निर्वाचन आयोग
कर्नाटक विधानसभा के लिए सामान्य निर्वाचन, 2023
Posted On:
29 MAR 2023 2:53PM by PIB Delhi
कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल और इसकी सदस्य संख्या के साथ-साथ संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश, 2008 के तहत निर्धारित अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों का ब्योरा इस प्रकार है:
राज्य का नाम
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विधानसभा का कार्यकाल
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विधानसभा सीटों की संख्या
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अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण
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अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण
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कर्नाटक
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25 मई 2018 से 24 मई 2023
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224
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36
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15
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भारत के संविधान के अनुच्छेद 172 (1) के साथ अनुच्छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 15 के तहत मिले प्राधिकार और शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले इसका स्वतंत्र, निष्पक्ष, सहभागिता के साथ, सुगम, समावेशी एवं सुरक्षित तरीके से निर्वाचन संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
1. मतदाता सूची
आयोग का यह दृढ़ विश्वास है कि प्रामाणिक और अपडेटेड निर्वाचक नामावली (मतदाता सूची) स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव की आधारशिला है। ऐसे में इसकी गुणवत्ता, उपयुक्तता और विश्वसनीयता में सुधार लाने पर गहन रूप से लगातार ध्यान दिया जाता है। निर्वाचन विधि (संशोधन) अधिनियम 2021 द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 14 में संशोधन होने के बाद अब मतदाता के तौर पर पंजीकृत होने के लिए एक साल में चार निर्धारित तारीखों का प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार, आयोग ने निर्धारित निकटतम तिथि 01.01.2023 के संदर्भ में कर्नाटक में मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया है। 01.01.2023 तिथि के संदर्भ में मतदाता सूची का समयबद्ध तरीके से विशेष पुनरीक्षण पूरा करने के बाद निर्वाचन नामावली का अंतिम प्रकाशन 5 जनवरी 2023 को कर दिया गया है।
अंतिम रूप से प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार कर्नाटक राज्य में निर्वाचकों की संख्या इस प्रकार है:
राज्य का नाम
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साधारण निर्वाचकों की संख्या
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सेवा मतदाताओं की संख्या
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निर्वाचक नामावली के अनुसार कुल मतदाता
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कर्नाटक
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5,23,63,948
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47,609
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5,24,11,557
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2 जनवरी 2022 और 1 जनवरी 2023 के बीच 18 साल के होने वाले युवा निर्वाचकों के नामांकन की संख्या इस प्रकार है:
राज्य का नाम
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18+ आयु वाले मतदाता
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कर्नाटक
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9,58,806
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कर्नाटक राज्य में दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी), थर्ड जेंडर और वरिष्ठ नागरिक (80+) के रूप में चिन्हित मतदाताओं की संख्या इस प्रकार से हैं:
राज्य का नाम
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कुल पीडब्ल्यूडी मतदाता
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कुल थर्ड जेंडर
|
कुल वरिष्ठ नागरिक (80+)
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कर्नाटक
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5,60,908
|
4751
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12,15,142
|
आयोग ने समाज के सभी वर्गों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने और मतदाता सूची की वस्तुस्थिति में सुधार के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं, जो इस प्रकार से हैं:
(i) प्रतिष्ठित सिविल सोसायटी संगठनों (सीएसओ) के सहयोग से अति-संवेदनशील समूहों जैसे दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी), ट्रांसजेंडरों और सेक्स वर्करों का ज्यादा से ज्यादा नामांकन सुनिश्चित करना। उदाहरण के तौर पर सेक्स वर्करों का अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करने के लिए नाको (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) के साथ जुड़ना।
(ii) उचित क्षेत्रवार सत्यापन और वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद सॉफ्टवेयर टूल्स का इस्तेमाल करके मतदाता सूची में तार्किक त्रुटियों, जनसांख्यिकीय जैसी प्रविष्टियों और एक समान तस्वीर वाली प्रविष्टियों को हटाना।
(iii) युवा मतदाताओं, विशेष रूप से 1 जनवरी 2023 को अर्हक आयु के होने वाले मतदाताओं के नामांकन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
(iv) मतदान केंद्रों को युक्तिसंगत बनाने के लिए बेहद सावधानी बरती गई है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मतदान केंद्र का प्रत्यक्ष रूप से दौरा किया गया है और निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए मतदान केंद्रों को नए और बेहतर बुनियादी ढांचे वाले भवन में स्थानांतरित करने पर भी विचार किया गया है।
(v) नागरिकों के अति-संवेदनशील समूहों के लिए समाज कल्याण विभाग, एसएसीओ आदि जैसे दूसरे सरकारी डेटाबेस को बेंचमार्क के तौर पर रखकर इन समूहों का पंजीकरण बढ़ाने पर विचार किया गया।
(vi) आयोग मतदान केंद्रों में दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए बुनियादी ढांचे के साथ-साथ निश्चित न्यूनतम सुविधाओं पर जोर देता है। ऐसे में मुख्य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ/डीईओ) को मतदान केंद्रों पर रैंप जैसा स्थायी बुनियादी ढांचा बनाने का निर्देश दिया गया है।
(vii) किसी भी महामारी या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित अप्रिय घटना से बचने के लिए 3 या उससे अधिक मतदान केंद्रों वाले मतदान स्थलों के लिए अलग से प्रवेश और निकास की योजना बनाई गई है।
(viii) आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का इस्तेमाल करने और मॉडल मतदान केंद्र तैयार करने के लिए स्थानीय संस्कृति और कला को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। हर जिले में यथासंभव कम से कम एक ऐसा आदर्श मतदान केंद्र होना चाहिए।
(ix) 80+ से अधिक उम्र के मतदाताओं, दिव्यांगजनों आदि की सूची तैयार की गई है। वे समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, यह एहसास कराने के लिए सम्मान/प्रशंसा पत्र भी भेजे गए हैं।
2. फोटो मतदाता सूची और निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (एपिक)
कर्नाटक के साधारण निर्वाचन के दौरान फोटो मतदाता सूची का उपयोग किया जाएगा। एपिक मतदान के समय निर्वाचक की पहचान स्थापित करने का एक दस्तावेज होगा। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख से पहले सभी नए मतदाताओं को एपिक की 100 फीसदी डिलिवरी सुनिश्चित करने के हरसभंव प्रयास हो रहे हैं।
3. मतदाता सूचना पर्ची (वीआईएस)
मतदाता अपने मतदान केंद्र में निर्वाचक नामावली की क्रम संख्या, मतदान की तारीख, समय आदि जान सकें, इससे संबंधित सहायता के लिए आयोग ने 'मतदाता सूचना पर्ची' जारी करने का फैसला किया है। इस पर्ची में मतदान केंद्र, तारीख, समय आदि जैसी सूचनाएं मिलेंगी लेकिन मतदाता का फोटो नहीं होगा। सभी पंजीकृत मतदाताओं को मतदान की तारीख से कम से कम 5 दिन पहले जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा मतदाता सूचना पर्चियां दी जाएंगी। हालांकि मतदाताओं के पहचान प्रमाण पत्र के रूप में मतदाता सूचना पर्ची की अनुमति नहीं होगी। यह याद करना जरूरी है कि आयोग ने 28 फरवरी 2019 से पहचान प्रमाण के रूप में फोटो वाली मतदाता पर्ची को बंद कर दिया था।
4. ब्रेल मतदाता सूचना पर्ची:
चुनाव प्रक्रिया में दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) की भागीदारी और सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने निर्देश दिया है कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों को सामान्य मतदाता सूचना पर्चियों के साथ-साथ ब्रेल विशेषताओं वाली मतदान सूचना पर्चियां जारी की जाएं।
5. मतदाता गाइड
इस निर्वाचन में, चुनाव से पहले प्रत्येक मतदाता के परिवार को मतदाता मार्गदर्शिका (हिंदी/अंग्रेजी/स्थानीय भाषा में) उपलब्ध कराई जाएगी, जिसमें मतदान की तारीख और समय, बीएलओ के संपर्क विवरण, महत्वपूर्ण वेबसाइट, हेल्पलाइन नंबर, मतदान केंद्र पर पहचान के लिए जरूरी दस्तावेजों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही मतदान केंद्र पर मतदाताओं को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसकी महत्वपूर्ण जानकारी भी होगी। यह मतदाता गाइड विवरणिका बीएलओ द्वारा मतदाता सूचना पर्चियों के साथ दी जाएगी।
6. मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की पहचान
मतदान केंद्र पर मतदाताओं की पहचान के लिए मतदाता, अपने एपिक या आयोग की ओर से स्वीकृत निम्नलिखित दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे:
(i) आधार कार्ड
(ii) मनरेगा जॉब कार्ड
(iii) बैंक/डाकघर से जारी फोटोयुक्त पासबुक
(iv) श्रम मंत्रालय की योजना के अंतर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड
(v) ड्राइविंग लाइसेंस
(vi) पैन कार्ड
(vii) एनपीआर के तहत आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड
(viii) भारतीय पासपोर्ट
(ix) फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज
(x) केंद्रीय/राज्य सरकार/लोक उपक्रम/पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को जारी
फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र
(xi) सांसदों/विधायकों/विधान परिषद सदस्यों को जारी अधिकारिक पहचान पत्र और
(xii) विशिष्ट दिव्यांग आईडी (यूडीआईडी) कार्ड, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार
7. मतदान केंद्र और विशेष सुविधा
(1) मतदान केंद्र में मतदाताओं की अधिकतम संख्या
एक मतदान केंद्र में अधिकतम 1500 मतदाता होंगे। राज्य में मतदान केंद्रों की संख्या में बदलाव इस प्रकार है:
राज्य का नाम
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2018 में मतदान केंद्रों की संख्या
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2023 में मतदान केंद्रों की संख्या
