आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
श्री हरदीप एस. पुरी ने दिल्ली में लैंड पूलिंग योजना के कार्यान्वयन में आने वाली कठिनाइयों को निपटाने और अनधिकृत कॉलोनियों के विकास एवं नियंत्रण मानदंडों की बाधाओं को दूर करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की घोषणा की
लैंड पूलिंग नीति के कार्यान्वयन के लिए द्वि-आयामी रणनीति के साथ आगे बढ़ने की तैयारी
Posted On:
08 MAR 2022 6:42PM by PIB Delhi
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप एस. पुरी ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में अनधिकृत कॉलोनियों के लिए विकास एवं नियंत्रण मानदंडों में बाधाओं को दूर करने, दिल्ली में लैंड पूलिंग योजना के कार्यान्वयन में आने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद ऐसा किया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि पीएम-उदय के तहत डीडीए द्वारा 4,00,000 से अधिक पंजीकरण पूरे किए जा चुके हैं। 12,009 कन्वेंयान्स डीड और अथॉराइजेशन स्पिल जारी किए गए हैं। लैंड पूलिंग योजना से अन्य 75 लाख लोगों को लाभ होगा। श्री पुरी ने कहा कि झुग्गी- झोपड़ी के स्थान पर पुनर्वास के लिए 'जहां झुग्गी वहां मकान' योजना के तहत पक्के मकान उपलब्ध कराने से दिल्ली के अनौपचारिक बस्तियों में रहने वाले 50 लाख से अधिक लोगों को फायदा होगा। कालकाजी, जेलोरवाला बाग और कठपुतली कॉलोनी में 8,000 मकानों वाली 3 परियोजनाएं पहले से ही प्रगति पर हैं।
दिल्ली के लिए लैंड पूलिंग नीति 2018 में अधिसूचित की गई थी और उक्त नीति/ विनियमों के तहत कुल अधिसूचित लैंड पूलिंग क्षेत्र को 129 सेक्टरों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक सेक्टर लगभग 100 से 200 हेक्टेयर है। लैंड पूलिंग नीति के लॉन्च के बाद इसमें भाग लेने की इच्छा दिखाने के लिए पोर्टल को पांच बार खोला गया और 5वीं विंडो को बंद करने की अंतिम तिथि 28.02.2022 थी। कुल मिलाकर अब तक लैंड पूलिंग क्षेत्र में 36 प्रतिशत भूस्वामियों ने भूमि पूल करने की इच्छा दिखाई है।
लैंड पूलिंग क्षेत्र में सोलह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है जिसमें लगभग 70 प्रतिशत (अथवा अधिक) क्षेत्र को पूल किया गया है (अर्थात मालिकों ने लैंड पूलिंग में भाग लेने की इच्छा दिखाई है)। 4 सेक्टरों यानी जोन एन के सेक्टर 10, जोन पी 2 के सेक्टर 2 व 3 और जोन एल के सेक्टर 3 में लगभग 70 प्रतिशत से अधिक भूमि को कंसोर्टियम के लिए पंजीकृत और सत्यापित की गई है।
हालांकि, 70 प्रतिशत भूमि हासिल करने के बावजूद पूल की गई भूमि में कई खसरा ऐसे हैं जो कई लोगों के स्वामित्व में हैं और जहां सभी मालिकों ने लैंड पूलिंग में भागीदारी के लिए अपनी इच्छा नहीं जताई है। यही कारण है कि 70 प्रतिशत भूमि मानदंडों को पूरा करने वाले सेक्टरों में भी 'आंशिक भागीदारी' है और कोई भी सेक्टर 'बिल्कुल सन्निहित' नहीं है। इस नीति के कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़ने की राह में यह एक बड़ी बाधा है।
1) दिल्ली विकास अधिनियम 1957 में संशोधन
