पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अपना 17वां स्थापना दिवस मनाया


केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने इस अवसर पर विभिन्न सेवा-केंद्रित पहलें शुरू कीं

Posted On: 27 JUL 2023 7:39PM by PIB Delhi

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने आज नई दिल्ली में पृथ्वी भवन स्थित मुख्यालय में अपना 17वां स्थापना दिवस मनाया। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने इस अवसर को चिह्नित करने के लिए विभिन्न नागरिक-केंद्रित पहलें शुरू कीं। माननीय केंद्रीय मंत्री ने मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की और इस बात पर प्रकाश डाला कि "हमारे माननीय प्रधानमंत्री देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का स्वप्न देखते हैं और इस स्वप्न को पूरा करने के लिए, हमारे मंत्रालय सहित प्रत्येक नागरिक एवं संस्थान को केंद्रित और लक्षित तरीके से महत्वपूर्ण योगदान देना होगा। आगे कई संभावनाएँ विद्यमान हैं और हमें इस अवसर पर आगे बढ़ना ही चाहिए।”

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को मौसम और जलवायु, महासागर एवं समुद्र तटीय राज्य, जल विज्ञान, भूकंप विज्ञान तथा प्राकृतिक खतरों के लिए सेवाएं प्रदान करने; देश के लिए टिकाऊ तरीके से जीवित और निर्जीव समुद्री संसाधनों का पता लगाकर उनका दोहन करने; पृथ्वी के तीन ध्रुवों (आर्कटिक, अंटार्कटिक और हिमालय क्षेत्र) का पता लगाने एवं गहरे महासागरों के संसाधनों की खोज और उनका दोहन करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय आधिकारिक रूप से  2008 में तत्कालीन महासागर विकास मंत्रालय को पुनर्गठित करके अस्तित्व में आया, जिसे पहले महासागर विकास विभाग (1981 में स्थापित) के रूप में जाना जाता था। इस मंत्रालय की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए और वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन ने कहा कि “हमें ज्ञान, नवाचार और स्थिरता की अपनी खोज में दृढ़ रहना चाहिए। हमारे सामने  जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ, समुद्री प्रदूषण और घटते संसाधन जैसी शक्तिशाली और विशाल आसन्न चुनौतियां हैं। हालाँकि, मुझे विश्वास है कि अपनी मजबूत नींव, ऊर्जावान युवा, समर्पित अनुसंधान और सहयोग की भावना के साथ, हम इन चुनौतियों से निपटने और अपने ग्रह के लिए बेहतर भविष्य सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण प्रगति करना जारी रखेंगे।

 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के स्थापना दिवस समारोह में मंत्रालय के विभिन्न  संस्थानों के निदेशकों द्वारा लोकप्रिय विज्ञान वार्ता, भारत के अंटार्कटिक स्टेशन भारती में तैनात वैज्ञानिकों के साथ युवा छात्रों की एक आभासी बातचीत और कई नागरिक-केंद्रित पहलों का शुभारंभ करना शामिल था।

 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न  संस्थानों  जैसे राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओसियन टेक्नोलॉजी - एनआईओटी), भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मैट्रोलोजी- आईआईटीएम), राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओसियन रिसर्च- एनसीपीटीआर) और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओसियन इनफार्मेशन सर्विस - आईएनसीओआईएस) के निदेशकों ने विशेष रूप से गहरे महासागर मिशन, मानसून मिशन, आर्कटिक अन्वेषण और सहयोगात्मक अनुसंधान और बोरहोल भूभौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला (बीजीआरएल) द्वारा जलाशय-ट्रिगर भूकंप को समझने के लिए गहरी ड्रिलिंग के अंतर्गत मंत्रालय के दृष्टिकोण और गतिविधियों को विस्तार से बताते हुए लोकप्रिय विज्ञान व्याख्यान दिए।

 

