निर्वाचन आयोग
azadi ka amrit mahotsav

हिमाचल प्रदेश की विधानसभा के लिए आम चुनाव, 2022

Posted On: 14 OCT 2022 5:04PM by PIB Delhi

हिमाचल प्रदेश की विधानसभा का कार्यकाल निम्नलिखित तिथि को समाप्त होने वाला है। संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश, 2008 द्वारा निर्धारित अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों के साथ इस विधानसभा का कार्यकाल और संख्या निम्नानुसार है:

राज्य का नाम

विधानसभा का कार्यकाल

विधानसभा सीटों की संख्या

एससी के लिए आरक्षित

एसटी के लिए आरक्षित

हिमाचल प्रदेश

9 जनवरी 2018 से

8 जनवरी 2023

68

17

3

 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत जिसे अनुच्छेद 172 (1) के साथ पढ़ा जाता है और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 15 के तहत प्रदत्त अधिकार एवं शक्तियों का प्रयोग करते हुए निर्वाचन आयोग (ईसीआई) हिमाचल प्रदेश विधानसभा के कार्यकाल की समाप्ति से पहले वहां स्वतंत्र, निष्पक्ष, सहभागी, सुलभ, समावेशी और सुरक्षित चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

1. मतदाता सूची

निर्वाचन आयोग का दृढ़ विश्वास है कि शुद्ध और अपडेटेड मतदाता सूची स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव की नींव है। इसलिए इसकी गुणवत्ता, सेहत और निष्ठा में सुधार पर गहन और निरंतर ध्यान केंद्रित किया जाता है। चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 14 में संशोधन के बाद अब एक वर्ष में चार योग्य तिथियों का प्रावधान उपलब्ध है। इसी मुताबिक आयोग ने 01.10.2022 को योग्यता तिथि के संदर्भ में हिमाचल प्रदेश में मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन किया है। इससे पहले सूची का ऐसा पुनरीक्षण इस साल 1 जनवरी के संदर्भ में किया गया था। इस तब्दीली के कारण, ऐसे सभी युवा मतदाता जिन्होंने 1 जनवरी, 2022 और 1 अक्टूबर, 2022 के बीच 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है, उन्हें इस चुनाव में नामांकन करने और अपने मतदान अधिकार का उपयोग करने का मौका मिला है। योग्यता तिथि के रूप में 01.10.2022 के संदर्भ में मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन के समयबद्ध समापन के बाद, मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 10 अक्टूबर, 2022 को किया गया है।

 

अंतिम रूप से प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार, हिमाचल प्रदेश राज्य में मतदाताओं की संख्या है:

राज्य

सामान्य मतदाताओं की संख्या

सेवा मतदाताओं की संख्या

मतदाता सूचियों के अनुसार कुल मतदाता संख्या

हिमाचल प्रदेश

55,07,261

67,532

55,74,793

 

1 जनवरी, 2022 और 1 अक्टूबर, 2022 के बीच 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले युवा मतदाताओं की संख्याः

राज्य

18+ आयु के मतदाता (जन्मतिथिः 1 जनवरी - 1 अक्टूबर)

हिमाचल प्रदेश

43,173

 

हिमाचल प्रदेश में दिव्यांग, थर्ड जेंडर और वरिष्ठ नागरिक (80+) के रूप में चिन्हित मतदाताओं की संख्या:

राज्य

कुल दिव्यांग मतदाता

कुल थर्ड जेंडर

कुल वरिष्ठ नागरिक (80+)

हिमाचल प्रदेश

56,001

37

1,22,093

 

निर्वाचन आयोग ने समाज के सभी वर्गों की भागीदारी को अधिकतम करने और मतदाता सूची की सेहत में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किए हैं:

  1. प्रतिष्ठित सीएसओ के साथ सहयोग के जरिए कमजोर समूहों जैसे दिव्यांगों, ट्रांसजेंडर्स और सेक्स वर्कर्स का अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करना। उदाहरण के लिए, सेक्स वर्कर्स का अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करने के लिए नाको (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) के साथ जुड़ना।
  • ii. उचित क्षेत्र सत्यापन का पालन करने के बाद सॉफ्टवेयर टूल्स के उपयोग से मतदाता सूची में तार्किक त्रुटियों, जनसांख्यिकीय समान प्रविष्टियों और फोटो समान प्रविष्टियों को हटाना।
  1. युवा मतदाताओं के नामांकन पर भी ध्यान दिया गया, विशेष रूप से 1 जनवरी और 1 अक्टूबर, 2022 के बीच योग्य आयु प्राप्त करने वाले मतदाता।
  • iv. मतदान केंद्रों को युक्तिसंगत बनाने का काम पूरी सावधानी के साथ किया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मतदान केंद्र का दौरा किया गया है और मतदान केंद्रों को नए और बेहतर बुनियादी ढांचे वाले भवनों में स्थानांतरित करने पर भी विचार किया गया है।
  1. अन्य सरकारी डेटाबेस जैसे कि समाज कल्याण विभाग, एसएसीओ आदि के डेटाबेस, नागरिकों के कमजोर समूहों के लिए बेंचमार्क के रूप में इन समूहों के पंजीकरण को बढ़ाएंगे।
  • vi. मतदान केंद्रों में दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुलभ अनुकूल बुनियादी ढांचे के साथ-साथ सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाओं को भी आयोग लागू करता है, इसके लिए सीईओ / डीईओ को मतदान केंद्रों में स्थायी बुनियादी ढांचा बनाने का निर्देश दिया गया है।
  1. 3 या अधिक मतदान केंद्रों वाले मतदान स्थलों के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकास की योजना बनाई गई है ताकि महामारी या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
  2. आयोग ने मतदान केंद्रों में पर्यावरण के अनुकूल स्थानीय संस्कृति, कला या उत्पाद सामग्री के उपयोग को प्रोत्साहित किया है।
  • ix. 80+ के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों आदि की सूची तैयार की गई है और उन्हें समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा महसूस कराने के लिए सम्मान / मान्यता का संचार भी भेजा गया है।

 

2. फोटो मतदाता सूची और मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी)

हिमाचल प्रदेश के आम चुनाव के दौरान फोटो मतदाता सूची का उपयोग किया जाएगा। ईपीआईसी मतदान के समय मतदाता की पहचान स्थापित करने वाले दस्तावेजों में से एक है। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से पहले सभी नए पंजीकृत मतदाताओं को ईपीआईसी की 100% डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

 

3. मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की पहचान

मतदान केंद्र पर मतदाताओं की पहचान के लिए, मतदाता को अपना ईपीआईसी या आयोग द्वारा अनुमोदित निम्नलिखित में से कोई भी पहचान दस्तावेज, फोटो मतदाता पर्ची के साथ प्रस्तुत करना होगा:

  1. आधार कार्ड,
  • ii. मनरेगा जॉब कार्ड,
  1. बैंक / डाकघर द्वारा जारी फोटो वाली पासबुक,
  • iv. श्रम मंत्रालय की योजना के तहत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड,
  1. ड्राइविंग लाइसेंस,
  • vi. पैन कार्ड,
  1. एनपीआर के तहत आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड,
  2. भारतीय पासपोर्ट,
  • ix. फोटो वाला पेंशन दस्तावेज,
  1. केंद्र / राज्य सरकार / सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों / सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को जारी किए गए फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, और
  • xi. सांसदों / विधायकों / विधान परिषद् सदस्यों को जारी किए गए आधिकारिक पहचान पत्र और
  1. विशिष्ट विकलांगता आईडी (यूडीआईडी) कार्ड, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार

 

4. मतदाता सूचना पर्ची (वीआईएस)

मतदाताओं को उनके मतदान केंद्र की मतदाता सूची की क्रम संख्या, मतदान की तारीख, समय आदि जानने में सुविधा प्रदान करने के लिए आयोग ने 26.02.2021 के प्रभाव से 'मतदाता सूचना पर्ची' जारी करने का निर्णय लिया है। मतदाता सूचना पर्ची में मतदान केंद्र, तिथि, समय आदि जैसी जानकारी शामिल होगी, लेकिन इसमें मतदाता की तस्वीर नहीं होगी। जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा सभी नामांकित मतदाताओं को मतदान की तिथि से कम से कम 5 दिन पहले मतदाता सूचना पर्ची वितरित की जाएगी। हालांकि, मतदाता सूचना पर्ची को मतदाताओं की पहचान के प्रमाण के रूप में अनुमति नहीं दी जाएगी। सनद रहे कि आयोग ने 28 फरवरी, 2019 से फोटो मतदाता पर्ची को पहचान प्रमाण के तौर पर बंद कर दिया था।

 

5. ब्रेल मतदाता सूचना पर्ची

चुनावी प्रक्रिया में दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) की भागीदारी में आसानी और सक्रिय जुड़ाव सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने सामान्य मतदाता सूचना पर्ची के साथ दृष्टिबाधित व्यक्तियों को ब्रेल सुविधाओं के साथ सुलभ मतदाता सूचना पर्ची जारी करने का निर्देश दिया है।

 

6. मतदाता गाइड

इन चुनावों में चुनाव से पहले प्रत्येक मतदाता के परिवार को एक मतदाता मार्गदर्शिका (हिंदी / अंग्रेजी / स्थानीय भाषा में) प्रदान की जाएगी जिसमें उन्हें मतदान की तारीख और समय, बीएलओ का संपर्क विवरण, महत्वपूर्ण वेबसाइट, हेल्पलाइन नंबर, मतदान केंद्रों पर पहचान के लिए जरूरी दस्तावेजों के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इसकी महत्वपूर्ण जानकारी भी होगी। यह वोटर गाइड ब्रोशर बीएलओ द्वारा मतदाता सूचना पर्ची के साथ वितरित किया जाएगा।

 

7. नामांकन प्रक्रिया - नामांकन दाखिल करने के बारे में संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है:

I. नामांकन में ऑनलाइन मोड की सुविधा के लिए अतिरिक्त विकल्प प्रदान किया गया है:

  1. नामांकन फॉर्म सीईओ / डीईओ की वेबसाइट पर भी ऑनलाइन उपलब्ध होगा। कोई भी इच्छुक उम्मीदवार इसे ऑनलाइन भर सकता है और इसका प्रिंट रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष जमा करने के लिए ले जा सकता है जैसा कि फॉर्म-1 (चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम-3) में निर्दिष्ट किया गया है।
  • ii. शपथ पत्र सीईओ / डीईओ की वेबसाइट पर ऑनलाइन भी भरा जा सकता है, इसका प्रिंट लिया जा सकता है और नोटरीकरण के बाद इसे रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष नामांकन फॉर्म के साथ जमा किया जा सकता है।
  1. उम्मीदवार निर्दिष्ट प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन मोड के माध्यम से सुरक्षा राशि जमा कर सकते हैं। हालांकि, एक उम्मीदवार के पास ट्रेजरी में नकद जमा करने का विकल्प भी बना रहेगा।
  • iv. उम्मीदवार ऑनलाइन नामांकन के प्रयोजन के लिए अपना निर्वाचक प्रमाणन प्राप्त करने के विकल्प का भी प्रयोग कर सकते हैं।

 

II. आगे आयोग ने निम्नलिखित निर्देश दिए हैं:

  1. रिटर्निंग अधिकारी के चैंबर में सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का पालन करते हुए नामांकन, जांच और चिन्ह आवंटन के कार्यों को करने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
  • ii. रिटर्निंग अधिकारी को संभावित उम्मीदवारों को अग्रिम रूप से बंटा हुआ समय आवंटित करना चाहिए।
  1. उम्मीदवारों द्वारा प्रतीक्षा करने के लिए बड़ी जगह की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • iv. नामांकन पत्र और शपथ पत्र जमा करने के लिए सभी आवश्यक कदम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में निहित प्रावधानों के अनुसार संचालित होते रहेंगे।

