जनजातीय कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना (पीएमवीकेवाई) को 26135.46 करोड़ रुपए की कुल लागत से वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 के लिए क्रियान्वयन की स्वीकृति

Posted On: 26 JUL 2023 5:00PM by PIB Delhi

जनजातीय कार्य मंत्रालय, प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना(पीएमवीकेवाई) का क्रियान्वयन कर रहा है,जिसमें जनजातीय समुदायों के विकास और कल्याण के लिए कई योजनाएं सम्मिलित हैं। वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 के लिए 26135.46 करोड़ रुपए की कुल लागत से योजना के क्रियान्वयन को स्वीकृति दी गई है। पीएमवीकेवाई योजना का उद्देश्य केंद्र और राज्य टीएसपी निधि के द्वारा शैक्षणिक और आजीविका में मध्यवर्तन से गांवो के एकीकृत विकास क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर देश भर में जनजातीय समुदायों और जनजातीय क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास करना है।

पीएमवीकेवाई के अंतर्गत योजना के घटक निम्नलिखित हैं-

  1. प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना(पीएमएएजीवाई)
  2. विशेष रुप से संवेदनशील जनजातीय दलों का विकास(पीवीटीजी)
  3. जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को सहयोग
  4. मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति
  5. मैट्रिक पश्चात छात्रवृति योजना

उपरोक्त योजनाओं का विवरण निम्नलिखित है-  

  1. प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना(पीएमएएजीवाई)-  जनजातीय उप-योजना को विशेष केंद्रीय सहायता की योजना(टीएसपी को एससीए) का क्रियान्वयन जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 1977-78 से किया जा रहा है। योजना और उप-योजना के वर्ष 2017 में एकीकरण के बाद से इसे जनजातीय उप योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता योजना के नाम से जाना जाता था। टीएसएस को एससीए के अंतर्गत राज्य सरकारों को विभिन्न क्षेत्रो जैसे शिक्षा,स्वास्थ्य,कृषि,कौशल विकास,रोजगार-सह-आय सृजन आदि के लिए निधि प्रदान की जाती है। अहम जनजातीय जनसंख्या वाले गांवों में मूलभूत सुविधाओं को उन्नत करने के लिए टीएसएस से एससीए को संशोधित कर प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना(पीएमएएजीवाई)में परिवर्तित किया गया। इससे इन गांवों का वर्ष 2021-22 से 2025-26 के दौरान एकीकृत विकास, परिणाम उन्मुख और समयानुसार रुप से हो सकेगा।

योजना के अंतर्गत अधिसूचित अनुसूचित जनजाति वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशो में कम से कम 50 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या और 500 अनुसूचित जनजाति वाले 36,428 गांवो में विकास के आठ क्षेत्रों जैसे सड़क संपर्कता(आंतरिक और अंत: गांव/ब्लॉक), दूरसंचार संपर्कता (मोबाइल /इंटरनेट),स्कूल,आंगनवाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र,पेयजल सुविधा और ठोस कचरा प्रबंधन में अभिसरण पद्धति द्वारा विकास कार्यक्रम/गतिविधियां की जाती है। वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 में कुल 16554 गांवो में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा अब तक राज्यों को 2133.39 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं।

  1. विशेष रुप से संवेदनशील जनजातीय दलों का विकास(पीवीटीजी)- पीवीटीजी के विकास की योजना का उद्देश्य उनके सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना विस्तृत रुप से बनाने के साथ-साथ उनके प्राकृतिक वास स्तरीय विकास दृष्टिकोण को अपनाकर समुदायों की धरोहर और संस्कृति को बनाए रखना है। योजना के अंतर्गत राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को विकास के महत्वपूर्ण क्षेत्रो जैसे शिक्षा,आवास,आजीविका,स्वास्थ्य आदि में जनजातीय लोगों के विकास से संबंधित प्रस्तावों के आधार पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। योजना के अंतर्गत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को उनके प्रस्तावों के आधार पर विभिन्न विकास कार्यों के लिए पीवीटीजी निधि प्रदान की जाती है।

 

केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट में प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास (पीएम-पीवीटीजी) मिशन की घोषणा की थी। मिशन का उद्देश्य पीवीटीजी परिवारों और निवास स्थान में मूलभूत सुविधाओं जैसे सुरक्षित आवास,स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता,शिक्षा के लिए लिए उन्नत पहुंच,स्वास्थ्य और पोषणता,सड़क और दूरसंचार संपर्कता और सतत आजीविका अवसर से परिपूर्ण कर पीवीटीजी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है।

  1. जनजातीय अनुसंधान संस्थानों(टीआरआई) को समर्थन-योजना के अंतर्गत राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को अनुसंधान,प्रलेखन आदि के लिए टीआरआई निधि में सहयोग प्रदान किया जाता है।  
  2. मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति-केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना का क्रियान्वयन संबंधित राज्यों/ केंद्रशासित प्रशासन द्वारा किया जाता है। योजना का लाभ नौंवी और दसवीं कक्षा में अध्ययन करने वाले सभी अनुसूचित जनजाति के छात्रों को दिया जाता है,जिनकी अभिभावक की वार्षिक आय 2.50 लाख रुपए तक होती है। केंद्र सरकार इसमें 75 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत का योगदान करती है। उत्तर पूर्व और पहाड़ी राज्यों के संबंध में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत और राज्य सरकार 10 प्रतिशत का योगदान करती हैं। बिना विधानसभा और स्वयं के अनुदान वाले केंद्रशासित प्रदेशों जैसे अंडमान और निकोबार में केंद्र सरकार 100 प्रतिशत योगदान प्रदान करती है।
  3. मैट्रिक पश्चात छात्रवृत्ति- केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना का क्रियान्वयन संबंधित राज्यों/ केंद्रशासित प्रशासन द्वारा किया जाता है। योजना का लाभ ग्यारवी और उससे उपर की कक्षा में अध्ययन करने वाले सभी अनुसूचित जनजाति के छात्रों को दिया जाता है,जिनकी अभिभावक की वार्षिक आय 2.50 लाख रुपए तक होती है। केंद्र सरकार इसमें 75 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत का योगदान करती है। उत्तर पूर्व और पहाड़ी राज्यों के संबंध में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत और राज्य सरकार 10 प्रतिशत का योगदान करती हैं। बिना विधानसभा और स्वयं के अनुदान वाले केंद्रशासित प्रदेशों जैसे अंडमान और निकोबार में केंद्र सरकार 100 प्रतिशत योगदान प्रदान करती है।

