात का 40 प्रतिशत )

Posted On: 29 DEC 2023 5:21PM by PIB Delhi

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर "कोल्ड स्टोरेज सहित एकीकृत विकिरण प्रौद्योगिकी का उपयोग करके प्याज के संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर परीक्षण" के लिए बार्क के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद, 1,000 मीट्रिक टन प्याज का विकिरण प्रसंस्करण किया गया; और विस्तारित संरक्षण वर्तमान में प्रगति पर है

एकल उपचार टैंक में प्रभावी विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार के लिए हाइब्रिड ग्रैन्युलर सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर विकसित किया गया 

लगभग 2,400 केसीआई को-60 स्रोत का निर्यात किया गया, जिसका प्रयोग दुनिया भर में विकिरण प्रसंस्करण संयंत्रों में गामा विकिरण के लिए किया जाता है

किसानों के उत्पादों के प्रशीतित परिवहन के लिए शीतल वाहक यंत्र यानी "शिवाय" का विकास और इनक्यूबेशन मोड में वाणिज्यिक वाहन पर प्रौद्योगिकी के एकीकरण के लिए टाटा मोटर्स से सहयोग

चार अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड (जीव विज्ञान, गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान) में छात्रों ने 10 स्वर्ण 7 रजत और 2 कांस्य पदक जीते

परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने परमाणु ऊर्जा उत्पादन, परमाणु ऊर्जा के लिए क्षमता निर्माण, रेडियो-आइसोटोप और रेडियो-फार्मास्युटिकल उत्पादन के लिए अनुसंधान रिएक्टरों और पार्टिकल एक्सेलेटर्स के निर्माण और संचालन, विकिरण प्रौद्योगिकी समाधानों के अनुप्रयोग की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना जारी रखा है। इसमें स्वास्थ्य देखभाल, खाद्य सुरक्षा, जल और अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्रों में सामाजिक मुद्दों का समाधान करना शामिल है। विभाग राष्ट्रीय सुरक्षा में भी योगदान देता है।

 

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इस वर्ष डीएई ने कई विविध उपलब्धियां हासिल की हैं। उल्लेखनीय उपलब्धियों को नीचे दिया जा रहा है-

परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में उपलब्धियां

  1. एएमडी ने निरंतर अन्वेषण प्रयास किए हैं और देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को पूरा करने के लिए अतिरिक्त यूरेनियम ऑक्साइड भंडार बढ़ाया है।
  2. एनएफसी में, टंगस्टन कॉपर मिश्रित सामग्री के स्वदेशी विकास के परिणामस्वरूप आयातित लागत पर लगभग 67 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे  दो करोड़ रुपए की वार्षिक बचत हुई है। भारत में पहली बार, एनएफसी ने उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (एयूएससी) अनुप्रयोगों के लिए स्वदेशी रूप से इनकोनल 740 एच ट्यूबिंग विकसित की है। यह तकनीक बिजली संयंत्रों को कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करते हुए बिजली उत्पादन के लिए कम कोयला जलाने में मदद करेगी। इसके अलावा, एनएफसी ईंधन और जरूरी संरचनाओं के निर्माण के संबंध में हमारे घरेलू परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की सभी आवश्यकताओं को सफलतापूर्वक पूरा कर रहा है।
  3. केएपीपी - 3, गुजरात में पहला स्वदेशी 700 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर है। इसने 31 अगस्त को पूरी तरह वाणिज्यिक बिजली उत्पादन शुरू कर दिया है। इसके साथ, हमारे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापित क्षमता 7480 मेगावाट तक पहुंच गई है। केएपीपी-4 ने 17 दिसंबर 2023 को महत्ता प्राप्त की, जो संयंत्र के वाणिज्यिक संचालन के लिए पहला कदम है।

 

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काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र

 

  1. हमारे परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के दूसरे चरण को साकार करने की दिशा में , पिछले एक वर्ष में महत्वपूर्ण विकास हुए हैं। भाविनी के पीएफबीआर के मुख्य पोत को लगभग 1,150 टन तरल सोडियम से भरने का काम अगस्त 2023 के महीने में 5 दिनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है। सभी स्वदेशी निर्मित प्राथमिक और माध्यमिक सोडियम पंप सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं और संयंत्र की एकीकृत कमीशनिंग अंतिम चरण में है।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उपलब्धियां

परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) द्वारा चिकित्सीय/नैदानिक ​​​​रेडियोफार्मास्यूटिकल्स और कैंसर से जुड़ी चिकित्सा के स्वदेशी विकास, व्यावसायीकरण और आपूर्ति में योगदान देना जारी है।