 

8. मतदान केंद्र और विशेष सुविधा

  1. मतदान केंद्र में मतदाताओं की अधिकतम संख्या

एक मतदान केंद्र में अधिकतम 1500 मतदाता होंगे। राज्यों में मतदान केंद्रों की संख्या में परिवर्तन इस प्रकार है:

राज्य

2017 में मतदान केंद्रों की संख्या

2022 में मतदान केंद्रों की संख्या

मतदान केंद्रों की संख्या में % बढ़ोतरी

हिमाचल प्रदेश

7,525

7,881

4.73%

 

  • ii. मतदान केंद्रों पर सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाएं (एएमएफ):

आयोग ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए हैं कि प्रत्येक मतदान केंद्र भूतल पर होना चाहिए और मतदान केंद्र भवन की ओर जाने वाली सड़क अच्छी पहुंच वाली होनी चाहिए। मतदान केंद्र भवन पीने के पानी, वेटिंग शेड, पानी की सुविधा के साथ शौचालय, प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था, दिव्यांग मतदाताओं के लिए उचित ढाल के रैंप और एक मानक मतदान कक्ष आदि जैसी सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाओं (एएमएफ) से लैस हो। आयोग ने सीईओ / डीईओ को हर मतदान केंद्रों पर स्थायी रैंप और स्थायी बुनियादी ढांचा बनाने के प्रयास करने का निर्देश दिया है।

 

  1. सुगम चुनाव - दिव्यांगों (पीडब्ल्यूडी) और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुविधा:

हिमाचल प्रदेश में सभी मतदान केंद्र भूतल पर स्थित हैं और दिव्यांग मतदाताओं और व्हीलचेयर वाले वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए उचित ढाल के साथ मजबूत रैंप प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा, दिव्यांग मतदाताओं को लक्षित और आवश्यकता-आधारित सुविधा प्रदान करने के लिए आयोग ने निर्देश दिया है कि किसी विधानसभा क्षेत्र में सभी दिव्यांग व्यक्तियों और वरिष्ठ नागरिकों की पहचान की जाए और उन्हें उनके संबंधित मतदान केंद्रों पर टैग किया जाए और मतदान के दिन उनके सहज और सुविधाजनक मतदान अनुभव के लिए जरूरी दिव्यांगता-विशिष्ट व्यवस्था की जाए। इन पहचाने गए दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं को आरओ / डीईओ द्वारा नियुक्त वॉलंटियरों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। मतदान केंद्रों पर पीडब्ल्यूडी और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं के लिए विशेष सुविधा की जाएगी। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि मतदान केंद्रों में प्रवेश करने के लिए दिव्यांग मतदाताओं और वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी जाए, मतदान केंद्र परिसर के प्रवेश द्वार के पास निर्दिष्ट पार्किंग स्थलों के लिए प्रावधान किया जाए और बोलने व सुनने में बाधा वाले मतदाताओं के लिए विशेष सुविधा प्रदान की जाए। दिव्यांग मतदाताओं की विशेष जरूरतों के संबंध में मतदान कर्मियों को संवेदनशील बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

 

आयोग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को निर्देश दिया है कि मतदान के दिन प्रत्येक मतदान केंद्र पर दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं के लिए उचित परिवहन सुविधा होनी चाहिए। दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं को मतदान के दिन सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए मुफ्त पास प्रदान किया जाएगा। दिव्यांग मतदाता पीडब्ल्यूडी ऐप पर पंजीकरण करके व्हीलचेयर सुविधा के लिए अनुरोध कर सकते हैं।

मतदान केंद्र पर दृष्टिबाधित व्यक्ति अपने साथ, एक साथी को अपनी ओर से वोट डालने के लिए ले जा सकते हैं, जैसा कि चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49एन में प्रदान किया गया है।

इसके अलावा मतदान केंद्रों पर ब्रेल लिपि में डमी मतपत्र उपलब्ध हैं। कोई भी दृष्टिबाधित मतदाता इस शीट का उपयोग कर सकता है और इस शीट की सामग्री का अध्ययन करने के बाद ईवीएम की बैलेट यूनिट पर ब्रेल सुविधा का उपयोग करके साथी की मदद के बिना अपना वोट डाल सकता है।

 

  • iv. मतदाता सुविधा पोस्टर:

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 31 के तहत वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने और प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाता जागरूकता और जानकारी के लिए सटीक और प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने के लिए आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि एक-समान और मानकीकृत मतदाता सुविधा पोस्टर्स (वीएफपी) [कुल चार (4) तरह के पोस्टर यानी 1. मतदान केंद्र विवरण, 2. उम्मीदवारों की सूची, 3. क्या करें और क्या न करें, और 4. स्वीकृत पहचान दस्तावेज और मतदान कैसे करें] सभी मतदान केंद्रों पर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, मुख्य निर्वाचन अधिकारी मतदाताओं की जागरूकता के लिए प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं के लिए कोविड संबंधित सुरक्षा उपायों का प्रदर्शन सुनिश्चित करेंगे, अगर सक्षम प्राधिकारी द्वारा ऐसा निर्देशित किया गया हो तो।

  1. मतदाता सहायता बूथ (वीएबी):

प्रत्येक मतदान केंद्र स्थल के लिए मतदाता सहायता बूथ स्थापित किए जाएंगे, जिसमें बीएलओ / अधिकारियों की एक टीम होगी ताकि मतदाताओं को संबंधित मतदान केंद्र की मतदाता सूची में उनके मतदान केंद्र संख्या और क्रम संख्या का सही पता लगाने में सहायता मिल सके। मतदाता सहायता बूथ को प्रमुख संकेतों के साथ स्थापित किया जाएगा और इस तरह से कि मतदाता जब संबंधित मतदान परिसर / भवन की ओर बढ़ें तो वे मतदान दिवस पर आवश्यक सुविधा प्राप्त करने में सक्षम हो सकें।

 

नाम को आसानी से खोजने और मतदाता सूची में क्रमांक जानने के लिए ईआरओ नेट से उत्पन्न वर्णमाला लोकेटर (अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार) को मतदाता सहायता बूथ पर रखा गया है।

 

  • vi. मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए मानकीकृत मतदान कक्ष:

मतदान के समय मतदान की गोपनीयता बनाए रखने और मतदान कक्षों के उपयोग में एकरूपता प्राप्त करने के लिए आयोग ने 15 नवंबर, 2016 को अपने निर्देशों को संशोधित किया और मतदान कक्षों की ऊंचाई 30 इंच तक बढ़ा दी और यह भी निर्देश दिया कि वोटिंग कम्पार्टमेंट एक मेज पर रखा जाना चाहिए जिसकी ऊंचाई 30 इंच होगी। मतदान कक्ष बनाने के लिए केवल स्टील-ग्रे रंग की लहरदार प्लास्टिक शीट (फ्लेक्सबोर्ड) का उपयोग किया जाएगा जो पूरी तरह से अपारदर्शी और पुन: प्रयोज्य हो। आयोग को उम्मीद है कि सभी मतदान केंद्रों में इन मानकीकृत और एकसमान वोटिंग कम्पार्टमेंट के उपयोग से मतदाताओं के लिए ज्यादा सुगमता होगी, इससे वोट की पूर्ण गोपनीयता सुनिश्चित होगी, और मतदान केंद्रों के अंदर वोटिंग कम्पार्टमेंट को तैयार करने में गड़बड़ी और गैर-एकरूपता खत्म होगी।

मतदान बूथ पर मतदान कक्षों को इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि चुनाव के विवरण के साथ, पीसी / एसी नंबर व नाम और पीएस नंबर व नाम आदि को वोटिंग कंपार्टमेंट के तीनों तरफ खुद चिपकने वाले स्टिकर के साथ चिपकाया जाएगा।

 

9. चुनाव सामग्री का वितरण और संग्रह

  1. चुनाव सामग्री के वितरण / संग्रह के लिए बड़े हॉल / स्थानों की पहचान की जानी चाहिए।
  • ii. जहां तक ​​संभव हो, इसे विकेंद्रीकृत तरीके से आयोजित किया जाना चाहिए।
  1. भीड़ से बचने के लिए चुनाव सामग्री के वितरण / संग्रह के लिए मतदान दलों को ज्यादा पहले के, बंटे हुए टाइम स्लॉट आवंटित किए जाने चाहिए।

 

10. दिव्यांग मतदाताओं, 80+ वरिष्ठ नागरिकों, आवश्यक सेवाओं में कार्यरत मतदाताओं और कोविड संदिग्ध / प्रभावित मतदाताओं के लिए पहल

  1. चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 27ए को अधिसूचना दिनांक 22.10.2019 और 19.06.2020 के माध्यम से संशोधित किया गया है। उक्त दो संशोधनों द्वारा "अनुपस्थित मतदाता" डाक मतपत्र द्वारा मतदान के पात्र हो गए हैं। "अनुपस्थित मतदाता" को चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम-27ए के खंड (एए) में परिभाषित किया गया है, और इसमें वह व्यक्ति शामिल है जो आवश्यक सेवाओं में कार्यरत है, वरिष्ठ नागरिक (80+), दिव्यांग व्यक्ति (बेंचमार्क या उससे ऊपर की दिव्यांगता) और कोविड 19 संदिग्ध या प्रभावित व्यक्ति। आवश्यक सेवाओं की श्रेणी को केंद्र सरकार के साथ परामर्श से आरपी अधिनियम, 1951 की धारा 60 (सी) के तहत निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचित किया जाता है।

वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांगों और कोविड-19 संदिग्ध या प्रभावित व्यक्तियों की श्रेणी में अनुपस्थित मतदाताओं द्वारा पोस्टल बैलेट के माध्यम से मतदान के लिए मौजूदा दिशा-निर्देशों में निम्नलिखित प्रक्रिया निर्दिष्ट की गई है: –

  1. एक अनुपस्थित मतदाता जो डाक मतपत्र द्वारा मतदान करना चाहता है, उसे संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी (आरओ) को फॉर्म-12 डी में सभी आवश्यक विवरण देते हुए आवेदन करना होगा। डाक मतपत्र की सुविधा चाहने वाले ऐसे आवेदन चुनाव की घोषणा की तारीख से लेकर संबंधित चुनाव की अधिसूचना की तारीख के पांच दिन बाद तक की अवधि के दौरान आरओ के पास पहुंच जाने चाहिए।
  • ii. दिव्यांग श्रेणी (एवीपीडी) के अनुपस्थित मतदाता, जो डाक मतपत्र का विकल्प चुनते हैं, उनकी बात करें तो आवेदन (फॉर्म 12 डी) के साथ निःशक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत संबंधित उपयुक्त सरकार द्वारा निर्दिष्ट बेंचमार्क दिव्यांगता प्रमाण पत्र की एक प्रति होनी चाहिए।
  1. बीएलओ द्वारा फॉर्म 12डी का वितरण:
  1. बीएलओ मतदान केंद्र क्षेत्र में आरओ द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के अनुसार एवीएससी, एवीपीडी और एवीसीओ की श्रेणी में अनुपस्थित मतदाताओं के घरों का दौरा करेगा और संबंधित मतदाताओं को फॉर्म 12डी वितरित करेगा और उनसे पावती प्राप्त करेगा।
  2. बीएलओ मतदाताओं से प्राप्त सभी पावती आरओ के पास जमा करेगा।
  3. अगर कोई मतदाता उपलब्ध नहीं है, तो बीएलओ उसके संपर्क विवरण साझा करेगा और अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर इसे प्राप्त करने के लिए फिर से आएगा।
  4. मतदाता पोस्टल बैलेट का विकल्प चुन सकते हैं और नहीं भी। अगर वे पोस्टल बैलेट का विकल्प चुनते हैं, तो बीएलओ अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर मतदाता के घर से भरे हुए फॉर्म 12डी को एकत्र करेगा और आरओ के पास जमा करेगा।
  5. आरओ के समग्र पर्यवेक्षण में बीएलओ द्वारा फॉर्म 12डी के वितरण और संग्रह की प्रक्रिया का पर्यवेक्षण सेक्टर अधिकारी करेंगे।

