शिक्षा मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा 2021-स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग


एनईपी 2020 की सिफारिशों के अनुसार समग्र शिक्षा में सुधार और तालमेल स्थापित किया गया

स्कूली शिक्षा के लिए ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों की समग्र उन्नति (सार्थक)' नामक सांकेतिक तथा सुझाव-योग्य कार्यान्वयन योजना जारी की गई

समझ और संख्यात्मकता सहित पठन-पाठन में दक्षता के लिए राष्ट्रीय पहल (निपुण भारत) शुरू की गई

3 महीने का प्ले बेस्ड 'स्कूल प्रिपरेशन मॉड्यूल' विद्या प्रवेश शुरू किया गया

स्कूली छात्रों के लिए विकसित पाठ्य पुस्तकों के साथ स्कूली शिक्षा संसाधनों के सभी चरणों के लिए एक वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर (एसीसी)

पढ़े भारत बढ़े भारत : पुस्तकालय अनुदान और पठन-पाठन को बढ़ावा

खेले इंडिया खिले इंडिया: खेल और शारीरिक शिक्षा के लिए अनुदान

Posted On: 31 DEC 2021 6:19PM by PIB Delhi

 

देश भर में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए, भारत सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

  1. समग्र शिक्षा: पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक तक सभी वर्गों को कवर करने वाली एक एकीकृत योजना - समग्र शिक्षा में एनईपी 2020 की सिफारिशों के अनुसार सुधार और तालमेल कायम किया गया है। इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चों को समान और कक्षा के समावेशी वातावरण के साथ उनकी विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं, विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ध्यान रखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्राप्त हो, जो उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाए। इस योजना को पांच साल की अवधि के लिए यानी 2021-22 से 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है। समग्र शिक्षा के तहत मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर जोर, समग्र प्रगति कार्ड (एचपीसी), शिक्षकों का क्षमता निर्माण (50 घंटे सीपीडी), बैगलेस दिन और इंटर्नशिप, ओओएससी के लिए समर्थन जैसे कई क्रियाकलापों के लिए सहायता, 16-19 वर्ष के आयु वर्ग में, सीडब्ल्यूएसएन बालिका के लिए अलग वजीफा, ब्लॉक स्तर पर सीडब्ल्यूएसएन और संसाधन केंद्र की पहचान, आवासीय छात्रावास, केजीबीवी और व्यावसायिक शिक्षा आदि सहित स्कूली शिक्षा सुविधाओं का विस्तार जैसी एनईपी की प्रमुख सिफारिशों के कार्यान्वयन में मदद की जा रही है।
  2.  सार्थक : 29 जुलाई, 2020 को जारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के लक्ष्यों और उद्देश्यों के अनुसरण में तथा इस कार्य में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता के लिए, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने स्कूली शिक्षा के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों की समग्र उन्नति (सार्थक)' नामक एक सांकेतिक तथा सुझाव-योग्य कार्यान्वयन योजना तैयार की है। यह कार्यान्वयन योजना 8 अप्रैल 2021 को जारी की गई थी। यह योजना शिक्षा की समवर्ती प्रकृति को ध्यान में रखती है और संघवाद की भावना का पालन करती है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस योजना को स्थानीय संदर्भ में अनुकूलित करने और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार संशोधित करने की छूट दी गई है। यह कार्यान्वयन योजना अगले 10 वर्षों के लिए एनईपी, 2020 के कार्यान्वयन के लिए दिशा निर्देश और रोडमैप दर्शाती है, जो इसके सुचारू और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

3. राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) 2021: शिक्षा मंत्रालय द्वारा 12 नवंबर, 2021 को शिक्षा प्रणाली के स्वास्थ्य के संकेतक के रूप में बच्चों की प्रगति और सीखने की क्षमता का मूल्यांकन करने, विभिन्न स्तरों पर सुधार के उपायों के लिए उचित कदम उठाने हेतु ग्रेड-3, 5, 8 और 10 के लिए एनएएस आयोजित किया गया था। एनएएस 2021 में लगभग 1,18,000 स्कूलों ने भाग लिया। एनएएस 2021 में 718 जिलों के लगभग 34 लाख छात्रों ने हिस्सा लिया, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों से 22 लाख और शहरी क्षेत्रों से 11 लाख छात्र शामिल हैं।

4. निष्ठा: स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों के लिए एक एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम 1.0, 2.0 और 3.0 शुरू किया गया है - शिक्षक, प्रधान शिक्षक/प्रधानाचार्य और शैक्षिक प्रबंधन और प्रशासन में अन्य हितधारक -

• निष्ठा 1.0 प्रारंभिक स्तर (कक्षा I-VIII) के लिए। इस पाठ्यक्रम को लगभग 41 लाख हितधारकों ने पूरा किया है।

• निष्ठा 2.0 माध्यमिक स्तर (कक्षा IX-XII) के लिए 10 लाख शिक्षकों के लिए लक्षित है।

• निपुन भारत के लिए निष्ठा 3.0 (ईसीसीई से कक्षा V) 25 लाख शिक्षकों के लिए लक्षित है।

निष्ठा, "एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार" के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सभी शिक्षकों और स्कूल के प्रधानाचार्यों के बीच दक्षता का निर्माण करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है।