 

                                  

साइक्लोन-30, कोलकाता स्थित भारत का सबसे बड़ा साइक्लोट्रॉन संयंत्र

  1. विभिन्न प्रकार के कैंसर के निदान एवं उपचार के लिए कई नए रेडियोफार्मास्यूटिकल्स विकसित किए गए व व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कराए गए हैं।
  2. 95.5 प्रतिशत आई.पी. वाला मेडिकल ग्रेड H2O18 का सफलतापूर्वक उत्पादन किया गया और उसे मान्य किया गया है, जिससे भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हुआ है तथा स्वास्थ्य सेवा उद्योग को बढ़ावा मिला है।
  3. मोलिब्डेनम-99 विखंडन संयंत्र को 11 मई 2023 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया। यह संयंत्र आज भारत को विखंडित मोली-99 का उत्पादन करने वाले दुनिया के कुछ देशों में से एक बनाता है। इस संयंत्र में उत्पादित मोलिब्डेनम-99 न केवल हमारी घरेलू मांग को पूरा करेगा बल्कि हमें इसे पड़ोसी देशों को भी निर्यात करने में समर्थ बनाएगा।

 

मुंबई स्थित विखंडन पर आधारित मोलिब्डेनम-99 उत्पादन संयंत्र,       O-18  जल उत्पादन सुविधा संयंत्र

  1. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एसीटीआरईसी में प्रोटॉन (हैड्रॉन) बीम थेरेपी सेंटर, एसीटीआरईसी में महिलाओं व बच्चों के कैंसर केंद्र, टीएमएच के प्लेटिनम ब्लॉक अस्पताल भवन, विशाखापत्तनम स्थित एचबीसीएचआरसी के अस्पताल भवन का उद्घाटन किया और ओडिशा के जाटनी में नए एचबीसीएचआरसी का शिलान्यास किया।

खारघर स्थित एसीटीआरईसी में हैड्रॉन थेरेपी सेंटर

  1. टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) का विस्तार अब वाराणसी (2), गुवाहाटी, संगरूर, विशाखापत्तनम, चंडीगढ़ और मुजफ्फरपुर में स्थित छह अन्य अस्पतालों तक हो गया है। वर्ष 2023 में टीएमसी की क्षमता बढ़कर 2,450 बिस्तरों वाली हो गई है और यह क्षमता 2024 की शुरुआत तक बढ़कर 2,800 बिस्तरों वाली हो जाएगी। एसीटीआरईसी, जिसमें पिछले साल तक 100 बिस्तर थे, की क्षमता में इस साल विस्तार हुआ है और वह 500 बिस्तरों वाली हो गई है और 2024 की शुरुआत तक इसकी क्षमता बढ़कर 900 बिस्तरों वाली हो जाएगी। वर्तमान में, टीएमसी सालाना लगभग 1,25,000 नए कैंसर रोगियों का इलाज कर रही है, जो भारत के कुल कैंसर बोझ का लगभग 10 प्रतिशत है।

एमपीएमएमसीसी, वाराणसी एचबीसीएचआरसी, वाराणसी

    एचबीसीएचआरसी, विजाग                          एचबीसीएचआरसी, मुल्लांपुर

एसीटीआरईसी, खारघर                                   बीबीसीआई, गुवाहाटी

एचबीसीएचआरसी, मुजफ्फरपुर                    एचबीसीएचआरसी, ओडिशा (प्रस्तावित)

 

उद्योग एवं खनिज के क्षेत्र में उपलब्धियां

  1. देश में आईआरईएल द्वारा विजाग स्थित बीएआरसी परिसर में दुर्लभ धातु के स्थायी चुंबक (रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट) का उत्पादन शुरू किया गया है। इस संयंत्र को भी प्रधानमंत्री द्वारा ‘राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस’ के अवसर पर राष्ट्र को समर्पित किया गया। आईआरईएल ने विजाग में को-एसएम स्थायी चुंबक का व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है।
  2. एएमडी ने गुजरात और राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में दुर्लभ धातुओं के ऑक्साइड के संसाधनों को संवर्धित किया है। इसके साथ, संवर्धित नाइओबियम ऑक्साइड का भंडार अब क्रमशः 1,24,000 टन और 4000 टन हो गया है।
  3. एचडब्ल्यूबी ने गैर-परमाणु अनुप्रयोगों के लिए जापान, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका को गुरु जल (हैवी वाटर) का निर्यात किया है और लगभग 220 मीट्रिक टन गुरु जल के निर्यात का आदेश अनुमोदन की प्रक्रिया में है। एचडब्ल्यूबी गैर-परमाणु अनुप्रयोगों के लिए ड्यूटेरियम, गुरु जल और ड्यूटेरियम क्षीण जल की आने वाली मांग को पूरा करने के लिए कमर कस रहा है।