इस दौरान हुई वार्ता ने उपस्थित जनसमूह को गहरे समुद्र के संसाधनों की खोज, अध्ययन और दोहन के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने, मौसम और जलवायु अवलोकन तथा पूर्वानुमान क्षमता में सुधार करने में; पृथ्वी के ध्रुवों पर देश की उपस्थिति को मजबूत करने में और भूभौतिकी के नए क्षेत्रों में काम करने में भारत के कौशल की झलक दी।

 

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने अपने मंत्रालय के 17वें स्थापना दिवस समारोह को चिह्नित करने के लिए निम्नलिखित पहलें  शुरू की :

  1. इंफाल (मणिपुर), कोहिमा (नगालैंड), आइजोल (मिजोरम) और पोर्ट ब्लेयर (अंडमान और निकोबार) में चार नए मौसम विज्ञान केंद्रों का उद्घाटन किया गया। ये मौसम विज्ञान केंद्र क्षेत्रीय मौसम के बारे में जानकारी, सलाह और चेतावनियों के अवलोकन और प्रसार के लिए एक विशेष प्रभाग हैं। नए मौसम केंद्र इन क्षेत्रों में मौसम संबंधी सेवाओं को बेहतर और अधिक उपयोगी बनाएंगे। इन चार केन्द्रों की वृद्धि के साथ ही देश में मौसम विज्ञान केंद्रों की कुल संख्या अब 26 हो गई है।
  2. जानकारी प्रसारित करने के लिए एक नई वेबसाइट जारी की गई, जिसमें किसानों, मछुआरों और पशुपालकों सहित हमारे देश के कृषक  समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए प्रखंड (ब्लॉक) -स्तरीय मौसम पूर्वानुमान और सलाह के लिए चेतावनी जारी करना (अलर्ट) शामिल हैं। वेबसाइट https://www.greenalerts.in/ पर उपलब्ध होगी। मौसम संबंधी जानकारी भविष्य में अंग्रेजी, हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारित की जाएगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का एक अधीनस्थ कार्यालय भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), इस वेबसाइट के माध्यम से प्रसारित वास्तविक समय के मौसम पूर्वानुमानों को एसएमएस या व्हाट्सएप पर ग्राम पंचायतों के प्रमुखों और सदस्यों के साथ साझा करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय के साथ सहयोग करेगा। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है जिससे कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की मौसम संबंधी सेवाएं अंतिम छोर पर खड़े  उपयोगकर्ता तक प्रभावी ढंग से पहुंचे।
  3. 1971 से 2020 तक भारत का वर्षा एटलस जारी किया गया। यह विभिन्न वर्षा चरों के 110 मानचित्रों के साथ भारत भर में फैले 4389 वर्षा-गेज स्टेशनों के वर्षा डेटा पर आधारित है। भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा तैयार यह एटलस विभिन्न उपयोगकर्ता एजेंसियों, शोधकर्ताओं, छात्रों और परिचालन मौसम विज्ञानियों के लिए एक मूल्यवान संसाधन होगा।
  4.  'भारत में चक्रवात चेतावनी और प्रबंधन: एक छोर दूसरे छोर से तक प्रणाली' (साइक्लोन वार्निंग एंड मैनेजमेंट -एन एंड टू एंड सिस्टम) पर एक वृत्तचित्र जारी किया गया। यह फिल्म चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए समय पर चेतावनी (अलर्ट) जारी करने, आपदा-प्रबंधन अधिकारियों के साथ घनिष्ठ सहयोग और जीवन बचाने और बुनियादी ढांचे के नुकसान को कम करने के लिए डेटा संयोजन, विश्लेषण और संचार के नवीनतम तरीकों का उपयोग करने में आईएमडी की वैज्ञानिक क्षमता को प्रदर्शित करती है। फिल्म दर्शकों को चक्रवात तौकता (2021 में) और मोचा (2023 में) के प्रबंधन के मामले के अध्ययन से रूबरू कराती है। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के यू-ट्यूब चैनल पर उपलब्ध होगी।