निष्ठा (स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय पहल) को दीक्षा के माध्यम से ऑनलाइन लॉन्च किया गया था। 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और शिक्षा मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत 8 स्वायत्त संगठनों ने 10 भाषाओं - हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, पंजाबी, तेलुगु, कन्नड़, बंगाली, मराठी और उड़िया में निष्ठा 2.0 (माध्यमिक) की शुरुआत की। निष्ठा 3.0 (एफएलएन) के तहत 28 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों और शिक्षा मंत्रालय (केवीएस, सीबीएसई, सीआईएससीई, एईईएस और सीटीएसए) के तहत पांच स्वायत्त संगठनों ने 8 भाषाओं - हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, तेलुगु, कन्नड़, उड़िया और मिजो में निष्ठा 3.0 (एफएलएन) की शुरुआत की ।

5. सीखने के परिणाम: माध्यमिक स्तर के लिए सीखने के परिणाम 23.12.2019 को अधिसूचित किए गए थे। वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के लिए सीखने के परिणाम (एलओ) विकसित किए गए हैं और मसौदा दस्तावेज राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ फीडबैक के लिए साझा किया गया है।

6. निपुण भारत: समझ और संख्यात्मकता शहीद पठन-पाठन में दक्षता के लिए राष्ट्रीय पहल (एनआईपीयूएन भारत) 5 जुलाई, 2021 को समग्र शिक्षा के तहत शुरू की गई है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके की देश का प्रत्येक बच्चा ग्रेड 3 के अंत तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन) प्राप्त कर ले। सभी सरकारी, सरकारी सहायताप्राप्त और निजी स्कूलों द्वारा इस लक्ष्य को पूरा कराना इस मिशन का उद्देश्य है, ताकि व्यापक तौर पर आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मक कौशल का विस्तार हो सके।

7. विद्या प्रवेश (स्कूल तैयारी मॉड्यूल) : एनईपी-2020 ने गुणवत्तापूर्ण पूर्व-स्कूली शिक्षा का एक व्यापक प्रावधान तैयार होने तक ग्रेड-I के लिए सभी बच्चों की तैयारी सुनिश्चित करने के उपाय के तौर पर, एनसीईआरटी द्वारा प्री-स्कूल शिक्षा सहित तथा उसके बिना सभी ग्रेड-1 के छात्रों के लिए 3-महीने का प्ले-आधारित 'स्कूल तैयारी मॉड्यूल' के विकास की सिफारिश की है। तदनुसार, एनसीईआरटी द्वारा 29 जुलाई, 2021 को लॉन्च किया गया 3 महीने का प्ले आधारित 'स्कूल तैयारी मॉड्यूल' विद्या प्रवेश विकसित किया गया है, जिसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उनकी आवश्यकता के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है अथवा अपनाया जा सकता है।

8. एनईपी उपलब्धि पुस्तिका: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी: 2020) प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) से उच्च शिक्षा तक सभी स्तरों पर संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में पर्याप्त परिवर्तन की कल्पना करती है। यह शिक्षा को बिना किसी विभाजन के एक निरंतरता के रूप में परिकल्पित करती है और शिक्षा को अधिक अनुभवात्मक, समग्र, एकीकृत, चरित्र-निर्माण, पूछताछ-केंद्रित, खोज-उन्मुख, शिक्षार्थी-केंद्रित, चर्चा-आधारित, लचीला और सबसे बढ़कर, अधिक आनंदमय बनाने पर केंद्रित है। इस संदर्भ में, एनईपी 2020 के कार्यान्वयन को एक मिशन मोड में लिया गया है और 62 प्रमुख उपलब्धियां प्राप्त की गई है जो स्कूल शिक्षा क्षेत्र को बदल देंगी

9. दीक्षा में एफएलएन उपकरण और संसाधन: दीक्षा (ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर) भारत में स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों के लिए उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद डिजिटल सीखने तक पहुंच को सक्षम बनाना है। यह एक मुफ्त मोबाइल एप्लिकेशन और वेब पोर्टल के रूप में कहीं भी, कभी भी और किसी के लिए भी उपयोग के लिए उपलब्ध है। दीक्षा के तहत, निपुण भारत दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और शिक्षकों की सहायता और सलाह देने के लिए एफएलएन संसाधनों के लिए एक अलग वर्टिकल विकसित किया गया है।

10. गृह शिक्षा दिशानिर्देश : स्कूल, शिक्षकों, समुदाय और स्वयंसेवकों के अलावा माता-पिता और देखभाल करने वालों की भूमिका उनके बच्चों के लिए घर-आधारित शिक्षा का समर्थन करने में महत्वपूर्ण है, खासकर कोविड-19 की इस अवधि के दौरान। इसे ध्यान में रखते हुए, स्कूल बंद होने और उसके बाद घर-आधारित शिक्षा में माता-पिता की भागीदारी के लिए दिशानिर्देश विकसित किए गए हैं। सभी हितधारकों को व्यापक पैमाने पर प्रसारित करने और दस्तावेज को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने और आसान पहुंच, समझ और व्यापक उपयोग के लिए स्थानीय संदर्भ का उपयोग करने के लिए पत्र दिनांक 18.6.2021 के माध्यम से राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किए गए हैं।