कृषि एवं खाद्य संरक्षण के लिए विकिरण-आधारित प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग में उपलब्धियां

  1. छह ट्रॉम्बे फसल किस्मों को व्यावसायिक खेती के लिए राजपत्र में अधिसूचित किया गया है, जिसमें कर्नाटक के लिए ज्वार, मूंग और काले चने की एक-एक किस्म, महाराष्ट्र के लिए ज्वार की एक किस्म और मध्य प्रदेश के लिए उड़द की दो किस्में शामिल हैं।
  2. कम और उप-शून्य तापमान पर समुद्री उत्पादों को विकिरणित करने के लिए सीओ-60 विकिरण स्रोत का उपयोग करने वाला एक कम तापमान वाला इरेडिएटर विकसित किया गया है और उस पर काम शुरू हो गया है।
  3. मलेशिया, श्रीलंका, वियतनाम जैसे दक्षिण एशियाई देशों और ब्रिटेन सहित दुनिया भर में विकिरण प्रसंस्करण संयंत्रों में गामा विकिरण अनुप्रयोगों के लिए लगभग 2,400 केसीई सीओ-60 स्रोत का निर्यात किया गया है। यह सीओ-60 स्रोत की 4.3 एमसीआई की घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के अतिरिक्त है। भारत के इस निर्यात से विश्व की लगभग 7 प्रतिशत आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
  4. इस वर्ष भारत ने समुद्री मार्ग से 2,500 मीट्रिक टन से अधिक आम का निर्यात किया, जो पिछले 5 वर्षों में औसत वार्षिक निर्यात 1,048 मीट्रिक टन की तुलना में महत्वपूर्ण है। इन आमों को शेल्फ-लाइफ बढ़ाने के लिए संबंधित प्रसंस्करण प्रोटोकॉल के साथ-साथ विकिरण द्वारा उपचारित किया गया था। इससे हवाई मार्ग के स्थान पर समुद्र के रास्ते भेजे जाने में मदद मिली है और इस प्रकार परिवहन लागत में भारी कमी आई है। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र-बीएआरसी द्वारा विकसित दिशा-निर्देशों के अनुसार इस प्रक्रिया में चार खाद्य विकिरण सुविधाएं शामिल थीं। विकिरण-प्रसंस्कृत आमों को प्रमुख रूप से चार प्रमुख देशों- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और मलेशिया में निर्यात किया गया था।

कृषक, लासलगांव, नासिक में विकिरण प्रसंस्कृत प्याज संरक्षित

गैर विकिरणित आलू                    विकिरणित आलू

 

आम की खेप

जल उपचार, अपशिष्ट प्रबंधन, फसल कटाई के बाद शीत भंडारण जैसे सामाजिक लाभ के लिए परमाणु ऊर्जा के अनुप्रयोगों में उपलब्धियां

  1. 1.2 मिलियन से अधिक जोखिम वर्ग-बी चिकित्सा उपकरणों का इलेक्ट्रॉन बीम स्टरलाइजेशन 10 एमईवी, 6 किलोवाट रैखिक त्वरक (आरआरसीएटी पर) का उपयोग करके किया गया है, जिन्हें पहले स्टरलाइजेशन के लिए विदेश ले जाने की आवश्यकता होती थी।
  2. भारत के 116 गांवों में जल शुद्धिकरण प्रौद्योगिकियां उपलब्ध कराई गई हैं।
  3. उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया तकनीक पर आधारित एडवांस एफ्लुएंट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को तेल से दूषित अपशिष्ट जल का उपचार करने और इसे बारिश से सूखे आस-पास के क्षेत्र में कृषि उपयोग के लिए उपयुक्त बनाने के लिए तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड-(ओएनजीसी) मेहसाणा में 750 एलपीएच क्षमता के साथ चालू किया गया था।
  4. नगर निगम के अपशिष्ट जल के उपचार के लिए सूरत, शिरडी और तिरुचिरापल्ली में 50 से 150 प्रतिदिन किलोलीटर तक की क्षमता वाले तीन हाइब्रिड-ग्रेन्युलर सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (एचजीएसबीआर) प्रौद्योगिकी-आधारित सीवेज उपचार संयंत्रों पर काम शुरू किया गया है। उसी पेटेंट प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण के लिए वर्ष के दौरान दस और निजी कंपनियों ने समझौता किया है।
  5. मेसर्स टाटा मोटर्स ने राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआरसीएटी) में विकसित लिक्विड नाइट्रोजन आधारित कूलिंग 'शिवाय' तकनीक पर आधारित टाटा के वाणिज्यिक वाहन पर एकीकृत पहला 20 फीट लिक्विड नाइट्रोजन आधारित रेफ्रिजरेटेड कंटेनर विकसित किया है। यह परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) की एक पेटेंट तकनीक है जिसे मेसर्स टाटा मोटर्स लिमिटेड के साथ साझा किया गया था। इस तकनीक के आधार पर, मेसर्स टाटा मोटर्स ने भारत का पहला 20 फीट रेफ्रिजरेटेड ट्रक (वॉल्यूम: 30 एम 3) विकसित किया है जिसका आरआरसीएटी द्वारा सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।

