विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
एसएआरएस–सीओवी-2 की दृश्य पहचान (विजुअल डिटेक्शन) की नई विधि से प्रारंभिक अवस्था में संक्रमण की पहचान की जा सकती है
Posted On:
05 APR 2023 5:00PM by PIB Delhi
गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम-कोरोनावायरस- 2 ( सीरियस एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम - एसएआरएस – सीओवी -2 ) के ग्राही युग्मन क्षेत्र (रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन – आरबीडी) का पता लगाने के लिए एक नया सैंडविच आधारित पृष्ठीय प्रवाह ( लेटरल फ्लो ) इम्यूनोएसे ( एलएफआए ) आरटी – पीसीआर परीक्षणों के लिए एक कुशल विकल्प प्रदान कर सकता है । यह पता लगाने की दृश्य रेखा ( एलओडी ) के साथ संक्रमण के प्रारंभिक चरण में ही एसएआरएस – सीओवी -2 के आरबीडी रोगकारकों ( एंटीजन ) का पता लगा सकता है।
आरटी-पीसीआर और एलिसा जैसी लोकप्रिय रूप से प्रयोग में आने वाली स्वर्ण मानक प्रविधियां आमतौर पर समय लेने वाली होती हैं और इनके लिए कुशल श्रम, विशिष्ट उपकरणों की आवश्यकता होती है साथ ही ये ऑन-साइट पहचान के लिए संभव नहीं हैं।
इस चुनौती से पार पाने के लिए, जैव प्रौद्योगिकी विभाग- राष्ट्रीय पशु जैवप्रौद्योगिकी संस्थान ( डीबीटी- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी – डीबीटी – एनआईएबी ) और गांधी मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं की एक टीम ने सार्स-सीओवी-2 वायरस का प्रारम्भिक एवं क्षेत्र विशेष में (ऑन- फील्ड) पता लगाने के लिए एक त्वरित एवं सुदृढ़ मंच विकसित किया। परीक्षण पट्टिका (टेस्ट स्ट्रिप ) के गुणात्मक विश्लेषण के लिए एक स्मार्टफोन ऐप ( कलर ग्रैब ) का प्रयोग किया गया है। रोगकारक – रोग प्रतिरोधी ( एंटीजन- एंटीबॉडी ) के मध्य सम्पर्क ( इंटरेक्शन ) के सिद्धांत पर काम करने वाले इस विकसित एलएफआईए में कुशल कर्मियों की आवश्यकता के बिना ही एसएआरएस - सीओवी- 2 का पता लगाने और बाद में ऐसे वायरस के प्रसार को कम करने की क्षमता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) के एक संगठन विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड ( साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड - एसईआरबी) के समर्थन से वैज्ञानिक आरबीडी प्रोटीन की अभिव्यक्ति के लिए उत्तरदायी गुणसूत्र ( ) की प्रतिकृति बनाने ( क्लोन ) और एंटीबॉडी ( एबी ) को उत्पन्न करने के बाद इसे शुद्ध करने के लिए एक साथ आए। तत्पश्चात उत्पन्न रोगप्रतिरोधी ( एंटीबॉडी ) को उसकी वर्णमिति पहचान ( कलरीमेट्रिक डिटेक्शन ) के लिए कैप्चर जांच के रूप में उपयोग करने के लिए मोनोडिस्पर्स गोल्ड नैनोपार्टिकल्स (एयूएनपी) के साथ संयुग्मित किया गया था। इस प्रकार निर्मित एलएफआईए एक सैंडविच प्रारूप में काम करता है, जहां किसी नमूने में आरबीडी लक्ष्य विश्लेषण एक जटिल ( एयूएनपी-एबी ) बनाने के लिए स्वर्ण नैनोपार्टिकल्स संयुग्मित आरबीडी एंटीबॉडी के साथ सम्पर्क में आता है, जो एक नाइट्रोसेल्यूलोज झिल्ली से निस्यन्दित होकर आगे बढ़ता है और फिर आरबीडी एंटीबॉडी के रूप में लेपित लाल रंग की पट्टी बनाने के लिए झिल्ली पर बनाई गई परीक्षण रेखा ( टेस्ट लाइन ) के साथ प्रतिक्रिया करता है ।
नमूने में रोगकारक ( एंटीजन – एजी ) की उपस्थिति का परीक्षण करने के लिए क्रमशः आरबीडी एबी और आईजी जी द्वितीयक एबी को परीक्षण और नियंत्रण के रूप में नाइट्रोसेल्यूलोज झिल्ली पर लेपित किया गया था। इसके अलावा, परीक्षण पट्टी की कार्यक्षमता को मान्य करने वाले द्वितीयक आईजीजी एंटीबॉडी के साथ लेपित नियंत्रण रेखा के साथ अतिरिक्त एंटीबॉडी युग्मित थे। इस पट्टी से आगे जाने वाले प्रवाह को वापिस लौटने ( बैकफ्लो को रोकने ) के लिए पट्टी के अंत में एक अवशोषक पैड रखा गया था।
परीक्षण और नियंत्रण रेखा पर बैंड के रंग ( कलर ) का उभरना सकारात्मक परिणाम दर्शाता है जबकि नियंत्रण में एकल रेखा नकारात्मक परिणाम दर्शाती है। लक्ष्य विश्लेषण के आधार पर इस झिल्ली ( मेम्ब्रेन ) पर अवरुद्ध बफर, एंटीबॉडी संयुग्मन एकाग्रता और एंटीबॉडी कोटिंग सांद्रता जैसे विभिन्न मापदंडों को अधिकतम बाध्यकारी दक्षता के साथ बैंड रंग प्राप्त करने के लिए अनुकूलित किया गया है। टेस्ट लाइन रंग की छवि अधिग्रहण और विश्लेषण के लिए एक साधारण स्मार्टफोन-आधारित एप्लिकेशन का उपयोग करके परीक्षण लाइन की बैंड तीव्रता का विश्लेषण किया गया था, जो किसी भी रंग के डेटा को इसके तीन प्राथमिक रंग घटकों - लाल, हरा और नीला ( आरजीबी डेटा ) में विभाजित कर सकता है ) विशिष्ट रंग , घटक रंग की तीव्रता के बढ़ने या घटने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। यह अध्ययन हाल ही में जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी में प्रकाशित हुआ था।
विकसित एलएफआईए पट्टिकाएं ( स्ट्रिप्स ) एक वहनीय ( पोर्टेबल ) , पॉइंट ऑफ़ केयर डिवाइस ( पीओसी ) के रूप में विशेष रूप से घर या ग्रामीण क्षेत्रों में एसएआरएस – सीओवी -2 का ऑन-साइट पता लगाने के लिए उपयोगी हो सकती हैं । इसके अलावा इन एलएफआईए स्ट्रिप्स की लागत मानक आरटी-पीसीआर परीक्षण की तुलना में बहुत कम है, जो इसे उन लोगों के लिए अधिक वाजिब विकल्प बनाता है जो आरटी-पीसीआर परीक्षण का खर्च नहीं उठा सकते हैं ।
प्रकाशन लिंक: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/36541714/
सम्पर्क करने का विवरण:
1) डॉ. सोनू गांधी ( वैज्ञानिक ई, डीबीटी-राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान ( एनआईएबी ), हैदराबाद-500032, तेलंगाना, भारत); ईमेल- gandhi@niab.org.in
2) दृश्य प्रकाशन ( पीएचडी छात्र, डीबीटी-राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान ( एनआईएबी ), हैदराबाद-500032, तेलंगाना, भारत); ईमेल-दृश्यप्रकाशन333[at]gmail[dot]com
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