11. आईसीटी और स्मार्ट क्लास की मंजूरी: समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, देश भर में पाठ्यक्रम-आधारित इंटरैक्टिव मल्टीमीडिया, डिजिटल किताबें, वर्चुअल लैब आदि को विकसित और तैनात करके, बच्चों को कंप्यूटर साक्षरता और कंप्यूटर-सक्षम शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान है। यह स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना का समर्थन करता है, जिसमें शिक्षण के लिए हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और ई-सामग्री का समर्थन शामिल है। इसमें छठी से बारहवीं कक्षा वाले सभी सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को शामिल करने की परिकल्पना की गई है।

2021-22 तक, देश भर के 1,14,917 स्कूलों में आईसीटी लैब और 58,499 स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम को मंजूरी दी गई है।

12. अनुकरणीय विद्यालय: वित्त मंत्री ने 01.02.2021 को अपने बजट भाषण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के सभी घटकों को शामिल करने के लिए देश भर के 15,000 से अधिक स्कूलों को गुणात्मक रूप से मजबूत करने की घोषणा की है।

इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आदर्शों को प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने क्षेत्रों में अनुकरणीय स्कूलों के रूप में विकसित करना, अन्य स्कूलों को संभालना और सलाह देना है। योजना के क्रियान्वयन हेतु सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन हेतु एक प्रारूप प्रस्ताव तैयार किया गया है।

13. एनसीईआरटी द्वारा ब्रिज कोर्स और एएसी: एनसीईआरटी ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधान के तहत 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में अध्ययन कर रहे आउट ऑफ स्कूल बच्चों (ओओएससी) के लिए ब्रिज कोर्स विकसित किया है। सीखने की कमियों को पाटना और बच्चों को नियमित स्कूल में मुख्य धारा में लाने में मदद करना इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य है। ब्रिज कोर्स एक शिक्षक पुस्तिका में भी है, जो शिक्षक को सीखने की कमियों को पाटने के लिए लेन-देन और मूल्यांकन दक्षताओं में मदद करता है।

14. वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर (एसीसी): स्कूली छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकों के साथ स्कूली शिक्षा संसाधनों के सभी चरणों के लिए एक वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर (एसीसी) विकसित किया गया है। इस कैलेंडर का पालन करते हुए, सभी कक्षाओं के छात्र अपने शिक्षकों की सहायता से उपलब्ध तकनीकी और सोशल मीडिया उपकरणों के माध्यम से अपने स्कूल खुलने तक व्यवस्थित रूप से घर पर स्कूली शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक छात्रों के माता-पिता को मोबाइल फोन, एसएमएस, रेडियो, टेलीविजन या अन्य विभिन्न सोशल मीडिया का उपयोग करके बच्चों के साथ की जाने वाली गतिविधियों के बारे में शिक्षकों द्वारा निर्देशित किया जाएगा। ये गतिविधियाँ उनके पाठ्यक्रम और सीखने के परिणामों से संबंधित हैं। शिक्षक भी मोबाइल फोन या सोशल मीडिया के जरिए छात्रों से संपर्क स्थापित कर उनका मार्गदर्शन कर सकेंगे।

15. प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए दिशा-निर्देश: विभाग ने 13 जुलाई 2020 को प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिससे उन्हें पहचान के अलावा कोई अन्य दस्तावेज मांगे बिना स्कूलों में सुचारू रूप से प्रवेश की अनुमति मिल सके।

16. स्कूल से वंचित बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए दिशा-निर्देश : यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चों को गुणवत्ता और समानता के साथ शिक्षा तक पहुंच हो और देश में स्कूली शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए, स्कूल शिक्षा विभाग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार करके 7 जनवरी, 2021 को जारी किया है। अन्य दिशा-निर्देशों में, 6-18 वर्ष की आयु के स्कूली बच्चों की पहचान, नामांकन अभियान और जागरूकता पैदा करना, स्कूल बंद रहने के दौरान छात्रों का समर्थन, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए निरंतर शिक्षा (सीडब्ल्यूएसएन), स्कूल फिर से खोलने पर छात्रों को सहायता और शिक्षक क्षमता निर्माण शामिल हैं।

 

17. व्यापक कोविड कार्य योजना: स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 4 मई, 2021 के पत्र के माध्यम से सीखने की कमी को दूर करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य हितधारकों के साथ कोविड कार्य योजना साझा की है। इस रोडमैप को लागू करने के लिए विभिन्न फोकस क्षेत्रों और क्रियाकलापों को शामिल किया गया है:

1. बच्चों को बीच में पढ़ाई छोड़ने से रोकना, स्कूल जाने वाले बच्चों का पता लगाना और उन्हें मुख्यधारा में लाना।

2. बच्चों और उनके सीखने के स्तर पर नजर रखना।

3. सीखने की कमी को दूर करना - प्रभावी गृह-शिक्षण कार्यक्रम विकसित करना और सीखने पर नज़र रखना।

4. पोर्टल, ऐप, टेलीकास्ट/ब्रॉडकास्ट, ऑनलाइन/ऑफलाइन आदि कई माध्यमों का उपयोग करते हुए शिक्षकों को अंतिम छोर तक पहुंचने में मदद करना।

5. शिक्षक क्षमता निर्माण।

6. स्कूलों को सहायता।

7. माता-पिता, समुदाय, स्थानीय स्वशासन, स्वयंसेवकों आदि की व्यवस्थित भागीदारी।

8. किसी भी क्रियाकलाप को डिजाइन करते समय शिक्षकों और छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का सर्वाधिक महत्व होना चाहिए।

 

