रक्षा मंत्रालय

भारतीय तटरक्षक ने आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में क्षेत्रीय खोज और बचाव (एसएआर) अभ्यास का आयोजन किया

Posted On: 29 MAR 2023 6:30PM by PIB Delhi

भारतीय तट रक्षक ने 28 से 29 मार्च 2023 के दौरान आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में क्षेत्रीय स्तर पर खोज और बचाव अभ्यास का संचालन किया। इस अभ्यास को आयोजित करने का उद्देश्य एक वास्तविक समकालीन समुद्री आपदा परिदृश्य जैसी कृत्रिम स्थिति तैयार करना और बड़े पैमाने पर बचाव अभियान संचालित करने के उद्देश्य से खोज एवं बचाव (एसएआर) संगठन की कार्य पद्धतियों को उजागर करना था। इस अभ्यास में किसी भी एम-एसएआर (समुद्री खोज एवं बचाव) आकस्मिक घटना से निपटने के लिए उपलब्ध संसाधनों के कुशलतापूर्वक इस्तेमाल के साथ-साथ सभी हितधारकों को प्रभावी ढंग से शामिल किया गया।

इस अभ्यास के दौरान सैकड़ों यात्रियों को ले जाने वाले एक अपतटीय सहायता जहाज (ओएसवी) के माध्यम कृत्रिम परिस्थितियों का अनुकरण किया गया, जिसने काकीनाडा के जहाज पर एक बड़ी आग लगने की जानकारी दी। अभ्यास के एक भाग के रूप में समुद्री बचाव उप केंद्र (एमआरएससी) काकीनाडा ने संकट में फंसे लोगों का जीवन बचाने के लिए सभी संसाधन एजेंसियों के साथ समन्वय किया। समुद्र में अभ्यास संचालन में सहयोग करने के लिए राज्य आपदा आकस्मिक व्यवस्था भी लागू की गई। इस अभ्यास के दौरान संकटग्रस्त पोत के बाहरी हिस्से में लगी आग से निपटान, जहाज खाली करने का अभ्यास, बचाव नौका को तैनात करना, जेसन क्रैडल को नीचे उतारना, आपातकाल में बड़े जाल का इस्तेमाल, लाइफ राफ्ट की सहायता, लाइफ बॉय की मदद, ड्रोन द्वारा निगरानी, ​​हेलीकॉप्टर द्वारा हताहतों का बचाव तथा अन्य चिकित्सा प्रबंधन कार्यक्रम आयोजित किए गए। तटीय तैयारियों में आकस्मिक कमांड पोस्ट की स्थापना, हताहतों के इलाज के लिए आपातकाल में कार्यवाही की प्राथमिकता का निर्धारण और गंभीर हताहतों के प्रबंधन के लिए आवश्यक सुविधाएं शामिल की गई थीं।

कृष्णा गोदावरी बेसिन में बड़े पैमाने पर अन्वेषण एवं कामकाजी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए अभ्यास करने के लिए काकीनाडा के समुद्री क्षेत्र को अभ्यास स्थल के रूप में चुना गया था। यह इलाका बड़े पैमाने पर खोज एवं बचाव प्रतिक्रिया की आवश्यकता वाले आपात स्थिति के क्षेत्र का संभावित स्थान बनता है। दो दिन तक चलने वाली इस अभ्यास गतिविधि और बड़े पैमाने पर सामूहिक बचाव अभियान (एमआरओ) में सदस्य एजेंसियों के बीच सहयोग एवं समन्वय को बढ़ावा देने, ज्ञान समझ को विस्तार देने का अभ्यास किया गया, क्योंकि यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी अभियान में केवल एक एजेंसी के प्रयास पर्याप्त नहीं हो सकते हैं।

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