सूचना और प्रसारण मंत्रालय
'डैजलिंग द स्क्रीन' शीर्षक वाले बातचीत सत्र में फिल्म उद्योग में डिजाइनरों और मेकअप कलाकारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई
कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग में सीखने की प्रेरणा अवलोकन से प्राप्त हुई : कॉस्ट्यूम डिजाइनर डॉली अहलूवालिया
सेट डिजाइन वास्तविकता है जिसे फिर से बनाने की कोशिश की जाती है: प्रोडक्शन डिजाइनर वैष्णवी रेड्डी
चरित्र डिजाइन की प्रक्रिया स्क्रिप्ट पढ़ने के साथ शुरू होती है: चरित्र डिजाइनर प्रीतिशील सिंह डिसूजा
54वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी), गोवा में 'डैजलिंग द स्क्रीन' शीर्षक वाले बातचीत सत्र के दौरान आज सिनेमा उद्योग में प्रोडक्शन डिजाइनरों, कॉस्ट्यूम डिजाइनरों और मेकअप कलाकारों द्वारा यादगार और आकर्षक फिल्मों में निर्माण में निभाई गई उनकी महत्वपूर्ण भूमिकाओं पर प्रकाश डाला गया। सत्यजीत रे फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई) के सहयोग से एनएफडीसी द्वारा आयोजित एक शानदार और आकर्षक बातचीत सत्र में फिल्म उद्योग के तीन दिग्गज पेशेवरों डॉली अहलूवालिया, वैष्णवी रेड्डी और प्रीतिशील सिंह डिसूजा ने हिस्सा लिया।
एक विचारोत्तेजक सत्र के लिए मंच तैयार करते हुए, कॉस्ट्यूम डिजाइनर और अभिनेत्री डॉली अहलूवालिया ने कहा कि हालांकि प्रोडक्शन डिजाइन, कॉस्ट्यूम डिजाइन और मेकअप फिल्म निर्माण में सबसे कठिन परिश्रम वाले विभाग हैं, फिर भी लोग उनके साथ उस प्रकार से नहीं जुड़ पाते हैं जिस तरह से वे कलाकारों के साथ जुड़ते हैं। बैंडिट क्वीन, विक्की डोनर, हैदर जैसी फिल्मों की कॉस्ट्यूम डिजाइनर डॉली अहलूवालिया ने मेकअप और कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग में लेयरिंग और अन-लेयरिंग के जादू वाले पहलुओं को भी छुआ। उन्होंने कहा, “एक कलाकार की छवि को उजागर करने के लिए, मेकअप कलाकारों और पोशाक डिजाइनरों को कलाकार के चरित्र की एक परत जोड़नी होती है।”
डॉली अहलूवालिया ने यह भी याद किया कि कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग और मेकअप में उनकी अधिकांश शिक्षा उनके आसपास की प्रकृति और परिवेश के अवलोकन से प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि कल्पनाशीलता को वास्तविकता में बदलने के लिए ईमानदार होना पड़ता है।
समीक्षकों द्वारा प्रशंसित 'गजनी' और 'एम.एस.धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी' जैसी फिल्मों की दिग्गज प्रोडक्शन डिजाइनर वैष्णवी रेड्डी ने कहा कि कोई भी फिल्म पूर्ण रूप से टीम के सदस्यों के जुनून से प्रेरित एक सहयोगी प्रयास होता है।
प्रोडक्शन डिजाइन और सेट निमाण में बारीकियों का विवरण देते हुए, वैष्णवी रेड्डी ने कहा कि यह सिर्फ एक सेट डिजाइन नहीं है, बल्कि एक वास्तविकता है जिसे प्रत्येक फिल्म में फिर से बनाने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा, “प्रोडक्शन डिजाइनर को फिल्म के मिजाज और शैली के साथ रहना होता है। यह निर्देशक और प्रोडक्शन डिजाइनर के बीच एक अलग तरह का गठबंधन होता है।”
हर चरित्र डिजाइन के पीछे कड़ी मेहनत को दर्शाते हुए, प्रीतिशील सिंह डिसूजा ने कहा कि पटकथा पढ़ने के दौरान ही प्रक्रिया शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा, "पटकथा पढ़ते समय हमारे दिमाग में प्रत्येक चरित्र के बारे में एक व्यक्तित्व निर्धारित होने लगता है। हर सेट अप के पीछे एक कहानी होती है। हालांकि पटकथा हमें काम करने के लिए विशाल जगह प्रदान करती है, लेकिन अंत में यह निर्देशक का निर्णय होता है।”
अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, रणवीर सिंह जैसे दिग्गज कलाकारों और कई अन्य प्रसिद्ध अभिनेताओं के साथ कर चुके, चरित्र डिजाइनर और मेकअप, हेयर और कृत्रिम कलाकार प्रीतिशील सिंह डिसूजा ने ऐसे किरदार गढ़े हैं जो दर्शकों के दिमाग में बस जाते हैं। पद्मावत, बाजीराव मस्तानी, पुष्पा और जवान जैसी बड़ी ब्लॉकबस्टर सहित 60 से ज्यादा फिल्मों के साथ, उनकी विशेषज्ञता कई सिनेमा की उत्कृष्ट कृतियों की सफलता का अभिन्न अंग रही है।
इस सत्र का संचालन सुधीर श्रीनिवासन, कार्यकारी संपादक (मनोरंजन), द न्यू इंडियन एक्सप्रेस और एक प्रतिष्ठित फिल्म समीक्षक ने किया।
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(Release ID: 1981712)
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