मेसर्स टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित शिवाय लिक्विड नाइट्रोजन आधारित ट्रांसपोर्टेबल रेफ्रिजरेटेड ट्रक

प्रशीतन प्रणाली

अटल इन्क्यूबेशन सेंटर (बीएआरसी) इसने पिछले साल दिसंबर में काम शुरू किया था।  अटल इन्क्यूबेशन सेंटर ने चार सूक्ष्म, लघु मध्यम उद्योगों के साथ 4 प्रमुख स्पिन-ऑफ प्रौद्योगिकियों के इन्क्यूबेशन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

लेजर, एक्सेलेरेटर, फ्यूजन और साइबर सुरक्षा जैसे उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में प्राप्त की गई उपलब्धियां।

  1. भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र की सिक्योर नेटवर्क एक्सेस प्रणाली द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित साइबर सुरक्षा समाधान को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और गृह मंत्रालय जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है। यह प्रौद्योगिकी अब हस्तांतरण के लिए भी उपलब्ध करा दी गई है।
  2. भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक्स-बैंड आरएफ सीकर, सटीक मारक मिसाइलों की दक्षता को बढ़ाता है। शुरुआती उड़ानों और परीक्षणों के बाद स्वदेशी सीकर वाली मिसाइल का अप्रैल 2023 में समुद्र में युद्धपोत से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

 

  1. राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र में अनडुलेटर पर आधारित एक्स-रे मैग्नेटिक सर्कुलर डाइक्रोइज्म (एक्सएमसीडी) बीमलाइन (बीएल-20) को फरवरी 2023 में इंडस-2 में प्रारंभ किया गया था। यह देश में अपनी तरह की पहली बीमलाइन है।
  2. स्वदेशी रूप से विकसित और भारतीय उद्योग जगत द्वारा निर्मित लो एनर्जी हाई इंटेंसिटी प्रोटॉन एक्सीलेटर (एलईएचआईपीए) को 4 अगस्त 2023 को 20 एमईवी की मूल्यांकित ऊर्जा में ऐक्सेलरेशन को प्रदर्शित करने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में सफलतापूर्वक संचालित किया गया है।
  3. इंस्टिट्यूट फॉर प्लाज्मा रिसर्च ने 50 प्रतिशत की आरएफ दक्षता के साथ 1000 सेकंड के लिए 170 गीगाहर्ट्ज पर 1 मेगावाट आरएफ पावर के इस्तेमाल के उद्देश्य से एक समर्पित अत्याधुनिक परीक्षण प्रणाली, इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन एंड रिसर्च -इंडिया जाइरोट्रॉन परीक्षण सुविधा स्थापित की है। बेहतरीन सुगमता के साथ यह भारत में अपनी तरह की एकमात्र सुविधा प्रणाली है, जो इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन एंड रिसर्च की परीक्षण आवश्यकताओं को पूरा करती है।