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कर्नाटक
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58,008
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58,282
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(2) मतदान केंद्रों पर निश्चित न्यूनतम सुविधाएं (एएमएफ):
आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि प्रत्येक मतदान केंद्र भूतल पर होना जरूरी है। साथ ही मतदान केंद्र भवन तक जाने के लिए अच्छा संपर्क मार्ग हो और वह सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाओं (एएमएफ) जैसे- पेयजल, प्रतीक्षा स्थल (वेटिंग शेड), पानी की सुविधा के साथ टॉयलेट, प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था, दिव्यांग मतदाताओं के लिए उपयुक्त ढाल वाले रैंप और एक मानक मतदान कक्ष आदि से युक्त हो। आयोग ने सीईओ/डीईओ को निर्देश दिए हैं कि वे प्रत्येक मतदान केंद्र पर स्थायी रैंप और स्थायी बुनियादी ढांचा तैयार करने का प्रयास करें।
(3) सुगम निर्वाचन- दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुविधाएं:
कर्नाटक में सभी मतदान केंद्र भूतल पर हैं और दिव्यांग निर्वाचकों एवं वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए व्हीलचेयर की व्यवस्था के साथ उचित ढलान वाले मजबूत रैंप की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा दिव्यांग मतदाताओं को लक्षित और आवश्यकता के हिसाब से सुविधा प्रदान करने के लिए आयोग ने निर्देश जारी किए हैं कि एक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के सभी दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों की पहचान की जाए और उन्हें संबंधित मतदान केंद्रों के साथ टैग किया जाए। इसके अलावा, मतदान के दिन सुविधाजनक तरीके से मताधिकार का प्रयोग करने के लिए दिव्यांगों के लिए जरूरी विशिष्ट व्यवस्थाएं की जाएं। चिन्हित दिव्यांग (पीडब्ल्यूडी) और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं को रिटर्निंग अधिकारी (आरओ)/जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) द्वारा नियुक्त स्वयंसेवकों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। मतदान केंद्रों पर दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं के लिए विशेष सुविधा प्रदान की जाएगी। यह भी निर्देश दिया गया है कि मतदान बूथों में प्रवेश करने में दिव्यांग निर्वाचकों एवं वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी जाए। मतदान केंद्र परिसर के प्रवेश के पास उनके लिए विशेष पार्किंग स्थल की व्यवस्था की जाए और बोलने एवं सुनने की समस्याओं से ग्रस्त निर्वाचकों को विशेष सुविधा दी जानी चाहिए। दिव्यांग निर्वाचकों की विशेष जरूरतों के संबंध में मतदान कर्मियों को संवेदनशील बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
आयोग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को निर्देश दिया है कि मतदान के दिन प्रत्येक मतदान केंद्र पर दिव्यांग एवं वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं के लिए उचित परिवहन सुविधा होनी चाहिए। दिव्यांग निर्वाचक सक्षम-ईसीआई ऐप पर पंजीकरण कर व्हीलचेयर सुविधा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
निर्वाचन संचालन नियम 1961 की धारा 49एन के तहत, दृष्टिबाधित मतदाता अपनी तरफ से मतदान केंद्र पर मत डालने के लिए एक सहयोगी को लेकर जा सकते हैं।
इसके अलावा मतदान केंद्रों पर ब्रेल लिपि में डमी मत पत्र भी उपलब्ध हैं। कोई भी दृष्टिबाधित मतदाता इस शीट का उपयोग कर सकता है। इस शीट का अध्ययन करने के बाद साथी की सहायता लिए बगैर ईवीएम के बैलेट यूनिट पर ब्रेल सुविधा का उपयोग करके खुद अपना मत डाल सकता है।
(4) मतदाता सुविधा पोस्टर:
निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के नियम 31 के तहत सांविधिक जरूरतों को पूरा करने और प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाता जागरूकता एवं सूचना के लिए सटीक एवं सुसंगत सूचना प्रदान करने के लिए, आयोग ने निर्देश दिया है कि एकसमान और आदर्श मतदाता सुविधा पोस्टर (वीएफपी) {कुल चार प्रकार के पोस्टर यानी 1. मतदान केंद्र विवरण, 2. उम्मीदवारों की सूची, 3. क्या करें और क्या न करें और 4. पहचान के अनुमोदित दस्तावेज और मतदान कैसे करें} प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे।
(5) मतदाता सहायता बूथ (वीएबी) :
प्रत्येक मतदान केंद्र स्थल के लिए मतदाता सहायता बूथ स्थापित किए जाएंगे, जिनमें बीएलओ/अधिकारियों की एक टीम होगी जो मतदाताओं को निर्वाचक नामावली में मतदान बूथ संख्या और क्रम संख्या का ठीक-ठीक पता लगाने में मदद करेगी। वीएबी स्पष्ट पहचान सूचक के साथ, इस तरीके से स्थापित किए जाएंगे कि वे मतदाताओं के मतदान परिसर/भवन की ओर जाने पर आसानी से नजर में आ सके। इससे मतदान के दिन उन्हें काफी सुविधा मिलेगी।
आसानी से नाम खोजने और मतदाता सूची में क्रम संख्या जानने के लिए मतदाता सहायता बूथ पर ईआरओ नेट के जरिए वर्णक्रम लोकेटर (अंग्रेजी अल्फाबेट के अनुसार) रखा गया है।
(6) मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए मानकीकृत मतदान कक्ष:
मतदान के समय मत की गोपनीयता बनाए रखने और मतदान कक्षों के उपयोग में एकरूपता लाने के लिए आयोग ने 15 नवंबर, 2016 को अपने निर्देशों में संशोधन किया। वोटिंग कंपार्टमेंट की ऊंचाई को 30 इंच तक बढ़ा दिया गया है और यह निर्देश भी दिया गया है कि वोटिंग कंपार्टमेंट एक ऐसे टेबल पर रखा जाना चाहिए जिसकी ऊंचाई 30 इंच हो। वोटिंग कंपार्टमेंट्स बनाने के लिए स्टील ग्रे रंग का पूर्ण रूप से अपारदर्शी और फिर से इस्तेमाल होने वाले केवल प्लास्टिक शीट (फ्लेक्स बोर्ड) का उपयोग किया जाएगा। आयोग ने उम्मीद जताई है कि सभी मतदान बूथों में इन मानकीकृत और एकसमान वोटिंग कंपार्टमेंट्स का उपयोग होने से मतदाताओं को बेहतर सुविधा मिलेगी, मतों की पूर्ण गोपनीयता सुनिश्चित होगी और मतदान बूथों के भीतर वोटिंग कंपार्टमेंट तैयार करने में असमानताएं दूर होंगी।
वोटिंग कंपार्टमेंट्स के तीनों तरफ अपने आप चिपकने वाले स्टिकर चिपकाए जाएंगे और उन पर निर्वाचन का नाम, पीसी/एसी संख्या और नाम, मतदान केंद्र संख्या और वर्ष का नाम आदि छपा होगा।
8. दिव्यांग मतदाताओं, 80+ के वरिष्ठ नागरिकों, आवश्यक सेवाओं में लगे निर्वाचकों और कोविड संदिग्ध/प्रभावित मतदाताओं के लिए पहल:
- निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के नियम 27ए को अधिसूचना दिनांक 22.10.2019 और 19.06.2020 के जरिए संशोधित किया गया है। इन दो संशोधनों के द्वारा 'अनुपस्थित मतदाता' डाक मतपत्र से मतदान करने के हकदार हो गए हैं। 'अनुपस्थित मतदाता' को निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के नियम 27ए के खंड (एए) में परिभाषित किया गया है और इसमें अनिवार्य सेवाओं में तैनात व्यक्ति, वरिष्ठ नागरिक (80+), दिव्यांगजन (बेंचमार्क या उससे अधिक दिव्यांगता वाले) और कोविड-19 के संदिग्ध या प्रभावित लोग शामिल हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 60(सी) के तहत अनिवार्य सेवाओं की श्रेणी सरकार के परामर्श से निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचित की गई है।
वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों और कोविड-19 संदिग्ध या प्रभावित व्यक्तियों की श्रेणी के अनुपस्थित मतदाताओं द्वारा डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों में निम्नलिखित प्रक्रियाएं बतलाई गई हैं:
i) अनुपस्थित मतदाता, जो डाक मतपत्र से मतदान करना चाहता है, उसे संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को प्रारूप- 12डी में सभी जरूरी विवरण भरकर आवेदन करना है। डाक मतपत्र की सुविधा चाहने वाले ऐसे आवेदन चुनाव की घोषणा की तारीख से लेकर संबंधित निर्वाचन की अधिसूचना की तारीख के पांच दिन बाद तक की अवधि के दौरान आरओ के पास पहुंच जाने चाहिए।
ii) यदि दिव्यांगजन श्रेणी से संबंधित अनुपस्थित मतदाता (एवीपीडी) डाक मतपत्र का विकल्प चुनते हैं तो आवेदन (प्रारूप 12डी) के साथ दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत संबंधित उपयुक्त सरकार द्वारा निर्दिष्ट बेंचमार्क दिव्यांगता प्रमाण पत्र की एक प्रति संलग्न होनी चाहिए।
iii) बीएलओ द्वारा प्रारूप 12घ का वितरण:
(क) बीएलओ मतदान केंद्र क्षेत्र में आरओ द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के अनुसार एवीएससी, एवीपीडी और एवीसीओ की श्रेणी के अनुपस्थित मतदाताओं के घरों का दौरा करेंगे और संबंधित निर्वाचकों को प्रारूप 12डी देंगे और उनसे पावती प्राप्त करेंगे।
(ख) अगर कोई मतदाता उपलब्ध नहीं है तो बीएलओ उनसे अपने संपर्क का विवरण साझा करेंगे और अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर प्रारूप 12डी लेने के लिए फिर से जाएंगे।
(ग) मतदाता डाक मतपत्र का विकल्प चुन सकते हैं या नहीं भी चुन सकते हैं। अगर वह डाक मतपत्र का विकल्प चुनता है तो बीएलओ अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर निर्वाचक के घर से भरे हुए प्रारूप 12डी को लेंगे और आरओ के पास जमा कराएंगे।
(घ) सेक्टर ऑफिसर आरओ के समग्र पर्यवेक्षण में बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा प्रारूप 12डी के वितरण और इकट्ठा करने की प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।
(iv) इसके अलावा आरओ ऐसे सभी दिव्यांग (पीडब्ल्यूडी) और 80+ निर्वाचकों की सूची मुद्रित हार्डकॉपी में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों से साझा करेंगे, जिनके डाक मतपत्र सुविधा का लाभ उठाने के लिए प्रारूप 12डी में प्रस्तुत आवेदन आरओ ने मंजूर किए हैं।
II. एक वीडियोग्राफर और सुरक्षा सहित 2 मतदान अधिकारियों वाला मतदान दल वोटिंग कंपार्टमेंट के साथ निर्वाचक के घर जाएगा और पूर्ण गोपनीयता बनाए रखते हुए पत्र पर निर्वाचक से मतदान करवाएगा। उम्मीदवारों को इन निर्वाचकों की सूची अग्रिम तौर पर दी जाएगी और उन्हें मतदान का कार्यक्रम और मतदान दलों का मार्ग चार्ट भी उपलब्ध कराया जाएगा जिससे वे अपने प्रतिनिधियों को मतदान प्रक्रिया का साक्षी बनने के लिए भेज सकें। इसके बाद रिटर्निंग अधिकारी डाक मतपत्र को सुरक्षित तरीके से रखेंगे।
III. यह एक वैकल्पिक सुविधा है और इसमें डाक विभाग की पत्र भेजने जैसी कोई व्यवस्था शामिल नहीं है।
IV. आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे उपर्युक्त श्रेणियों के मतदाताओं तक सूचना पहुंचाने और उन्हें सुविधा प्रदान करने के लिए जरूरी कदम उठाएं।
9. महिलाओं और दिव्यांगजनों द्वारा संचालित मतदान केंद्र
लैंगिक समानता और निर्वाचन प्रक्रिया में महिलाओं की रचनात्मक भागीदारी बढ़ाने की अपनी पुरजोर प्रतिबद्धता के साथ आयोग ने यह निर्देश भी दिया है कि जहां तक संभव हो, चुनाव होने जा रहे कर्नाटक राज्य में प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में महिलाओं और दिव्यांगजनों द्वारा प्रबंधन किया जाने वाला कम से कम एक मतदान केंद्र स्थापित किया जाएगा। महिलाओं द्वारा संचालित ऐसे मतदान केंद्रों में पुलिस और सुरक्षाकर्मियों सहित सभी निर्वाचन स्टॉफ महिलाएं ही होंगी। प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम एक आदर्श मतदान केंद्र स्थानीय सामग्री और कला के प्रकारों का उपयोग और चित्रण करके तैयार किए जाएंगे।