- इस अड़चन को दूर करते हुए इस नीति के कार्यान्वयन के लिए एक द्वि-आयामी रणनीति पर काम किया गया है। इसके तहत एक प्रमुख सिफारिश यह है कि किसी सेक्टर में 70 प्रतिशत स्वैच्छिक भूमि पूल की न्यूनतम सीमा प्राप्त हो जाने के बाद उस सेक्टर के सभी भूस्वामियों के लिए अपनी भूमि यानी शेष 30 प्रतिशत भूमि को पूल करना अनिवार्य होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि प्रस्तावित संशोधन के लिए उचित विधायी प्रक्रिया का पालन करना होगा जिसमें समय लगेगा, एक दूसरी रणनीति भी तैयार की गई है। यह निर्णय लिया गया है कि डीडीए पात्र सेक्टरों (जहां 70 प्रतिशत भूमि पूल की गई है) के लिए एक कंसोर्टियम के गठन के लिए सशर्त नोटिस जारी करेगा। उसमें कहा गया है कि कंसोर्टियम योजना के कार्यान्वयन के लिए फाइलिंग करते समय आंशिक तौर पर भाग लेने वाले सभी खसराओं की उचित निकटता सुनिश्चित करेगा।
- समयबद्ध नियोजित विकास सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम भागीदारी की सीमा हासिल न होने पर भी केंद्र सरकार के पास अनिवार्य पूलिंग की घोषणा करने की शक्तियां होंगी।
- इन क्षेत्रों में गांवों के शहरीकरण और डीएलआर अधिनियम की समाप्ति के बाद भी राजस्व विभाग, जीएनसीटीडी द्वारा गांव के शहरीकरण की तारीख से सेक्टर की नई ले-आउट योजना अधिसूचित होने की तारीख तक भूमि रिकॉर्ड को अद्यतन/ बनाए रखा जा रहा है।
- भूखंड के पुनर्गठन एवं वितरण के लिए डीड ऑफ एक्सचेंज पर स्टाम्प शुल्क एवं पंजीकरण शुल्क की बहुलता से छूट।
- उन व्यक्तियों के लिए फ्लोर एरिया के विकास एवं निर्माण के लिए हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर) लागू किए जा रहे हैं जो हस्तांतरण, विनिमय, खरीद अथ्वा बिक्री किए जाने वाले अपने प्लॉट पर जायज एफएआर का उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं।
- अब कंसोर्टियम को कंपनी अधिनियम/ सहकारी समिति अधिनियम के तहत एक कानूनी इकाई बनना होगा जो मुकदमा कर सकता है या जिस पर मुकदमा किया जा सकता है, जो भूमि मालिकों/ सदस्य/ हितधारकों को प्रतिनिधित्व और शिकायत निवारण का उचित तंत्र प्रदान करके उनके हितों की रक्षा करेगा।
- एक लैंड पूलिंग अधिकारी/ शहरी पुनर्सृजन अधिकारी को सेक्टर योजना/ पुनर्सृजन योजना तैयार करने और उसकी अधिसूचना के लिए प्राधिकृत किया जाएगा।
- भूमि पूलिंग नीति के लिए अतिरिक्त विकास नियंत्रण मानदंड (एडीसी)
भूमि पूलिंग क्षेत्रों में इन सेक्टरों के नियोजन एवं विकास के लिए समग्र, स्मार्ट व टिकाऊ रणनीति सुनिश्चित करने के लिए डीडीए ने मौजूदा अधिसूचित नीति में कुछ संशोधनों को अतिरिक्त विकास नियंत्रण मानदंड (एडीसी) के रूप में प्रस्तावित किया है। ये संशोधन भूमि पूलिंग सेक्टरों के विकास के लिए अनोखी विशेषताओं और व्यापक क्षमता सुनिश्चित करते हैं। प्रस्तावित मानदंड नवोन्मेषी क्षेत्र के डिजाइनों के लिए लचीलेपन की पेशकश करते हैं और वे कुछ मौलिक नियोजन सिद्धांतों पर आधारित हैं ताकि जीवंत, जन-केंद्रित, रहने योग्य, स्मार्ट और सतत विकास को आगे गति दी जा सके।
प्रस्तावित एडीसी की मुख्य विशेषताएं:
- प्रमुख परिवहन गलियारों के साथ उच्च तीव्रता मिश्रित (400 एफएआर) उपयोग विकास।
