कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

जम्मू-कश्मीर और नागालैंड के कारीगरों को दिल्ली लेकर आया कौशल विकास मंत्रालय


कौशल विकास मंत्रालय की पायलट परियोजना के अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं, कारीगरों का कौशल विकास और बाजार से जुड़ने का मौका मिल रहा है

Posted On: 31 MAR 2022 9:40PM by PIB Delhi

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) द्वारा हाल ही में की गई दो कौशल पहलों के अच्छे नतीजे दिखाई देने लगे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में लगे आईएचजीएफ मेले के 53वें संस्करण में जम्मू और कश्मीर और नागालैंड के कुशल कारीगरों अपनी समृद्ध कला और पारंपरिक हस्तशिल्प का प्रदर्शन कर रहे हैं। मंत्रालय द्वारा घोषित विशेष पायलट परियोजनाओं के तहत कारीगरों को कौशल विकास और निपुण बनाया गया था, जिसमें पूर्व शिक्षण योजना की मान्यता (आरपीएल) भी शामिल थी, जो प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) का एक प्रमुख भाग है।

पूर्व शिक्षण योजना की मान्यता (आरपीएल) एक कौशल प्रमाणन घटक है जो भारतीय युवाओं को उद्योग-संबंधित कौशल प्रमाण लेने में सक्षम बनाता है जो उन्हें बेहतर आजीविका सुरक्षित करने में मदद करता है।

श्री राजीव चंद्रशेखर, राज्य मंत्री, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा जम्मू-कश्मीर और नागालैंड राज्यों का दौरा करने के बाद इस पहल को शुरू किया गया था। अपनी यात्रा के बाद, उन्होंने इस क्षेत्र के खत्म होते पारंपरिक शिल्प के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए एक परियोजना आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया था क्योंकि हस्तशिल्प क्षेत्र इस क्षेत्र में प्रमुख रोजगार देने वाले क्षेत्र है। यह देखा गया कि परंपरागत और पारंपरिक कौशल समूहों को नागालैंड और जम्मू और कश्मीर में पारंपरिक शिल्प की मांग को पूरा करने के लिए गांवों के कुशल कारीगरों की आवश्यकता होती है। इस पहल का उद्देश्य बहुत छोटे स्तर के उद्यमिता को प्रोत्साहित करते हुए उद्योग और बाजार को आपस में जोड़ना है।

माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लिए स्थानीय कारीगरों का बेहतर अवसर उपलब्ध कराना प्राथमिकता का विषय रहा है। उन्होंने कहा था कि पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों का समर्थन करने से इस क्षेत्र में लगे लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करके स्किल इंडिया मिशन में एक नया आयाम जुड़ जाएगा। भारतीय हस्तशिल्प हमारी समृद्ध विरासत और विविध संस्कृति का प्रतीक है। खूबसूरती से तैयार किए गए डिजाइनों के साथ, हमारे कारीगर अपने क्षेत्रीयता, जातीयता, पौराणिक परंपराओं की विरासत को जीवंत करते हैं और पीढ़ियों के लिए अपने कला को संजोने और याद करने के लिए छोड़ जाते हैं।

भारत की अर्थव्यवस्था में हस्तशिल्प क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बसे आबादी के एक बड़े हिस्से को रोजगार प्रदान करता है, जिससे देश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए पर्याप्त विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। वित्तीय वर्ष 2021 में, भारत में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र का कुल करोबार 25,706.3 करोड़ रुपये का रहा और देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 126 अरब रुपये का योगदान दिया। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, हमारे कारीगरों को नवीन और उन्नत तकनीकों में प्रशिक्षित करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि वे नए अवसरों का अधिकतम लाभ उठा सकें और वैश्विक प्लेटफार्मों पर अपने विशिष्ट उत्पादों का प्रदर्शन कर सकें।

कौशल विकास पहल के बारे में बात करते हुए, श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) का मकसद हस्तशिल्प उत्पादों और देश के पारंपरिक उद्योग क्लस्टर को मदद करके भारत के कारीगरों और बुनकरों की वास्तविक क्षमता को निखारने में मदद करना है।

