विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
स्वदेश में विकसित प्लेटिनम-आधारित इलेक्ट्रोकैटलिस्ट कम लागत वाली टिकाऊ फ्यूल सेल के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है
Posted On:
22 MAR 2022 5:17PM by PIB Delhi
भारतीय वैज्ञानिकों ने एक कुशल प्रक्रिया से फ्यूल सेल में उपयोग के लिए प्लैटिनम आधारित इलेक्ट्रोकैटलिस्ट स्वदेश में विकसित किया है। इस इलेक्ट्रोकैटलिस्ट ने व्यावसायिक रूप से उपलब्ध इलेक्ट्रोकैटलिस्ट को तुलनीय गुण का मार्ग दिखाया और यह फ्यूल सेल के ढेर के शीघ्रता के साथ ठीक-ठाक काम करने की क्षमता को बढ़ा सकता है।
अगस्त 2021 में हाइड्रोजन मिशन के शुभारंभ ने हाइड्रोजन फ्यूल सेल के क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान और विकास के लिए एक बड़ा रास्ता खोल दिया है। फ्यूल सेल ऊर्जा रूपांतरण विधि है जो पानी के साथ हाइड्रोजन से गौण उत्पाद के रूप में डीसी बिजली तैयार करती है।
हांलाकि इस टेक्नोलॉजी की हरित ऊर्जा उत्पादन में अनेक विशेषताएं हैं, लेकिन मुख्य कमी उपकरण का निर्माण करने के लिए कलपुर्जों के आयात पर होने वाला भारी खर्च है। खासतौर से प्लेटिनम आधारित इलेक्ट्रोकैटलिस्ट, जिसे उनके निर्माण के लिए उपयुक्त स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की कमी के कारण आयात किया जाता है, टिकाऊपन बढ़ाने और फ्यूल सेल की लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के स्वायत्तशासी अनुसंधान और विकास केन्द्र इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटीरियल्स (एआरसीआई) के वैज्ञानिकों ने एक कुशल प्रक्रिया का उपयोग करके प्लैटिनम आधारित इलेक्ट्रोकैटलिस्ट को विभिन्न वस्तुओं को मिलाकर तैयार किया है। साधारण सामग्री की प्रतिक्रिया से रासायनिक यौगिक तैयार करने का महत्वपूर्ण कदम मजबूत धातु सब्सट्रेट परस्पर क्रिया (एसएमएसआई) के रूप में मशहूर कार्बन से लेकर प्लेटिनम तक परस्पर क्रिया को बढ़ाना है जिससे इलेक्ट्रोकैटलिस्ट के टिकाऊपन में वृद्धि होती है।
इस इलेक्ट्रोकैटलिस्ट ने फ्यूल सेल में अपने प्रदर्शन और बेहतर विनाशन प्रतिरोध और टिकाऊपन के संदर्भ में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध इलेक्ट्रोकैटलिस्ट के तुलनीय गुण दिखाए। इसने 20 प्रतिशत से कम दिखाया, जो उत्प्रेरक (40 प्रतिशत) के सक्रिय सतह क्षेत्र में नुकसान की स्वीकार्य सीमा से कम है। यह फ्यूल सेल स्टैक प्रदर्शन के जीवनकाल को बढ़ा सकता है। इसे 'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ हाइड्रोजन एनर्जी' में प्रकाशित किया गया है, और एक पेटेंट दायर किया गया है (पेटेंट संख्या: 202011035825)।
रसायन, फार्मास्यूटिकल्स और संबद्ध उद्योगों के लिए संयंत्रों के डिजाइन और निर्माण में लगी मुंबई की एक कंपनी लास इंजीनियर्स एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (एलईसीपीएल), इस इलेक्ट्रोकैटलिस्ट के निर्माण के लिए एआरसीआई की जानकारी हासिल करने की प्रक्रिया में है।
एआरसीआई के निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) डॉ टाटा नरसिंग राव के अनुसार, स्वदेशी इलेक्ट्रोकैटलिस्ट का यह व्यावसायीकरण भारत में हरित हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाता है।
एआरसीआई-चेन्नई के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. आर. गोपालन का मानना है कि स्वदेशी उत्प्रेरक आयातित इलेक्ट्रोकैटलिस्ट्स पर निर्भरता को कम कर सकते हैं और आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
सेंटर फॉर फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी, एआरसीआई-चेन्नई में इस प्रकार की टेक्नोलॉजी के एक अविष्कारक डॉ रमन वेदराजन का मानना है कि भारत में निर्मित टिकाऊ पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन फ्यूल सेल स्टैक सुनिश्चित करने के लिए इसे विकसित करना महत्व रखता है। एलईसीपीएल के निदेशक श्री संतोष तिवारी ने कहा, "हमें फ्यूल सेल घटक निर्माण के लिए एआरसीआई का औद्योगिक भागीदार होने पर गर्व है।
हम हाइड्रोजन पर आधारित स्वच्छ ऊर्जा के साझा लक्ष्यों को साझा करते हैं, और "मेक इन इंडिया" पहल इस क्षेत्र में एक सफलता है। एआरसीआई तकनीकी जानकारी का व्यावसायीकरण अगली तिमाही में शुरू होने की उम्मीद है। प्लेटिनम-आधारित इलेक्ट्रोकैटलिस्ट के लिए अन्य एप्लीकेशन्स के लिए भी जोखिम उठाया जा रहा है।
प्रकाशन सम्पर्क : doi.org/10.1016/j.ijhydene.2021.02.186
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें : techtransfer@arci.res.in.
इलेक्ट्रोकैटलिस्ट के लिए तकनीकी जानकारी की कार्यविधि का हस्तांतरण
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