इसके अलावा, नई पहल के तहत आयोग ने फैसला किया है कि प्रत्येक जिले का कम से कम एक मतदान केंद्र उस जिले के सबसे युवा पात्र कर्मचारियों की टीम द्वारा संचालित किया जाएगा।
10. नामांकन प्रक्रिया- नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया के बारे में संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।
I. नामांकन में ऑनलाइन मोड की सुविधा प्रदान करने के लिए अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं:
(i) नामांकन प्रारूप मुख्य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर ऑनलाइन भी उपलब्ध होंगे। कोई भी इच्छुक उम्मीदवार इसे ऑनलाइन भर सकता है और रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए उसका प्रिंट लिया जा सकता है, जैसा प्रारूप-1 (निर्वाचन संचालन नियम 1961 का नियम- 3) में उल्लिखित है।
(ii) शपथ पत्र सीईओ/डीईओ की वेबसाइट पर भी ऑनलाइन भरा जा सकता है, उसका प्रिंट लेकर नोटरीकृत करने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर के सामने नामांकन प्रारूप के साथ जमा किया जा सकता है।
(iii) उम्मीदवार निर्धारित प्लेटफार्म पर ऑनलाइन मोड के जरिए जमानत राशि जमा कर सकते हैं। हालांकि उम्मीदवार के पास कोषागार में नकद जमा कराने का विकल्प बना रहेगा।
(iv) उम्मीदवार ऑनलाइन नामांकन के लिए अपना निर्वाचक प्रमाणन प्राप्त करने का विकल्प भी चुन सकता है।
II. इसके अलावा आयोग ने निम्नलिखित निर्देश दिए हैं:
(i) रिटर्निंग अधिकारी के कक्ष में नामांकन, जांच और चिन्ह आवंटन का काम पूरा करने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
(ii) रिटर्निंग अधिकारी को उम्मीदवारों के लिए अग्रिम रूप से अलग-अलग समय आवंटित करना चाहिए।
(iii) नामांकन प्रारूप और शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए उठाए जाने वाले सभी आवश्यक कदम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में निहित प्रावधानों के अनुसार रहेंगे।
- उम्मीदवारों के लिए शपथ-पत्र:
सभी कॉलम भरे जाने हैं-
वर्ष 2008 की रिट याचिका संख्या (सी) 121 (रिसर्जेंस इंडिया बनाम भारत निर्वाचन आयोग और अन्य) में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 13 सितंबर 2013, जिसमें दूसरी बातों के साथ-साथ रिटर्निंग अधिकारी के लिए यह जांच करना अनिवार्य बनाया गया है कि नामांकन पत्र के साथ शपथ पत्र भरे जाने के समय पर आवश्यक सूचना (उम्मीदवार द्वारा) पूर्ण रूप से प्रदान की गई है या नहीं। आयोग ने निर्देश जारी किया है कि नामांकन पत्र के साथ दाखिल किए जाने वाले शपथ-पत्र में उम्मीदवारों के लिए यह जरूरी है कि वे सभी कॉलमों को भरें। अगर शपथ पत्र में कोई कॉलम खाली छोड़ा जाता है तो रिटर्निंग ऑफिसर सभी कॉलम विधिवत रूप से भरे जाने के लिए संशोधित शपथ पत्र दाखिल करने के लिए उम्मीदवार को नोटिस देंगे। इस तरह के नोटिस के बाद भी अगर उम्मीदवार पूर्ण शपथ-पत्र दाखिल करने में असफल रहता है तो उसका नामांकन पत्र जांच के समय रद्द किया जा सकेगा।
नामांकन प्रारूप के फॉर्मेट और प्रारूप 26 वाले शपथ-पत्र में बदलाव:
दिनांक 16 सितंबर 2016 और 7 अप्रैल 2017 की अधिसूचनाओं के जरिए नामांकन प्रारूप 2ए और 2बी का भाग IIIए तथा नामांकन प्रारूप 2सी, 2डी और 2ई के भाग II को संशोधित किया गया है। 26 फरवरी 2019 की अधिसूचना के जरिए प्रारूप 26 में शपथ पत्र को भी संशोधित किया गया है। इसमें (i) उन उम्मीदवारों को पैन अनिवार्य रूप से बताना होगा, जिन्हें पैन आवंटित किया गया है या बिना पैन वाले उम्मीदवार को 'कोई पैन आवंटित नहीं' का स्पष्ट उल्लेख करना होगा (ii) उम्मीदवार, उसके पति/पत्नी और एचयूएफ और आश्रितों के लिए पिछले 5 वर्षों में दायर किए गए आयकर विवरण में दर्शाई गई कुल आय का विवरण (iii) उम्मीदवारों, उनके पति/पत्नी, एचयूएफ या आश्रितों द्वारा किसी विदेशी कंपनी/ट्रस्ट में लाभकारी हित सहित विदेश की परिसंपत्तियों (चल/अचल) का विवरण प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। संशोधित नामांकन प्रारूप और शपथ पत्र की प्रति आयोग की वेबसाइट https://eci.gov.in>Menu>Candidate nomination & other Forms पर उपलब्ध है।
12. आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार
आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवारों के लिए जरूरी है कि वे चुनाव प्रचार की अवधि के दौरान तीन मौकों पर समाचार पत्रों में और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से इस संबंध में सूचना प्रकाशित करें। जो राजनीतिक दल आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को खड़ा करते हैं, उनके लिए भी जरूरी है कि वे अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में अपनी वेबसाइट और समाचार-पत्रों एवं टेलीविजन चैनलों में भी तीन बार सूचना प्रकाशित करें।
आयोग ने अपने पत्र सं. 3/4/2019/एसडीआर/खंड IV दिनांक 16 सितंबर 2020 के जरिए यह निर्देश दिया है कि निर्दिष्ट अवधि निम्नलिखित तरीके से तीन खंडों में तय की जाएगी जिससे मतदाताओं को ऐसे उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि के बारे में जानने का पर्याप्त समय मिले।
ए. नामांकन वापस लेने की तारीख के पहले 4 दिनों के भीतर
बी. अगले 5 से 8 दिनों के बीच
सी. 9वें दिन से प्रचार अभियान के अंतिम दिन तक (मतदान के दिन से पहले का दूसरा दिन)
(व्याख्या: यदि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि महीने का 10वां दिन है और मतदान महीने के 24वें दिन है तो घोषणा के प्रकाशन के लिए पहला खंड महीने के 11वें से 14वें दिन के बीच, दूसरा और तीसरा खंड क्रमश: महीने के 15वें और 18वें दिन के बीच और 19वें और 22वें दिन के बीच होगा।)
यह वर्ष 2015 की रिट याचिका (सिविल) सं. 784 (लोक प्रहरी बनाम भारत संघ और अन्य) में और वर्ष 2011 की रिट याचिका (सिविल) सं. 536 (पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन एवं अन्य बनाम भारत संघ और अन्य) में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के तहत है।
13. आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार खड़े करने वाले राजनीतिक दल
2011 की रिट याचिका (सी) सं. 536 में 2018 की अवमानना याचिका (सी) संख्या 2192 में माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 13.02.2020 के तहत राजनीतिक दलों (केंद्र और राज्य निर्वाचन स्तर पर) के लिए अनिवार्य है कि वे अपनी वेबसाइट पर लंबित आपराधिक मामलों वाले उन व्यक्तियों (अपराध की प्रकृति और विवरणों जैसे कि आरोप तय कर दिया गया या नहीं, संबंधित न्यायालय और मामला संख्या आदि सहित) के बारे में विस्तृत जानकारी अपलोड करें, जिन्हें उम्मीदवार के रूप में चुना गया है। साथ ही इस चयन का कारण भी बताएं कि बिना आपराधिक पृष्ठभूमि वाले बेदाग व्यक्तियों का चयन उम्मीदवार के रूप में क्यों नहीं किया जा सकता था। चयन के कारण के साथ उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों और गुणों के बारे में भी जानकारी दी जाए, सिर्फ चुनाव में 'जीत हासिल करने' की योग्यता नहीं।
यह सूचना निम्न माध्यमों में भी प्रकाशित की जाएगी:
(ए). स्थानीय भाषा के एक समाचार पत्र और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में;
(बी). फेसबुक और ट्विटर सहित राजनीतिक पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर।
ये विवरण उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर और नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से दो हफ्ते से ज्यादा नहीं, की अवधि में प्रकाशित किए जाएंगे। इसके बाद संबंधित राजनीतिक दल उस उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के भीतर निर्वाचन आयोग को इन निर्देशों के अनुपालन की एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। अगर कोई राजनीतिक दल निर्वाचन आयोग को इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है तो निर्वाचन आयोग इस प्रकार के गैर-अनुपालन को न्यायालय के आदेश/निर्देशों की अवमानना मानते हुए उसे उच्चतम न्यायालय की जानकारी में लाएगा। आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध पत्र सं. 3/4/2020/एसडीआर/ खंड III, दिनांक 6 मार्च, 2020 के माध्यम से जारी आयोग के निर्देशों को देखा जा सकता है।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने ब्रजेश सिंह बनाम सुनील अरोड़ा और अन्य [डब्ल्यूपी (सी) संख्या 536/2011 में अवमानना याचिका (सी) संख्या 2192/2018 में अवमानना याचिका (सी) संख्या 656/2020)] के मामले में दिनांक 10.08.2021 के आदेश से कुछ अतिरिक्त निर्देश जारी किए, जिसे आयोग के पत्र संख्या 3/4/एसडीआर/खंड I दिनांक 26.08.2021 के तहत प्रसारित किया गया है और यह आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। निम्नलिखित निर्देश राजनीतिक दलों से संबंधित हैं-
(ए). राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइटों के होमपेज पर उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में सूचना प्रकाशित करनी है, जिससे मतदाता को आसानी से यह जानकारी मिल सके। अब होमपेज पर 'आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों' का एक शीर्षक होना भी आवश्यक होगा।
(बी). हम स्पष्ट करते हैं कि हमारे आदेश दिनांक 13.02.2020 के पैराग्राफ 4.4 में निर्देश संशोधित किया जाए और यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन विवरणों को प्रकाशित किया जाना आवश्यक है, उन्हें उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर प्रकाशित किया जाएगा, न कि नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से दो सप्ताह पहले; तथा
(सी). हम दोहराते हैं कि अगर कोई राजनीतिक दल निर्वाचन आयोग को इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है तो निर्वाचन आयोग इसे न्यायालय के आदेशों/निर्देशों की अवमानना मानते हुए उसे इस न्यायालय के संज्ञान में लाएगा, जिसे भविष्य में बहुत गंभीरता से लिया जाएगा।
14. जिला, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तरीय और बूथ स्तरीय निर्वाचन प्रबंधन योजना
चुनाव कराने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारियों को कहा गया है कि वे एसएसपी/एसपी तथा सेक्टर अधिकारियों के परामर्श से रूट एवं संचार योजना सहित व्यापक जिला निर्वाचन प्रबंधन योजना तैयार करें। प्रेक्षकों द्वारा इन योजनाओं का निरीक्षण, भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार संवेदनशीलता के आधार पर मैपिंग कवायद और अत्यंत महत्वपूर्ण मतदान केंद्रों की मैपिंग को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
15. संचार योजना
आयोग चुनाव सुचारू ढंग से कराने और मतदान के दिन हस्तक्षेप एवं बीच में संशोधन के लिए जिला/निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर बेहतरीन संचार योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन को बहुत महत्व देता है। इस उद्देश्य के लिए आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह राज्य मुख्यालय में दूरसंचार विभाग के अधिकारियों, बीएसएनएल/एमटीएनएल के अधिकारियों, राज्य के अन्य अग्रणी सेवा प्रदाताओं के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित करें जिससे नेटवर्क स्थिति का आकलन किया जा सके और संचार की कम पहुंच वाले क्षेत्रों की पहचान की जा सके। सीईओ को यह निर्देश है कि वह अपने राज्य में सर्वश्रेष्ठ संचार योजना तैयार करें और सैटलाइट फोन, वायरलेस सेट, विशेष रनर्स आदि की व्यवस्था कर संचार की कम पहुंच वाले क्षेत्रों में उपयुक्त वैकल्पिक व्यवस्थाएं करें।
