कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय

समापन सत्र के साथ सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र (एनसीजीजी) ने बांग्लादेश और मालदीव के सिविल सेवकों के लिए 3 क्षमता निर्माण कार्यक्रम सम्पन्न किए


मुख्य अतिथि, नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि तीनों देश एक कल्याणकारी राज्य बनाने के लिए इतिहास, संस्कृति, लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रतिबद्धता को साझा करते हैं

21वीं सदी को एशिया की सदी बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सिविल सेवकों की निर्णायक भूमिका होगी : श्री भरत लाल, महानिदेशक, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी)

एनसीजीसी बांग्लादेश के 1,800 सिविल सेवकों और मालदीव के 1,000 सिविल सेवकों को मिशन मोड पर प्रशिक्षण देगा

पीएम मोदी की 'वसुधैव कुटुम्बकम' और 'पड़ोसी पहले' नीतियों के अनुरूप एनसीजीजी का कार्यक्रम

Posted On: 19 MAY 2023 7:58PM by PIB Delhi

सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस-एनसीजीजी) की बढ़ी हुई गतिविधियों के साथ ही आज नई दिल्ली में बांग्लादेश के सिविल सेवकों (45 प्रतिभागियों के साथ 59वां बैच) और मालदीव (50 प्रतिभागियों के साथ 22वां और 23वां बैच) के सिविल सेवकों के लिए तीन क्षमता निर्माण कार्यक्रमों (कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम्स) के समापन सत्र संपन्न हुए।

मुख्य अतिथि नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल और सम्मानित अतिथि, महानिदेशक, सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र (एनसीजीजी) श्री भरत लाल ने संयुक्त समापन सत्र के दौरान प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए, डॉ. पॉल ने कहा कि तीनों देश एक कल्याणकारी राज्य बनाने के लिए इतिहास, संस्कृति, लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रतिबद्धता को साझा करते हैं। प्रधान मंत्री श्री नरन्द्र मोदी के नेतृत्व और दृष्टि के अंतर्गत भारत ने आम आदमी के जीवन में मौलिक और परिवर्तनकारी परिवर्तन - जैसे कि ग्रामीण भारत में घरों में पीने का पानी उपलब्ध कराना देखा है और जैसा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा है, "एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य" हमारा सामूहिक लक्ष्य हैI

अपने संबोधन में, श्री भरत लाल ने कहा कि 21वीं सदी को एशियाई सदी बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए युवा सिविल सेवकों को निर्णायक भूमिका निभानी होगी। सिविल सेवकों का कार्य  हमारी सरकारों के इस पोषित लक्ष्य को पूरा करना है।

यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम (सीबीसी) वर्ष  2024 तक मालदीव सिविल सेवा आयोग के साथ मालदीव के 1,000 सिविल सेवकों और वर्ष 2025 तक बांग्लादेश सरकार के साथ बांग्लादेश  के  1,800 सिविल सेवकों के क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का हिस्सा है।

इस कार्यक्रम में सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र (एनसीजीजी) ने शासन में बदलते प्रतिमान, गंगा के विशेष संदर्भ में नदियों का पुनरुद्धार, डिजिटल तकनीक का लाभ उठाना: बुनियादी ढांचे के विकास में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की  एक केस स्टडी: एक तकनीकी, ऐतिहासिक, समाजशास्त्रीय और पर्यटन परियोजना, भारत में नीति निर्माण और विकेंद्रीकरण की संवैधानिक नींव, सार्वजनिक अनुबंध और नीतियां, सार्वजनिक नीति और कार्यान्वयन, चुनाव प्रबंधन, आधार : सुशासन का एक उपकरण, डिजिटल शासन: पासपोर्ट सेवा की केस स्टडी और मदद, ई-गवर्नेंस और डिजिटल इंडिया उमंग, समुद्र तटीय क्षेत्र के विशेष संदर्भ में आपदा प्रबंधन, प्रशासन में नैतिकता, परियोजना नियोजन , कार्य निष्पादन और निगरानी - जल जीवन मिशन, स्वामित्व योजना: ग्रामीण भारत के लिए संपत्ति सत्यापन, सतर्कता प्रशासन, भ्रष्टाचार- निषेध  की रणनीति जैसी देश में शुरू की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला । प्रतिभागियों को प्रधानमंत्री संग्रहालय, संसद के साथ-साथ क्षेत्रों के भ्रमण के लिए भी ले जाया गया ।

एनसीजीजी प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रतिपादित 'वसुधैव कुटुम्बकम' दर्शन के अनुरूप, भारत और अन्य विकासशील देशों के सिविल सेवकों के बीच सहयोग और सीखने को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। इसका उद्देश्य इन सिविल सेवकों को जटिल और चुनौतीपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए आवश्यक कौशल से सुसज्जित  करना है। 2-सप्ताह के इस गहन कार्यक्रम ने उन्हें उभरते डिजिटल उपकरणों और सुशासन की सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ अपने ज्ञान एवं  कौशल को अद्यतन करने में भी सहायता पहुंचाई ।

विदेश मंत्रालय (एमईए) के साथ साझेदारी में सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस-एनसीजीजी)  ने विभिन्न विकासशील देशों के सिविल सेवकों की क्षमता का निर्माण करने का दायित्व सम्भाला है। अब तक, इसने बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान, म्यांमार, नेपाल और कंबोडिया  जैसे 15 देशों के 3,500 से अधिक सिविल सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है । विभिन्न देशों के प्रतिभागी  अधिकारियों द्वारा इन प्रशिक्षणों को अत्यधिक उपयोगी पाया गया। साथ ही, एनसीजीजी देश के विभिन्न राज्यों के सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण में भी शामिल रहा है। इन कार्यक्रमों की बहुत मांग है और जैसा कि विदेश मंत्रालय द्वारा अपेक्षित  है – बढ़ती हुई मांग के अनुरूप  राष्ट्रीय सुशासन केंद्र  और अधिक देशों के सिविल सेवकों की बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है । 2021-22 में, एनसीजीजी  ने 8 कार्यक्रम आयोजित किए जिनमें 236 सिविल सेवकों ने भाग लिया। 2022-23 में इसे तीन गुना कर दिया गया और एनसीजीजी ने 23 कार्यक्रमों का आयोजन किया और 736 सिविल सेवकों ने इनमे भाग लिया। वर्ष 2023-24 के लिए, एनसीजीजी ने इस कार्यक्रम में तीन गुना वृद्धि की योजना बनाई है और 2,130 सिविल सेवकों को समायोजित करने के लिए ऐसे 55 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ।

घरेलू और अन्य विकासशील देशों के सिविल सेवकों के लिए एनसीजीजी की क्षमता निर्माण पहलों का उद्देश्य नागरिक-केंद्रित सार्वजनिक नीतियों, सुशासन और समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचकर नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए बेहतर सेवा वितरण को बढ़ावा देना है।

सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र (एनसीजीजी)  की स्थापना 2014 में भारत सरकार द्वारा कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तत्वावधान में एक शीर्ष-स्तरीय संस्था के रूप में की गई थीI

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