विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
भविष्य की ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी के लिए क्वांटम संलिप्तता का भरपूर उपयोग
Posted On:
07 OCT 2022 4:08PM by PIB Delhi
उलझे हुए फोटॉनों के प्रयोग के साथ ही इस वर्ष भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले अग्रणी क्वांटम सूचना विज्ञान की स्थापना ने भी भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा थर्मोडायनामिक्स तथा क्वांटम सूचना सिद्धांत (क्यूआईटी) के नियमों के बीच संबंधों की खोज करने वाली एक नई सैद्धांतिक अवधारणा को देखा है। यह नई अवधारणा भविष्य की ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी के लिए क्वांटम इन्टैन्गलमेंट का भरपूर उपयोग करने की सुविधा प्रदान कर सकती है।
वैज्ञानिकों ने 'एर्गोट्रॉपी' नामक एक अवधारणा का सिद्धांत प्रतिपादित किया है जो एक प्रणाली से निकालने योग्य कार्य की मात्रा को अपनी एन्ट्रॉपी को स्थिर रखकर दर्शाता है। यदि इस विचार का उपयोग किया जाए तो यह क्वांटम बैटरियों को इस तरह से उपयोग करने के लिए वे मार्ग खोल सकता है जो इसके शास्त्रीय समकक्षों की तुलना में बहुत अधिक कुशल हैं।
उन्होंने ऐसी थर्मोडायनामिक मात्राओं का प्रस्ताव दिया है जो अनेक भागों में विभक्त क्वांटम सिस्टम में एक ऐसा स्वरूप अपना लेती हैं जिसे 'जेनुइन मल्टीपार्टाइट इन्टैन्गलमेंट’ कहा जाता है जिसमें कई कण अलग होने पर भी एक इकाई की तरह व्यवहार करते हैं।
ऊष्मागतिकी के अनुसार, ऊष्मीय संतुलन की अवस्थाएं पूरी तरह से निष्क्रिय अवस्थाएं हैं क्योंकि ऐसी स्थिति से कोई काम नहीं किया जा सकता है, भले ही इस प्रकार की कई अवस्थाएं विद्यमान हों। परन्तु स्थिति तब और जटिल हो जाती है जब ये अवस्थाएं आपस में उलझ जाती हैं।
ऐसी अवस्थाओं की स्थानीय उष्मीयता या स्थानीय निष्क्रियता का हमेशा यह अर्थ नहीं होता है कि वैश्विक अवस्थाएं एवं परिस्थितियाँ तापीय अथवा निष्क्रिय है इसलिए इनसे वैश्विक संचालन के अंतर्गत ऊर्जा का उपयोगी रूप निकाला जा सकता है। इसलिए, विभिन्न माध्यमों से किसी भी समग्र क्वांटम प्रणाली से एर्गोट्रोपिक कार्य निरूपित किया जा सकता है।
उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए व्यक्ति स्थानीय रूप से अलग - अलग हिस्सों की जांच कर सकता है जिसे बाद में उपयोग के लिए बैटरियों में संग्रहीत किया जा सकता है। पूरी समग्र प्रणाली की भी जांच की जा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप उससे अधिक काम की निकासी हो सकती है। व्यक्तिगत भागों से कार्य निष्कर्षण और समग्र प्रणाली से कार्य निष्कर्षण के बीच के अंतर को ही एर्गोट्रोपिक गैप कहा जाता है।