 

  • iv. इसके अलावा आरओ ऐसे सभी दिव्यांग और 80+ के मतदाताओं की सूची, मुद्रित हार्डकॉपी में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के साथ साझा करेगा, जिनके पोस्टल बैलेट सुविधा का लाभ उठाने के लिए फॉर्म 12डी में आवेदनों को उनके द्वारा मंजूर किया गया है।

 

  1. एक मतदान टीम जिसमें एक वीडियोग्राफर और सुरक्षाकर्मियों के साथ 2 मतदान अधिकारी शामिल होंगे, वे मतदान कक्ष के साथ मतदाता के घर जाएंगे और वोट की पूरी गोपनीयता बनाए रखते हुए मतदाता को पोस्टल बैलेट पर वोट दिलवाएंगे। उम्मीदवारों को इन निर्वाचकों की एक सूची अग्रिम रूप से प्रदान की जाएगी और उन्हें मतदान का कार्यक्रम और मतदान दलों का रूट चार्ट भी प्रदान किया जाएगा ताकि वे अपने प्रतिनिधियों को मतदान प्रक्रिया को देखने के लिए भेज सकें। पोस्टल बैलेट को रिटर्निंग अधिकारी के पास सुरक्षित रखा जाएगा।
  2. यह एक वैकल्पिक सुविधा है और इसमें डाक विभाग की डाक जैसी कोई व्यवस्था शामिल नहीं है।
  3. आयोग ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को उक्त श्रेणियों के मतदाताओं तक इस सूचना के प्रसार और सुविधा के विस्तार करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।

11. महिलाओं और दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा प्रबंधित मतदान केंद्र

लैंगिक समानता और चुनावी प्रक्रिया में महिलाओं की अधिक रचनात्मक भागीदारी के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता के रूप में, आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि जहां तक ​​संभव हो, हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में जहां मतदान हो रहा है वहां कम से कम एक ऐसा मतदान केंद्र स्थापित किया जाए जिसका प्रबंधन विशेष रूप से महिलाओं और दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा किया जाए। ऐसे महिला संचालित मतदान केंद्रों में पुलिस और सुरक्षा कर्मियों सहित सभी चुनाव कर्मचारी महिलाएं होंगी।

 

12. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट)

(i) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट)

चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आयोग, हिमाचल प्रदेश की विधानसभा के आम चुनाव में प्रत्येक मतदान केंद्र पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) तैनात करेगा क्योंकि वीवीपैट मतदाता को अनुमति देता है कि वो अपना वोट वेरिफाई कर सके। चुनाव के सुचारू संचालन के लिए पर्याप्त संख्या में ईवीएम और वीवीपैट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पहले ही व्यवस्था की जा चुकी है।

 

(ii) ईवीएम और वीवीपैट को लेकर जागरूकता

प्रदर्शित करके दिखाने और जागरूकता के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय एवं रिटर्निंग अधिकारी मुख्यालय / राजस्व उपखण्ड कार्यालयों में ईवीएम प्रदर्शन केन्द्र स्थापित किये गये हैं। सभी मतदान स्थलों को कवर करने हेतु ईवीएम और वीवीपैट के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मोबाइल प्रदर्शन वैन तैनात की गई हैं। यह चुनाव की घोषणा तक चालू रहेगा, वहीं घोषणा के बाद डिजिटल आउटरीच में तेजी लाई जाएगी।

 

(iii) ईवीएम और वीवीपैट का रैंडमाइजेशन

ईवीएम/वीवीपैट को किसी विधानसभा के लिए और उसके बाद किसी मतदान केंद्र को आवंटित करते वक्त "ईवीएम प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस)" का उपयोग करके दो बार रैंडमाइज किया जाता है ताकि किसी फिक्स आवंटन को न होने दिया जाए। रैंडम ईवीएम/वीवीपैट की सूची राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों के साथ भी साझा की जाती है।

 

(iv) ईवीएम और वीवीपैट को कमीशन करना

चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने के बाद, ईवीएम और वीवीपैट की कमीशनिंग (कैंडिडेट सेटिंग) चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों / उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की जाती है। अधिक पारदर्शिता के लिए उम्मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों द्वारा वीवीपैट में चुनाव चिन्हों की लोडिंग को समानांतर रूप से दिखाने के लिए कमीशनिंग हॉल में टीवी/मॉनिटर लगाया जाएगा। ईवीएम और वीवीपैट को कमीशन करने (कैंडिडेट सेटिंग) के बाद, प्रत्येक ईवीएम और वीवीपैट में, नोटा सहित प्रत्येक उम्मीदवार को एक वोट देने के साथ मॉक पोल किया जाता है। इसके अतिरिक्त, रैंडम रूप से चुनी गई 5% ईवीएम और वीवीपैट में, 1000 वोटों का मॉक पोल किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक परिणाम का मिलान पेपर काउंट से किया जाता है।

 

(v) मतदान के दिन मॉक पोल

  1. मतदान के दिन, वास्तविक मतदान शुरू होने से 90 मिनट पहले, उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों की उपस्थिति में प्रत्येक मतदान केंद्र पर कम से कम 50 वोट डालकर मॉक पोल किया जाता है और कंट्रोल यूनिट के इलेक्ट्रॉनिक नतीजे और वीवीपैट पर्चियों की गिनती का मिलान किया जाता है और उन्हें दिखाया जाता है। पीठासीन अधिकारियों द्वारा पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट में मॉक पोल के सफल संचालन का प्रमाण पत्र बनाया जाएगा।
  2. मॉक पोल के तुरंत बाद, मॉक पोल के डेटा को साफ़ करने के लिए कंट्रोल यूनिट पर 'क्लियर' बटन दबाया जाता है और वहां मौजूद पोलिंग एजेंटों को दिखाया जाता है कि कंट्रोल यूनिट में अब कोई वोट दर्ज नहीं है। पीठासीन अधिकारी यह भी सुनिश्चित करता है कि मतदान शुरू होने से पहले सभी नकली मतदान पर्ची वीवीपैट से निकाल ली जाएंगी और अलग-अलग चिन्हित लिफाफे में रखी जाएंगी।
  3. नकली मतदान के बाद, मतदान एजेंटों की उपस्थिति में ईवीएम और वीवीपैट को सील कर दिया जाता है और वास्तविक मतदान शुरू करने से पहले मुहरों पर मतदान एजेंटों के हस्ताक्षर प्राप्त किए जाते हैं।

 

(vi) मतदान के दिन और मतदान के बाद ईवीएम और वीवीपैट का स्ट्रांग रूम में भंडारण

  1. मतदान के दिन उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों को कुल मतदान किए गए वोटों, मुहरों (यूनीक नंबर), मतदान केंद्रों में उपयोग की गई ईवीएम और वीवीपैट के सीरियल नंबर आदि विवरण युक्त फॉर्म-17 सी की एक प्रति प्रदान की जाती है।
  2. मतदान पूरा होने के बाद ईवीएम और वीवीपैट को संबंधित कैरी केस में मतदान एजेंटों की उपस्थिति में सील कर दिया जाता है और मुहरों पर मतदान एजेंटों के हस्ताक्षर प्राप्त किए जाते हैं।
  3. मतदान की गई ईवीएम और वीवीपैट को वीडियोग्राफी करते हुए उम्मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में, डबल लॉक सिस्टम में स्टोर करने के लिए स्ट्रांग रूम में वापस ले जाया जाता है।
  4. उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि भी स्ट्रांग रूम के सामने डेरा डाल सकते हैं। इन स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी सुविधाओं के साथ कई परतों में चौबीस घंटे का पहरा दिया जाता है।

 

(vii) मतगणना केंद्रों पर मतगणना

  1. मतगणना के दिन अभ्यर्थियों, आरओ और ऑब्जर्वर की उपस्थिति में वीडियोग्राफी करते हुए स्ट्रांग रूम खोला जाता है।
  2. मतदान की गई ईवीएम को सीसीटीवी कवरेज के अंतर्गत और उम्मीदवारों / उनके एजेंटों की उपस्थिति में सुरक्षा के साथ मतगणना केंद्रों पर लाया जाता है।
  3. लगातार सीसीटीवी कवरेज की निगरानी में स्ट्रांग रूम से राउंड वाइज कंट्रोल यूनिट को काउंटिंग टेबल पर लाया जाता है।
  4. मतगणना के दिन, कंट्रोल यूनिट्स से परिणाम प्राप्त करने से पहले मुहरों का सत्यापन किया जाता है, और उम्मीदवारों द्वारा प्रतिनियुक्त मतगणना एजेंटों के सामने कंट्रोल यूनिट्स के यूनीक नंबरों का मिलान किया जाता है।
  5. मतगणना के दिन काउंटिंग एजेंट, कंट्रोल यूनिट पर प्रदर्शित मतों को फॉर्म-17सी से सत्यापित कर सकते हैं। उम्मीदवारों के हिसाब से डाले गए मतों को फॉर्म-17 सी के भाग-2 में दर्ज किया जाता है और उस पर मतगणना एजेंटों के हस्ताक्षर प्राप्त किए जाते हैं।
  6. ईवीएम और वीवीपैट को चुनाव याचिका की अवधि पूरी होने तक उम्मीदवारों / उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्ट्रांग रूम में वापस रखा जाता है।

 

(viii) वीवीपैट पेपर स्लिप का अनिवार्य सत्यापन

भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 8 अप्रैल, 2019 के आदेश के अनुसरण में, आयोग ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवारों की मौजूदगी में ड्रॉ निकालकर रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा पांच (5) रैंडम तौर पर चयनित मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्चियों की गिनती भी अनिवार्य कर दी है। ऐसा कंट्रोल यूनिट से प्राप्त परिणाम के सत्यापन के लिए किया जायेगा। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच (5) मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्चियों की गिनती के सत्यापन की ये अनिवार्यता दरअसल चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 56 (डी) के प्रावधानों के अतिरिक्त होगी।

 

(ix) ईवीएम, वीवीपैट और पोस्टल बैलेट में उपरोक्त में से कोई नहीं (नोटा):

हमेशा की तरह, चुनाव के लिए 'उपरोक्त में से कोई नहीं' (नोटा) विकल्प भी होगा। बीयू में अंतिम उम्मीदवार के नाम के नीचे, नोटा विकल्प के लिए एक बटन होगा ताकि ऐसे मतदाता जो किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते हैं, वे नोटा के सामने बटन दबाकर अपने विकल्प का प्रयोग कर सकते हैं। इसी तरह, पोस्ट किए गए मतपत्रों पर भी अंतिम उम्मीदवार के नाम के बाद एक नोटा पैनल होगा। नीचे दिए गए नोटा के लिए चिन्ह नोटा पैनल के सामने मुद्रित किया जाएगा।

'स्वीप' के हिस्से के रूप में ऐसे जागरूकता कार्यक्रम है ताकि इस विकल्प को मतदाताओं और अन्य सभी हितधारकों के ज्ञान में लाया जा सके।

 

