कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
बजट में कृषि एवं किसान कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण प्रावधान
छोटे किसानों को लाभ, प्रौद्योगिकी के जरिये कृषि को बढ़ावा- श्री तोमर
बजट में सभी वर्गों के विकास का समावेश, कृषि मंत्री ने पीएम का आभार जताया
Posted On:
01 FEB 2023 6:36PM by PIB Delhi
वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि एवं किसान कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बजट में किसानों के साथ ही गरीब और मध्यम वर्ग, महिलाओं से लेकर युवाओं सहित समाज के सभी वर्गों के समग्र विकास का समावेश करने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के प्रति आभार व्यक्त किया है। श्री तोमर ने कहा कि बजट से छोटे किसानों को लाभ होगा, वहीं प्रधानमंत्री श्री मोदी की दूरदृष्टि के अनुरूप बजट में कृषि को आधुनिकता से जोड़ते हुए प्रौद्योगिकी के जरिये कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने पर जोर दिया है ताकि किसानों को दीर्घकाल तक व्यापक लाभ मिलें।
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने बताया कि कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान सहित कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का कुल बजट इस बार लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के लिए 60 हजार करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। देश में लगभग 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से काफी लाभ पहुंचा है। इन किसान भाइयों-बहनों को इसी तरह सतत लाभ मिलता रहे, इसके लिए इस बार 23 हजार करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है, वहीं पशुपालन, डेयरी, मत्स्यपालन पर भी ध्यान देते कृषि ऋण लक्ष्य बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रु. किया गया है। मोदी सरकार द्वारा डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन प्रारंभ किया गया है, जिसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से 450 करोड़ रु. तथा टेक्नालाजी द्वारा कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के संबंध में लगभग 600 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है।
श्री तोमर ने बताया कि प्राकृतिक खेती को जन-आंदोलन का स्वरूप देने के लिए प्रधानमंत्री ने पहल की, जिसे बढ़ावा देने के लिए 459 करोड़ रु. का प्रावधान किया है। 3 साल में प्राकृतिक खेती के लिए 1 करोड़ किसानों को सहायता दी जाएगी, जिसके लिए 10 हजार बायो इनपुट रिसर्च सेंटर्स खोले जाएंगे। छोटे-मझौले किसानों को एफपीओ के जरिये संगठित करते हुए उन्हें खेती-किसानी से संबंधित सभी सुविधाएं मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 10 हजार नए एफपीओ बनाए जा रहे हैं। ये एफपीओ छोटे-मझौले किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है, जिसका लाभ इन किसानों को मिलने लगा है। आगे भी यही गतिशीलता बनी रहें, इसके लिए नए एफपीओ के गठन के संबंध में 955 करोड़ रु. का बजट प्रावधान इस साल किया गया है, वहीं किसानों के लिए हितकारी कृषि इंफ्रा फंड व प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। खाद्य एवं पोषण सुरक्षा केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में है, जिसके लिए बजट बढ़ाकर 1623 करोड़ रु. प्रावधान किया गया है। श्री तोमर ने बताया कि कृषि से जुड़े स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी। युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि त्वरक कोष स्थापना किया जाएगा, जिसके लिए 5 साल हेतु 500 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। मिलेट्स को अब श्रीअन्न के नाम से जाना जाएगा। श्रीअन्न को लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रमों में भारत सबसे आगे है। भारतीय मिलेट्स अनुसंधान केंद्र, हैदराबाद को उत्कृष्ता केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी श्रेष्ठ कार्य कर सकें। उद्यानिकी क्षेत्र के विकास के लिए बजट बढ़ाकर 2,200 करोड़ रु. किया है।
अमृतकाल का यह पहला जनकल्याणकारी बजट आजादी के 100 साल बाद भारत की परिकल्पना का बजट है। मोदी सरकार महत्वाकांक्षी लोक हित एजेंडा पर निरंतर काम कर रही है। इसी कड़ी में कोविड महामारी के समय से गरीबों के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है और अब बजट में यह योजना सालभर के लिए बढ़ा दी गई है। प्रधानमंत्री द्वारा 2014 में काम संभालने के बाद से सरकार की कोशिश आम लोगों का जीवन बेहतर बनाने की रही है, इसका सद्परिणाम प्रति व्यक्ति आय 1.97 लाख रु. यानी दोगुना से ज्यादा हो गई है, वहीं आयकरदाताओं के लिए भी बजट में काफी राहत प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना को और तेज गति देते हुए बजट करीब 66 प्रतिशत बढ़ाकर 79 हजार करोड़ रु. किया गया है। बजट से रोजगार भी बढ़ेंगे। बच्चों व किशोरों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किया जाएगा। अगले 3 साल में 740 एकलव्य स्कूलों के लिए 38 हजार 800 टीचर्स और सपोर्ट स्टाफ नियुक्त किए जाएंगे, वहीं 2014 से स्थापित मौजूदा 157 मेडिकल कॉलेजों के साथ सहस्थान में 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलने का प्रावधान भी स्वागतयोग्य है। कोरोना से प्रभावित हुए छोटे-मझोले उद्योगों को बजट में राहत दी गई है।
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श.ना.चौ./प्र.क./म.सि.
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