यदि किसी मिश्रित क्वांटम सिस्टम के हिस्से एक उलझी हुई अवस्था में तैयार किए जाते हैं तो ऐसी अवस्था में एर्गोट्रोपिक गैप को बढ़ाया जा सकता है। बदले में यह किसी भी संलिप्तता का पता लगाने के लिए प्रयोगात्मक रूप से कुशल ऐसी विधि प्रदान करता है जिसने कई नयाचारों (प्रोटोकॉल्स) - जैसे क्वांटम टेलीपोर्टेशन, क्वांटम सुपर डेंस कोडिंग और सुरक्षित क्वांटम कुंजी वितरण के लिए उपयोगी संसाधन स्थापित किए हैं जिनका भौतिकी और कंप्यूटर विज्ञान पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान, सत्येन्द्र नाथ बसु राष्ट्रीय मौलिक विज्ञान केंद्र (एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज), कोलकाता, के वैज्ञानिक डॉ. माणिक बानिक तथा उनके सहयोगियों डॉ. मीर अलीमुद्दीन (चाणक्य पोस्ट-डॉक्टरल फेलो) और श्री समगीथ पुलियिल [सिद्ध औषधि एवं शल्य चिकित्सा (बीएसएमएस) परियोजना के स्नातक] के साथ भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान केंद्र तिरुवनंतपुरम (आईआईएसईआर टीवीएम) के छात्र ने अपना ध्यान ऐसी वास्तविक बहुपक्षीय संलिप्त प्रणालियों की ओर लगाया है जिनमें अधिक कठोर अभिव्यक्तियाँ हैं। भौतिक समीक्षा पत्रों में प्रकाशित जेनुइन मल्टीपार्टाइट इन्टैन्गलमेंट के थर्मोडायनामिक हस्ताक्षर शीर्षक वाले अपने शोध पत्र में उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला है कि वास्तव में विभिन्न प्रकार की संलिप्त अवस्थाओं का एर्गोट्रोपिक गैप की मदद से पता लगाया जा सकता है।
उन्होंने विशेष रूप से यह दिखाया है कि एर्गोट्रोपिक गैप के उपयुक्त रूप से परिभाषित कार्य - न्यूनतम एर्गोट्रोपिक गैप, औसत एर्गोट्रोपिक गैप, एर्गोट्रोपिक फिल और एर्गोट्रोपिक आयतन (वॉल्यूम) - बहुपक्षीय प्रणाली (मल्टीपार्टाइट सिस्टम) में संलिप्तता एवं उलझाव के अच्छे उपायों के रूप में काम कर सकते हैं। महत्वपूर्ण रूप में यह है कि उनके द्वारा प्रस्तावित संलिप्तता के परिणामकों को एन्ट्रापी के बजाय ऊर्जा के संदर्भ में परिभाषित किया गया है, जो बदले में इन मात्राओं को प्रयोगशाला में मापना संभव बना देता हैI
शीर्षक : मल्टीपार्टाइट सिस्टमम्स में विभिन्न प्रकार के सहसंबंध हो सकते हैं। सबसे निचला वाला वियोज्य (अलग- अलग किए जाने योग्य – सेपरेबल) हैं, जिसमें किन्हीं दो उपभागों के बीच कोई उलझाव नहीं होता है। मध्य में एक बाईसेपरेबल है जिसमें केवल कणों का एक उपसमूह संलिप्त हुआ है। सबसे ऊपर वाले में क्वांटम सहसंबंध का सबसे असाधारण (एक्सोटिक) रूप है – जो वास्तविक संलिप्तता (जेनुइन इन्टैन्गलमेंट) है।
शीर्षक : (क) स्थानीय एर्गोट्रोपिक कार्य : किसी एक समग्र प्रणाली के भागों की व्यक्तिगत रूप से जांच की जाती है। (ख) बाईसेपरेबल एर्गोट्रोपिक कार्य : किसी समग्र प्रणाली के विभिन्न भागों को संयुक्त किया जाता है और उसकी जांच की जाती है। (ग) वैश्विक एर्गोट्रोपिक कार्य : यह सबसे कुशल जांच है जिसमे कार्य निष्कर्षण के लिए पूरी प्रणाली ही पर ध्यान दिया जाता है।
संलिप्तता की पहचान, उसका लाक्षणिक वर्णन और परिमाणीकरण अत्यधिक व्यावहारिक प्रासंगिकता के विषय है। जब प्रयोगशालाएं एर्गोट्रोपिक गैप का दोहन और उपयोग करने में सक्षम होंगी तब क्वांटम बैटरियों का उपयोग करने के लिए नए रास्ते खुलेंगे, जो अपने समकक्ष पर बेहद कुशल माने जाएंगे और इसलिए वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के संदर्भ में परिणातः दूरगामी सिद्ध होंगे।
प्रकाशन लिंक: https://doi.org/10.1103/PhysRevLett.129.070601
<><><><><>
एमजी/एएम/एसटी/डीवी
(Release ID: 1865908)
Visitor Counter : 457