(x) ईवीएम मतपत्र पर उम्मीदवारों के फोटो

मतदाताओं के वास्ते उम्मीदवारों की पहचान करना सुविधाजनक बनाने के लिए ईसीआई ने ईवीएम (बैलेट यूनिट) और पोस्टल बैलेट पेपर पर प्रदर्शित होने वाले बैलेट पेपर पर भी उम्मीदवार की तस्वीर को प्रिंट करने के प्रावधान को जोड़कर एक अतिरिक्त उपाय निर्धारित किया है। यह किसी भी भ्रम से बचने में मदद करेगा, जो तब उत्पन्न हो सकता है जब एक जैसे या समान नाम वाले उम्मीदवार एक ही निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हों। इस प्रयोजन के लिए उम्मीदवारों को आयोग द्वारा निर्धारित निर्देशों के अनुसार अपनी ताजा स्टाम्प आकार की तस्वीर, रिटर्निंग अधिकारी को प्रस्तुत करना आवश्यक है।

 

13. मतदान कर्मियों की तैनाती और रैंडाइजेशन

  1. विशेष रैंडमाइजेशन आईटी एप्लिकेशन के माध्यम से मतदान दलों का गठन रैंडम तौर पर किया जाएगा।
  2. मतदान के दिन मतदान केंद्रों पर तैनात पुलिस कर्मियों और होमगार्डों के लिए भी इस तरह का रैंडमाइजेशन किया जाएगा।

 

14. उम्मीदवारों के शपथ पत्र

सभी कॉलम भरे जाने हैं:

2008 की रिट याचिका (सी) संख्या 121 (रिसर्जेंस इंडिया बनाम भारतीय निर्वाचन आयोग और अन्य) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित 13 सितंबर, 2013 के फैसले के अनुसरण में, जो अन्य बातों के अलावा रिटर्निंग ऑफिसर के लिए ये जांच करने को अनिवार्य बनाता है कि क्या नामांकन पत्र के साथ हलफनामा दाखिल करते समय आवश्यक सूचना (उम्मीदवार द्वारा) पूरी तरह से प्रस्तुत की गई है, इस फैसले के तहत आयोग ने निर्देश जारी किया है कि नामांकन पत्र के साथ दाखिल किए जाने वाले शपथ पत्र में उम्मीदवारों को सभी कॉलम में विवरण भरने होंगे। अगर हलफनामे में कोई कॉलम खाली छोड़ दिया जाता है, तो रिटर्निंग अधिकारी उम्मीदवार को संशोधित हलफनामा दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करेगा, जिसमें सभी कॉलम विधिवत भरे हुए होंगे। इस तरह के नोटिस के बाद भी अगर कोई उम्मीदवार अभी भी हर लिहाज से मुकम्मल हलफनामा दाखिल करने में विफल रहता है, तो नामांकन पत्र संवीक्षा के समय रिटर्निंग अधिकारी द्वारा अस्वीकृत किया जा सकता है।

 

फॉर्म 26 में नामांकन फॉर्म और हलफनामे के प्रारूप में परिवर्तन:

16 सितंबर, 2016 और 7 अप्रैल, 2017 की अधिसूचनाओं के माध्यम से नामांकन फॉर्म 2ए और 2बी के भाग 3ए और नामांकन फॉर्म 2सी, 2डी और 2ई के भाग 2 में संशोधन किया गया है। फॉर्म 26 में हलफनामे को भी 26 फरवरी, 2019 की अधिसूचना के माध्यम से संशोधित किया गया है, जिसमें (i) उन उम्मीदवारों के लिए 'पैन' की जानकारी देना अनिवार्य किया गया है, जिन्हें पैन नंबर आवंटित किया जा चुका है या फिर वे स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करें कि उन उम्मीदवारों के लिए 'कोई पैन आवंटित नहीं' हुआ है; (ii) पिछले 5 वर्षों के दौरान दाखिल आयकर रिटर्न में दिखाई गई कुल आय की घोषणा उम्मीदवार, पति या पत्नी और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), और आश्रित द्वारा की जाएगी (iii) स्वयं, पति या पत्नी, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) या आश्रितों द्वारा किसी भी अपतटीय संस्था/ट्रस्ट में लाभकारी हितों सहित विदेश में रखी गई संपत्ति (चल/अचल) का विवरण प्रदान किया जाएगा। संशोधित नामांकन फॉर्म और शपथ पत्र की प्रति आयोग की वेबसाइट https://eci.gov.in> मैन्यू> उम्मीदवार नामांकन और अन्य फॉर्म पर उपलब्ध हैं।

 

15. आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार

   आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार अवधि के दौरान तीन अवसरों पर समाचार पत्रों और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से इस संबंध में जानकारी प्रकाशित करने की जरूरत है। एक राजनीतिक दल जो आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को खड़ा करता है, उसे अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी अपनी वेबसाइट और समाचार पत्रों और टेलीविजन चैनलों, दोनों पर तीन मौकों पर प्रकाशित करनी होती है।

आयोग ने अपने पत्र संख्या 3/4/2019/एसडीआर/वॉल्यूम.4 दिनांक 16 सितंबर, 2020 के माध्यम से निर्देश दिया है कि इस निर्दिष्ट अवधि को तीन ब्लॉकों के साथ निम्नलिखित तरीके से तय किया जाएगा, ताकि मतदाताओं के पास उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि के बारे में जानने के लिए पर्याप्त समय हो। ऐसे उम्मीदवारों की:

  1. नामांकन वापस लेने की तिथि के पहले 4 दिनों के भीतर।
  2. अगले 5वें-8वें दिन के बीच।
  3. 9वें दिन से प्रचार के अंतिम दिन तक (मतदान की तारीख से दूसरे दिन पहले)

(उदाहरण: अगर नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि महीने की 10 तारीख है और मतदान महीने की 24 तारीख को है, तो घोषणा के प्रकाशन के लिए पहला ब्लॉक महीने की 11 से 14 तारीख के बीच होगा, दूसरा और तीसरा ब्लॉक उस महीने की क्रमशः 15वीं व 18वीं और 19वीं व 22वीं तारीख के बीच होगा।)

यह आवश्यकता 2015 की रिट याचिका (सी) संख्या 784 (लोक प्रहरी बनाम भारतीय संघ और अन्य) और 2011 की रिट याचिका (सिविल) संख्या 536 (पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसरण में है।

 

16. आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को खड़ा करने वाले राजनीतिक दल

2011 की रिट पीटिशन (सी) संख्या 536 में 2018 की अवमानना याचिका (सी) संख्या 2192 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 13.02.2020 के आदेश के अनुसार राजनीतिक दलों (केंद्र और राज्य चुनाव स्तर पर) के लिए यह अनिवार्य है कि वे लंबित आपराधिक मामलों (अपराधों की प्रकृति सहित और प्रासंगिक विवरण जैसे कि आरोप तय किए गए हैं या नहीं, संबंधित न्यायालय, मामला संख्या आदि) वाले उन व्यक्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें जिन्हें उम्मीदवारों के रूप में चुना गया है, साथ ही यह भी कि इस तरह के व्यक्तियों को चुनने के कारण क्या हैं और साथ ही यह भी कि बगैर आपराधिक मामलों वाले अन्य व्यक्तियों का चयन क्यों नहीं किया जा सकता था। उन्हें चुनने के ये कारण संबंधित उम्मीदवार की योग्यता और उपलब्धियों के संदर्भ में होंगे, न कि सिर्फ चुनावों में उनके "जीतने की क्षमता" के संदर्भ में।

 

यह जानकारी इनमें भी प्रकाशित की जाएगी:

  1. एक स्थानीय समाचार पत्र और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र;
  2. फेसबुक और ट्विटर सहित राजनीतिक दल के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर।

 

  ये विवरण उम्मीदवार के चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित किए जाएंगे और नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से दो सप्ताह पहले नहीं। संबंधित राजनीतिक दल उक्त उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के भीतर इन निर्देशों के अनुपालन की रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को सौंपेगा। अगर कोई राजनीतिक दल निर्वाचन आयोग के सामने इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो निर्वाचन आयोग संबंधित राजनीतिक दल द्वारा इस तरह के गैर-अनुपालन को न्यायालय के आदेशों/निर्देशों की अवमानना ​​के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में लाएगा। इस सिलसिले में आयोग के निर्देश पत्र सं. 3/4/2020/एसडीआर/वॉल्यूम.3 दिनांक 6 मार्च, 2020 को आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध देखा जा सकता है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ब्रजेश सिंह बनाम सुनील अरोड़ा और अन्य [डब्ल्यूपी (सी) संख्या 536/2011 में अवमानना ​​याचिका (सी) संख्या 2192/2018 में अवमानना ​​याचिका (सी) संख्या 656/2020] मामले में अपने दिनांक 10.08.2021 के फैसले में कुछ अतिरिक्त निर्देश भी जारी किए, जिन्हें आयोग के पत्र संख्या. 3/4/एसडीआर/वॉल्यूम.1 दिनांक 26.08.2021 के माध्यम से सर्कुलेट किया गया है, जो कि आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ये वे निम्नलिखित निर्देश हैं जो राजनीतिक दलों से संबंधित हैं: -

  1. राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रकाशित करनी है, जिससे मतदाता के लिए ये जानकारी प्राप्त करना आसान हो जाए जो उसे दी जानी है। अब होमपेज पर "पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार" का एक कैप्शन दिखाना भी आवश्यक है;
  2. हम स्पष्ट करते हैं कि हमारे आदेश दिनांक 13.02.2020 के पैरा 4.4 के निर्देश को संशोधित किया जाए और यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन विवरणों को प्रकाशित करना आवश्यक है, उन्हें उम्मीदवार के चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित किया जाएगा, न कि नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख के दो हफ्ते पहले; और
  3. हम दोहराते हैं कि अगर ऐसा कोई राजनीतिक दल निर्वाचन आयोग के समक्ष इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो निर्वाचन आयोग न्यायालय के आदेशों / निर्देशों की अवमानना ​​के रूप में संबंधित राजनीतिक दल द्वारा इस तरह के गैर-अनुपालन को इस न्यायालय के नोटिस में लाएगा, जिसे भविष्य में बहुत गंभीरता से देखा जाएगा।

 

17. पर्यावरण अनुकूल चुनाव

निर्वाचन आयोग ने कई मौकों पर राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से अपने चुनाव प्रचार गतिविधियों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक और नॉन-बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बचने का आग्रह किया है।

आयोग लंबे समय से सभी राजनीतिक दलों से कह रहा है कि वे चुनाव अभियान के उद्देश्यों के लिए केवल पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करें। इस संबंध में, आयोग ने 26.02.2019 को फिर से निर्देश दिया कि सभी राजनीतिक दलों को मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के हित में चुनाव के दौरान प्रचार सामग्री (पोस्टर, बैनर आदि) के रूप में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने के लिए पर्याप्त कदम और उपाय करने चाहिए। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 12.08.2021 को अधिसूचित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 भी सभी सीईओ को भेजे गए हैं और उन्हें उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों के ध्यान में लाने के लिए कहा गया है।

इसके अलावा, एनजीटी ने सभी संबंधित लोगों को इस संबंध में भारत के निर्वाचन आयोग के निर्देशों की कड़ी निगरानी करने के लिए भी कहा है।

 

18. साइलेंस पीरियड के संबंध में राजनीतिक दलों को एडवाइजरी

संचार प्रौद्योगिकी में प्रगति और सोशल मीडिया के उभार के संदर्भ में धारा 126 के कामकाज की समीक्षा के लिए आयोग द्वारा इस लक्ष्य के साथ एक समिति का गठन किया गया था, कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के प्रावधानों और अन्य संबंधित प्रावधानों का अध्ययन किया जाए और इस संबंध में उपयुक्त सिफारिशें की जाएं। समिति ने 10 जनवरी, 2019 को आयोग को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। अन्य प्रस्तावों के अलावा, समिति ने राजनीतिक दलों को धारा 126 के प्रावधानों का शब्दशः और मूल भावना में पालन करने के लिए एक एडवाइजरी देने का प्रस्ताव किया है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से आह्वान किया कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए अपने नेताओं और प्रचारकों को निर्देश और जानकारी दें कि वे आरपी अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत सभी प्रकार के मीडिया प्लेटफॉर्म पर साइलेंस पीरियड रखें, और उनके नेता और कार्यकर्ता ऐसा कोई कार्य न करें जिससे धारा 126 की मूल भावना का उल्लंघन होता हो।