  5. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओसियन इनफार्मेशन सर्विस - आईएनसीओआईएस) की सभी महासागर-संबंधित सेवाओं पर व्यापक जानकारी प्रदान करने के लिए एक नया मोबाइल एप्लिकेशन जारी किया गया। डेटा संसाधनों और महासागर सलाहकारों के लिए समुद्री उपयोगकर्ताओं तक स्मार्ट पहुंच (एसएएमयूडीआरए) नाम का मोबाइल ऐप भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओसियन इनफार्मेशन सर्विस - आईएनसीओआईएस) की समुद्र संबंधी सेवाओं पर जानकारी प्रदान करता है, जिसमें संभावित मछली पकड़ने के क्षेत्र की सलाह, महासागर की स्थिति के पूर्वानुमान और सुनामी, चक्रवात, तूफ़ान की लहरें, ऊंची लहरें, उफान आदि पर अलर्ट शामिल हैं (लेकिन यह मात्र इन्हीं तक सीमित नहीं है)।
  6. हमारे हिंद महासागर के (विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) की जैव विविधता को दर्शाने वाला एक नया वेब पोर्टल जनता के लिए खोल दिया गया। वेब पोर्टल को आईएनडीओबीआईएस कहा जाता है और इसे https://indobis.in/ पर प्राप्त किया जा सकता है। इस पोर्टल को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस)  के एक संलग्न कार्यालय,समुद्री सजीव संसाधन एवं पारिस्थितिकी केंद्र (सेंटर फॉर मरीन लिविंग रिसोर्सेज एंड इकोलॉजी - सीएमएलआरई), कोच्चि द्वारा विकसित किया गया है। आईएनडी ओबीआईएस हिंद महासागर की समुद्री प्रजातियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिसमें उनकी उपस्थिति  और वैज्ञानिक वर्गीकरण भी शामिल है। यह ओमहासागर जैव विविधता सूचना प्रणाली (ओसियन बायोडाइवर्सिटी इनफार्मेशन सिस्टम - ओबीआईएस) के 30 क्षेत्रीय नोड्स में से एक के रूप में कार्य करता है। ओबीआईएस वैश्विक समुद्री जीवन की जैव विविधता और जैव भौगोलिकता पर डेटा और जानकारी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय खुली पंहुंच (ओपन -एक्सेस) वेब प्लेटफॉर्म है। ओबीआईएस अंतर सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (आईओसी)-यूनेस्को अंतर्राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान डेटा और सूचना कार्यक्रम के अंतर्गत  एक परियोजना है।
  7. 'एफओआरवी सागर सम्पदा, के अभियानों के दौरान एकत्र किए गए भारतीय गहरे पानी वाले ब्रैच्यूरन केकड़ों का व्यवस्थित विवरण' शीर्षक से एक विस्तृत वैज्ञानिक सूची जारी की गई। यह नमूना स्थानों के चित्रों और मानचित्रों के साथ भारतीय (विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में गहरे समुद्र में केकड़ों (क्रेब्स)  की विविधता पर गहन जानकारी प्रदान करता है। भारतीय विशेष आर्थिक  क्षेत्र  भारत की क्षेत्रीय जलसीमा में सागर तट से 200 समुद्री मील तक का निर्धारित क्षेत्र है। इस सूची (कैटलॉग) के लेखक सीएमएलआरई, कोच्चि से विनय पी पडाते, शेरिन सोनिया क्यूबेलियो और एन सरवनाने हैं। इस की ई -प्रतिलिपि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के आईएनडीओबीआईएस पोर्टल पर उपलब्ध है।
  8. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे द्वारा क्लाउड एरोसोल संक्रिया( इंटरेक्शन) और वर्षा वृद्धि प्रयोग-चतुर्थ (सीएआईपीईईएक्स  फोर्थ) की एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की गई। यह रिपोर्ट वर्षा की मात्रा बढ़ाने और सूखे के प्रबंधन के लिए क्लाउड सीडिंग नामक वैज्ञानिक प्रयोग रणनीति के परिणामों और सिफारिशों को विस्तार से उद्धृत करती है। इसमें पाया गया है कि कुछ स्थानों पर औसतन वर्षा को ≅46±13 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, और सोलापुर, महाराष्ट्र के वर्षा छाया क्षेत्र में बीजारोपण स्थान पर हावा के रुख के साथ 100 वर्ग किलोमीटर (किमी 2) क्षेत्र में इसे ≅18 ± 2.6 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इस  क्लाउड सीडिंग परियोजना ने ≅86 करोड़ 70 लाख लीटर पानी का योगदान दिया, जिससे सकारात्मक लागत-लाभ अनुपात प्राप्त हुआ। यह रिपोर्ट शीघ्र  ही आईआईटीएम वेबसाइट पर डाउनलोड के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होगी। इसका उद्देश्य विभिन्न हितधारकों, विशेषकर शिक्षा जगत और नीति-निर्माताओं को लाभ पहुंचाना है।
