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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने मॉनसून के मौसम में होने वाली वेक्टर जनित बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्यों की तैयारियों की वर्चुअल तरीके से समीक्षा की


राज्यों से आंतरिक रूप से तैयारियों की समीक्षा करने और पहले से बचाव के उपायों को लेकर समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया गया

Posted On: 30 JUN 2023 8:13PM by PIB Delhi

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने मॉनसून के मौसम में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, काला जार और जापानी इन्सेफलाइटिस जैसी वेक्टर जनित बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण को लेकर राज्यों की तैयारियों की वर्चुअल समीक्षा की। इस बैठक में सिक्किम के मुख्यमंत्री, 22 राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री, प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य), एमडी एनएचएम और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी वर्चुअली शामिल हुए। श्री सुधांश पंत, ओएसडी, एमओएचएफडब्ल्यू भी मौजूद थे।

पहले से तैयारियों और संयुक्त प्रयासों के महत्व पर जोर देते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हम स्वास्थ्य जरूरतों का अनुमान लगाकर और समय से पहले पर्याप्त प्रावधान और तैयारी कर बीमारी के बोझ को प्रभावी ढंग से कम करते हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने राज्यों से आह्वान किया कि वे राज्य के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए बजट का अधिकतम उपयोग करें। उन्होंने दोहराया कि रोकथाम के उपायों को लागू कर बीमारी का बोझ कम हो सकता है। डॉ. मांडविया ने वेक्टर प्रजनन को रोकने और उसे नियंत्रित करने के साथ ही समुदाय में जागरूकता पैदा करने के लिए राज्यों से अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीन सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को साझा करने का भी आह्वान किया। गांवों, स्कूलों और आस-पड़ोस में अभियानों और सूचना शिक्षा संचार पर विशेष जोर देने के साथ ही उन्होंने सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने का भी आग्रह किया।

राज्यों को मामलों की सूचना, केस प्रबंधन, आईईसी/सोशल मोबिलाइजेशन अभियान के जरिए सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों को शामिल करने की सलाह दी गई। राज्यों को दवा/डायग्नोस्टिक्स के साथ-साथ अन्य आवश्यक संसाधनों की समय पर उपलब्धता और प्रभावी वितरण का आश्वासन दिया गया।

स्वास्थ्य मंत्री ने कई राज्यों की सराहना की, जिन्होंने विभिन्न जिलों में बीमारी के बोझ को कम करने या खत्म करने की दिशा में शानदार कार्य किया है। राज्यों ने समुदायों की भागीदारी, जन जागरूकता, समय पर निगरानी और उपचार के लिए अपनाए गए विशेष अभियानों और पहलों के उदाहरण साझा किए।

वेक्टर-जनित रोग छह प्रकार के होते हैं जिसमें मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इन्सेफलाइटिस, लिम्फैटिक फाइलेरियासिस, कालाजार है। ये मौसमी होते हैं और आमतौर पर लिम्फैटिक फाइलेरियासिस को छोड़कर बाकी सभी का प्रकोप मॉनसून और मॉनसून के बाद दिखाई देता है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) इन बीमारियों के रोकथाम और नियंत्रण के लिए नीतियां एवं दिशानिर्देश तैयार करता है, साथ ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तकनीकी, वित्तीय सहायता (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मानदंडों के तहत) प्रदान करता है।

वर्चुअल समीक्षा बैठक में श्री राजीव मांझी, संयुक्त सचिव, डॉ. तनु जैन, निदेशक, डॉ. अतुल गोयल, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा (डीजीएचएस) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। मिशन निदेशकों के अलावा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।

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