एक बहु-चरणीय चुनाव में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में आखिरी 48 घंटों का साइलेंस पीरियड हो सकता है, और उसी वक्त अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में अभियान जारी हो सकता है। ऐसी स्थिति में, साइलेंस पीरियड का पालन करने वाले निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टियों या उम्मीदवारों के लिए समर्थन मांगने के लिए कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संदर्भ नहीं होना चाहिए।

साइलेंस पीरियड के दौरान स्टार प्रचारकों और अन्य राजनीतिक नेताओं को प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मीडिया को संबोधित करने और चुनावी मामलों पर साक्षात्कार देने से बचना चाहिए।

 

19. जिला, एसी स्तर और बूथ स्तर की चुनाव प्रबंधन योजना

जिला निर्वाचन अधिकारियों को एसएसपी/एसपी और सेक्टर अधिकारियों के परामर्श से एक व्यापक जिला चुनाव प्रबंधन योजना तैयार करने के लिए कहा गया है, जिसमें चुनाव के संचालन के लिए रूट प्लान और संचार योजना शामिल है। भारत के निर्वाचन आयोग के मौजूदा निर्देशों के अनुसार, संवेदनशील मतदान केंद्रों की वल्नरेबिलिटी मैपिंग एक्सरसाइज और मैपिंग को ध्यान में रखते हुए पर्यवेक्षक द्वारा इनकी जांच की जाएगी।

 

20. संचार योजना

चुनाव के सुचारू संचालन के लिए और चुनाव के दिन समवर्ती हस्तक्षेप और मिड-कोर्स करेक्शन को सक्षम करने के लिए निर्वाचन आयोग, जिला / निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर एक आदर्श संचार योजना तैयार करने और लागू करने को बहुत महत्व देता है। उक्त उद्देश्य के लिए आयोग ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को राज्य मुख्यालय में दूरसंचार विभाग के अधिकारियों, बीएसएनएल/एमटीएनएल प्राधिकरणों, राज्य के अन्य प्रमुख सेवा प्रदाताओं के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया है ताकि राज्य में नेटवर्क स्टेटस का आकलन किया जा सके और कम्युनिकेशन शैडो एरियाज़ की पहचान की जा सके। सीईओ लोगों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने राज्यों में सबसे अच्छी संचार योजना तैयार करें और कम्युनिकेशन शैडो एरियाज़ में सैटेलाइट फोन, वायरलेस सेट, स्पेशल रनर आदि उपलब्ध कराकर उपयुक्त वैकल्पिक व्यवस्था करें।

 

21. आदर्श आचार संहिता

 आदर्श आचार संहिता, चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के तुरंत बाद लागू हो जाती है। उक्त राज्य के सभी उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और सरकार के संबंध में इस आदर्श संहिता के सब प्रावधान पूरे हिमाचल प्रदेश पर लागू होंगे। जहां तक ​​हिमाचल प्रदेश से संबंधित / के लिए घोषणाओं / नीतिगत निर्णयों का संबंध है तो आदर्श आचार संहिता केंद्र सरकार पर भी लागू होगी।

आयोग ने एमसीसी दिशा-निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है। इन दिशा-निर्देशों के किसी भी उल्लंघन से सख्ती से निपटा जाएगा और आयोग इस बात पर दोबारा जोर देता है कि इस संबंध में समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों को सभी राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और उनके एजेंटों / प्रतिनिधियों द्वारा पढ़ा और समझा जाना चाहिए, ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी या जानकारी की कमी या अपर्याप्त समझ / व्याख्या से बचा जा सके। चुनाव वाले राज्यों की सरकारों को भी यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि एमसीसी अवधि के दौरान आधिकारिक मशीनरी / पदों का दुरुपयोग न हो।

 

आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के पहले 72 घंटों के दौरान आदर्श आचार संहिता को लागू करने के लिए त्वरित, प्रभावी और कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी जारी किए हैं और साथ ही चुनाव के समापन के आखिरी 72 घंटों में अतिरिक्त सतर्कता और सख्त प्रवर्तन कार्रवाई बनाए रखने के लिए भी निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश क्षेत्रीय चुनाव मशीनरी द्वारा अनुपालन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के रूप में जारी किए गए हैं।

 

22. वीडियोग्राफी / वेबकास्टिंग / सीसीटीवी कवरेज

सभी महत्वपूर्ण घटनाओं की वीडियोग्राफी कराई जाएगी। इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी पर्याप्त संख्या में वीडियो एवं डिजिटल कैमरा और कैमरा टीमों की व्यवस्था करेंगे। वीडियोग्राफी के कार्यक्रमों में नामांकन पत्र दाखिल करना और उसकी जांच, चुनाव चिन्हों का आवंटन, प्रथम स्तर की जांच, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की तैयारी और भंडारण, चुनाव अभियान के दौरान महत्वपूर्ण सार्वजनिक सभाएं, जुलूस आदि, डाक मतपत्र भेजने की प्रक्रिया, पहचाने गए संवेदनशील मतदान केंद्रों में मतदान प्रक्रिया, ईवीएम और वीवीपैट का भंडारण, मतगणना आदि शामिल है। इसके अतिरिक्त, प्रभावी निगरानी और सर्वेलेंस के लिए महत्वपूर्ण सीमा चौकियों और स्थिर जांच बिंदुओं पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे। 25 फरवरी, 2021 को आयोग ने निर्देश दिया है कि वेब कास्टिंग की व्यवस्था महत्वपूर्ण मतदान केंद्रों और संवेदनशील क्षेत्रों के सभी मतदान केंद्रों में या सहायक मतदान केंद्रों सहित कुल मतदान केंद्रों के कम से कम 50% में, जो भी अधिक हो, वहां की जाएगी।

 

23. सार्वजनिक उपद्रव को रोकने के उपाय

आयोग ने निर्देश दिया है कि चुनाव की तारीख की घोषणा से लेकर नतीजों की घोषणा की तिथि के साथ खत्म होने तक, पूरी चुनाव अवधि के दौरान रात को 10:00 बजे से सुबह 06:00 बजे के बीच सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली या लाउडस्पीकर या किसी भी साउंड एम्पलीफायर का उपयोग, चाहे वह किसी भी प्रकार के वाहनों पर लगाया गया हो, या चुनावी उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक बैठकों के लिए उपयोग की जाने वाली स्थिर स्थिति में हो, इसकी इजाजत नहीं होगी। 

इसके अलावा, किसी भी मतदान क्षेत्र में मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी प्रकार के वाहनों पर फिट लाउडस्पीकर या किसी भी ढंग में उनके इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जाएगी।

 

24. कानून और व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था और बलों की तैनाती

चुनावों के संचालन में विस्तृत सुरक्षा प्रबंधन का काम शामिल होता है, जिसमें न केवल मतदान कर्मियों, मतदान केंद्रों और मतदान सामग्री की सुरक्षा शामिल है, बल्कि चुनाव प्रक्रिया की समग्र सुरक्षा भी शामिल है। स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय तरीके से चुनाव के सुचारू संचालन के लिए शांतिपूर्ण और अनुकूल माहौल सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पुलिस बल के सहयोग के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को तैनात किया गया है।

जमीनी स्थिति के आकलन के आधार पर चुनाव के दौरान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और अन्य राज्यों से राज्य सशस्त्र पुलिस (एसएपी) को तैनात किया जाएगा। सीएपीएफ को क्षेत्र के नियंत्रण, संवेदनशील इलाकों में रूट मार्च, प्वाइंट पेट्रोलिंग और अन्य भरोसा निर्मित करने वाले उपायों के लिए थोड़ा पहले ही तैनात कर दिया जाएगा ताकि मतदाताओं, विशेष रूप से कमजोर वर्गों, अल्पसंख्यकों आदि के लोगों के मन में विश्वास पैदा किया जा सके। सीएपीएफ को संबंधित क्षेत्र से परिचित कराने और स्थानीय बलों के साथ मेल-जोल के लिए उचित समय पर शामिल किया जाएगा और इन क्षेत्रों में आवाजाही, प्रवर्तन गतिविधियों आदि के लिए अन्य सभी मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया जाएगा। सीएपीएफ/एसएपी को विभिन्न हितधारकों के परामर्श से हिमाचल प्रदेश के सीईओ द्वारा जमीनी हकीकत के आकलन के अनुसार व्यय संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों और महत्वपूर्ण मतदान केंद्रों में भी तैनात किया जाएगा। मतदान की पूर्व संध्या पर, सीएपीएफ/एसएपी संबंधित मतदान केंद्रों पर अपनी जगह लेंगे और उसका नियंत्रण करेंगे और मतदान के दिन मतदाताओं और मतदान कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगे। इसके अलावा, ये बल स्ट्रांग रूम की सुरक्षा करेंगे जहां ईवीएम और वीवीपैट रखे जाते हैं और मतगणना केंद्रों की सुरक्षा व आवश्यकतानुसार अन्य उद्देश्यों को भी संभालेंगे। विधानसभा क्षेत्रों में पूरे बल की तैनाती आयोग द्वारा प्रतिनियुक्त केंद्रीय पर्यवेक्षकों की निगरानी में होगी।

राज्य पुलिस अधिकारियों और सीएपीएफ के इष्टतम और प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए, आयोग ने राज्य चुनाव सुरक्षा तैनाती योजना को संयुक्त रूप से तय करने और राज्य पुलिस के रैंडमाइजेशन को सुनिश्चित करने के लिए सीईओ, राज्य पुलिस नोडल अधिकारी और राज्य सीएपीएफ समन्वयक की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है।

 

25. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों के मतदाताओं को संरक्षण

 

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (2015 में संशोधित) की धारा 3 (1) के अनुसार, जो कोई भी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, और वो किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को मजबूर करता है या डराता है कि वो किसी खास उम्मीदवार को वोट दे या न दे, या कानून के इतर किसी तरीके से वोट दे, या उम्मीदवार के रूप में चुनाव में खड़ा न हो आदि, उस व्यक्ति को कारावास का दंड मिलेगा जिसकी अवधि छह महीने से कम नहीं होगी और जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और साथ में जुर्माना भी हो सकता है। आयोग ने हिमाचल प्रदेश से इन प्रावधानों को तत्काल कार्रवाई के लिए सभी संबंधित लोगों के संज्ञान में लाने को कहा है। कमजोर वर्गों विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आदि के मतदाताओं का विश्वास बढ़ाने के लिए और चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता और विश्वसनीयता में उनकी धारणा और आस्था को बढ़ाने के लिए, सीएपीएफ / एसएपी का व्यापक रूप से और पूरे जोर शोर से इस्तेमाल किया जाएगा कि वे रूट मार्च करें और केंद्रीय पर्यवेक्षकों की देखरेख में भरोसा निर्मित करने वाले अन्य उपायों को अंजाम दें।

 