16. पर्यावरण के अनुकूल निर्वाचन
निर्वाचन आयोग ने कई बार राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को उनके चुनाव प्रचार संबंधी गतिविधियों में सिंगल यूज प्लॉस्टिक और आसानी से नष्ट न होने वाली सामग्री का उपयोग करने से बचने का अनुरोध करते हुए सलाह दी है।
आयोग काफी समय से सभी राजनीतिक दलों से उनके प्रचार अभियान के लिए केवल पर्यावरण अनुकूल सामग्री का उपयोग करने के लिए कहता आ रहा है। इस संबंध में आयोग ने 26.02.2019 को फिर से निर्देश दिया है कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के हित में सभी राजनीतिक दलों को चुनावों के दौरान प्रचार सामग्री (पोस्टर, बैनर आदि) के रूप में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने के लिए पर्याप्त कदम और आवश्यक उपाय करने चाहिए। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 12.08.2021 को अधिसूचित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 भी सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को यह कहते हुए बताया गया है कि वे इसे उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों के ध्यान में लाएं।
इसके अलावा एनजीटी ने भी सभी संबंधित पक्षों से आग्रह किया है कि वे इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों की पूरी सजगता के साथ निगरानी करें।
17. आदर्श आचार संहिता
चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो जाती है। आदर्श आचार संहिता के सभी प्रावधान कर्नाटक राज्य के सभी हिस्सों में सभी उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और संबंधित राज्य सरकार के संदर्भ में लागू हो जाएंगे। यह आदर्श आचार संहिता केंद्र सरकार पर भी लागू होगी, जहां इसका संबंध कर्नाटक राज्य के संबंध के लिए घोषणाएं करने/नीतिगत निर्णय लिए जाने से है।
आयोग ने एमसीसी दिशानिर्देशों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है। इन दिशानिर्देशों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन से कड़ाई से निपटा जाएगा और आयोग इस बात पर एक बार फिर से जोर देता है कि इस बारे में समय-समय पर जारी निर्देशों को सभी राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और उनके अभिकर्ताओं/प्रतिनिधियों द्वारा पढ़ा एवं समझा जाना चाहिए जिससे किसी भी प्रकार की भ्रांति या सूचना के अभाव या अधूरी समझ/व्याख्या से बचा जा सके। चुनाव होने वाले राज्य की सरकार को यह निर्देश भी दिया गया है कि वह सुनिश्चित करे कि आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान सरकारी तंत्र/पद का दुरुपयोग न हो।
आयोग ने निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के शुरुआती 72 घंटों के दौरान आदर्श आचार संहिता को अमल में लाने के लिए त्वरित, प्रभावी एवं सख्त कार्रवाई करने के लिए और मतदान की समाप्ति से पूर्व आखिरी 72 घंटों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने एवं सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश फील्ड निर्वाचन तंत्र द्वारा अनुपालन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के रूप में जारी किए गए हैं।
18. वीडियोग्राफी/वेबकास्टिंग/सीसीटीवी कवरेज
सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी कराई जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी इसके लिए पर्याप्त संख्या में वीडियो और डिजिटल कैमरे एवं कैमरा टीमों की व्यवस्था करेंगे। वीडियोग्राफी किए जाने वाले कार्यक्रमों में नामांकन पत्र दाखिल करना, उनकी जांच, प्रतीकों का आवंटन, प्रथम स्तरीय समीक्षा, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को तैयार करना और उनका भंडारण, चुनाव अभियान के दौरान महत्वपूर्ण सार्वजनिक बैठकें, जुलूस आदि, डाक मतपत्रों के भेजने की प्रक्रिया, अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों पर मतदान प्रक्रिया, मतदान में प्रयुक्त ईवीएम एवं वीवीपैट का भंडारण, मतों की गणना आदि शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त प्रभावी रूप से निगरानी करने के लिए महत्वपूर्ण सीमा चेक पोस्टों और जांच बिंदुओं पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे। आयोग ने निर्देश दिया है कि महत्वपूर्ण मतदान केंद्रों और संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित सभी मतदान केंद्रों या सहायक मतदान केंद्रों सहित कुल मतदान केंद्रों में से कम से कम 50 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर (जो भी अधिक हो) वेबकास्टिंग की व्यवस्था की जाएगी।
19. जन उपद्रव रोकने के उपाय
आयोग ने निर्देश दिया है कि चुनाव की घोषणा की तारीख से शुरू होकर और निर्वाचन-परिणामों की घोषणा के साथ समाप्त होने वाली संपूर्ण चुनाव अवधि के दौरान प्रचार के लिए सार्वजनिक बैठकों के लिए सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली या लाउडस्पीकर या किसी भी ध्वनि एम्पलीफायर, चाहे किसी भी प्रकार के वाहनों पर फिट किए गए हों या स्थिर रूप में हों, का रात 10.00 बजे से सुबह 6.00 बजे के बीच प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इसके अलावा किसी भी मतदान क्षेत्र में मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय के साथ समाप्त होने वाली 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी तरह के वाहनों पर फिट किए गए या किसी भी अन्य तरीके से लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जाएगी।
20. प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि के संबंध में राजनीतिक दलों के लिए निर्देश-
संचार प्रौद्योगिकी में प्रगति और सोशल मीडिया के दौर में धारा 126 के प्रावधान की समीक्षा के लिए आयोग ने एक समिति का गठन किया था, जिसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 के प्रावधानों एवं अन्य संबंधित उपबंधों का अध्ययन करने और इस संबंध में उपयुक्त सिफारिश देने को कहा गया था। समिति ने 10 जनवरी 2019 को आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपी। समिति ने दूसरे प्रस्तावों के अलावा, धारा 126 के प्रावधानों का अक्षरशः अनुपालन करने के लिए राजनीतिक दलों को परामर्श देने की सलाह दी है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से आह्वान किया कि वे अपने नेताओं और प्रचारकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दें कि वे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत सभी प्रकार के मीडिया के संबंध में प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि का पालन करें और उनके नेता एवं कैडर ऐसा कोई काम न करें जिससे धारा 126 की भावना का उल्लंघन हो।
कई चरण में होने वाले चुनाव में आखिरी 48 घंटों की प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में लागू रह सकती है जबकि अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार अभियान जारी रह सकता है। ऐसी स्थिति में प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि का पालन कर रहे निर्वाचन क्षेत्रों में दलों या उम्मीदवारों के लिए समर्थन मांगने को कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संदर्भ नहीं दिया जाना चाहिए।
प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि के दौरान, स्टार प्रचारकों और अन्य राजनीतिक दलों को प्रेस कांफ्रेंस और निर्वाचन संबंधी मामलों पर साक्षात्कार देकर मीडिया को संबोधित करने से बचना चाहिए।
21. कानून और व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था तथा बलों की तैनाती
चुनावों के संचालन में विस्तृत सुरक्षा प्रबंधन शामिल होता है। इसमें न केवल मतदान कर्मियों, मतदान केंद्रों और मतदान सामग्री की सुरक्षा शामिल है बल्कि निर्वाचन प्रक्रिया की समग्र सुरक्षा भी है। स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं विश्वसनीय तरीके से चुनाव कराने के लिए शांतिपूर्ण एवं अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती स्थानीय पुलिस बलों के पूरक के रूप में की जाती है।
जमीनी स्थिति के आकलन के आधार पर, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और दूसरे राज्यों से ली गई राज्य सशस्त्र पुलिस (एसएपी) की निर्वाचन के दौरान तैनाती की जाएगी। क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने, संवेदनशील पॉकेटों में रूट मार्च करने, प्वाइंट पेट्रोलिंग करने तथा मतदाताओं, विशेष रूप से कमजोर वर्गों, अल्पसंख्यकों आदि को आश्वस्त करने और उनके मन में भरोसा जगाने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की समय रहते तैनाती की जाएगी। इलाके से भली-भांति अवगत होने और स्थानीय बलों के साथ तालमेल स्थापित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती समय से कर दी जाएगी तथा इन क्षेत्रों में मूवमेंट, प्रवर्तन कार्यकलापों आदि के लिए अन्य सभी मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया जाएगा। विभिन्न हितधारकों के परामर्श से कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा जमीनी वास्तविकताओं के आकलन के आधार पर व्यय संवेदनशील निर्वाचन- क्षेत्रों तथा अन्य संवेदनशील क्षेत्रों एवं महत्वपूर्ण मतदान केंद्रों पर भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल/एसएपी की तैनाती की जाएगी। मतदान दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल/एसएपी संबंधित मतदान केंद्रों को नियंत्रण में ले लेंगे और वे मतदान के दिन मतदान केंद्रों की सुरक्षा करने, निर्वाचकों एवं मतदान कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए जवाबदेह होंगे। इसके अलावा, इन बलों का इस्तेमाल उन स्ट्रांग रूमों की सुरक्षा के लिए किया जाएगा, जहां ईवीएम एवं वीवीपैट का भंडारण किया जाता है। इनका मतगणना केंद्रों की सुरक्षा एवं अन्य मकसद के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। विधानसभा खंडों में बलों की संपूर्ण तैनाती आयोग द्वारा प्रतिनियुक्त केंद्रीय प्रेक्षकों की निगरानी में होगी।
राज्य पुलिस अधिकारियों और सीपीएएफ का इष्टतम तथा प्रभावी इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने निर्देश दिया है कि राज्य निर्वाचन सुरक्षा तैनाती योजना के संबंध में संयुक्त रूप से निर्णय लेने और राज्य पुलिस की रैंडम तैनाती सुनिश्चित करने के लिए सीईओ, राज्य पुलिस के नोडल अधिकारी और राज्य सीएपीएफ समन्वयक की एक समिति का गठन किया जाए।
22. एससी/एसटी और अन्य कमजोर वर्गों के निर्वाचकों को सुरक्षा प्रदान करना-