  9. पिछले 75 वर्षों में एमओईएस और उसके संस्थानों के इतिहास, उत्तरदायित्वों , गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय पर एक वीडियो फिल्म जारी की गई थी। सार्वजनिक उपयोग के लि एइस फिल्म को  मंत्रालय  के यूट्यूब चैनल पर दिखाए जाने  की सम्भावना है। त्वरित संदर्भ के लिए फिल्म का एक छोटा (7 मिनट का संपादित संस्करण) भी उपलब्ध है।
  10. स्मार्ट स्थिर दृश्यों और स्पष्ट पाठ विवरण के माध्यम से एमओईएस के  विकास  और उपलब्धियों की सफलता की कहानी को उजागर करने के लिए 'भारत में पृथ्वी विज्ञान के 75 वर्ष' नामक एक इन्फोग्राफिक्स पुस्तक जारी की गई थी। पुस्तक का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और एमओईएस की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और कीर्तिमानों  का दस्तावेजीकरण करना है I
  11.  पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीनस्थ कार्यालय, राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र (नेशनल सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्टिंग - एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) नोएडा की पहली वार्षिक रिपोर्ट। यह रिपोर्ट संस्थान के सामाजिक रूप से प्रासंगिक कार्यों की पारदर्शिता और दृश्यता बढ़ाने की दिशा में एक कदम है। उन्नत यूजर इंटरफेस के साथ एनसीएमआरडब्ल्यूएफ की एक नई वेबसाइट भी शुरू  की गई। इस वेबसाइट का पता https://www.ncmrwf.gov.in/ है।
  12. ब्रिटिश (यूके) मौसम कार्यालय जैसे अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के सहयोग से एनसीएमआरडब्ल्यूएफ, नोएडा द्वारा विकसित 330 मीटर दिल्ली मॉडल की व्याख्या करने वाला एक वीडियो। उच्च-रिज़ॉल्यूशन 330 मीटर दिल्ली मॉडल का उपयोग एयरोसोल, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर)  में कोहरे का अध्ययन करने और राजधानी क्षेत्र में दृश्यता का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जाता है। 330 मीटर दिल्ली मॉडल को समझाने वाला यह वीडियो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के यू-ट्यूब चैनल पर उपलब्ध होगा।
  13. एमओईएस के एक अन्य संलग्न कार्यालय, राष्ट्रीय भूकम्प विज्ञान केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी-एनसीएस) द्वारा 2021, 2022 के लिए मासिक भूकंपीय बुलेटिन का एक संग्रह (कॉम्पेंडियम)  तैयार किया गया है। इस संग्रह में भारत के राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क द्वारा लगभग 3500 अच्छी तरह से अभिलेखित  किए गए स्थानीय और क्षेत्रीय भूकंपों का विवरण शामिल है ।

 

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के दृष्टिकोण के अनुरूप पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने वैज्ञानिक अनुसंधान, सहयोग, सहयोग और विश्व स्तरीय सेवाओं के माध्यम से राष्ट्र और उसके नागरिकों की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है ।

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