बुनियादी एवं निर्देशित अनुसंधान में उपलब्धियां

  1. मई 2023 में प्रकाशित नेचर इंडेक्स ने पत्रिकाओं में उच्च गुणवत्ता वाले लेखों के आधार पर भौतिक विज्ञान में की गई घोषणाओं के संबंध में होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान को पहले स्थान पर और भारत के सभी संस्थानों में तीसरे क्रम पर रखा है।
  2. स्टैंडर्ड कैंडल क्रैब नेबुला तथा अन्य संभावित स्रोतों से गामा-किरण संकेतों का नियमित रूप से पता लगाने के अलावा, एमएसीई (मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट) टेलीस्कोप ने दिसंबर 2022 - जनवरी 2023 के दौरान हाल ही में हुई ऐतिहासिक विशाल गामा-किरण ज्वालाओं के दौरान रेडियो आकाशगंगा एनजीसी 1275 से बहुत उच्च ऊर्जा वाले फोटॉनों का पता लगाया है। यह एमएसीई टेलीस्कोप द्वारा उपलब्ध कराई गई पहली महत्वपूर्ण जानकारी है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है और स्वीकार किया गया है।
  3. सीईबीएस ने सोने के ऐसे सूक्ष्म कण बनाए हैं, जो अश्वगंधा, ब्राह्मी और लहसुन जैसी औषधीय जड़ी-बूटियों से उपचारात्मक अणुओं को प्रभावी ढंग से कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचा सकते हैं। ये सूक्ष्म कण प्रत्येक जड़ी-बूटी के अर्क से अधिक प्रभावी सिद्ध हुए हैं।
  4. भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा स्वीकृत एक परियोजना के हिस्से के रूप में, उच्च तापमान पर चलने वाले बॉयलरों में उपयोग के लिए एक नया नी-बेस सुपर-अलॉय धातु, इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र, मिश्र धातु निगम लिमिटेड तथा एनएफसी के बहु-संगठन सहयोगात्मक प्रयास के माध्यम से स्वदेशी रूप से निर्मित किया गया है।
  5. पहली बार, भारतीय टेलीस्कोप से प्राप्त डाटा अर्थात एनसीआरए-टीआईएफआर के उन्नत जीएमआरटी का उपयोग कम आवृत्ति वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों की जांच के लिए किया गया है, जो गुरुत्वाकर्षण तरंग स्पेक्ट्रम में खगोलीय रूप से समृद्ध एक वातायन है।

देश के सफल अंतरिक्ष अभियानों में योगदान

  1. इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने चंद्रयान मिशन के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र तथा इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क के सहयोग से स्वदेशी रूप से निर्मित 32-मीटर-डीप स्पेस नेटवर्क एंटीना की आपूर्ति की है। इस एंटीना ने चंद्रयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण संचार सहायता की सुविधा प्रदान की है।
  2. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर ने चंद्रयान-3 लैंडर और रोवर मैकेनिज्म के लिए रिफ्लेक्टर डिप्लॉयमेंट मैकेनिज्म के परीक्षण के उद्देश्य से विशेष आकार वाले टीआईएफआर गुब्बारों का उपयोग किया है।
  3. भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र और इसरो के सहयोग से इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा आदित्य मिशन के लिए बेंगलुरु के पास बायलालू गांव में स्थापित किया गया स्वदेशी 18-मीटर एंटीना आदित्य मिशन की संचार प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

  1. भारतीय विद्यार्थियों के प्रतिनिधिमंडल ने जुलाई 2023 में विभिन्न देशों द्वारा आयोजित चार अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड (जीव विज्ञान, गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान) में 10 स्वर्ण, 7 रजत तथा 2 कांस्य पदक जीते थे। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी 19 विद्यार्थी पदक लेकर वापस लौटे थे। वर्ष 2023 के 34वें अंतर्राष्ट्रीय जीव विज्ञान ओलंपियाड में प्रत्येक विद्यार्थी के स्वर्ण पदक जीतने के आधार पर भारत पदक तालिका में शीर्ष पर रहा था।
  2. भारत सरकार द्वारा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के दो पूर्व संकाय सदस्यों यानी कि डिपार्टमेंट ऑफ थियोरेटिकल फिजिक्स के प्रोफेसर दीपक धर को पद्म भूषण दिया गया है और स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स की प्रोफेसर आर सुजाता को पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किया गया है।
  3. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के प्रोफेसर बासुदेब दासगुप्ता को भौतिक विज्ञान श्रेणी में 2022 के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  4. प्रोफेसर विदिता वैद्य को चिंता और अवसाद जैसे मनोदशा विकारों के लिए मस्तिष्क तंत्र को समझने के उद्देश्य से उनके काम को पुरस्कृत करते जीवन विज्ञान में इंफोसिस पुरस्कार 2022 से अलंकृत किया गया है।
  5. प्रोफेसर निसिम कानेकर को आकाशगंगाओं के निर्माण और मूलभूत भौतिक स्थिरांकों की अनंत भिन्नता पर अवलोकन संबंधी बाधाओं की उनकी जांच के लिए भौतिक विज्ञान में इंफोसिस पुरस्कार 2022 प्रदान किया गया था।

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एमजी/एआर/केपी/आर/वीएल/एनके/सके/एचबी


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