कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
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केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग संभवतः सरकारी क्षेत्र के पहले विभागों में से एक है, जिसने "डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र" बनाने के लिए बुजुर्ग पेंशनभोगियों की आधार आधारित पहचान स्थापित करने के लिए नवीनतम "चेहरा पहचान प्रौद्योगिकी" का उपयोग शुरू किया है


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बुजुर्गों के लिए जीवन में सुगमता और सम्मान प्रदान करने की दिशा में प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करने के लिए पहचानी जाती है: डॉ. जितेंद्र सिंह

"90 वर्ष से अधिक आयु के 24,000 से अधिक पेंशनभोगियों ने पेंशन निकालने के लिए जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए डिजिटल माध्यम का उपयोग किया": डॉ. जितेंद्र सिंह

डॉ. जितेंद्र सिंह ने पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 2.0 की प्रगति की समीक्षा के बाद मीडिया को संबोधित किया

Posted On: 11 DEC 2023 6:22PM by PIB Delhi

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपी एंड पीडबल्यू) संभवतः सरकारी क्षेत्र के पहले विभागों में से एक है जिसने "डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र" तैयार करने के लिए बुजुर्ग पेंशनभोगियों की आधार आधारित पहचान स्थापित करने के लिए नवीनतम "चेहरा पहचान प्रौद्योगिकी" का उपयोग शुरू किया है।

नई दिल्ली में आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह खुलासा किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बुजुर्गों के लिए जीवन में सुगमता और सम्मान प्रदान करने की दिशा में प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करने के लिए पहचानी जाती है।

केंद्रीय मंत्री महोदय ने मीडिया को पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपी एंड पीडबल्यू) के डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) अभियान 2.0 की प्रगति के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बैंक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वार्षिक डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) जमा करने के लिए घर घर जाकर सेवा प्रदान कर रहे हैं। ऐसी तकनीकों के कारण वरिष्ठ नागरिकों को जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की कठिन प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अधिकांश कामकाज को ऑनलाइन कर दिया गया है और पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और नागरिक भागीदारी लाने के लिए मानव इंटरफ़ेस को न्यूनतम कर दिया गया है।

डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) अभियान 2.0 ने आधार डेटाबेस और चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक के आधार पर बायोमेट्रिक और आँखों के उपयोग के माध्यम से पेंशनभोगियों के कल्याण, डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (जीवन प्रमाण) में सुधार किया है। वर्ष 2021 में, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपी एंड पीडबल्यू) ने एंड्रॉइड मोबाइल का उपयोग करके डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र बनाने के लिए चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक को अपनाया था।

उन्होंने कहा, "यह पेंशनभोगियों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है क्योंकि अब वे बैंकों और डाकघरों में जाकर केवल भौतिक जीवन प्रमाण पत्र के पारंपरिक तरीके के बजाय अपने घर के आराम से डिजिटल मोड के माध्यम से जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं।"

डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 2.0 के अंतर्गत, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने 1-30 नवंबर, 2023 तक पेंशन वितरण बैंकों, मंत्रालयों/विभागों, पेंशनभोगी कल्याण संघों, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के साथ सहयोग किया। डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान पूरे भारत के 100 शहरों में 597 स्थानों पर आयोजित किया गया था। पेंशन वितरण बैंकों, 44 पेंशनभोगी कल्याण संघों के 297 नोडल अधिकारियों ने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 2.0 को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए कड़ी मेहनत की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अभियान के परिणामस्वरूप, नवंबर, 2023 के महीने में सभी श्रेणियों के पेंशनभोगियों के लिए कुल 1.17 करोड़ से अधिक डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र बनाए गए हैं, जिनमें से चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक का उपयोग करके तैयार किए गए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्रों की संख्या 19.52 लाख से अधिक है।

उन्होंने कहा, "इसमें से कुल 38.99 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों ने तैयार किए, जिनमें से चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक से तैयार डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की संख्या 9.76 लाख है।"

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 90 वर्ष से अधिक आयु के 24,000 से अधिक पेंशनभोगियों ने पेंशन निकालने के लिए जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए डिजिटल माध्यम का उपयोग किया है।

विभाग द्वारा बनाए गए समर्पित डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र पोर्टल के अनुसार, डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र तैयार करने के लिए अग्रणी राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल हैं, जिन्होंने क्रमशः 5.07 लाख, 4.55 लाख और 2.65 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र तैयार किए हैं। डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र तैयार करने के लिए अग्रणी बैंक भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक हैं जो क्रमशः 7.68 लाख और 2.38 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र के साथ अग्रणी पेंशन वितरण बैंक भी हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, मोदी सरकार ने सभी नागरिकों के लिए जीवन को सुगम बनाने की दिशा में लगभग 2,000 अप्रचलित या अनावश्यक नियमों को भी हटा दिया है।

उन्होंने कहा, "10 वर्ष की सेवा अवधि के बिना भी पेंशन को सक्षम किया गया है और तलाकशुदा बेटियां भी अब पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने के लिए हकदार हैं।"

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पेंशन नियमों की अधिसूचना और पेंशनभोगियों के डिजिटल सशक्तिकरण द्वारा दूरगामी पेंशन सुधारों के साथ पेंशनभोगियों के कल्याण में सुधार के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

उन्होंने कहा, ''इसमें पेंशन मामलों के समय पर निपटान और मंजूरी के लिए भविष्य पोर्टल, समय पर पेंशन भुगतान के लिए दीर्घायु ऐप, बैंकों के साथ बेहतर समन्वय के लिए एकीकृत पेंशनर पोर्टल और पेंशनभोगी शिकायतों के समय पर निवारण के लिए सीपीईएनजीआरएएमएस शिकायत पोर्टल, प्रशासनिक अनुभवों के दस्तावेजीकरण के लिए अनुभव पुरस्कार, पेंशन अदालतें समय-समय पर आयोजित की जा रही हैं और हर तिमाही में सेवानिवृत्ति पूर्व परामर्श कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं।''

अपने संबोधन में, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपी एंड पीडबल्यू) के सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने कहा कि राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र अभियान 2.0 पेंशनभोगियों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में विभाग द्वारा की गई पहल में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्शाता है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए डिजिटल मोड का उपयोग करने का लाभ देश के सभी हिस्सों में पेंशनभोगियों तक पहुंचे, राज्यों की राजधानियाँ और प्रमुख शहर उन 100 शहरों में सम्मिलित हैं जहाँ कई स्थानों पर शिविर आयोजित किए गए थे, जिनमें दिल्ली, विशाखापत्तनम, गुवाहाटी, पटना, रायपुर, गोवा, अहमदाबाद, शिमला, रांची, बेंगलुरु, तिरुवनंतपुरम, भोपाल, मुंबई, भुवनेश्वर, लुधियाना, अजमेर, गंगटोक, चेन्नई, हैदराबाद, त्रिपुरा, लखनऊ और देहरादून सहित अन्य शहर शामिल थे। पेंशनभोगियों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से उनका डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र तैयार करने के अलावा उन्हें भविष्य में उपयोग के लिए प्रक्रिया भी समझाई गई।

पेंशन वितरण बैंकों और पेंशनभोगी कल्याण संघों द्वारा आयोजित शिविरों में, साथ ही वृद्ध/बीमार पेंशनभोगियों की सहायता के लिए उनके घरों/अस्पतालों के दौरे में, कई सफलता की कहानियां सामने आईं, जो पेंशनभोगियों की संतुष्टि और सुगमता से संबंधित थीं। .

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