विद्युत मंत्रालय
स्मार्ट मीटरिंग से बिजली वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति की लागत को कम करने और एसीएस-एआरआर अंतर तथा एटी एंड सी घाटे दोनों को कम करने में मदद मिलेगी: केंद्रीय बिजली एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री
Posted On:
15 DEC 2023 3:05PM by PIB Delhi
केंद्रीय बिजली एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने सूचित किया है कि कार्यान्वयन के बाद परिचालन संबंधी समस्याओं से बचने और बिजली वितरण कंपनियों को सहायता सुनिश्चित करने के लिए, संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) दिशानिर्देश (टीओटीईएक्स) कुल व्यय मोड पर पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) के माध्यम से स्मार्ट मीटर के रोल-आउट को अनिवार्य करते हैं। कुल व्यय मोड में स्मार्ट मीटरिंग का कार्यान्वयन इस घटक को स्व-वित्तपोषित बनाता है और बिजली वितरण कंपनियों को इस पर पूंजीगत व्यय के लिए अग्रिम भुगतान नहीं करना होगा। चूंकि स्मार्ट मीटरिंग एक नई प्रौद्योगिकी है और कई बिजली वितरण कंपनियों के पास हो सकता है कि स्मार्ट मीटरिंग सिस्टम के संचालन और रखरखाव के लिए तकनीकी विशेषज्ञता न हो, इसलिए, एएमआईएसपी (एडवांस्ड मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर) स्थापना के बाद मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की आपूर्ति, रखरखाव और संचालन के लिए जिम्मेदार होगा और इसके पूंजीगत व्यय के एक हिस्से के लिए शुरू में भुगतान किया जाएगा तथा शेष भुगतान ओ एंड एम अवधि (7-10 वर्ष) के दौरान प्रति मीटर प्रति माह के आधार पर किया जाएगा, जो प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है। यह दृष्टिकोण परियोजना के पूरे जीवन चक्र के दौरान सेवाओं के वितरण के लिए एएमआईएसपी की शुरू से अंत तक जिम्मेदारी सुनिश्चित करता है।
उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग और स्वचालित ऊर्जा लेखांकन के साथ-साथ ऑडिटिंग की सुविधा के लिए संबंधित उन्नत मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (एएमआई) के साथ संचार सुविधा के साथ फीडर और वितरण ट्रांसफार्मर स्तर पर सिस्टम मीटरिंग की जाएगी।
ऊर्जा लेखांकन / समय पर सरकारी विभाग के बकायों को संग्रह करना डिस्कॉम की वित्तीय दक्षता और उनके परिचालन में सुधार लाने के लिए आवश्यक हैं; तदनुसार सरकार के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग परियोजना और आरडीएसएस दिशानिर्देशों के अनुसार डिस्कॉम में सिस्टम मीटरों को प्राथमिकता के आधार पर शुरू करने की परिकल्पना की गई है।
स्मार्ट मीटरिंग समाधान में दो-तरफ़ा संचार के हिस्से के रूप में एकत्र किए गए आकड़ो से से बिजली वितरण कंपनियों को उनके लोड पूर्वानुमान में सुधार करने में मदद मिलेगी, जिससे उन्हें अपनी बिजली खरीद को अनुकूलित करने में मदद मिलेगी जिससे बिजली आपूर्ति की लागत कम हो जाएगी। इसका सीधा प्रभाव, डिस्कॉम की बिलिंग और संग्रह दक्षता में सुधार के कारण, ACS-ARR अंतर और AT&C घाटे को कम करने पर होगा, जिससे अंततः अंतिम उपभोक्ता को लाभ होगा। इसके अलावा, एक स्मार्ट मीटर खपत पैटर्न को पकड़ता है और उपभोक्ताओं को बिजली के उपयोग की योजना बनाने के लिए वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है।
9 जनवरी, 2020 को आयोजित बिजली क्षेत्र की समीक्षा योजना और निगरानी (आरपीएम) बैठक में राज्यों/डिस्कॉम के साथ स्मार्ट मीटरिंग कार्यान्वयन की रोल आउट रणनीति के प्रमुख आयामों सहित योजना की रूपरेखा, अवधारणाओं और घटकों पर विस्तार से चर्चा की गई। इसके अलावा, 3 जुलाई 2020 को आयोजित बिजली मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान योजना के विभिन्न पहलुओं पर फिर से चर्चा की गई।
केरल सरकार ने स्मार्ट मीटर के कार्यान्वयन का एक वैकल्पिक मॉडल प्रस्तावित किया है, जिसकी मंत्रालय में समीक्षा की गई और उसके बाद केरल सरकार से कार्यान्वयन और रोल आउट योजना के साथ विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अनुरोध किया गया है, ताकि सभी पहलुओं से, योजना के मौजूदा दिशानिर्देशों पर विचार करते हुए, इसकी जांच की जा सके।
यह जानकारी केंद्रीय बिजली एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने 14 दिसंबर, 2023 को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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एमजी/एआर/आईएम/एनजे
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