पूर्व शिक्षण योजना की मान्यता (आरपीएल) के तहत अपस्किलिंग परियोजना हस्तशिल्प उद्योग के असंगठित कार्यबल की दक्षताओं में सुधार करेगी। इसके अलावा, हम कारीगरों और बुनकरों को मानकीकृत एनएसक्यूएफ (राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क) के साथ जोड़ेंगे। मुझे विश्वास है कि इस प्रयास से स्थानीय कारीगरों के कौशल और तकनीकी ज्ञान में वृद्धि होगी और उन्हें एक अच्छी आजीविका बनाए रखने में मदद मिलेगी।”

 

जम्मू और कश्मीर में अपस्किलिंग परियोजना के बारे में:

जम्मू और कश्मीर में अपस्किलिंग के लिए दो परियोजनाएं शुरू की गईं थीं - (i) पीएमकेवीवाई 3.0 के तहत एक विशेष पायलट परियोजना के रूप में कश्मीर के नामदा शिल्प का पुनरुत्थान और (ii) आरपीएल के तहत कश्मीर के कारीगरों और बुनकरों का कौशल विकास। पहली योजना के तहत कश्मीर के 6 जिलों के 30 नमदा समूहों के 2,250 लोगों को लाभान्वित किया गया, जबकि दूसरी योजना के तहत राज्य में 10,900 कारीगरों और बुनकरों के कौशल विकास करने का लक्ष्य रख गया है।

तेजी से खत्म होते नमदा शिल्प को संरक्षित करने के लिए विशेष परियोजना को अल्पकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के रूप में डिजाइन किया गया था। इस परियोजना को प्रशिक्षण के तीन चक्रों में 25 बैचों में क्रियान्वित किया गया था। प्रत्येक प्रशिक्षण कार्यक्रम लगभग साढ़े तीन महीने का था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 14-16 महीनों में चक्र पूरे हो जाते हैं। इसके अलावा, हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र कौशल परिषद (एचसीएसएससी) की कड़ी निगरानी में कारीगरों और बुनकरों को पूर्व शिक्षा योजना की मान्यता (आरपीएल) टाइप -1 (ब्रिज मॉड्यूल प्रमाणन) के साथ प्रमाणित किया गया था।

नागालैंड में अपस्किलिंग परियोजना के बारे में:

पायलट परियोजना का उद्देश्य स्थानीय बेंत और बांस कारीगरों को पारंपरिक हस्तशिल्प में आरपीएल मूल्यांकन और प्रमाणन के माध्यम से उनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए कौशल विकास प्रदान करना था। इस परियोजना का लक्ष्य 4,000 से अधिक शिल्पकारों और कारीगरों को कौशल प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त, यह पहल बेंत और बांस कारीगरों के पारंपरिक और स्थानीय शिल्प को बढ़ावा देने, विपणन कौशल और तकनीकों को बढ़ाएगी। यह पहल भारत सरकार के प्रमाणीकरण के माध्यम से अपस्किलिंग ब्रिज मॉड्यूल के माध्यम से पारंपरिक हस्तशिल्प को मूल्य प्रदान करेगी। पहल के तहत, प्रत्येक बैच 12 दिनों के लिए 12 घंटे ओरिएंटेशन और 60 घंटे ब्रिज मॉड्यूल के साथ चलेगा। इसके अलावा, ब्रिज मॉड्यूल के साथ ओरिएंटेशन प्रोग्राम के बाद, कारीगरों और बुनकरों को पूर्व शिक्षा योजना की मान्यता (आरपीएल) टाइप-1 के साथ प्रमाणित किया जाएगा। अपस्किलिंग पहल के लिए प्रशिक्षण देने वाले भागीदार केन कॉन्सेप्ट और हैंडलूम नागा थे।

परियोजना को विभिन्न चरणों में लागू किया जाएगा जिसमें कारीगरों और बुनकरों का चयन, प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी) शामिल है। उम्मीदवारों का चयन उनके मौजूदा अनुभव के आधार पर नागालैंड के पारंपरिक शिल्प समूहों से किया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद, सभी कारीगर और बुनकर अपने संबंधित समूहों में स्थापित छोटी इकाइयों में काम करेंगे। इस दौरान, लाभार्थियों को बाहरी विचार-विमर्श में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि अंतिम चरण में, वे अपने दम पर बाजार से जुड़ कर अपने काम का प्रबंधन कर सकें।

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