- दिल्ली में पहली बार वर्टिकल मिक्सिंग ऑफ यूजेज की शुरुआत जैसे आवासीय, पीएसपी, वाणिज्यिक इकाइयां एक ही भवन में हो सकते हैं।
- सेक्टरों में पैदल चलने के लिए जगह और खुले स्थानों को प्राथमिकता।
- नई अवधारणा- दिल्ली में पहली बार हस्तांतरणीय विकास अधिकार, जैसे एयर फनल, एच. टी. लाइन, विरासत, हरियाली, आदि क्षेत्रों को प्रमुख गलियारों के साथ स्थानांतरित किया जा सकता है।
- शुद्ध रिहायशी भूखंड पर 5,000 वर्गमीटर के न्यूनतम आकार के प्लॉटेड डेवलपमेंट क्लस्टर की अनुमति।
- सेक्टर लेआउट में अधिक खुलापन लाने के लिए पब्लिक प्लाजा और एक्टिव फ्रंटेज की नई अवधारणाएं।
- रहने योग्य, स्मार्ट एवं सतत विकास के लिए विकेंद्रीकृत भौतिक बुनियादी ढांचे का प्रावधान।
3) पीएम-उदय विनियमों में प्रस्तावित संशोधन
क. खाली सरकारी भूमि को निकालना
- खाली सरकारी भूखंडों को यूसी के पुनर्सृजन/ पुनर्विकास के लिए सहायक सामाजिक एवं भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निर्धारित/ आरक्षित किया जा सकता है और यूसी को नियमित करने का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
- यूसी के निवासियों के लाभ के लिए खाली भूखंडों का उपयोग पार्कों, स्कूलों, अस्पतालों/ औषधालयों के निर्माण के लिए किया जा सकता है।
- जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) और एग्रीमेंट टु सेल (एटीएस) की आड़ में बेईमान तत्वों/ भूमि हथियाने वालों से खाली सरकारी जमीन की सुरक्षा।
- सरकारी जमीन के लिए नकली और अवैध संपत्ति दस्तावेज बनाने की प्रथा पर अंकुश लगाना।
- सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान को रोकना।
ख. 'वसीयत' अनिवार्य नहीं
- पीएम-उदय के तहत कई आवेदकों के पास वैध 'वसीयत' दस्तावेज नहीं है। 04.03.2022 तक वैध 'वसीयत' या 'गिफ्ट डीड' दस्तावेजों की अनुपलब्धता के कारण पीएम-उदय के तहत लगभग 1,000 आवेदनों को रोक दिया गया है।
- वैध 'वसीयत' को अनिवार्य दस्तावेज की श्रेणी में न रखने के लिए प्रस्तावित संशोधन से उन आवेदकों की शिकायत का समाधान हो जाएगा जिनके आवेदन वैध वसीयत के अभाव के कारण रुक गए हैं।
- इससे मामलों के निपटान की प्रक्रिया में तेजी आएगी और कन्वेयंस डीड (सीडी)/ प्राधिकरण पर्ची (एएस) की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- यूसी के अधिक से अधिक निवासियों को इस योजना के तहत आवेदन करने और लाभ प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जिससे आवेदनों की संख्या में वृद्धि होगी।
ग. पूरे भूखंड क्षेत्र में निजी भूमि पर स्वामित्व का अधिकार
- निजी भूमि के मामले में पूरे भूखंड क्षेत्र पर स्वामित्व का अधिकार प्रदान किया जा रहा है।
4) दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के लिए विकास नियंत्रण मानदंड
यूसी में वातावरण की गुणवत्ता में सुधार करने, सस्ते किराये का आवास निरंतर प्रदान करने और मौजूदा भौतिक एवं सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करने के उद्देश्य से अनधिकृत कॉलोनियों के लिए विकास नियंत्रण मानदंड तैयार किए गए हैं।
मुख्य विशेषताएं
- यूसी में उन्नयन एवं सुधार करने के लिए दो विकल्प (आरडब्ल्यूए/ निवासियों के लिए वैकल्पिक):