26. चुनाव खर्च की निगरानी

उम्मीदवारों के चुनावी खर्च की प्रभावी निगरानी के उद्देश्य से व्यापक निर्देश जारी किए गए हैं जिसमें उड़न दस्तों (एफएस), स्टेटिक सर्विलांस टीम (एसएसटी), वीडियो सर्विलांस टीम (वीएसटी) का गठन करना और राज्य पुलिस, आयकर विभाग जांच निदेशालय, सीबीआईसी, प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू-आईएनडी), डीआरआई, आरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, आईसीजी, वाणिज्यिक कर विभाग, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और डाक विभाग की भागीदारी शामिल है। राज्य के आबकारी विभाग को चुनाव प्रक्रिया के दौरान मुफ्त बांटी जाने वाली शराब के उत्पादन, वितरण, बिक्री और भंडारण को लेकर निगरानी करने के लिए कहा गया है। जीपीएस ट्रैकिंग/और सी-विजिल ऐप का उपयोग करते हुए फ्लाइंग स्क्वॉड/मोबाइल टीमों के कामकाज और संचालन पर बारीकी से निगरानी की जाएगी। अधिक पारदर्शिता के लिए और चुनाव खर्च की निगरानी में आसानी के लिए, उम्मीदवारों को एक अलग बैंक खाता खोलना होगा और उसी खाते से अपने चुनाव खर्च को वहन करना होगा। आयकर विभाग के जांच निदेशालय को राज्य के हवाई अड्डों पर एयर इंटेलिजेंस यूनिट को सक्रिय करने और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और हिमाचल प्रदेश में बड़ी मात्रा में धन की आवाजाही को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। नियंत्रण कक्ष और शिकायत निगरानी केंद्र के साथ पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान 24 घंटे टोल फ्री नंबर सक्रिय रहेंगे। जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को निर्देश दिया गया है कि बैंकों से 1 लाख से ज्यादा की नकदी जमाओं या असामान्य और संदिग्ध नकद निकासियों को जब्त करें ताकि आवश्यक कार्रवाई के बाद उनका उचित सत्यापन कर सकें। अगर ये राशि 10 लाख रुपये से अधिक है तो डीईओ आवश्यक कार्रवाई के लिए ऐसी जानकारी आयकर विभाग को देंगे। एफआईयू-आईएनडी से अनुरोध किया गया है कि उम्मीदवारों के चुनावी खर्च की प्रभावी निगरानी के लिए सीबीडीटी के साथ नकद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) साझा करें।

 

खर्च निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए आयोग द्वारा की गई कुछ नई पहलें यूं हैं:

  1. नकदी को जब्त और जारी करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी): चुनावों की शुद्धता बनाए रखने के उद्देश्य से भारत के निर्वाचन आयोग ने उड़न दस्तों और स्टेटिक सर्विलांस टीमों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है। इन टीमों का गठन अत्यधिक चुनावी खर्चों, चुनाव प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन क्षेत्रों में नकद या वस्तु के रूप में रिश्वत की वस्तुओं के वितरण, अवैध हथियारों, गोला-बारूद, शराब या असामाजिक तत्वों आदि की आवाजाही पर नजर रखने के लिए किया गया है। इसके अलावा, जनता को असुविधा से बचाने और अगर उन्हें कोई शिकायतें हों तो उनके निवारण के लिए आयोग ने निर्देश संख्या. 76/निर्देश/ईईपीएस/2015/वॉल्यूम-2 दिनांक 29.05.2015 को जारी की है जिसमें कहा गया है कि जिले के तीन अधिकारियों, अर्थात् (i) सीईओ, जिला परिषद/सीडीओ/पीडी, डीआरडीए (ii) जिला निर्वाचन कार्यालय (संयोजक) में खर्च निगरानी का नोडल अधिकारी, और (iii) जिला कोषाधिकारी, को मिलाकर एक समिति का गठन किया जाएगा। ये समिति पुलिस या एसएसटी या एफएस द्वारा किए गए जब्ती के प्रत्येक मामले की स्वत: जांच करेगी और जहां समिति को पता चलता है कि जब्ती के संबंध में कोई प्राथमिकी/शिकायत दर्ज नहीं की गई है या जहां जब्ती किसी उम्मीदवार या राजनीतिक दल या किसी चुनाव प्रचार आदि से नहीं जुड़ी है तो फिर एसओपी के अनुसार, ऐसे व्यक्तियों को, जिनसे नकद जब्त किया गया था, इस आशय का एक आदेश पारित करने के बाद, ऐसी नकदी आदि जारी करने के आदेश के लिए तत्काल कदम उठाया जाएगा। किसी भी स्थिति में, यदि कोई प्राथमिकी/शिकायत दर्ज नहीं की गई है, तो जब्त नकद/जब्त कीमती सामान से संबंधित कोई भी मामला मतदान की तारीख के बाद 7 दिनों से अधिक समय तक मालखाने या कोषागार में लंबित नहीं रखा जाएगा।
  • ii. चुनाव प्रचार वाहनों पर होने वाले खर्च का लेखा-जोखा: आयोग के संज्ञान में आया है कि उम्मीदवार चुनाव प्रचार हेतु वाहनों के उपयोग के लिए रिटर्निंग अधिकारी से अनुमति तो लेते हैं, लेकिन कुछ उम्मीदवार वाहन किराए पर लेने का शुल्क या ईंधन खर्च अपने चुनाव खर्च खाते में नहीं दिखाते हैं। इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि अगर उम्मीदवार चुनाव प्रचार से वाहनों को वापस लेने के संबंध में आरओ को सूचित नहीं करता है तो चुनाव प्रचार वाहनों के लिए अनुमानित व्यय की गणना उन वाहनों की संख्या के आधार पर की जाएगी जिनके लिए रिटर्निंग अधिकारी द्वारा अनुमति दी गई है।
  1. लेखा समाधान बैठक: चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के व्यय खातों से संबंधित मुकदमेबाजी को कम करने के लिए, परिणाम घोषित होने के 26वें दिन खातों को अंतिम रूप से जमा करने से पहले डीईओ द्वारा एक सुलह बैठक बुलाई जाएगी।
  • iv. आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के प्रचार पर खर्च का लेखा-जोखा: माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डब्ल्यूपी (सी) संख्या 536, 2011 के दिनांक 25.09.2018 के निर्णय के अनुपालन में उम्मीदवारों के साथ-साथ संबंधित राजनीतिक दल बताए गए प्रारूप में नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कम से कम तीन बार उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में राज्य में व्यापक रूप से प्रसारित समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में घोषणा जारी करेंगे। उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य है कि वे अपने खातों में इस संबंध में किए गए खर्च का हिसाब मेंटेन करेंगे और यह उनके चुनाव खर्च के सार विवरण (अनुसूची 10) में भी परिलक्षित होगा जिसे उन्हें नतीजों की घोषणा के 30 दिनों के भीतर चुनाव खर्च के अपने खातों के साथ संबंधित डीईओ के सामने प्रस्तुत करना होगा। राजनीतिक दलों को इस संबंध में उनके द्वारा किए गए चुनाव खर्च के विवरण (अनुसूची 23ए, 23बी) ईसीआई (मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल)/सीईओ (गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल) के समक्ष विधानसभा चुनाव के समापन के 75 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
  1. उम्मीदवार की चुनावी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए उम्मीदवारों के बूथ / कियोस्क और पार्टी के स्वामित्व वाले टीवी / केबल चैनल / समाचार पत्र पर किया गया खर्च:

आयोग ने आर.पी. अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) के प्रासंगिक प्रावधानों का और अध्ययन करने पर निर्णय लिया था कि मतदान केंद्रों के बाहर स्थापित उम्मीदवारों के बूथों को इसके बाद उम्मीदवारों द्वारा उनके व्यक्तिगत चुनाव प्रचार के लिए स्थापित माना जाना चाहिए, न कि पार्टी के सामान्य प्रचार के माध्यम से माना जाए, और इस तरह ऐसे उम्मीदवारों के बूथों पर किए गए सभी खर्च को उम्मीदवार / उनके चुनाव एजेंट द्वारा किया गया / अधिकृत माना जाएगा ताकि चुनाव खर्च के उनके खाते में शामिल किया जा सके।

इसके अलावा, आयोग ने उपरोक्त मामले में विभिन्न स्रोतों से विभिन्न संदर्भों / शिकायतों पर विचार करने के बाद, निर्देश दिया है कि अगर उम्मीदवार या उनके प्रायोजक दल चुनावी संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए अपने स्वामित्व वाले टीवी / केबल चैनलों / समाचार पत्रों का उपयोग करते हैं तो चैनल / समाचार पत्र के मानक रेट कार्ड के अनुसार इसके खर्च को संबंधित उम्मीदवार द्वारा अपने चुनावी व्यय विवरण में शामिल करना होगा, भले ही वे वास्तव में चैनल / समाचार पत्र को कोई राशि का भुगतान न करें। आयोग के पूर्वोक्त निर्णयों के अनुसरण में, चुनाव व्यय के सार विवरण में अनुसूची 6 और अनुसूची 4 और 4ए को संशोधित किया गया है और तदनुसार चुनाव व्यय निगरानी पर निर्देशों के संग्रह में शामिल किया गया है।

 

  • vi. वर्चुअल कैंपेन पर खर्च का लेखा-जोखा:

उम्मीदवारों को इस संबंध में उनके द्वारा किए गए खर्च को अपने खातों में मेंटेन करना आवश्यक है और यह उनके चुनाव खर्च के सार विवरण (अनुसूची 11) में भी परिलक्षित होगा जिसे उन्हें नतीजों की घोषणा के 30 दिनों के भीतर चुनाव खर्च के अपने खातों के साथ संबंधित डीईओ के सामने प्रस्तुत करना होगा। राजनीतिक दलों को इस संबंध में उनके द्वारा किए गए चुनाव खर्च के विवरण (अनुसूची 24ए, 24बी) ईसीआई (मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल) / सीईओ (गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल) के समक्ष विधानसभा चुनाव के समापन के 75 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।

 

  1. राजनीतिक दलों द्वारा अंतिम खाते:

विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों को प्रायोजित करने वाले सभी राजनीतिक दलों को चुनाव अभियान के सभी खर्चों का दैनिक लेखा-जोखा रखना होगा और चुनाव पूरा होने के 75 दिनों के भीतर आयोग/सीईओ के समक्ष ये अंतिम खाते प्रस्तुत करने होंगे। ये खाते जनता के देखने के लिए आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे। राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के खातों की पारदर्शिता और मिलान के लिए, राजनीतिक दलों को पार्टी द्वारा चुनाव व्यय के अंतिम विवरण के अलावा उम्मीदवार को दिए गए एकमुश्त भुगतान के संबंध में एक आंशिक चुनाव व्यय विवरण भी एक तय प्रारूप में विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के 30 दिन के भीतर दाखिल करना होगा।

 

27. मीडिया का प्रभावी उपयोग

(i) मीडिया से जुड़ाव:

आयोग ने एक प्रभावी और कुशल चुनाव प्रबंधन सुनिश्चित करने में मीडिया को हमेशा एक महत्वपूर्ण सहयोगी और एक शक्तिशाली गुणक माना है। इसलिए आयोग ने हिमाचल प्रदेश के सीईओ को मीडिया के साथ सकारात्मक और प्रगतिशील जुड़ाव और बातचीत के लिए निम्नलिखित उपाय करने का निर्देश दिया है:

  1. चुनाव के दौरान मीडिया के साथ नियमित बातचीत और हर समय मीडिया के साथ संचार की एक प्रभावी और सकारात्मक लाइन बनाए रखना।
  2. चुनाव संहिता के बारे में मीडिया को संवेदनशील बनाने के लिए प्रभावी कदम।
  3. सभी मान्यता प्राप्त मीडिया को मतदान के दिन और मतगणना के दिन के लिए प्राधिकरण पत्र जारी किए जाएंगे।

मीडिया से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे चुनाव कवरेज के दौरान कोविड रोकथाम उपायों के संबंध में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए सभी मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन करें।

 

 (ii) राजनीतिक विज्ञापनों का पूर्व-प्रमाणन और पेड न्यूज के संदिग्ध मामलों की निगरानी:

