श्रम और रोजगार मंत्रालय
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आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सरकार कोविड-19 के दुष्प्रभाव को कम करने के लिये 27 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान कर रही है


सरकार 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ उत्पादन-युक्त प्रोत्साहन योजना को कार्यान्वित कर रही है, जिसके तहत 60 लाख नये रोजगार की क्षमता है

Posted On: 06 FEB 2023 7:12PM by PIB Delhi

श्रम और रोजगार राज्यमंत्री श्री रामेश्वर तेली ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि रोजगार की स्थिति में सुधार लाने के साथ-साथ रोजगार सृजन सरकार की प्राथमिकता है। इस सिलसिले  में केंद्र सरकार ने देश में रोजगार सृजन के लिये विभिन्न कदम उठाये हैं।

श्री तेली ने कहा कि केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों में पदों के सृजन और उन्हें भरने की जिम्मेदारी सम्बंधित मंत्रालय/विभाग की है तथा सभी मंत्रालयों/विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे समयबद्ध तरीके से रिक्तियों को भरने का काम अभियान स्तर पर शुरू करें।

इस समय उपलब्ध वार्षिक सामयिक श्रम-शक्ति सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 15 वर्ष की आयु के व्यक्तियों की सामान्यतः अनुमानित बेरोजगारी दर पांच प्रतिशत और उससे ऊपर आयुवर्ग में 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान क्रमशः 6.0 प्रतिशत, 5.8 प्रतिशत, 4.8 प्रतिशत और 4.2 प्रतिशत दर्ज की गई। इससे पता चलता है कि देश में बेरोजगारी में गिरावट का रुझान है।

लिखित उत्तर में कहा गया कि भारत सरकार ने व्यवसाय को प्रोत्साहन प्रदान करने और कोविड-19  के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है। इस पैकेज के तहत, सरकार 27 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। इस पैकेज में देश को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए विभिन्न दीर्घकालिक योजनाएं/कार्यक्रम/नीतियां शामिल हैं।

कोविड-1 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की बहाली के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए 19 अक्टूबर, 2020 से आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) शुरू की गई थी। लाभार्थियों के पंजीकरण की अंतिम तिथि 31.03.2022 थी। इस योजना की शुरुआत से अब तक 24.01.2023 तक इस योजना के तहत 8474.55 लाख लाभार्थियों को 60.26 करोड़ रुपये का लाभ प्रदान किया गया है।

सरकार एक जून, 2020 से प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि योजना) को लागू कर रही है, ताकि कोविड-19 महामार के दौरान प्रभावित होने वाले रेहड़ी-पटरी वालों को अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने के लिए जमानत से मुक्त कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा मिल सके। उल्लेखनीय है कि 17.01.2023 तक, इस योजना के तहत 37,84 करोड़ रुपये की राशि के 4.379 लाख ऋण वितरित किए गए हैं।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) को स्व-रोजगार की सुविधा के लिए सरकार द्वारा शुरू किया गया था। पीएमएमवाई के तहत, 10 लाख रुपये तक के जमानत मुक्त ऋण, सूक्ष्म/लघु व्यवसाय उद्यमों और व्यक्तियों को दिए जाते हैं, ताकि वे अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को स्थापित या उसे विस्तार देने में सक्षम हो सकें। वर्ष 2022-23 के दौरान (20.01.2023 तक) योजना के तहत स्वीकृत 2.66 करोड़ ऋण खातों में 3.60 लाख करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई।

उत्पादन-युक्त प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं को सरकार ने 1.97 लाख करोड़ रुपये से शुरू किया है। यह योजना 2021-22 से पांच वर्षों की अवधि के लिए है, जिसमें 60 लाख नए रोजगार पैदा करने की क्षमता है।

पीएम गतिशक्ति आर्थिक विकास और सतत विकास के लिए एक परिवर्तनकारी सोच है। यह सोच सात इंजनों, अर्थात सड़क, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, जन परिवहन, पोत परिवहन और लॉजिस्टिक्स जैसी अधोरचना द्वारा संचालित है। यह सोच स्वच्छ ऊर्जा और सबके प्रयास द्वारा संचालित है, जिससे सभी के लिए रोजगार और उद्यमशीलता के अपार अवसर पैदा होते हैं।

भारत सरकार रोजगार सृजन के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस), पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) और दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) आदि जैसी योजनाओं पर पर्याप्त निवेश और सार्वजनिक व्यय वाली विभिन्न परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर रही है।

इन पहलों के अलावा, मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, सभी के लिए आवास आदि जैसे सरकार के विभिन्न प्रमुख कार्यक्रम भी रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में उन्मुख हैं। इन सभी पहलों से बहुविध प्रभावों के माध्यम से आगे चलकर रोजगार पैदा होने की आशा है।

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