विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

कोलकाता में जी-20 अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी की स्थापना बैठक में विज्ञान प्रशासकों ने समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार पर चर्चा की गई

Posted On: 09 FEB 2023 6:37PM by PIB Delhi

जी-20 की अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी (आरआईआईजी ) की दीक्षा बैठक, जो कि भारत के विज्ञान संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, आज कोलकाता में प्रारम्भ हुई। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों और प्रशासकों को एक साथ लाकर समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार पर चर्चा की गई ।

 

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002YUWX.jpg

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर ने इस अवसर पर परिवर्तन को आगे बढाने और इसे चलाने के लिए समूह के उत्तरदायित्व पर पर बल देते हुए कहा कि जी-20 का अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विकास, अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर अत्यधिक प्रभाव परिलक्षित हो रहा है।

"भारत ने अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी (आरआईआईजी) के लिए जिस विषयवस्तु का चयन किया "समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार" है । नवाचार उद्योग और व्यवसाय से लेकर सरकार, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक हमेशा जीवन के सभी पहलुओं में प्रगति की आधारशिला रहा है। हम आज यहां इसलिए हैं क्योंकि नवोन्मेषी अनुसंधान को सबके लिए उपलब्ध कराने में हम सभी का साझा हित है जिससे हमारे देशों, हमारे समुदायों और हमारे नागरिकों को लाभ होगा और हम सामूहिक प्रगति के लिए वैश्विक साझेदारी बनाना चाहते हैं ।

बीस देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों अर्थात् अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), इटली, नीदरलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब , दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 36 विदेशी प्रतिनिधियों ने इस प्रारम्भिक बैठक में भाग लिया। लगभग 40 भारतीय प्रतिनिधियों और भारत सरकार के विभिन्न वैज्ञानिक विभागों/संगठनों के विशेष आमंत्रित सदस्यों भी इस बैठक में सम्मिलित हुए।

 

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001UUTV.jpg

अंतरिक्ष विभाग के पूर्व सचिव और सदस्य अंतरिक्ष आयोग डॉ. किरण कुमार ने बैठक में अध्यक्षीय भाषण दिया और टिप्पणी करते हुए कहा किमानव विकास एक सतत प्रक्रिया है, और प्रत्येक बीतते दिन के साथ बौद्धिक क्षमताएं भी बढ़ रही हैं। अनुसंधान और नवाचार नए अवसर लाते हैं और अब हमें यह देखने की आवश्यकता है कि नई प्रौद्योगिकियां समाज के लिए किस प्रकार सहायक हो सकती हैं।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) की सचिव और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक डॉ. (श्रीमती) एन. कलैसेल्वी ने जोर देकर कहा कि "एक वैश्विक समुदाय के रूप में जी-20 को नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों के निर्माण के बड़े विस्तार के साथ ही विनिर्माण को 10 से 15 गुना बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है। " डॉ कलैसेल्वी ने ऊर्जा उत्पादन, रूपांतरण और भंडारण के क्षेत्रों में विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादन, ऊर्जा भंडारण उपकरणों के एंड-टू-एंड उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के क्षेत्रों में जी-20 देशों के बीच साझेदारी की आवश्यकता व्यक्त की।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने चक्रीय जैव- अर्थव्यवस्था के दूसरे प्राथमिकता वाले क्षेत्र पर चर्चा की शुरुआत की । डॉ. गोखले ने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए भारत के "मिशन लाइफ" पर बल दिया जो प्रचलित 'उपयोग और निपटान' अर्थव्यवस्था को सावधानीपूर्वक और जानबूझकर उपयोग द्वारा परिभाषित एक चक्रीय अर्थव्यवस्था के साथ बदलने की कल्पना करता है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत उच्च-प्रदर्शन जैव-विनिर्माण के लिए एक नीतिगत ढांचा विकसित कर रहा है जो हरित भारत के लिए संश्लेषित जीव विज्ञान-आधारित टिकाऊ विनिर्माण प्रथाओं में विश्व स्तरीय विशेषज्ञता, सुविधाओं और कुशल कार्यबल को बढ़ावा देगा ।

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन ने सतत नीली अर्थव्‍यवस्‍था की प्राप्ति करने की दिशा में वैज्ञानिक चुनौतियों एवं अवसरों और समुद्री जीवन संसाधनों के सतत तथा समान उपयोग को सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए नीली कार्बन क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता पर विस्तार से बताया ।

 विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के सचिव डॉ. अखिलेश गुप्ता ने तीसरे प्राथमिकता वाले क्षेत्र, ऊर्जा संचरण के लिए पारिस्थितिक–नवाचारों पर विचार विमर्श की शुरुआत की। डॉ. गुप्ता ने वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य और सतत ऊर्जा परिवर्तन के माध्यम से जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। कार्बन कैप्चर, उपयोग, और भंडारण, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था, और इलेक्ट्रिक वाहनों में अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार की पहल को ऊर्जा संक्रमण के प्रमुख चालकों के रूप में रेखांकित किया गया।

डॉ गुप्ता ने कहा कि "सदस्य देशों की वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक क्षमता प्राथमिकता के मुद्दों की पहचान करने में मदद कर सकती है, और इन्हें संयुक्त द्विपक्षीय या बहुपक्षीय साझेदारी के साथ-साथ संयुक्त शोध कार्यक्रमों के माध्यम से लागू किया जा सकता है । "

स्थापना बैठक 8-9 फरवरी 2023 के दौरान आयोजित की जा रही है। इस वर्ष भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान इंडोनेशिया और ब्राजील इस तिकड़ी के सदस्य हैं ।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी लगातार इस बात का उल्लेख करते आ रहे हैं कि "नवाचार केवल हमारे विज्ञान का लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि नवाचार को वैज्ञानिक प्रक्रिया को भी आगे चलाना चाहिए।" इसी नवाचार-संचालित वैज्ञानिक प्रगति के लिए अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी (आरआईआईजी) एक स्थायी समाज और स्थायी भविष्य बनाने की दिशा में प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहता है ।

अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी 2023 के लिए व्यापक विषय "समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार" के अंतर्गत विचार-विमर्श चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित है - सतत ऊर्जा के लिए सामग्री ; चक्रीय -जैव-अर्थव्यवस्था ; ऊर्जा संक्रमण के लिए पर्यावरण-नवाचार; वैज्ञानिक चुनौतियां और एक लक्ष्य प्राप्त करने के अवसर सतत नीली अर्थव्यवस्था।

अगले चार विषयगत सम्मेलन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के नेतृत्व में रांची, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के नेतृत्व में डिब्रूगढ़, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग बोर्ड के नेतृत्व में धर्मशाला एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के नेतृत्व में दीव में आयोजित किए जाएंगे। अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी शिखर सम्मेलन और जी-20 अनुसंधान मंत्रियों की बैठक जुलाई 2023 में मुंबई में होने वाली है जिसमें जी-20 अनुसंधान मंत्रियों द्वारा अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में परस्पर सहयोग के रोडमैप पर एक संयुक्त घोषणा की जाएगी

*****

एमजी/एएम/एसटी/एजे


(Release ID: 1897866) Visitor Counter : 443


Read this release in: English