सभी जिलों और राज्य स्तर पर मीडिया प्रमाणन और निगरानी समितियां (एमसीएमसी) मौजूद हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर लगाए जाने वाले प्रस्तावित सभी राजनीतिक विज्ञापनों को संबंधित एमसीएमसी से पूर्व-प्रमाणन की आवश्यकता होगी। सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया / टीवी चैनलों / केबल नेटवर्क / रेडियो में, निजी एफएम चैनल / सिनेमा हॉल समेत और सार्वजनिक स्थानों पर ऑडियो-विजुअल डिस्प्ले / ध्वनि संदेश और फोन, सोशल मीडिया और इंटरनेट वेबसाइटों पर बल्क एसएमएस सभी राजनीतिक विज्ञापन पूर्व-प्रमाणन के दायरे में आएंगे। आयोग सभी राजनीतिक दलों / उम्मीदवारों / मीडिया से पूर्व-प्रमाणन निर्देशों का पालन करने का अनुरोध करता है।

मीडिया में पेड न्यूज के संदिग्ध मामलों पर भी एमसीएमसी कड़ी निगरानी रखेगी और पुष्ट मामलों में सभी उचित प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

 

(iii) चुनाव में सोशल मीडिया का उपयोग:

सोशल मीडिया के दुरुपयोग और पेड न्यूज के खतरे की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए और निर्वाचन आयोग की जोरदार समझाइश के परिणामस्वरूप, प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मार्च, 2019 में उनके द्वारा तैयार की गई स्वैच्छिक आचार संहिता का पालन करने के लिए सहमत हुए है। ये इन चुनावों में लागू होगा। जैसा कि हाल के अन्य चुनावों में हुआ था।

आयोग सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करता है कि उनके समर्थक हेट स्पीच और फेक न्यूज़ के कार्य में शामिल न हों। चुनावी माहौल खराब न हो इसके लिए सोशल मीडिया पोस्ट्स पर कड़ी नजर रखी जा रही है। फेक न्यूज के खतरे को रोकने में मीडिया भी सक्रिय भूमिका निभा सकता है।

 

(iv) इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया की निगरानी:

चुनाव के दौरान सभी प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार चैनलों के चुनाव प्रबंधन से संबंधित सभी समाचारों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। अगर कोई अप्रिय घटना या किसी कानून/नियम का उल्लंघन पाया जाता है तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। निगरानी की रिपोर्ट सीईओ को भी भेजी जाएगी। सीईओ का कार्यालय प्रत्येक वस्तु पर स्थिति का पता लगाएगा और एटीआर / स्टेटस रिपोर्ट दायर करेगा।

 

(v) साइलेंस पीरियड के दौरान और एग्जिट पोल पर मीडिया प्रतिबंध:-

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 (1) (बी) 48 घंटे की अवधि (साइलेंस पीरियड) के दौरान किसी भी मतदान क्षेत्र में टेलीविजन या इस तरह के उपकरण के माध्यम से किसी भी चुनावी सामग्री को प्रदर्शित करने पर रोक लगाती है। ये साइलेंस पीरियड किसी भी इलाके में किसी चुनाव के लिए मतदान के समापन के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्त होता है। यहां ऊपर उल्लिखित चुनावी सामग्री को ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया गया है जिसे चुनाव के प्रत्येक चरण में मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाली 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने या असर डालने के इरादे से सोचा गया हो।

आरपी अधिनियम 1951 की धारा 126ए, एक्जिट पोल के संचालन और उसमें उल्लिखित अवधि के दौरान प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से उनके परिणामों के प्रसार को प्रतिबंधित करती है। ये अवधि यानी, पहले चरण में मतदान शुरू होने के लिए निर्धारित घंटे और सभी राज्यों में अंतिम चरण के मतदान पूरे होने के लिए निर्धारित समय के आधे घंटे के बाद तक। आरपी अधिनियम, 1951 की धारा 126 का उल्लंघन करने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकता है। सभी मीडिया घरानों को इस संबंध में निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है।

 

28. निर्वाचन अधिकारियों का प्रशिक्षण

इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (आईआईआईडीईएम) ने हिमाचल प्रदेश की विधानसभा के आगामी आम चुनाव के लिए निर्धारित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी निर्धारित प्रशिक्षण आयोजित करेंगे।

 

29. सुव्‍यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता (स्वीप)

सीईओ / डीईओ को कम मतदान वाले क्षेत्रों में लक्षित स्वीप गतिविधियों को अंजाम देना चाहिए। लोगों द्वारा मतदान न करने के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए और तदनुसार लक्षित हस्तक्षेप और प्रयास शुरू किए जाने की जरूरत है। सीईओ / डीईओ को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में कम मतदान वाले पांच मतदान क्षेत्रों और उसके पीछे के कारणों की पहचान करनी चाहिए। उन्हें व्यक्तिगत रूप से इन क्षेत्रों में जाकर मुद्दों का समाधान करना चाहिए और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।

इसके अलावा, चूंकि बूथ ही स्वीप रणनीति के लिए केंद्र बिंदु होता है इसलिए आयोग ने राज्य को बूथ स्तर की कार्य योजनाओं को मजबूत करने और सभी मतदाताओं को सूचित करने और शिक्षित करने के लिए न्यूनतम स्तर की स्वीप गतिविधियों का संचालन करने का निर्देश दिया है।

 

30. केंद्रीय पर्यवेक्षकों की तैनाती

 (i) सामान्य पर्यवेक्षक

चुनाव के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए आयोग पर्याप्त संख्या में आईएएस अधिकारियों को सामान्य पर्यवेक्षक के रूप में तैनात करेगा। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षकों को चुनावी प्रक्रिया के हर चरण पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा जाएगा।

 

(ii) पुलिस पर्यवेक्षक

जहां भी आवश्यक हो जिला / एसी की जमीनी स्थिति की आवश्यकता, संवेदनशीलता और आकलन के आधार पर निर्वाचन आयोग जिला / एसी स्तर पर आईपीएस अधिकारियों को पुलिस पर्यवेक्षक के रूप में तैनात करेगा। वे बल की तैनाती, कानून और व्यवस्था से संबंधित सभी गतिविधियों की निगरानी करेंगे और शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए नागरिक और पुलिस प्रशासन के साथ समन्वय करेंगे।

 

(iii) मतगणना पर्यवेक्षक

पहले से तैनात सामान्य पर्यवेक्षकों के अलावा, आयोग राज्य के सीईओ से परामर्श के बाद आवश्यकता के आधार पर जिला / एसी स्तर पर अधिकारियों को मतगणना पर्यवेक्षकों के रूप में भी तैनात करेगा। वे मतगणना केंद्र की व्यवस्था की निगरानी करेंगे और मतगणना से संबंधित सभी गतिविधियों की निगरानी करेंगे।

 

(iv) विशेष पर्यवेक्षक

भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 द्वारा प्रदत्त पूर्ण शक्तियों का प्रयोग करते हुए, आयोग आवश्यकतानुसार विशेष पर्यवेक्षकों को तैनात कर सकता है जो अखिल भारतीय सेवाओं और विभिन्न केंद्रीय सेवाओं से संबंधित हैं।

 

(v) व्यय पर्यवेक्षक

आयोग ने पर्याप्त संख्या में व्यय पर्यवेक्षकों को नियुक्त करने का भी निर्णय लिया है जो चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के चुनाव व्यय की विशेष रूप से निगरानी करेंगे।

 

(vi) सूक्ष्म पर्यवेक्षक

मौजूदा निर्देशों के अनुसार, सामान्य पर्यवेक्षक लोग केंद्र सरकार / सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अधिकारियों में से माइक्रो ऑब्जर्वर यानी सूक्ष्म पर्यवेक्षक भी तैनात करेंगे, ताकि मतदान के दिन महत्वपूर्ण / संवेदनशील मतदान केंद्रों पर मतदान की कार्यवाही का निरीक्षण किया जा सके। माइक्रो ऑब्जर्वर मतदान के दिन मतदान केंद्रों पर मॉक पोल के आयोजन से लेकर मतदान के पूरा होने तक और ईवीएम और वीवीपैट और अन्य दस्तावेजों को सील करने की प्रक्रिया का निरीक्षण करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदान दलों और मतदान एजेंटों द्वारा आयोग के सभी निर्देशों का पालन किया जा रहा है। वे अपने आवंटित मतदान केंद्रों में मतदान की कार्यवाही में किसी प्रकार की गड़बड़ी के संबंध में सामान्य पर्यवेक्षकों को सीधे रिपोर्ट करेंगे।

 

31. चुनाव प्रबंधन में आईटी का इस्तेमाल

अधिक से अधिक नागरिक भागीदारी और पारदर्शिता लाने के लिए आयोग ने आईटी एप्लिकेशन के उपयोग को बढ़ाया है। चुनाव प्रबंधन के लिए उपलब्ध आईटी एप्लीकेशंस की संक्षिप्त रूपरेखा निम्नलिखित है:

  1. नागरिक द्वारा आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले दर्ज करने के लिए 'सीविजिल एप्लिकेशन': सीविजिल प्रत्येक नागरिक को अपने स्मार्टफोन के इस्तेमाल द्वारा एक फोटो या वीडियो क्लिक से सशक्त करते हुए आदर्श आचार संहिता / व्यय उल्लंघन का टाइम स्टैंप किया हुआ सबूत प्रदान करता है। ये एप्लिकेशन जीआईएस तकनीक पर आधारित है और ऑटो लोकेशन का इसका अनूठा फीचर काफी सटीक जानकारी प्रदान करता है जिस पर उड़न दस्ते द्वारा घटना के सही स्थान तक नेविगेट करने और त्वरित कार्रवाई करने के लिए भरोसा किया जा सकता है। यह ऐप अधिकारियों द्वारा त्वरित और प्रभावी कार्रवाइयों को प्राथमिकता देता है और 100 मिनट के भीतर यूज़र्स की स्टेटस रिपोर्ट का वादा करता है। ये एप्लिकेशन गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
  • ii. सुविधा पोर्टल: यह पोर्टल उम्मीदवारों / राजनीतिक दलों को ऑनलाइन नामांकन, अनुमति के लिए अलग-अलग सुविधाएं प्रदान करता है, जैसे कि नीचे प्रस्तुत हैं-

 

  1. कैंडिडेट ऑनलाइन नॉमिनेशन:

नामांकन भरने की सुविधा के लिए निर्वाचन आयोग ने नामांकन और हलफनामा भरने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है। उम्मीदवार अपना खाता बनाने के लिए https://suvidha.eci.gov.in/ पर जा सकते हैं, नामांकन फॉर्म भर सकते हैं, सुरक्षा राशि जमा कर सकते हैं, टाइम स्लॉट की उपलब्धता की जांच कर सकते हैं और रिटर्निंग अधिकारी के पास अपनी यात्रा की योजना बना सकते हैं।

'ईज़ ऑफ फाइलिंग' और सही फाइलिंग की सुविधा के लिए ये ऑनलाइन नामांकन सुविधा एक वैकल्पिक सुविधा है। कानून के तहत निर्धारित नियमित ऑफलाइन सबमिशन भी जारी रहेगा।

 

  1. उम्मीदवार अनुमति मॉड्यूल: अनुमति मॉड्यूल उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों या उम्मीदवार के किसी भी प्रतिनिधि को सुविधा पोर्टल https://suvidha.eci.gov.in/ के माध्यम से बैठकों, रैलियों, लाउडस्पीकरों, अस्थायी कार्यालयों और अन्य की अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अनुमति देता है। उम्मीदवार इसी पोर्टल के माध्यम से अपने आवेदन की स्थिति को भी ट्रैक कर सकते हैं।

 