- यूसी पुनर्सृजन योजना- भूखंडों को प्रोत्साहन, एकीकरण और निवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- मौजूदा कॉलोनियों का नियमितीकरण- उन कॉलोनियों के लिए जो कुछ न्यूनतम नियोजन आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
- रहने लायक बेहतर माहौल के लिए एकीकरण/ पुनर्गठन के जरिये छोटे भूखंडों को साथ लाना और उन्हें 2,000 वर्गमीटर के न्यूनतम आकार वाले बड़े खुले स्थान के तौर पर एकीकृत कर सकते हैं।
- बेहतर सुविधाओं के लिए स्कूल, डिस्पेंसरी आदि सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए मानदंडों (ग्रुप हाउसिंग के लिए भूमि की आवश्यकता को 3,000 वर्गमीटर से घटाकर 2,000 वर्गमीटर) एवं मानकों में एमपीडी-21 के मुकाबले कमी।
- जायज योजना स्तर एफएआर के 15 प्रतिशत तक वित्तीय व्यवहार्यता का उपयोग निजी स्वामित्व वाली स्थानीय सुविधाएं जैसे स्कूल, सामुदायिक हॉल, नर्सिंग होम, आदि बनाने के लिए किया जा सकता है और जिसमें से 5 प्रतिशत का उपयोग व्यावसायिक उपयोग के लिए किया जा सकता है। ये सुविधाएं बिक्री योग्य हैं।
- एमेनिटीज एफएआर के 20 से 50 प्रतिशत तक प्रोत्साहन (जायज एफएआर से अधिक) का उपयोग अतिरिक्त पीएसपी सुविधाएं तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
- पुनर्सृजन योजनाओं के जरिये यूसी के लिए बेहतर सड़क सुविधाओं (न्यूनतम 6 मीटर) का प्रावधान।
- मौजूदा कॉलोनियों को जहां है जैसा है के आधार पर नियमित किया जाएगा। इसके तहत न्यूनतम 6 मीटर चौड़ी सड़क, सार्वजनिक सुविधाओं, कनेक्टिविटी, बुनियादी सेवाओं और खुले स्थानों में वृद्धि के प्रावधान द्वारा नियोजित विकास को सक्षम करेगा। कम से कम 2,000 वर्गमीटर क्षेत्र के साथ कॉलोनी के हिस्से को नियमित करने पर भी विचार किया जा सकता है।
- इन-सीटू-पुनर्वास की स्थिति
- कालकाजी एक्सटेंशन में 3,024 ईडब्ल्यूएस मकान पूरे हो गए हैं और जेजे क्लस्टर भूमिहीन कैंप, कालकाजी के पात्र परिवारों को शीघ्र ही स्थानांतरित कर दिया जाएगा। भूमिहीन कैंप, कालकाजी में 2,700 जेजे निवासियों की पात्रता निर्धारण प्रक्रिया में है। 679 को पात्र घोषित किया गया और ड्रा आयोजित किया गया। शेष 2,021 के लिए निवासियों को इस माह के भीतर अपने दस्तावेज पूरे करने को कहा गया है।
- जेलरवाला बाग, अशोक विहार में 1,675 ईडब्ल्यूएस आवासों का निर्माण 31 मई, 2022 तक पूरा होने की संभावना है ताकि जेलरवाला बाग के पात्र जेजे निवासियों को आवंटन किया जा सके।
- कठपुतली कॉलोनी, शादीपुर में 2,800 ईडब्ल्यूएस फ्लैटों के 31 दिसंबर, 2022 तक पूरा होने की संभावना है।
- दिलशाद गार्डन, शालीमार बाग- पीतमपुर, सूरज पार्क, रोहिणी, बादली गांव, सेक्टर 20, रोहिणी और हैदरपुर में आयुर्वेदिक अस्पताल के सामने 10 जेजे क्लस्टर वाली 6 परियोजनाओं के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। ये निविदाएं मार्च, 2022 के अंत तक खुलने वाली हैं।
- कालकाजी एक्सटेंशन, वसंत विहार के पास कुसुमनपुर पहाड़ी, मजदूर कल्याण कैंप, ओखला और इंदिरा कल्याण विहार, ओखला में 8 जेजे क्लस्टर वाली अन्य 4 परियोजनाओं के लिए निविदाएं मार्च, 2022 के अंत तक जारी होने की संभावना है।
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