वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
डीपीआईआईटी ने “भारत में लॉजिस्टिक्स लागत: मूल्यांकन और दीर्घकालिक रूपरेखा” पर रिपोर्ट जारी की
यह रिपोर्ट भारत में लॉजिस्टिक्स लागत में कमी लाने के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में योगदान के लिए है
Posted On:
14 DEC 2023 5:38PM by PIB Delhi
भारत की राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, जिसे 17 सितंबर 2022 को जारी किया गया था, का उद्देश्य भारत में लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के लॉजिस्टिक्स डिवीजन ने आज नई दिल्ली में “भारत में लॉजिस्टिक्स लागत: मूल्यांकन और दीर्घकालिक रूपरेखा” नामक एक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के विशेषज्ञों और कार्यबल के सदस्यों के मार्गदर्शन में परामर्शी रूप से तैयार की गई है।
डीपीआईआईटी के सचिव, श्री राजेश कुमार सिंह के साथ डीपीआईआईटी के लॉजिस्टिक्स डिवीजन की विशेष सचिव, सुश्री सुमिता डावरा और एडीबी के उप कंट्री निदेशक, श्री होयू युन जियोंग सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने आज आधिकारिक रूप से इस रिपोर्ट को जारी किया।
यह रिपोर्ट (ए) एक बेसलाइन समेकित लॉजिस्टिक्स लागत अनुमान और (बी) दीर्घकालिक लॉजिस्टिक्स लागत गणना के लिए एक रूपरेखा प्रस्तुत करती है। यह सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के आपूर्ति उपयोग तालिकाओं और राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी और एनसीएईआर के 2019 के अध्ययन, "भारत की लॉजिस्टिक्स लागतों का विश्लेषण" से उपलब्ध माध्यमिक डेटा का उपयोग करता है। विश्व बैंक समूह के बाहरी विशेषज्ञों ने भी इसकी समीक्षा की।
यह रिपोर्ट प्राथमिक (सभी व्यापार प्रवाह, उत्पाद प्रकार, उद्योग के रुझान, ओडी जोड़े आदि को कवर करते हुए) और माध्यमिक सर्वेक्षण डेटा, साथ ही लॉजिस्टिक्स लागत का अनुमान प्रदान करने के लिए वास्तविक समय बिग डेटा का उपयोग करके एक हाइब्रिड दृष्टिकोण की सिफारिश करती है।
लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार के लिए साक्ष्य-आधारित निर्णय को सुनिश्चित करने के लिए, लॉजिस्टिक्स लागत का अनुमान नियमित आधार पर (प्रायः वार्षिक) लगाया जाना चाहिए। इसके लिए व्यवस्थित और आवधिक रूप से डेटा संग्रह की प्रक्रिया को संस्थागत बनाने की आवश्यकता है, जिसके लिए एनसीएईआर के साथ एक समझौता ज्ञापन की योजना बनाई गई है।
डीपीआईआईटी सचिव ने बल देकर कहा कि यह रिपोर्ट माल एवं सेवाओं के कुशल आवागमन के बारे में निवेशकों में विश्वास उत्पन्न करने के लिए विश्वसनीय अनुमान प्रदान करती है और लॉजिस्टिक्स दक्षता को अनुकूलित करने और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
डीपीआईआईटी की विशेष सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि लॉजिस्टिक्स लागत का देश के विनिर्माण क्षेत्र, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता, वैश्विक स्थिति आदि पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक्स लागत के महत्वपूर्ण घटकों के लिए सार्वजनिक डोमेन में डेटा की कमी के कारण, भारत की लॉजिस्टिक्स लागत के गैर-आधिकारिक/ फ्लोटिंग अनुमानों में विश्वसनीयता की कमी है। इसलिए, एक वैज्ञानिक लॉजिस्टिक्स लागत गणना संरचना को विकसित करने की आवश्यकता महसूस की गई, जो समावेशी है और सांख्यिकीय और डेटा-आधारित तरीकों की कसौटी पर खरा उतरता है।
इस उद्देश्य के साथ, सरकार ने एडीबी के साथ साझेदारी में आयोजित एक कार्यशाला के बाद मार्च 2023 में एक टास्क फोर्स का गठन किया। क्षेत्रीय विशेषज्ञों, संबंधित मंत्रालयों और नीति आयोग तथा एडीबी के प्रतिनिधियों से बने इस कार्यबल ने कई बैठकें कीं और विश्वसनीय निष्कर्ष प्राप्त किया। इस अभ्यास के दौरान प्राप्त प्रमुख सीख इस प्रकार है:
- इस क्षेत्र की खंडित प्रकृति और भंडारण, टर्मिनल इंफ्रा, ओ-डी जोड़ी वार कमोडिटी प्रवाह जैसे विभिन्न परिवर्ती कारकों को देखते हुए, पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करते हुए, लॉजिस्टिक्स लागत का अनुमान लगाने में जटिलता को उजागर किया गया।
- लॉजिस्टिक्स लागत आकलन के आवश्यक घटकों की पहचान की गई, जिनमें (i) परिवहन लागत, (ii) गोदाम और भंडारण लागत, सहायक सहायता सेवा लागत, (iii) पैकेजिंग लागत, बीमा लागत और (iv) अन्य प्रशासनिक/ संचालन लागत शामिल हैं।
- यह पाया गया कि इनमें से अधिकांश घटकों पर अलग-अलग स्तर पर माध्यमिक डेटा उपलब्ध नहीं है।
- लॉजिस्टिक्स लागत के महत्वपूर्ण घटकों के लिए सार्वजनिक डोमेन में डेटा की कमी का मतलब यह है कि भारत की लॉजिस्टिक्स लागत के गैर-अधिकारियों/ फ्लोटिंग अनुमानों में विश्वसनीयता की कमी है।
- देश में सृजित होने वाला विशाल डाटा लॉजिस्टिक्स लागत की गणना में बहुत मूल्यवान है।
- नीति निर्माण के बड़े लक्ष्य के लिए व्यापार प्रवाह, उत्पाद समूहों, एक्जिम और घरेलू कार्गो आंदोलन आदि के संदर्भ में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में अलग-अलग आंकड़ों में रुझानों की गहन समझ की आवश्यकता होती है।
एनसीएईआर टीम ने आधारभूत परिणामों की गणना करने और लंबे समय में लॉजिस्टिक्स लागत गणना के लिए व्यापक संरचना को एक साथ रखने के अकादमिक अभ्यास का नेतृत्व किया, जो शिक्षाविदों, बहुपक्षीय, उद्योग प्रतिनिधियों और संबंधित मंत्रालयों द्वारा समर्थित है।
इस रिपोर्ट के परिणामों को उद्योग के प्रतिनिधियों द्वारा व्यापक रूप से सराहा गया। बाजार में एक सकारात्मक धारणा का निर्माण करते हुए, सरकार द्वारा अपनाया गया यह व्यवस्थित दृष्टिकोण ज्यादा प्रभावी और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने, उत्पादन चक्रों की योजना, संसाधन आवंटन आदि की सुविधा प्रदान करेगा। अलग-अलग आंकड़ों और इस क्षेत्र के रुझानों की स्पष्ट समझ से लक्षित मध्यवर्तनों की पहचान और प्रभावी नीति का निर्माण होगा।
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एमजी/एआर/आरपी/एके
(Release ID: 1986425)