18. सफल: स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट फॉर एनालिसिस लर्निंग लेवल (एसएएफएएल) को सीबीएसई द्वारा विकसित किया गया है और 29 जुलाई, 2021 को लॉन्च किया गया है। सीबीएसई स्कूलों में एनईपी 2020 के अनुसार ग्रेड 3, 5 और 8 के लिए योग्यता-आधारित मूल्यांकन शुरू किया जाएगा, जो मूल अवधारणाओं, अनुप्रयोग-आधारित प्रश्नों और उच्च क्रम सोच कौशल के परीक्षण पर केंद्रित होगा। सफल स्कूलों को छात्रों के सीखने के बारे में नैदानिक ​​​​जानकारी प्रदान करके पूरे वर्ष में स्कूल की प्रगति सुनिश्चित करेगा और इस प्रकार, स्कूली शिक्षा को योग्यता-आधारित शिक्षा की ओर बढ़ने में सहायता करेगा। फरवरी 2022 में कक्षा 3, 5 और 8 के मुख्य चरण के मूल्यांकन के लिए इसे शुरू किया जाएगा।

19. टीईआरएम: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शिक्षक सक्रिय संसाधन सामग्री (टीईआरएम) हैंडबुक विकसित की है, जो शिक्षकों को उनके कक्षा के क्रियाकलापों को एक योग्यता ढांचे में तालमेल करने में सहायता करेगी। शुरुआत में, विज्ञान और गणित कक्षा 6 से 10 के पूरे पाठ्यक्रम को कवर करते हुए, इन दो विषयों के लिए हैंडबुक विकसित की गई हैं। संसाधन सामग्री का प्रत्येक अध्याय एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में संबंधित अध्यायों से मेल खाता है।

 

20. 21वीं सदी के कौशल पर हैंडबुक: 21वीं सदी के कौशल की स्पष्ट समझ प्रदान करने और प्रत्येक शिक्षार्थी में इन कौशलों को प्राप्त करने की दिशा में सामूहिक रूप से सहयोग करने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 21वीं सदी के कौशल पर एक हैंडबुक तैयार की गई है।

21. छात्र शिक्षण में वृद्धि के लिए दिशानिर्देश: एनसीईआरटी द्वारा छात्र शिक्षण में वृद्धि के लिए दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं, जो निम्नलिखित तीन प्रकार के परिदृश्यों के लिए मॉडल सुझाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा शिक्षा की पहुंच से वंचित नहीं हो:

) डिजिटल उपकरणों के बिना छात्रों के लिए कोविड-19 के दौरान सीखने में वृद्धि;

बी) डिजिटल उपकरणों तक सीमित पहुंच वाले छात्रों के लिए कोविड-19 के दौरान सीखने में वृद्धि और

सी) डिजिटल उपकरणों वाले छात्रों के लिए कोविड-19 के दौरान सीखने में वृद्धि।

 

i. लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम और रेमेडियल टीचिंग: समग्र शिक्षा के तहत, प्राथमिक स्तर पर उपचारात्मक शिक्षण और ब्रिज कोर्स का उपयोग किया गया है और माध्यमिक स्तर पर चुनौतियों का समाधान करने के लिए लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम (एलईपी) लागू किया गया है। छात्रों को उनकी क्षमताओं और सीखने की जरूरतों को पूरा करते हुए उपयुक्त सहायता और मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है, ताकि वे अपनी क्षमता को अधिकतम सीमा तक विकसित कर सकें। एलईपी का उद्देश्य सीखने में कमी की पहचान करना और छात्रों को विशेष ग्रेड के लिए उपयुक्त मूल शिक्षण की पूर्व-आवश्यकता के साथ लैस करना है। एलईपी में प्रारंभिक ग्रेड के लिए पीबीबीबी के तहत विभिन्न गतिविधियां भी शामिल हैं।

 

ii. अनुभवात्मक शिक्षा और योग्यता-आधारित शिक्षा पर एमओओसी पर शिक्षक संसाधन : एमओओसी का अर्थ है मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स, जो असीमित भागीदारी (बड़े पैमाने पर) प्रदान करता है और विभिन्न साइटों के माध्यम से मुक्त रूप से उपलब्ध है। महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए अनुभवात्मक शिक्षा और योग्यता-आधारित शिक्षा से संबंधित शिक्षाशास्त्र पर विशेष गतिविधि-आधारित और अत्यधिक आकर्षक मॉड्यूल तैयार किए गए हैं। स्वयं पोर्टल के माध्यम से स्कूल और उच्च शिक्षा से संबंधित एमओओसी (मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स) की पेशकश की जा रही है। एनसीईआरटी कक्षा XI और XII के लिए 11 विषयों को कवर करते हुए SWAYAM पोर्टल के माध्यम से 30 पाठ्यक्रम उपलब्ध करता है।

 

iii. कॉमिक बुक्स : स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने छात्रों को समग्र शिक्षा प्रदान करने के अपने प्रयास में एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों के अध्यायों से जुड़ी कॉमिक किताबें लॉन्च की हैं। 24 मार्च, 2021 को सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के शिक्षकों द्वारा 100 से अधिक कॉमिक पुस्तकें लॉन्च की गई हैं और एनसीईआरटी द्वारा संग्रहित की गई हैं। यह अभिनव पहल हमारे बच्चों को ज्ञान प्रदान करते हुए सांस्कृतिक और सामाजिक संवेदनशीलता बढ़ाने में मदद करेगी और महामारी के दौरान भी 21वीं सदी के कौशल हासिल करने/बढ़ाने में आनंदपूर्ण वातावरण के माध्यम से उनकी शिक्षा को जारी रखने में मदद करेगी।