  1. सुविधा कैंडिडेट ऐप:

कोविड के मद्देनज़र आयोग ने निर्देश दिया है कि सभाओं, रैलियों के लिए सार्वजनिक स्थानों का आवंटन यथासंभव सुविधा ऐप का उपयोग करके किया जाना चाहिए।

उम्मीदवारों / राजनीतिक दलों / एजेंटों के लिए चुनाव के दौरान ये आवेदन नामांकन और परमिशन स्टेटस को ट्रैक करने हेतु गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करने और उपयोग करने को उपलब्ध होगा।

 

  1. कैंडिडेट एफिडेविट पोर्टल: इस उम्मीदवार शपथ पत्र पोर्टल के माध्यम से उनकी प्रोफ़ाइल, नामांकन स्थिति और हलफनामे के साथ चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की पूरी सूची सार्वजनिक रूप से देखे जाने के लिए उपलब्ध होगी: https://affidavit.eci.gov.in/

 

(iii) सेवा मतदाता के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (ईटीपीबीएस):

इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित पोस्टल बैलेट सिस्टम (ईटीपीबीएस) सेवा मतदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ब्लैंक पोस्टल बैलेट ट्रांसमिट करेगा। सेवा मतदाता इसके बाद स्पीड पोस्ट के माध्यम से अपना वोट भेज सकते हैं।

 

(iv) पीडब्ल्यूडी ऐप:

पीडब्ल्यूडी ऐप दिव्यांगों के लिए है। इसके जरिए दिव्यांग मतदाता खुद को पीडब्ल्यूडी के रूप में चिन्हित करने, नए पंजीकरण के लिए अनुरोध करने, माइग्रेशन के लिए अनुरोध करने, ईपीआईसी ब्यौरे में बदलाव हेतु अनुरोध, व्हीलचेयर के लिए अनुरोध कर सकते हैं। यह नेत्रहीन और सुनने की अक्षमता वाले मतदाताओं के लिए मोबाइल फोन की एक्सेसिबिलिटी सुविधाओं का उपयोग करता है। ये एप्लिकेशन गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर पर उपलब्ध है।

 

(v) वोटर टर्नआउट ऐप:

वोटर टर्नआउट ऐप का उपयोग रिटर्निंग अधिकारी द्वारा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र / संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की रियल टाइम अनुमानित अनंतिम मतदाता संख्या को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इस एप्लिकेशन का उपयोग मीडिया द्वारा लाइव अनुमानित मतदाता संख्या के डेटा को कैप्चर करने के लिए भी किया जा सकता है। चुनाव के सभी चरणों को रियल टाइम में इस ऐप द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। ये एप्लिकेशन गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है।

 

(vi) एनकोर काउंटिंग:

एनकोर काउंटिंग एप्लिकेशन https://encore.eci.gov.in/ रिटर्निंग अधिकारियों के लिए एक एंट-टू-एंड एप्लिकेशन है जिससे वे डाले गए वोटों को डिजिटाइज करने, राउंड-वाइज डेटा को सारणीबद्ध करने और फिर काउंटिंग की विभिन्न वैधानिक रिपोर्ट निकाल सकते हैं।

 

(vii) रिजल्ट वेबसाइट और रिजल्ट्स ट्रेंड्स टीवी:

प्रामाणिक डेटा के एक सिंगल सोर्स को स्थापित करने के लिए राउंड वाइज़ जानकारी का समय पर प्रकाशन महत्वपूर्ण है। संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा डाला गया मतगणना का डेटा ईसीआई की नतीजों की वेबसाइट http://results.eci.gov.in/ के माध्यम से जनता के देखने के लिए ट्रेंड्स एंड रिजट्स के रूप में उपलब्ध है।

ये परिणाम इन्फोग्राफिक्स के साथ दिखाए जाते हैं और मतगणना हॉल या किसी सार्वजनिक स्थान के बाहर बड़ी डिस्प्ले स्क्रीन के माध्यम से ऑटो स्क्रॉल पैनल के साथ प्रदर्शित होते हैं।

 

(viii) एनवीएसपी, वोटर पोर्टल (चुनावी सेवाओं के लिए सिंगल फॉर्म) और वोटर हेल्पलाइन ऐप:

एनवीएसपी ( https://www.nvsp.in/ ) के माध्यम से एक यूजर विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा सकता है और उनका उपयोग कर सकता है जैसे कि मतदाता सूची तक पहुंच, मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन, मतदाता कार्ड में सुधार के लिए ऑनलाइन आवेदन, मतदान केंद्र, विधानसभा क्षेत्र और संसदीय क्षेत्र का विवरण देखना, और अन्य सेवाओं के साथ साथ बूथ स्तर के अधिकारी, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी के संपर्क विवरण को प्राप्त करना।

इसी तरह, फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए वोटर पोर्टल ( https://voterportal.eci.gov.in/ ) पंजीकरण, प्रविष्टियों में परिवर्तन, डिलीशन, पते में परिवर्तन आदि के लिए एक सहज इंटरफ़ेस प्रदान करता है। इस पोर्टल में लॉग इन करने पर नागरिक को अब एक इंटरैक्टिव इंटरफ़ेस मिलता है जो उसके पिछले सलेक्शन के आधार पर पसंद के सलेक्शन को सुझाता है।

नागरिक इसमें विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं और प्राप्त कर सकते हैं, जैसे मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन करना, मतदाता कार्ड में सुधार के लिए ऑनलाइन आवेदन करना, मतदान केंद्र, विधानसभा क्षेत्र और संसदीय क्षेत्र का विवरण देखना और बूथ स्तर के अधिकारी, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी के संपर्क विवरण प्राप्त करना आदि सेवाएं। ये एप्लिकेशन गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।

 

(ix) राष्ट्रीय शिकायत सेवा पोर्टल:

 निर्वाचन आयोग द्वारा एक व्यापक राष्ट्रीय शिकायत सेवा पोर्टल (एनजीएसपी) विकसित किया गया है। इस प्रणाली को इस तरह से विकसित किया गया है कि राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर नागरिकों, निर्वाचकों, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, मीडिया और चुनाव अधिकारियों की शिकायतों के निवारण के अलावा, यह एक आम इंटरफेस के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने के लिए एक आम इंटरफेस का काम भी करता है।

इस पोर्टल को यहां ऑनलाइन लिंक से एक्सेस किया जा सकता है: https://eci-citizenservices.eci.nic.in

 

(x) बूथ ऐप: बूथ ऐप एनकोर एप्लिकेशन का एक एकीकृत ऐप है, जो मतदाताओं की डिजिटल चिन्हित कॉपियों से एन्क्रिप्टेड क्यूआर कोड का उपयोग करके मतदाताओं की तेज़ी से पहचान करने की सुविधा प्रदान करता है। यह कतार को छोटा करता है, तेजी से मतदान में मदद करता है और न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ दो घंटे के मतदान की त्रुटि मुक्त रिकॉर्डिंग की अनुमति देता है। इस एप्लिकेशन की विशेषताएं इस प्रकार हैं:

(i) क्यूआर कोड आधारित फोटो मतदाता पर्ची का उपयोग करके मतदाताओं की तेज खोज

(ii) तत्काल पहचान

(iii) रियल टाइम मतदाता संख्या

 

यह ऐप गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।

 

(xi) अपने उम्मीदवार को जानें (केवाईसी): भारत के निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों के "आपराधिक पृष्ठभूमि" वाले स्टेटस की सूचना देने के लिए एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म के लिए अपने उम्मीदवार को जानें यानी ‘नो योर कैंडिडेट’ (केवाईसी) एप्लिकेशन विकसित की है। यह नागरिकों को आपराधिक पृष्ठभूमि / बगैर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को ब्राउज़ करने की अनुमति देता है और नागरिकों को उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में जानने का अधिकार देता है।

नो योर कैंडिडेट (केवाईसी) गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।

 

32. अधिकारियों का आचरण

आयोग को उम्मीद है कि चुनाव के संचालन में लगे सभी अधिकारी बिना किसी डर या पक्षपात के निष्पक्ष तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। उन्हें आयोग में प्रतिनियुक्ति पर माना जाता है और वे उसके नियंत्रण, पर्यवेक्षण और अनुशासन के अधीन होंगे। जिन सरकारी अधिकारियों को चुनाव संबंधी जिम्मेदारियां और कर्तव्य सौंपे गए हैं, उनका आचरण आयोग की निरंतर जांच के दायरे में रहेगा और जो अधिकारी किसी भी कारण से अनुपस्थित पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

33. कोविड दिशा-निर्देश

आम चुनाव और उपचुनावों के संचालन के दौरान आयोग के जिन नवीनतम कोविड दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना है उन्हें अनुबंध-2 में रखा गया है।

 

34. आम चुनाव की अनुसूचियां

आयोग ने जलवायु परिस्थितियों, शैक्षणिक कैलेंडर, बोर्ड परीक्षा, प्रमुख त्योहारों, राज्य में प्रचलित कानून-व्यवस्था की स्थिति, केंद्रीय सशस्त्र बलों की उपलब्धता, बलों की आवाजाही, परिवहन और समय पर तैनाती के लिए आवश्यक समय और अन्य प्रासंगिक जमीनी वास्तविकताओं के गहन मूल्यांकन जैसे सभी प्रासंगिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा के आम चुनाव कराने के लिए अनुसूची तैयार की है।

 आयोग ने सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार करने के बाद, हिमाचल प्रदेश राज्य के राज्यपाल को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आम चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया है।

  आयोग चुनावी प्रक्रिया में सभी सम्मानित हितधारकों का सक्रिय सहयोग, घनिष्ठ सहयोग और रचनात्मक भागीदारी चाहता है और हिमाचल प्रदेश में एक सुचारू, स्वतंत्र, निष्पक्ष, शांतिपूर्ण, सहभागी और उत्सव सरीखा आम सभा चुनाव, 2022 प्रदान करने के लिए सामूहिक सह-क्रियाओं को नियोजित करने का प्रयास करता है।

 

 35. हाल के दिनों के दौरान नई पहलें

 

  1. मतदान से 3 दिन पहले मतदान केंद्रों पर जाने वाले मतदान अधिकारियों के पारिश्रमिक को दोगुना कर दिया गया है।
  • ii. सीईओ / डीईओ को सभी मतदान केंद्रों के रूट चार्ट का पुनर्मूल्यांकन करने का निर्देश दिया गया है ताकि बेहतर कनेक्टिविटी वाले रास्तों पर काम किया जा सके।
  1. मतदान कर्मियों को शॉकप्रूफ / वाटरप्रूफ बैकपैक प्रदान किए गए हैं ताकि कठिन और पहाड़ी क्षेत्रों में ईवीएम-वीवीपैट को हाथों पर कोई भार डाले बगैर, सुरक्षित रूप से ले जाने में सहायता हो सके।
  • iv. सभी डीईओ / आरओ को पी-3 स्थलों का दौरा करने का निर्देश दिया गया है।
  1. कम मतदान के कारणों की पहचान करने के लिए डीईओ / आरओ को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 5 सबसे कम मतदान वाले केंद्रों का दौरा करने का निर्देश दिया गया है; मतदान प्रक्रिया में बाधा डालने वाले कारकों को कम करने के लिए वे विशिष्ट उपाय लागू करें।
  • vi. 500 से अधिक कर्मचारियों वाली सभी सरकारी / सीपीएसयू / राज्य सार्वजनिक उपक्रमों / कॉर्पोरेट संस्थाओं को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है, जो छुट्टी लेने वाले लेकिन मतदान न करने वाले कर्मचारियों का पता लगा सके ताकि केंद्रित मतदाता शिक्षा दी जा सके और चुनावी भागीदारी के जागरूकता सत्र किए जा सकें।

 

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