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 (2015 में संशोधित) की धारा 3(1) के अनुसार कोई भी व्यक्ति, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को मतदान न करने के लिए या किसी विशिष्ट उम्मीदवार को मतदान करने के लिए या कानूनी तरीके से अलग तरह से मतदान करने के लिए या उम्मीदवार के रूप में खड़ा नहीं होने के लिए मजबूर करेगा तो वह कारावास (जिसकी अवधि छह माह से कम नहीं होगी लेकिन पांच वर्ष तक बढ़ाई जा सकेगी) और जुर्माने से दंडित होगा। आयोग ने कर्नाटक से कहा है कि वे इन प्रावधानों को तत्परतापूर्वक कार्रवाई के लिए सभी के ध्यान में लाएं। संवेदनशील वर्गों विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों आदि के मतदाताओं में आत्मविश्वास जगाने तथा मतदान प्रक्रिया की शुचिता एवं विश्वसनीयता में उनका भरोसा बढ़ाने के उद्देश्य से, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल/एसएपी को ऐसे क्षेत्रों में गश्त करने, रूट मार्च करने तथा केंद्रीय प्रेक्षकों की निगरानी में विश्वास बढ़ाने संबंधी उपायों के लिए व्यापक रूप से प्रयोग में लाया जाएगा।
23. चुनाव खर्च की निगरानी
उम्मीदवारों के चुनावी खर्च की प्रभावी निगरानी के उद्देश्य से व्यापक निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें व्यय प्रेक्षकों, सहायक व्यय प्रेक्षकों की तैनाती, उड़न दस्तों (एफएस), स्थैतिक निगरानी टीमों (एसएसटी), वीडियो निगरानी दलों (वीएसटी), वीडियो देखने वाली टीमों (वीवीटी), लेखा टीमों (एटी), मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी), जिला व्यय निगरानी समिति (डीईएमसी) के गठन के साथ ही राज्य पुलिस, राज्य उत्पाद शुल्क विभाग, आयकर विभाग का अन्वेषण निदेशालय, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू-आईएनडी), डीआरआई, आरपीएफ, बीसीएएस, सीआईएसएफ, बीएसएफ, असम राइफल्स, आईटीबीपी, आईसीजी, वाणिज्य कर विभाग तथा नार्कोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो और डाक विभाग की सहभागिता शामिल है। राज्य उत्पाद शुल्क विभाग को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान शराब के उत्पादन, वितरण, बिक्री और भंडारण तथा मुफ्त में सामान देकर प्रलोभन दिए जाने पर निगरानी रखने को कहा गया है। जीपीएस ट्रैकिंग/एवं सी- विजिल ऐप का उपयोग करते हुए उड़न दस्तों/सचल दलों के कामकाज की गहनता से निगरानी की जाएगी। ज्यादा पारदर्शिता के लिए और निर्वाचन व्यय की निगरानी को लेकर सहूलियत के लिए, उम्मीदवारों के लिए यह जरूरी होगा कि वे एक अलग बैंक खाता खोलें और उस खाते से ही अपना निर्वाचन संबंधी खर्च करें। आयकर विभाग के अन्वेषण निदेशालय को कहा गया है कि वे राज्य के हवाई अड्डों में हवाई आसूचना ईकाइयां खोलें और आसूचना भी जुटाएं तथा कर्नाटक में भारी मात्रा में धनराशि की आवाजाही की जांच के लिए आवश्यक कार्रवाई करें। पूरी निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान 24 घंटे चालू रहने वाला टोल फ्री नंबर युक्त नियंत्रण कक्ष और शिकायत निगरानी केंद्र संचालित होगा। जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को बैंकों से 1 लाख रुपये या उससे अधिक की असामान्य और संदिग्ध नकद निकासी या जमा राशि के संबंध में जानकारी प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है जिससे विधिवत सत्यापन किया जा सके। इसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जा सके। अगर यह राशि 10 लाख रुपये से अधिक है तो जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) आवश्यक कार्रवाई के लिए जानकारी आयकर विभाग को देंगे। उम्मीदवारों के निर्वाचन खर्च की प्रभावी निगरानी के लिए एफआईयू-आईएनडी से सीबीडीटी के साथ नकद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) साझा करने का अनुरोध किया गया है।
खर्च निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए आयोग की कुछ नई पहलें इस प्रकार हैं:
(1) नकदी जब्त और जारी करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी):
चुनावों की शुचिता बनाए रखने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार पर अत्यधिक व्यय, रिश्वत की वस्तुओं का नकद या वस्तु रूप में वितरण, अवैध हथियारों, गोला-बारूद, शराब या असामाजिक तत्वों आदि के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए गठित उड़न दस्तों और स्थैतिक निगरानी दलों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है। इसके अलावा जनसाधारण को असुविधा से बचाने और उनकी शिकायतों (अगर कोई हों) का निवारण करने के लिए आयोग ने निर्देश सं. 76/निर्देश/ईईपीएस/2015/खंड-II दिनांक 29.05.2015 जारी किया है। इसमें यह उल्लेख है कि जिले के तीन अधिकारी - (i) मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), जिला परिषद/समुदाय विकास अधिकारी (सीडीओ)/परियोजना निदेशक (पीडी), डीआरडीए (ii) जिला निर्वाचन कार्यालय में व्यय निगरानी के नोडल अधिकारी (संयोजक) और (iii) जिला कोषागार अधिकारी को शामिल करके एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति पुलिस या एसएसटी या एफएस द्वारा की गई जब्ती के प्रत्येक मामले की अपने आप जांच करेगी और समिति को जहां लगता है कि मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार जब्ती के लिए कोई एफआईआर/शिकायत दाखिल नहीं की गई है या जहां जब्ती कोई उम्मीदवार या राजनीतिक दल या कोई निर्वाचन अभियान आदि से जुड़ी नहीं है, तो वह ऐसे व्यक्तियों (जिनसे नकदी जब्त की गई थी) को नकदी आदि रिलीज करने के लिए, उस आशय का आदेश पारित करने के बाद तत्काल कदम उठाएगी। किसी भी परिस्थिति में जब्त नकदी/जब्त मूल्यवान वस्तुओं से संबंधित मामले में मतदान की तारीख के बाद 7 से अधिक दिनों के लिए मालखाने या कोषागार में लंबित नहीं रखा जाएगा जब तक कि कोई एफआईआर/शिकायत न दायर की गई हो।
(ii) प्रचार गाड़ियों के लिए होने वाले खर्च का लेखा-जोखा:
आयोग के संज्ञान में आया है कि उम्मीदवार प्रचार के लिए रिटर्निंग अधिकारी से वाहनों के उपयोग की अनुमति लेते हैं लेकिन कुछ उम्मीदवार अपने चुनाव खर्च के ब्योरे में वाहनों को भाड़े पर लेने का शुल्क या ईंधन पर खर्च नहीं दिखाते हैं। ऐसे में, यह निर्णय लिया गया है कि जब तक उम्मीदवार, रिटर्निंग अधिकारी को गाड़ियों को प्रचार से हटाने की सूचना नहीं देता, तब तक प्रचार वाहनों पर व्यय की गणना गाड़ियों की उस संख्या के आधार पर की जाएगी जिसके लिए रिटर्निंग अधिकारी ने अनुमति दी है।
(iii) लेखा समाधान बैठक:
चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के खर्च के लेखा-जोखा से संबंधित मुकदमों को कम करने के लिए, परिणाम की घोषणा के 26वें दिन लेखा अंतिम रूप से जमा करने से पहले डीईओ द्वारा एक सुलह बैठक बुलाई जाएगी।
(iv) आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के प्रचार-प्रसार पर खर्च का लेखा-जोखा:
माननीय उच्चतम न्यायालय की वर्ष 2011 की रिट याचिका (सी) संख्या 536 में, दिनांक 25.09.2018 के निर्णय के तहत उम्मीदवारों के साथ-साथ संबंधित राजनीतिक दल नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कम से कम तीन बार उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के संबंध में राज्य में व्यापक रूप से प्रसारित समाचार पत्रों में और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक घोषणा जारी करेंगे। उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य है कि वे अपने खातों में इस संबंध में किए खर्चा का हिसाब-किताब बनाएं और परिणाम की घोषणा के 30 दिनों के भीतर संबंधित डीईओ को उनके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले चुनाव खर्च के विवरण (अनुसूची 10) में भी इसका जिक्र करें। राजनीतिक दलों के लिए जरूरी है कि वे विधानसभा चुनाव पूरा होने के 75 दिनों के भीतर आयोग (मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल)/सीईओ (गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल) को प्रस्तुत किए जाने वाले अपने चुनाव खर्च के विवरण (अनुसूची 23ए, 23बी) में सब कुछ दर्शाएं।
(v) उम्मीदवारों की चुनावी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए उम्मीदवारों के बूथ/कियोस्क और दल के स्वामित्व वाले टीवी/केबल चैनल/समाचार पत्र पर खर्च:
आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) के संगत प्रावधानों का परीक्षण करने पर निर्णय लिया था कि मतदान केंद्रों के बाहर स्थापित उम्मीदवारों के बूथ आगे से उम्मीदवारों द्वारा अपने व्यक्तिगत प्रचार के लिए स्थापित माना जाना चाहिए, न कि सामान्य दलीय प्रचार। ऐसे में उम्मीदवारों के इन बूथों पर होने वाला खर्च उम्मीदवार/उसके निर्वाचन एजेंट द्वारा किया गया/अधिकृत माना जाएगा जिससे निर्वाचन व्यय के उनके लेखे में शामिल किया जा सके।
इसके अलावा आयोग ने उपरोक्त मामले में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त संदर्भों/शिकायतों पर विचार करने के बाद निर्देश दिया है कि अगर उम्मीदवार या उनके प्रायोजक दल चुनावी संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए अपने स्वामित्व वाले टीवी/ केबल चैनल/समाचार पत्रों का उपयोग करते हैं तो इस खर्च को चैनल/समाचार पत्र के मानक रेट कार्ड के अनुसार संबंधित उम्मीदवार द्वारा अपने चुनाव खर्च विवरण में शामिल करना होगा, भले ही उन्होंने चैनल/समाचार पत्र को वास्तव में कोई धनराशि का भुगतान किया हो या नहीं। आयोग के पहले के फैसलों के अनुसरण में निर्वाचन व्यय के विवरण में अनुसूची 6 और अनुसूची 4 एवं 4ए में संशोधन किया गया है और इसके अनुसार चुनाव व्यय निगरानी पर निर्देशों में शामिल किया गया है।
(vi) आभासी (वर्चुअल) प्रचार अभियान पर खर्च का लेखा-जोखा:
उम्मीदवारों के लिए जरूरी है कि वे अपने ब्योरे में इस संबंध में किए गए खर्च का हिसाब-किताब रखें और यह संबंधित डीईओ को परिणामों की घोषणा के 30 दिन के भीतर मिले उनके चुनाव खर्च के विवरण (अनुसूची 11) में भी परिलक्षित होगा। राजनीतिक दलों को विधानसभा चुनाव समाप्त होने के 75 दिनों के भीतर इस संबंध में उनके द्वारा किए गए व्यय को आयोग (मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल)/सीईओ (गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल) को दिए जाने वाले चुनाव खर्च के विवरण (अनुसूची 24क, 24ख) में दिखाना होगा।
(vii) राजनीतिक दलों द्वारा अंतिम लेखा-जोखा:
राष्ट्रीय और राज्य मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए जरूरी है कि विधानसभा चुनाव होने के 75 दिनों के भीतर वे अपने चुनावी खर्च विवरण को भारत निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करें जबकि पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए जरूरी है कि वे अपना चुनावी खर्च उक्त अवधि में उस राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को प्रस्तुत करें जहां उनके दल का मुख्यालय स्थित है। जनता को देखने के लिए यह विवरण आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे। राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के ब्योरे की पारदर्शिता और लेखा समाधान के लिए, राजनीतिक दल द्वारा उम्मीदवार को किए एकमुश्त भुगतान के संबंध में चुनावी खर्च को अंतिम विवरण के साथ-साथ आंशिक निर्वाचन व्यय विवरण को निर्धारित प्रारूप में विधानसभा चुनाव के परिणाम की घोषणा के 30 दिनों के अंदर दाखिल करना होता है।
24. मीडिया का प्रभावी इस्तेमाल
(1) मीडिया प्रबंधन:
आयोग ने मीडिया को हमेशा एक महत्वपूर्ण सहयोगी और प्रभावी एवं कुशल चुनाव प्रबंधन सुनिश्चित करने में एक सशक्त कारक माना है। ऐसे में आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह मीडिया के साथ सकारात्मक और प्रगतिशील सहभागिता एवं संवाद के लिए निम्नलिखित कदम उठाएं:
(ए) चुनावों के दौरान मीडिया के साथ नियमित संवाद और मीडिया के साथ हर समय प्रभावी एवं सकारात्मक संवाद बनाए रखना।
(बी) निर्वाचन संहिता के बारे में मीडिया को जागरूक करने के लिए प्रभावी कदम उठाना।
(सी) मतदान दिवस और मतगणना के दिन सभी मान्यता प्राप्त मीडिया को प्राधिकार पत्र जारी किए जाएंगे।
मीडिया से यह अपेक्षा की जाती है कि वे चुनाव संबंधी अपनी कवरेज के दौरान कोविड निरोधक उपायों के संबंध में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकरण द्वारा जारी सभी मौजूदा दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।
(2) राजनीतिक विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणन और पेड न्यूज के संदेहास्पद मामलों की निगरानी:
सभी जिलों और राज्य स्तर पर मीडिया प्रमाणन और निगरानी समितियां (एमसीएमसी) बनाई गई हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए प्रस्तावित सभी राजनीतिक विज्ञापनों के लिए संबंधित एमसीएमसी से पूर्व प्रमाणन जरूरी होगा। निजी एफएम चैनल/सिनेमा हॉल/सार्वजनिक स्थानों में दृश्य-श्रव्य डिस्प्ले/वायस संदेश और फोन एवं सोशल मीडिया तथा इंटरनेट वेबसाइट पर एक साथ बड़ी संख्या में एसएमएस सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया/टीवी चैनल/केबल नेटवर्क/रेडियो में राजनीतिक विज्ञापन पूर्व-प्रमाणन के दायरे में आएंगे। आयोग सभी राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों/मीडिया से अनुरोध करता है कि वे पूर्व प्रमाणन आदेशों का पालन करें।
एमसीएमसी मीडिया में पेड न्यूज के संदिग्ध मामलों पर कड़ी नजर रखेगी और पुष्ट मामलों में सभी निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
(3) चुनाव में सोशल मीडिया का उपयोगः
सोशल मीडिया के दुरुपयोग और पेड न्यूज के खतरे को ध्यान में रखकर और भारत निर्वाचन आयोग की पुरजोर कोशिश के बाद बड़े-बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने मार्च 2019 में उनके द्वारा तैयार स्वैच्छिक आचार संहिता का अनुसरण करने पर सहमति जताई। यह हाल में संपन्न हुए चुनावों की तरह इस निर्वाचन पर भी लागू होगी।
आयोग सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से अनुरोध करता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके समर्थक नफरत भरे भाषण और फर्जी खबरें न फैलाएं। यह सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ी नजर रखी जा रही है जिससे चुनाव का माहौल दूषित न हो। फर्जी खबरों के खतरे पर अंकुश लगाने में मीडिया सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
(4) इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया की निगरानी:
चुनाव के दौरान सभी प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय न्यूज चैनलों पर निर्वाचन संबंधी समाचारों की सतर्कता के साथ निगरानी की जाएगी। अगर किसी अप्रिय घटना या किसी कानून/नियम के उल्लंघन की सूचना मिलती है तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। निगरानी की रिपोर्ट सीईओ को भी भेजी जाएगी। सीईओ का कार्यालय प्रत्येक वस्तुस्थिति का पता लगाएगा और एटीआर/स्टेटस रिपोर्ट दायर करेगा।
(5) साइलेंस पीरियड के दौरान और एग्जिट पोल पर मीडिया प्रतिबंध:
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 (1)(बी) के तहत 48 घंटे के साइलेंस पीरियड के दौरान किसी भी मतदान क्षेत्र में टीवी या इस तरह के उपकरण के जरिए किसी भी चुनाव सामग्री को दिखाने पर रोक है। यह अवधि चुनाव के लिए मतदान के समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्त होती है। यहां उल्लिखित निर्वाचन संबंधी सामग्री को ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया गया है जो प्रत्येक चरण में मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाली 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चुनाव परिणाम को प्रभावित करने या असर डालने के इरादे से सोचा गया हो।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126ए, उसमें उल्लिखित अवधि के दौरान यानी पहले चरण में मतदान शुरू होने के लिए निर्धारित घंटे और अंतिम चरण के लिए मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के आधे घंटे के बाद तक के लिए सभी राज्यों में प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से एग्जिट पोल के संचालन और उनके परिणाम के प्रसार को प्रतिबंधित करती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 का उल्लंघन करने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
सभी मीडिया समूहों को सलाह दी जाती है कि वे इस भावना को कायम रखते हुए इससे संबंधित निर्देशों का पालन करें।
25. निर्वाचन अधिकारियों का प्रशिक्षण-
भारत अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम) ने कर्नाटक राज्य की विधानसभा के आगामी सामान्य निर्वाचन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इसके अलावा कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी प्रशिक्षित करेंगे।
26. सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा और निर्वाचक सहभागिता (स्वीप) -
सीईओ/डीईओ को कम मतदान वाले क्षेत्रों में लक्षित स्वीप (एसवीईईपी) गतिविधियां चलानी चाहिए। मतदान न करने के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए और इसके तहत जरूरी हस्तक्षेप और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। सीईओ/डीईओ को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में कम मतदान वाले मतदान बूथों और उसके पीछे के कारणों की पहचान करनी चाहिए। उन्हें व्यक्तिगत रूप से इन क्षेत्रों में जाकर मुद्दों का समाधान करना चाहिए और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।
स्वीप रणनीति में बूथ केंद्रबिंदु होता है, इसलिए आयोग ने राज्य को बूथ स्तर की कार्य योजनाओं को मजबूत करने और सभी मतदाताओं को सूचित एवं शिक्षित करने के लिए न्यूनतम स्तर की स्वीप गतिविधियां चलाने का निर्देश दिया है।
27. केंद्रीय पर्यवेक्षकों की तैनाती-
(1) सामान्य पर्यवेक्षक
सुगमतापूर्वक चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आयोग पर्याप्त संख्या में आईएएस अधिकारियों को सामान्य पर्यवेक्षकों के रूप में नियुक्त करेगा। प्रेक्षकों से कहा जाएगा कि वे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर पैनी नजर रखें।
(2) पुलिस पर्यवेक्षक
जरूरत, संवेदनशीलता और जिला/विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की जमीनी स्थिति के आकलन के आधार पर आयोग भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों को जिला/विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर पुलिस प्रेक्षकों के रूप में नियुक्त करेगा। शांतिपूर्ण, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए वे बलों की तैनाती, कानून और व्यवस्था की स्थिति से संबंधित सभी कार्यकलापों की निगरानी के साथ-साथ नागरिक और पुलिस प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करेंगे।
(3) मतगणना पर्यवेक्षक
पहले से तैनात साधारण प्रेक्षकों के अलावा, आयोग राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के परामर्श पर जरूरत के हिसाब से अधिकारियों को जिला/विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर मतगणना प्रेक्षकों के रूप में भी तैनात करेगा। ये अधिकारी मतगणना केंद्र व्यवस्था की देखरेख करेंगे और मतगणना से संबंधित सभी गतिविधियों पर नजर रखेंगे।
(4) विशेष पर्यवेक्षक
भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 से मिले पूर्णाधिकारों का प्रयोग करते हुए आयोग जरूरत के अनुसार अखिल भारतीय सेवाओं और विभिन्न केंद्रीय सेवाओं से संबंधित अधिकारियों को विशेष प्रेक्षकों के रूप में नियुक्त कर सकता है।
(5) व्यय पर्यवेक्षक
आयोग ने पर्याप्त संख्या में व्यय प्रेक्षकों को भी नियुक्त करने का निर्णय लिया है, जो विशेष रूप से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की निगरानी करेंगे।
(6) माइक्रो पर्यवेक्षक
मौजूदा निर्देशों के अनुसार, साधारण प्रेक्षक संवेदनशील/अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों में मतदान वाले दिन प्रक्रिया की निगरानी के लिए केंद्र सरकार/लोक उपक्रमों के अधिकारियों को माइक्रो प्रेक्षक के रूप में भी नियुक्त करेंगे। माइक्रो प्रेक्षक मतदान वाले दिन मतदान केंद्रों पर छद्म मतदान के आयोजन से लेकर मतदान के पूरे होने तक की कार्यवाही, ईवीएम एवं वीवीपैट और अन्य दस्तावेजों को सीलबंद करने की प्रक्रिया का निरीक्षण करेंगे जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदान दलों और मतदान एजेंटों द्वारा आयोग के सभी निर्देशों का पालन किया जा रहा है। वे अपने आवंटित मतदान केंद्रों में मतदान की कार्यवाही में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने के संबंध में सामान्य पर्यवेक्षकों को सीधे रिपोर्ट करेंगे।
28. चुनाव प्रबंधन में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का उपयोग-
आयोग ने नागरिकों की व्यापक भागीदारी और पारदर्शिता लाने के लिए आईटी एप्लीकेशन का उपयोग बढ़ाया है। निर्वाचन प्रबंधन के लिए उपलब्ध आईटी एप्लीकेशनों की संक्षिप्त रूपरेखा नीचे दी गई है:
(i) एनवीएसपी और मतदाता पोर्टल
एनवीएसपी (https://www.nvsp.in/) के माध्यम से कोई भी यूजर विभिन्न प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है- जैसे मतदाता सूची देखना, मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन करना, मतदाता पहचान पत्र में संशोधन के लिए ऑनलाइन आवेदन करना, मतदान बूथ, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का ब्योरा देखना तथा बूथ लेवल अधिकारी, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी का संपर्क ब्योरा प्राप्त करना।
इसी प्रकार, प्रारूप जमा करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए 'मतदाता पोर्टल' (https://voterportal.eci.gov.in) पंजीकरण करने, प्रविष्टियों में परिवर्तन करने, नाम हटाने, पते में परिवर्तन करने आदि के लिए एक बेहतरीन इंटरफेस उपलब्ध कराता है। पोर्टल में लॉग इन करने पर, नागरिक के सामने एक इंटरेक्टिव इंटरफेस आता है, जो उसके पिछले चयन के आधार पर पसंद के चयन का सुझाव देता है।
(ii) मतदाता हेल्पलाइन ऐप (वीएचए)
कोई भी नागरिक विभिन्न प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है और उन तक पहुंच सकता है जैसे- मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन करना, मतदाता पहचान पत्र में संशोधन के लिए ऑनलाइन आवेदन, मतदान बूथ, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का ब्योरा देखना तथा बूथ लेवल अधिकारी, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी का संपर्क ब्योरा प्राप्त करना। यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर और एपल स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(iii) सक्षम-ईसीआई ऐप:
सक्षम-ईसीआई ऐप दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए है। यह पीडब्ल्यूडी ऐप का अपग्रेडेड संस्करण है। दिव्यांग निर्वाचक खुद दिव्यांग के रूप में चिन्हित करवाने, नए रजिस्ट्रेशन के लिए अनुरोध करने, स्थानांतरण के लिए अनुरोध करने, एपिक विवरण में सुधार करने और व्हीलचेयर के लिए अनुरोध करने के लिए इस ऐप का उपयोग कर सकते हैं। यह देखने और सुनने संबंधी अक्षमता वाले मतदाताओं के लिए मोबाइल फोन की एक्सेसिबिलिटी सुविधाओं का उपयोग करता है। यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर एवं एपल ऐप स्टोर पर उपलब्ध है।
(iv) राष्ट्रीय शिकायत सेवा पोर्टल:
निर्वाचन आयोग द्वारा एक राष्ट्रीय शिकायत सेवा पोर्टल (एनजीएसपी) तैयार किया गया है। यह प्रणाली इस प्रकार से तैयार की गई है कि राष्ट्रीय, राज्य और जिले स्तर पर नागरिकों, निर्वाचकों, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, मीडिया और निर्वाचन अधिकारियों की शिकायतों का समाधान करने के अलावा, यह एक आम इंटरफेस के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने के लिए कॉमन इंटरफेस का भी काम करता है।
यह एप्लीकेशन निर्वाचन अधिकारियों द्वारा शिकायतों का प्रबंधन करने के लिए एकल इंटरफेस प्रदान करता है। सभी निर्वाचन अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी और आयोग के अधिकारी इस प्रणाली का हिस्सा हैं। इस प्रकार मामलों का पंजीकरण होने पर ये सीधे संबंधित यूजर को आविटंत हो जाते हैं। इस पोर्टल पर ऑनलाइन लिंक: https://eci-citizenservices.eci.nic.in से पहुंचा जा सकता है।
(v) सी-विजिल एप्लीकेशनः
यह नागरिकों द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले दायर करने के लिए एक एप्लीकेशन है। सी-विजिल ऐप प्रत्येक नागरिक को अपने स्मार्टफोन से फोटो या वीडियो क्लिक करने में समर्थ बनाकर आदर्श आचार संहिता/ निर्वाचन व्यय के किसी भी उल्लंघन का समय के साथ साक्ष्यपरक प्रमाण उपलब्ध कराता है। यह एप्लीकेशन जीआईएस प्रौद्योगिकी पर आधारित है और ऑटो लोकेशन की अनूठी विशेषता से काफी सही सूचना मिलती है जिसका उड़न दस्तों द्वारा घटना के सही स्थान पर नेविगेट करके जाने और त्वरित कार्रवाई करने के लिए भरोसा किया जा सकता है। यह ऐप अधिकारियों द्वारा शीघ्र एवं प्रभावी कार्रवाई करने और 100 मिनट के भीतर यूजर को वस्तुस्थिति रिपोर्ट उपलब्ध करवाने का आश्वासन देता है।
यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर और एपल स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(vi) अपने उम्मीदवार को जानें (केवाईसी) ऐप:
भारत निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों के 'आपराधिक पृष्ठभूमि' की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एंड्रॉयड और आईओएस, दोनों प्लेटफॉर्मों के लिए अपने उम्मीदवार को जानें (केवाईसी) एप्लीकेशन विकसित किए हैं। यह नागरिकों को आपराधिक इतिहास वाले/आपराधिक पृष्ठभूमि रहित उम्मीदवारों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की सुविधा देता है और नागरिकों को उम्मीदवारों के बारे में जानने का अधिकार देता है।
अपने उम्मीदवार को जानें (केवाईसी) ऐप गूगल प्ले स्टोर और एपल प्ले स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(vii) मतदाता टर्नआउट ऐप:
मतदाता टर्नआउट ऐप का उपयोग रिटर्निंग अधिकारी द्वारा पहले से निर्धारित अंतरालों पर दर्ज किए गए प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र/संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का अनुमानित अनंतिम मतदाता टर्नआउट विवरण प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इस एप्लीकेशन का उपयोग मीडिया द्वारा अनुमानित मतदाता टर्नआउट रुझानों को लाइव कैप्चर करने के लिए भी किया जा सकता है। हांलाकि इस बात को समझा जा सकता है कि ये अनंतिम अनुमानित आंकड़े होते हैं और अंतिम टर्नआउट आंकड़े मतदान दलों के पहुंचने और कागजातों की समीक्षा के बाद ही प्रकाशित किए जा सकते हैं। इस ऐप के माध्यम से चुनाव के सभी चरणों के आंकड़े प्रदर्शित किए जाते हैं। यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर और एपल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(viii) परिणाम वेबसाइट और परिणाम रुझान टीवी:
प्रामाणिक आंकड़ों का एकल स्रोत कायम करने के लिए चरणवार सूचना का समय से प्रकाशन आवश्यक हो जाता है। संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा दर्ज किया गया मतगणना डाटा आयोग की परिणाम वेबसाइट https://result.eci.gov.in/ पर जनता को देखने के लिए रुझान और परिणाम के रूप में उपलब्ध रहता है।
ये परिणाम इन्फोग्राफिक्स के साथ दिखाए जाते हैं और मतगणना हाल के बाहर या किसी भी सार्वजनिक स्थल पर बड़े डिस्प्ले स्क्रीनों के जरिए ऑटो स्क्रॉल पैनल के साथ प्रदर्शित किए जाते हैं।
(ix) सुविधा पोर्टल: यह पोर्टल ऑनलाइन नामांकन, अनुमतियों आदि के लिए उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों को निम्नानुसार विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है-
ए) अभ्यर्थी ऑनलाइन नामांकन:
नामांकन दाखिल करने में सुविधा प्रदान करने के लिए निर्वाचन आयोग ने नामांकन एवं शपथपत्र दाखिल करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है। उम्मीदवार https://suvidha.eci.gov.in/ पर जाकर अपना खाता बना सकता है, नामांकन प्रारूप भर सकता है, प्रतिभूति राशि जमा कर सकता है, समय स्लॉट की उपलब्धता की जांच कर सकता है और रिटर्निंग अधिकारी के पास जाने की उपयुक्त योजना बना सकता है।
ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन दाखिल करने के बाद उम्मीदवार को केवल प्रिंट लेकर इसे नोटरीकृत करना होता है और संबंधित दस्तावेजों के साथ आवेदन को खुद रिटर्निंग अधिकारी के पास जमा कराना होता है।
ऑनलाइन नामांकन सुविधा बिल्कुल सहजता और सही-सही नामांकन दाखिल करने की एक वैकल्पिक सुविधा है। कानून के तहत निर्धारित ऑफलाइन तरीके से आवेदन जमा करने की व्यवस्था जारी रहेगी।
बी) उम्मीदवार अनुमतियां मॉड्यूल:
अनुमति मॉड्यूल से उम्मीदवार, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के कोई भी प्रतिनिधि सुविधा पोर्टल https://suvidha.eci.in/ के माध्यम से बैठकों, रैलियों, लाउडस्पीकरों, अस्थायी कार्यालयों और अन्य के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। उम्मीदवार उसी पोर्टल के माध्यम से अपने आवेदन की स्थिति को भी ट्रैक कर सकते हैं।
सी) सुविधा उम्मीदवार ऐप:
कोविड-19 के मद्देनजर आयोग ने निर्देश दिया है कि जहां तक हो सके, बैठकों, रैलियों के लिए सार्वजनिक स्थानों का आवंटन, सुविधा ऐप का उपयोग करके ही किया जाए। यह एप्लीकेशन चुनाव के दौरान उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों/एजेंटों द्वारा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करने तथा नामांकन और अनुमति स्थिति को ट्रैक करने के लिए उपलब्ध रहेगा।
(x) गरुड़ ऐप:
गरुड़ (जियोग्रॉफिकल एसेट रिकानिसेंस यूनिफाइड डिजिटल ऐप) एप्लीकेशन को आयोग की अपनी आईटी टीम ने विकसित किया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य बीएलओ के सभी कार्यों को एक स्थान/ऐप पर एकीकृत करके बीएलओ को सुविधा प्रदान करना है। यह एप्लीकेशन पूरे देश में 9 अगस्त 2021 को लॉन्च किया गया था। इस एप्लीकेशन के कुछ घटक इस प्रकार हैं:
(i) बीएलओ द्वारा फील्ड सत्यापन
(ii) एएमएफ और ईएमएफ की सूचना इकट्ठा करना
(iii) मतदान स्थल का जीआईएस निर्देशांक प्राप्त करना
(iv) बीएलओ द्वारा वास्तविक फोटो और पता दर्ज किया जा सकता है
(v) मतदाताओं की ओर से ऑनलाइन फॉर्म जमा करना
(vi) पीएसई/डीएसई द्वारा फील्ड सत्यापन
यह गूगल प्ले और एपल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(xi) ईवीएम प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस):
ईवीएम प्रबंधन प्रणाली ईवीएम यूनिटों की सूची का प्रबंधन करने के लिए डिजाइन की गई है। ईवीएम प्रबंधन में एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण तरीकों में से एक तरीका मतदान केंद्रों पर तैनाती से पहले मशीनों के रैंडमाइजेशन (बिना किसी क्रम के) का प्रशासनिक प्रोटोकॉल है। यह पार्टियों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में किया जाता है।
(xii) उम्मीदवार शपथ पत्र पोर्टल:
चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की प्रोफाइल, नामांकन स्थिति और शपथ पत्रों के साथ संपूर्ण सूची, उम्मीदवार शपथ-पत्र पोर्टल : https://affidavit.eci.in/ के जरिए जनता को देखने के लिए उपलब्ध होगी।
(xiii) सेवा मतदाता के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (ईटीपीबीएस):
इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (ईटीपीबीएस) सेवा मतदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से से कोरे डाक मतपत्र प्रेषित करती है। सेवा मतदाता तब स्पीड पोस्ट के माध्यम से अपना मत भेज सकते हैं।
(xiv) बूथ ऐप:
बूथ ऐप एनकोर एप्लीकेशन का एक एकीकृत ऐप है, जो मतदाताओं की डिजिटल चिह्नित कॉपी से एन्क्रिप्टेड क्यूआर कोड का उपयोग कर उन्हें तेजी से पहचान करने की सुविधा प्रदान करता है। यह कतार को कम करता है और मतदान की गति बढ़ाने में मदद करता है। इस एप्लीकेशन की विशेषताएं इस प्रकार हैं:
(i) क्यूआर कोड आधारित फोटो मतदाता पर्ची का उपयोग कर मतदाताओं की तेज खोज
(ii) तत्काल पहचान
यह ऐप गूगल प्ले और एपल प्ले स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(xv) एनकोर गणना:
एनकोर गणना एप्लीकेशन https://encore.eci.gov.in/ डाले गए मतों को डिजिटलीकृत करने, चरणवार डेटा को तालिकाबद्ध करने और इसके बाद मतगणना की विभिन्न वैधानिक रिपोर्टों को निकालने के लिए रिटर्निंग अधिकारी के लिए एंड-टु-एंड एप्लीकेशन है।
29. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट):
(1) ईवीएम और वीवीपैट
चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आयोग कर्नाटक विधानसभा के सामान्य निर्वाचन में प्रत्येक मतदान केंद्र पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल का इस्तेमाल करेगा क्योंकि वीवीपैट से मतदाता अपना मत सत्यापित कर सकते हैं। सुचारू रूप से चुनाव कराने के लिए आयोग ने पर्याप्त संख्या में ईवीएम और वीवीपैट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पहले ही व्यवस्थाएं कर दी हैं।
(2) ईवीएम और वीवीपैट को लेकर जागरूकता
जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय और रिटर्निंग अधिकारी मुख्यालय/राजस्व उपखंड कार्यालयों में प्रदर्शन एवं जागरूकता के लिए ईवीएम प्रदर्शन केंद्र स्थापित किए गए हैं। ईवीएम और वीवीपैट के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी मतदान स्थलों को कवर करने के लिए मोबाइल प्रदर्शन वैन तैनात की गई हैं। ये चुनाव की घोषणा तक चालू रहेंगे जबकि घोषणा के बाद डिजिटल पहुंच बढ़ाई जाएगी।
(3) ईवीएम और वीवीपैट का रैंडम सिलेक्शन
कोई भी निश्चित आवंटन की संभावना खत्म करने के लिए ईवीएम/वीवीपैट को विधानसभा के लिए और फिर किसी मतदान बूथ के लिए आवंटन करते समय दो बार 'ईवीएम प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस)' का उपयोग कर रैंडम सिलेक्शन किया जाता है। रैंडम ईवीएम/वीवीपैट की सूची राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों के साथ भी साझा की जाती है।
(4) ईवीएम और वीवीपैट को चालू करना
चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद उम्मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ईवीएम और वीवीपैट की कमीशनिंग (उम्मीदवार सेटिंग) की जाती है। इस प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता के लिए उम्मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों द्वारा वीवीपैट में प्रतीकों की प्रविष्टि को समकालिक रूप से देखने के लिए कमीशनिंग हॉल में टीवी/मॉनिटर स्थापित किए जाएंगे। ईवीएम और वीवीपैट की कमीशनिंग (उम्मीदवार सेटिंग) के बाद प्रत्येक ईवीएम और वीवीपैट में नोटा सहित प्रत्येक उम्मीदवार को एक मत देकर छद्म मतदान किया जाता है। इसके अलावा, रैंडम रूप से चयनित 5% ईवीएम और वीवीपैट में 1000 मतों का छद्म मतदान (मॉक पोल) किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक परिणाम का मिलान पेपर गिनती से किया जाता है।
(5) मतदान के दिन छद्म मतदान
(क) मतदान वाले दिन वास्तविक मतदान शुरू होने से 90 मिनट पहले प्रत्येक मतदान केंद्र पर उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों की उपस्थिति में कम से कम 50 मत डालकर छद्म मतदान किया जाता है और कंट्रोल यूनिट के इलेक्ट्रॉनिक परिणाम एवं वीवीपैट पर्चियों की गणना का मिलान कर उन्हें दिखाया जाता है। पीठासीन अधिकारी अपनी रिपोर्ट में छद्म मतदान के सफल संचालन का एक प्रमाणपत्र तैयार करेंगे।
(ख) छद्म मतदान होने के तुरंत बाद कंट्रोल यूनिट (सीयू) पर क्लियर बटन को दबाया जाता है जिससे छद्म मतदान का डाटा क्लियर हो जाए और इस तथ्य को उपस्थित मतदान एजेंटों को दिखाया जाता है कि कंट्रोल यूनिट में कोई वोट दर्ज नहीं है। पीठासीन अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि मतदान शुरू होने से पहले सभी छद्म मतदान पर्चियां वीवीपैट से बाहर निकाली जाएं और उन्हें एक अलग चिह्नित लिफाफे में रख दिया जाए।
(ग) छद्म मतदान के बाद, वास्तविक मतदान शुरू होने से पहले ईवीएम और वीवीपैट को मतदान एजेंटों की उपस्थिति में सीलबंद किया जाता है और सील पर मतदान एजेंटों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं।
- मतदान का दिन और मतदान में इस्तेमाल ईवीएम और वीवीपैट का स्ट्रांग रूम में भंडारण
(क) मतदान के दिन डाले गए कुल मतों, सील (विशिष्ट नंबर), मतदान केंद्रों में इस्तेमाल ईवीएम और वीवीपैट की क्रम संख्याओं के विवरण वाले प्रारूप 17सी की एक प्रति उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों को प्रदान की जाएगी।
(ख) मतदान समाप्त होने के बाद ईवीएम और वीवीपैट मतदान एजेंटों की उपस्थिति में उनके संबंधित कैरिंग केसों में सीलबंद की जाती हैं और सील पर मतदान एजेंटों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं।
(ग) मतदान में इस्तेमाल ईवीएम और वीवीपैट उम्मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में वीडियोग्राफी के साथ डबल लॉक सिस्टम में स्ट्रांग रूम में स्टोर करने के लिए ले जाई जाती हैं।
(घ) उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि स्ट्रांग रूम के सामने रुक भी सकते हैं। इन स्ट्रांग रूम की सीसीटीवी सुविधाओं के साथ कई स्तरों में 24X7 पहरेदारी की जाती है।
(7) मतगणना केंद्रों पर मतों की गणना
(क) मतगणना के दिन वीडियोग्राफी के साथ स्ट्रांग रूम उम्मीदवारों, आरओ और पर्यवेक्षक की उपस्थिति में खोला जाता है।
(ख) मत डाले गए ईवीएम सीसीटीवी कवरेज में सुरक्षा के अधीन और उम्मीदवारों/उनके एजेंटों की उपस्थिति में मतगणना केंद्रों तक ले जाई जाती हैं।
(ग) सीसीटीवी की निरंतर निगरानी में राउंडवार सीयू स्ट्रांग रूम से मतगणना टेबलों पर लाई जाती हैं।
(घ) मतगणना के दिन कंट्रोल यूनिट से परिणाम प्राप्त करने से पहले उम्मीदवारों द्वारा प्रतिनियुक्त मतगणना एजेंटों के समक्ष सील का सत्यापन किया जाता है और सीयू की विशिष्ट क्रम संख्याओं का मिलान किया जाता है।
(ड़) मतगणना के दिन मतगणना एजेंट सीयू पर प्रदर्शित डाले गए मतों का प्रारूप 17-सी पर दर्ज विवरण के साथ सत्यापन कर सकते हैं। उम्मीदवार के हिसाब से डाले गए मत प्रारूप 17-सी के भाग-।। में दर्ज किए जाते हैं और उस पर मतगणना एजेंटों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं।
(च) निर्वाचन याचिका अवधि के समाप्त होने तक ईवीएम और वीवीपैट को उम्मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्ट्रांग रूम में वापस स्टोर किया जाता है।
(8) वीवीपैट पेपर पर्चियों का अनिवार्य सत्यापन
भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 8 अप्रैल 2019 के अनुसरण में आयोग ने यह निर्देश दिया है कि रिटर्निंग अधिकारी द्वारा कर्नाटक विधानसभा के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में रैंडम रूप से चयनित पांच (5) मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्चियों की गणना ड्रा ऑफ लॉट के माध्यम से उम्मीदवारों की उपस्थिति में की जाएगी जिससे कंट्रोल यूनिट से प्राप्त परिणाम का सत्यापन किया जा सके। प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में पांच (5) मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्ची गणना का यह अनिवार्य सत्यापन, निर्वाचन संचालन नियम 1961 के नियम 56 (डी) के उपबंधों के अतिरिक्त होगा।
(9) ईवीएम, वीवीपैट और डाक मतपत्र में 'इनमें से कोई नहीं' (नोटा) का विकल्प:
हमेशा की तरह इस चुनाव में भी 'इनमें से कोई नहीं' का विकल्प होगा। बैलेट यूनिटों में अंतिम उम्मीदवार के नाम के नीचे 'नोटा' विकल्प का बटन होगा जिससे वे निर्वाचक जो किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते, 'नोटा' के सामने का बटन दबाकर अपने विकल्प का प्रयोग कर सकें। इसी प्रकार से डाक मतपत्रों पर भी अंतिम अभ्यर्थी के नाम के बाद नोटा पैनल होगा। नोटा पैनल के सामने नीचे दिए गए प्रतीक के रूप में नोटा मुद्रित होगा।

स्वीप के हिस्से के रूप में, इस विकल्प को मतदाताओं और अन्य सभी हितधारकों की जानकारी में लाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
(10) ईवीएम बैलेट पेपर पर उम्मीदवारों की तस्वीर
निर्वाचकों को उम्मीदवारों की पहचान करने में आसानी के लिए, आयोग ने ईवीएम (बैलेट यूनिट) पर प्रदर्शित किए जाने वाले मतपत्र और डाक मतपत्र पेपर पर भी उम्मीदवार की तस्वीर छापने के प्रावधान को जोड़कर एक अतिरिक्त उपाय किया है। यह उस स्थिति में किसी भी भ्रम से बचाने में मदद करेगा, जब समान या लगभग समान नामों वाले उम्मीदवार एक ही निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं। इसके लिए उम्मीदवारों के लिए आवश्यक है कि वे आयोग द्वारा निर्धारित निर्देशों के तहत रिटर्निंग ऑफिसर को अपना हाल का स्टैम्प साइज फोटोग्राफ दें।
30. मतदान कर्मियों की तैनाती और रैंडम प्रक्रिया:
(क) मतदान दलों का गठन विशेष रैंडम तरीके से आईटी एप्लीकेशन के माध्यम से किया जाएगा।
(ख) पुलिसकर्मी और होम गार्ड (जिन्हें मतदान दिवस पर मतदान केंद्रों में तैनात किया जाता है) के लिए भी ऐसा रैंडम सिलेक्शन किया जाएगा।
31. अधिकारियों का आचरण:
आयोग चुनाव कराने में सभी अधिकारियों से यह अपेक्षा करता है कि वे अपने कर्तव्यों का निष्पक्ष रूप से बिना किसी भय या पक्षपात के निर्वहन करें। उन्हें आयोग में प्रतिनियुक्ति पर माना जाता है और वे आयोग के नियंत्रण, पर्यवेक्षण और अनुशासन के अधीन होंगे। जिन्हें निर्वाचन संबंधी जिम्मेदारी और कर्तव्य सौंपे गए हैं उन सभी सरकारी अधिकारियों का आचरण लगातार आयोग की निगरानी के अधीन रहेगा तथा उन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिनके कामकाज में किसी भी प्रकार की कमी पाई जाएगी।
32. कोविड दिशानिर्देश:
आयोग ने सामान्य निर्वाचन और उप-निर्वाचनों के समय अनुपालन किए जाने वाले कोविड दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो आयोग की वेबसाइट https://eci.gov.in/files/file/14492-covid-guidelines-for-general-electionbye-elections-to-legislative-assemblies-reg/ पर उपलब्ध हैं।
इसके अलावा, यह निर्देश दिया गया है कि निर्वाचन सामग्री का वितरण और संग्रह इस तरह से होगा:
(i) निर्वाचन सामग्री के वितरण/संग्रह के लिए बड़े हॉल/जगह में किया जाए।
(ii) जहां तक संभव हो, इसे विकेन्द्रीकृत रूप में किया जाए।
(iii) भीड़ से बचने के लिए निर्वाचन सामग्री के वितरण/संग्रह के लिए पहले से सूचित और अलग-अलग समयावधि आवंटित की जाए।
33. साधारण निर्वाचन का कार्यक्रम
आयोग ने राज्य में जलवायु की स्थिति, शैक्षणिक कैलेंडर, बोर्ड परीक्षा, त्योहारों, प्रमुख कानून और व्यवस्था की मौजूदा स्थिति, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की उपलब्धता, बलों का मूवमेंट, ट्रांसपोर्टेशन और समयबद्ध तैनाती के लिए अपेक्षित समय जैसे सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार करने तथा अन्य संगत जमीनी हकीकतों का गहन आकलन करने के बाद कर्नाटक विधानसभा का सामान्य निर्वाचन कराने का कार्यक्रम तैयार किया है।
सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार करने के बाद आयोग ने कर्नाटक के माननीय राज्यपाल से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रासंगिक प्रावधानों (अनुबंध-1 के अनुसार) के तहत सामान्य निर्वाचन के लिए अधिसूचना जारी करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया।
आयोग निर्वाचन प्रक्रिया में सभी सम्मानित हितधारकों से सक्रिय सहयोग, भागीदारी और रचनात्मक साझेदारी चाहता है और कर्नाटक विधानसभा का सुचारू, स्वतंत्र, निष्पक्ष, शांतिपूर्ण, भागीदारी और उल्लासपूर्ण माहौल में सामान्य निर्वाचन 2023 संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
अनुबंध-1
कर्नाटक विधानसभा के सामान्य चुनाव का कार्यक्रम
चुनाव कार्यक्रम
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कर्नाटक
(सभी 224 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र)
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अधिसूचना जारी करने की तिथि
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13.04.2023
(बृहस्पतिवार)
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नामांकन करने की आखिरी तारीख
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20.04.2023
(बृहस्पतिवार)
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नामांकन पत्रों की जांच
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21.04.2023
(शुक्रवार)
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उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख
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24.04.2023
(सोमवार)
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मतदान की तिथि
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10.05.2023
(बुधवार)
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मतगणना की तिथि
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13.05.2023
(शनिवार)
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वह तारीख जिससे पहले चुनाव संपन्न हो जाएगा
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15.05.2023
(सोमवार)
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एमजी/एमएस/एआर/एएस/वाईबी
(Release ID: 1912628)