22. पढ़े भारत बढ़े भारत : पुस्तकालय अनुदान एवं पठन-पाठन को बढ़ावा : 2018-19 से समग्र शिक्षा की प्रायोजित योजना के तहत सभी आयु वर्ग के छात्रों में पढ़ने की आदत को विकसित करने के लिए नए शुरू किए गए केंद्र के तहत सरकारी स्कूलों के लिए पुस्तकालय अनुदान प्रदान करके पुस्तकों के प्रावधान द्वारा स्कूल पुस्तकालयों को मजबूत करने का कार्य किया जा रहा है। स्कूल की श्रेणी के आधार पर पुस्तकालय अनुदान के लिए 5000 रुपए से 20000 रुपये की धनराशि दी जाती है। राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में सरकारी स्कूलों के लिए पुस्तकालय अनुदान के तहत वर्ष 2020-21 के लिए 630.51 करोड़ रुपये और वर्ष 2021-22 के लिए 716.13 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

 

पुस्तकालय अनुदान पर पुराने दिशानिर्देशों को इस वर्ष संशोधित किया गया है। 28 अक्टूबर, 2021 के वर्तमान दिशानिर्देश, पुस्तकालयों के विकास और पुस्तकालय की पुस्तकों की खरीद और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने वाली गतिविधियों के अलावा समग्र रूप से पठन-पाठन को बढ़ावा देने पर जोर देते हैं। इसके अलावा, वर्तमान दिशा-निर्देश तैयार करते समय नई शिक्षा नीति, 2020 की सिफारिशों पर भी विचार किया गया।

23. खेले इंडिया खिले इंडिया : खेल और शारीरिक शिक्षा के लिए अनुदान : समग्र शिक्षा के तहत बच्चों के समग्र विकास की आवश्यकता को महसूस करते हुए, खेल, शारीरिक गतिविधियों, योग के प्रोत्साहन के लिए खेल और शारीरिक शिक्षा घटक को पहली बार शामिल किया गया है। पाठयक्रम से इतर गतिविधियों आदि के लिए सरकारी स्कूलों के लिए खेलकूद अनुदान के तहत खर्च को पूरा करने के लिए प्राथमिक विद्यालयों को 5,000 रुपए, उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 10,000 रुपये और माध्यमिक तथा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों को 25,000 रुपये तक देने का प्रावधान किया गया है। सरकारी स्कूलों के लिए खेल अनुदान के तहत वर्ष 2020-21 के लिए 642.33 करोड़ रुपये और 2021-22 के लिए 822.19 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

 

मंत्रालय ने खेल अनुदान का उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों में सरकारी स्कूलों के लिए आयु उपयुक्त खेल उपकरणों की एक सांकेतिक सूची शामिल है। खेल के मैदान आदि की उपलब्धता सहित स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता के आधार पर स्कूलों द्वारा खेल के विशिष्ट उपकरण भी चुने जा सकते हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को संबंधित राज्य/क्षेत्र के पारंपरिक/क्षेत्रीय खेलों को शामिल करने के लिए स्कूलों को प्रोत्साहित करने की सलाह दी गई है। प्रत्येक स्कूल में एक जिम्मेदार व्यक्ति/शारीरिक शिक्षा शिक्षक (पीईटी)/ प्रभारी शिक्षक को खेल उपकरण की देखभाल और उनके स्टॉक की स्थिति को बनाए रखने की जिम्मेदारी दी जानी है।

 

फिट इंडिया अभियान : नागरिकों के दैनिक जीवन में शारीरिक गतिविधि/खेल को शामिल करने के लिए स्कूल राष्ट्रव्यापी 'फिट इंडिया मूवमेंट' में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। खेल विभाग नागरिकों के दैनिक जीवन में शारीरिक गतिविधि/खेल को शामिल करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी 'फिट इंडिया मूवमेंट' का आयोजन कर रहा है। फिट इंडिया मूवमेंट का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 29 अगस्त, 2019 को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, नई दिल्ली में किया गया था, जिसका दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण किया गया था। शुभारंभ समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने एक फिटनेस शपथ दिलाई।

फिट इंडिया स्कूल सप्ताह 14 नवंबर 2021 से 12 दिसंबर 2021 तक मनाया गया। सभी चार हफ्तों में कुल 2,88,437 स्कूलों ने विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया।

 

फिट इंडिया स्टार रेटिंग: फिट इंडिया को जन आंदोलन बनाने के लिए खेल विभाग ने फिट इंडिया स्कूलों में उपलब्ध संसाधनों के अनुसार रैंकिंग सिस्टम तैयार किया है। स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के सभी प्रधान सचिवों/सचिवों, स्कूल शिक्षा विभाग को फिट इंडिया स्टार रेटिंग के लिए आवेदन करने के लिए लिखा है। 21 दिसंबर 2021 तक, 4,44,531 स्कूलों को फिट इंडिया फ्लैग से सम्मानित किया है, और 43,074 स्कूलों ने 3 स्टार रेटिंग के लिए आवेदन किया है और 13,008 स्कूलों ने 5 स्टार रेटिंग के लिए आवेदन किया है।

 

फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0: फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0 को युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया है। हमने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों/स्वायत्त निकायों के सभी स्कूलों से इस आयोजन में बड़ी संख्या में भाग लेने का अनुरोध किया है। फिट इंडिया फ्रीडम रन 13 अगस्त, 2021 को शुरू किया गया था और 2 अक्टूबर, 2021 को समाप्त हुआ था।

 

फिट इंडिया क्वीज 2021: स्कूलों के लिए फिट इंडिया टीम द्वारा 1 सितंबर को लॉन्च किया गया है, इसका प्रारंभिक चरण आयोजित किया गया है और इसके परिणाम प्रतीक्षित हैं। प्रश्नोत्तरी का उद्देश्य छात्रों में फिटनेस के बारे में जागरूकता फैलाना है।

 

फिट इंडिया मोबाइल ऐप: 29 अगस्त, 2021 को "आयु-उपयुक्त फिटनेस प्रोटोकॉल - लक्ष्य (सक्रिय जीवन शैली के लिए लक्ष्य)" के आधार पर फिटनेस आकलन के लिए लॉन्च किया गया है।

 

24. पीएम पोषण

 

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 29 सितंबर, 2021 को स्कूलों में मध्याह्न भोजन के लिए मौजूदा राष्ट्रीय योजना (एमडीएम) के एक संशोधित संस्करण, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) को मंजूरी दी। पीएम पोषण योजना में सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में I-VIII कक्षाओं में पढ़ने वाले स्कूली बच्चे शामिल हैं। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने केंद्रीय हिस्से के वित्तीय परिव्यय के साथ 54,061.73 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल की अवधि के लिए स्कूलों में पीएम पोषण (पूर्व एमडीएमएस) की योजना को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। सीसीईए ने मौजूदा घटकों के साथ प्री-प्राइमरी क्लास (बालवाटिका) के लिए मिड डे मील के प्रावधान की भी सिफारिश की।

 

कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्कूलों को फिर से खोलने के बाद, विभाग ने राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को प्रचलित कोविड प्रोटोकॉल और सोशल डिस्टेंसिंग मानदंडों का सख्ती से पालन करते हुए स्कूलों में जाने वाले पात्र बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन का प्रावधान फिर से शुरू करने की सलाह दी है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह भी सलाह दी गई है कि वे 'स्कूलों को फिर से खोलने और शारीरिक/सामाजिक दूरी के साथ सीखने के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिए विस्तृत एसओपी/दिशानिर्देश' का पालन करें। इन व्यापक दिशानिर्देशों का उद्देश्य शारीरिक/सामाजिक दूरी के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर ध्यान देने के साथ स्कूलों में सामान्य खाना पकाने और मध्याह्न भोजन परोसने की तैयारी के लिए राज्य/जिला/ब्लॉक अधिकारियों की मदद करना है।

 

शिक्षा मंत्री की स्वीकृति से, यह निर्णय लिया गया है कि 2021 की ग्रीष्म अवकाश अवधि के लिए एमडीएम मानदंडों के अनुसार सभी पात्र बच्चों को एमडीएम के खाना पकाने की लागत घटक के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से केवल एक बार के विशेष कल्याण उपाय के रूप में मौद्रिक सहायता प्रदान की जाएगी।

 

2021-22 के दौरान, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्रीय सहायता के रूप में 4008.84 करोड़ रुपये जारी किए गए और उन्हें 30.95 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया गया।

 

खाद्य सुरक्षा भत्ता: 2021-22 के दौरान, शिक्षा मंत्री के अनुमोदन से, इस विभाग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को खाद्य सुरक्षा भत्ता प्रदान करने के लिए सलाह जारी की, जिसमें बच्चों को सक्षम बनाने के लिए खाद्यान्न और दालें, तेल आदि (खाना पकाने की लागत के बराबर) शामिल हैं। ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए उनकी पोषण संबंधी आवश्यकता को पूरा किया जा सके। योजना के इतिहास में पहली बार एकमुश्त विशेष उपाय के रूप में सभी नामांकित बच्चों को कोविड महामारी के कारण स्कूलों के बंद होने और गर्मी की छुट्टियों के दौरान खाद्य सुरक्षा भत्ता प्रदान किया गया है। देश के 11.20 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले इस योजना के तहत करीब 11.80 करोड़ बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं।

स्कूल पोषण (रसोई) उद्यान (एसएनजी): "आजादी का अमृत महोत्सव" के एक भाग के रूप में, डीओएसई एंड एल ने स्कूल पोषण (रसोई) उद्यान (एसएनजी) लगाने और मानसून के मौसम के दौरान बड़े पैमाने पर पौधारोपण करने का निर्णय लिया है, क्योंकि इस मौसम में मिट्टी और हवा में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण पौधों के जीवित रहने की संभावना अधिक होती है। स्कूल पोषण (रसोई) उद्यान (एसएनजी) छात्रों को एक प्राकृतिक दुनिया से फिर से जोड़ने और उन्हें अपने भोजन के वास्तविक स्रोत के बारे में जागरूक करने और उन्हें मूल्यवान बागवानी, कृषि अवधारणाओं और कौशल सिखाने के लिए स्कूलयार्ड का उपयोग करता है, जो गणित, विज्ञान, कला, स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा और सामाजिक अध्ययन आदि जैसे कई विषयों के साथ एकीकृत होते हैं। इन किचन गार्डन में उगाई जाने वाली सब्जियों और फलों का उपयोग मिड डे मिल की तैयारी में किया जा रहा है। यह छात्रों को विटामिन और खनिजों से भरी ताजी सब्जियों को खाने का अवसर प्रदान करता है, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास और पोषण के लिए आवश्यक स्रोत हैं। इसके अलावा, लगभग 11.20 लाख स्कूलों में पौधारोपण, स्कूल पोषण (रसोई) उद्यान जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों को कम करने की दिशा में एक पहल होगी, क्योंकि फल, फलियां या दालों को खेत से लेकर पीएम पोषण किचन तक ढुलाई करने में कमी होने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है।