इसके साथ ही मंत्रालय एकलव्य मॉडल आवासीय विदयालयो का क्रियान्वयन कर रहा है और राज्यों को संविधान की धारा 275 (1) के अंतर्गत राज्यों को अनुदान प्रदान कर रही है। इसका विवरण निम्नलिखित है-

  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस)- केंद्रीय क्षेत्र की यह वर्ष 1997-98 में प्रारंभ की गई थी। इसका उद्देश्य सुदूर क्षेत्रों में कक्षा छठवीं से 12वीं के अनुसूचित जनजाति के छात्रों को शिक्षा में सर्वश्रेष्ठ अवसर प्रदान कर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना है,जिससे वो सामान्य जनसंख्या के समकक्ष आ सकें। ईएमआरएस के महत्व को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में 50 प्रतिशत या उसके अधिक अनुसूचित जनसंख्या तथा कम से कम 20 हजार जनजातीय लोगों वाले प्रत्येक ब्लॉक में ईएमआरएस खोलने की घोषणा की थी। इस प्रकार देश में 740 ईएमआरएस स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। आज की तिथि तक मंत्रालय द्वारा 690 स्कूलों को स्वीकृति प्रदान की गई है,जिसमें से 401 स्कूल कार्यरत हैं।

 

  • संविधान की धारा 275 (1) के अंतर्गत अनुदान  - जनजातीय कार्य मंत्रालय संविधान की धारा 275(1) के अंतर्गत राज्यों को निधि भी प्रदान करता है। यह केंद्र सरकार द्वारा 100 प्रतिशत अनुदान होता है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत राज्यों को विकास कार्यों की लागत को वहन करने हेतु सक्षम बनाया जाता है। इससे राज्य अनुसूचित जनजाति के कल्याण को प्रोत्साहन देते हैं। जिससे राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों की व्यवस्था,राज्य के अन्य क्षेत्रों के समान हो सके। सरकार ने देश भर में जनजातीय लोगों के संपूर्ण विकास के लिए बहु-स्तरीय रणनीति को अपनाया है। इसमें विभिन्न क्षेत्र जैसे (i) शिक्षा, (ii)स्वास्थ्य, (iii) कृषि,बागवानी,पशुपालन(एएच),मछलीपालन, दुग्ध उत्पादन तथा अन्य प्राथमिक क्षेत्र में तथा (iv)जनजातीय लोगों की घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि करने के लिए अन्य आय सृजन योजनाएं (v) प्रशासनिक ढांचा संस्थागत संरचना तथा अनुसंधान अध्ययन सम्मिलित है।    

 

  • प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम)- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) को कुल 1612.27 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रारूप की अनुमति से कार्यान्वित किया जाएगा। पीएमजेवीएम की वर्तमान में जनजातीय आजीविका को प्रोत्साहन के लिए जारी दो योजनाओं के विलय और विस्तार द्वारा पुनर्रचना की गई है। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) द्वारा लघु वन उत्पाद(एमएफपी) के विपणन के के लिए प्रक्रिया तथा एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास एवं जनजातीय उत्पादों/उपज के विकास और विपणन के लिए संस्थागत समर्थन,योजना सम्मिलित हैं। भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ ( ट्राईफेड) इस योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है। पीएमजेवीएम में जनजातीय उद्यमशीलता पहलों को सशक्त करने की परिकल्पना और अधिक प्रभावी,उचित, स्वयं प्रबंधित,प्राकृति संसाधनों का इष्टतम प्रयोग,कृषि/एनटीएफपी/गैर-कृषि उद्यम द्वारा आजीविका अवसरो को सुगम बढाने को प्रोत्साहन दिया जाता है।

उपरोक्त के अतिरिक्त अनुसूचित जातियों के लिए विकास कार्य योजना(डीएपीएसटी) जनजातीय विकास कार्यों के लिए प्रचलित समर्पित निधि है। वर्ष के दौरान डीएपीएसटी को बजटीय समर्थन 35 प्रतिशत बढ़ाकर 87584.66 करोड़ से 117943.73 करोड़ रुपए किया गया है। डीएपीएसटी एक बहु आयामी रणनीति है जिसमें शिक्षा,स्वास्थ्य,स्वच्छता,जल वितरण एवं आजीविका आदि को समर्थन प्रदान किया जाता है। जनजातीय कार्य मंत्रालय(एमओटीए) के अतिरिक्त 41 मंत्रालय/विभाग प्रतिवर्ष डीएपीएसटी के अंतर्गत विभिन्न जनजातीय विकास परियोजनाओँ के लिए अपने कुल योजना बजट का निर्धारित प्रतिशत आवंटित कर रहे हैं।

यह उत्तर केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री रेणुका सिंह सरुता ने आज राज्यसभा में दिया।   

 

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