कोविड-19 महामारी के दौरान, इस विभाग ने बच्चों के स्वस्थ पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए विभिन्न स्तरों पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ निरंतर परामर्श भी किया है।

 

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इस योजना के कार्यान्वयन का सामाजिक अंकेक्षण करने का अनुरोध किया गया है। कई राज्यों ने सफलतापूर्वक सामाजिक अंकेक्षण किया है।

 

वयस्क शिक्षा: वयस्क शिक्षा की एक केंद्र प्रायोजित योजना, पढ़ना लिखना अभियान (पीएलए) को 25.04.2020 को कोविड-19 महामारी के दौरान देश में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के 57 लाख गैर-साक्षरों को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करने के लिए अनुमोदित किया गया था।

 

कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण, राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को योजना को लागू करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, इसलिए, पीएलए योजना का कार्यकाल शिक्षा मंत्रालय के शिक्षा विभाग द्वारा तीन बार बढ़ाया गया, पहले 31.07.2021 तक, दूसरा 30.09.2021 तक और तीसरा 31.03.2022 तक ताकि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश शिक्षार्थियों के लिए उन्हें सौंपे गए लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।

 

30 सितंबर, 2021 तक, देश के 25 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने शिक्षार्थियों की मूल्यांकन परीक्षा/पदोन्नति प्रक्रिया आयोजित की और लगभग 21.84 लाख शिक्षार्थी मूल्यांकन परीक्षा/पदोन्नति प्रक्रिया में शामिल हुए।

 

25. राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना (एनएमएमएसएस)

 

'राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना' मई, 2008 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को आठवीं कक्षा में स्कूल की पढ़ाई छोड़ने से रोकने और उन्हें माध्यमिक स्तर पर अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से छात्रवृत्ति प्रदान करना था। कक्षा IX के चयनित छात्रों को हर साल एक लाख नई छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं और पूरे देश में राज्य सरकार, सरकारी सहायता प्राप्त और स्थानीय निकाय स्कूलों में अध्ययन के लिए दसवीं से बारहवीं कक्षा में उनकी निरंतरता/नवीनीकरण किया जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों के बीच एनएमएमएसएस की पहुंच को अधिकतम करने के लिए, छात्रवृत्ति हेतु चयन परीक्षा में उपस्थित होने के लिए, कुछ मानदंड, जैसे कि सभी स्रोतों से माता-पिता की आय सीमा और कक्षा VII परीक्षा में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक या समकक्ष ग्रेड (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए 5 प्रतिशत की छूट) निर्धारित की गई है। राज्य सरकार के मानदंडों के अनुसार आरक्षण है।

 

राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) पर पंजीकरण करने वाले पात्र छात्रों के आवेदनों का सत्यापन राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों द्वारा किया जाता है, जो मंत्रालय को योग्य लाभार्थियों के प्रस्तावों/सूची को अंतिम रूप देते हैं। मंत्रालय प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) द्वारा सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से छात्रों को छात्रवृत्ति की धनराशि के सीधे उनके बैंक खातों में अंतरण के प्रस्तावों और स्वीकृत निधियों की जांच करता है।

 

जनवरी 2021 से नवंबर, 2021 की अवधि के लिए राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना (एनएमएमएसएस) के तहत उपलब्धि :

 

  • की संख्या (ताजा*नवीकरण)

 

स्वीकृत राशि (करोड़ रुपये में)

 

246888

 

249.35

 

 

26. एनएफटीडब्ल्यू

 

एनएफटीडब्ल्यू उन शिक्षकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक फाउंडेशन है, जिन्होंने इस फाउंडेशन की योजनाओं में अनुदान प्राप्त करने के लिए अपने संबंधित राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के माध्यम से आवेदन किया है, जो शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के नियंत्रण में है और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1890 और आयकर अधिनियम, 1961 के तहत नियंत्रित है।

 

वर्ष के दौरान 2,30,00,000/- रुपये (लगभग) की वित्तीय सहायता दी गई है।

 

27. शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार

 

युवाओं के दिमाग और भविष्य को आकार देने में शिक्षकों की उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता को मान्यता देने हेतु, पहली बार 1958 में शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार स्थापित किए गए थे। 60 के दशक के मध्य से, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के कारण 5 सितंबर समारोह की निश्चित तिथि थी। यह पुरस्कार प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत मेधावी शिक्षकों को सार्वजनिक मान्यता प्रदान करने के लिए था।

 

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार योजना के दिशा-निर्देशों को वर्ष 2018 में संशोधित किया गया ताकि नई योजना को और अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष बनाया जा सके और मेधावी शिक्षकों को पुरस्कृत किया जा सके, जिससे उन्हें अन्य शिक्षकों के लिए उदाहरण और प्रेरणा के रूप में रखा जा सके। नई योजना की विशेषताएं इस प्रकार हैं:

 

i. संशोधित दिशा-निर्देशों में education.gov.in पर शिक्षकों से ऑनलाइन स्व-नामांकन आमंत्रित करने का प्रावधान है।

ii. सभी नियमित शिक्षक पात्र हैं और न्यूनतम वर्षों की सेवा की आवश्यकता नहीं है। इससे मेधावी युवा शिक्षक आवेदन करने में सक्षम बने।

iii. पुरस्कारों की संख्या को पहले के 378 की तुलना में 45+2 तक युक्तिसंगत बनाया गया है, जिससे पुरस्कारों की प्रतिष्ठा बहाल हुई है।

iv. इसके अलावा, विशेष श्रेणी के तहत 2 शिक्षकों को भिन्न रूप में सक्षम शिक्षकों आदि में से चुना जा सकता है, यदि कोई हो।

v. अंतिम चयन में किसी राज्य, केंद्रशासित प्रदेश या संगठन का कोटा नहीं था। इसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों के लिए सही मायने में प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रोत्साहित किया।

vi. अंतिम चयन राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों और संगठनों से प्राप्त नामांकनों में से एक सेवानिवृत्त सचिव, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र जूरी द्वारा किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि नई योजना के तहत इन एजेंसियों की भूमिका कम नहीं हुई है।

vii. नामांकित शिक्षक अंतिम चयन के लिए जूरी के समक्ष एक प्रस्तुति देते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि उन सभी को उनके द्वारा किए गए कार्यों को साझा करने का अवसर दिया जाए।

 

वर्ष 2021 में, शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार के इतिहास में पहली बार, 2018 के बाद से पुरस्कार विजेताओं में से प्रत्येक द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्य पर एक मिनट की उच्च गुणवत्ता वाली फिल्में बनाई गई हैं। फिल्मों की शूटिंग लोकेशन पर की गई है। पुरस्कार विजेताओं के संबंधित स्कूल, कलात्मक रूप से और संक्षेप में नवीन गतिविधियों जैसे समुदाय से कला और थिएटर संसाधन जुटाना, मुफ्त शैक्षिक ऐप और आईसीटी का उपयोग, स्कूल पोषण उद्यान का विकास आदि के माध्यम से आनंदपूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देना।

 

वर्ष 2021 के लिए ऑनलाइन स्व-नामांकन प्रक्रिया के बाद जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर 3 स्तरीय चयन प्रक्रिया की गई। राष्ट्रपति ने 5 सितंबर, 2021 को नई दिल्ली में कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण वेबिनार के माध्यम से 44 पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।

 

विविध

एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान

 

स्कूलों में एक भारत श्रेष्ठ भारत (इबीएसबी) कार्यक्रम के लिए नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार सुझाई गई गतिविधियों की एक उदाहरणार्थ सूची स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा तैयार की गई है और राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और संबंधित संगठनों के साथ साझा की गई है।

 

स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के तहत सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और संस्थानों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने स्कूलों में ईबीएसबी क्लब गठित करें।

 

जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड, त्रिपुरा, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, गुजरात, तेलंगाना, केंद्रीय विद्यालयों और सीबीएसई आदि के स्कूलों में 3.5 लाख ईबीएसबी क्लब बनाए गए हैं।

 

वर्ष 2020-21 के दौरान देश भर से कुल 3.2 करोड़ छात्रों ने ईबीएसबी गतिविधियों में भाग लिया है। ईबीएसबी के तहत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सांस्कृतिक रूप से मैप किया गया है।

 

राष्ट्रीय एकता दिवस: राष्ट्रीय एकता दिवस-2021 इस वर्ष ऑनलाइन मोड में मनाया गया है। इस विषय पर एक राष्ट्रीय स्तर की कहानी लेखन गतिविधि भी 31 अक्टूबर, 2021-30 नवंबर, 2021 तक माईगव प्लेटफॉर्म पर स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा आयोजित की जा रही है।

 

भाषा संगम: शिक्षार्थियों को 22 अनुसूचित भाषाओं से परिचित कराकर स्कूलों में भाषा और भाषाई समरसता को बढ़ावा देने के लिए 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम के तहत भाषा संगम  कार्यक्रम चलाया जा रहा है। भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में लगभग एक सौ वाक्य शिक्षार्थियों को विभिन्न विषयों और उनके जीवंत संदर्भों पर प्रस्तुत किए जाते हैं।

 

भाषा संगम कार्यक्रम 1 नवंबर, 2021 को एक मोबाइल ऐप और 22 पुस्तिकाओं (ऑडियो और भारतीय सांकेतिक भाषा के साथ क्यूआर कोड सहित) के शुभारंभ द्वारा 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं में 100 वाक्य सीखने के उद्देश्य से इन भाषाओं को बोलने का अभ्यास करने, सुनने, समझने और समझाने की सुविधा के लिए आयोजित किया गया था।

 

कला उत्सव: राष्ट्रीय स्तर पर कला उत्सव-2020 का आयोजन 11 जनवरी से 22 जनवरी, 2021 तक राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन मोड के माध्यम से किया गया, जिसमें विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 574 छात्रों ने भाग लिया।

मातृभाषा दिवस समारोह: सभी स्कूलों में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस-2020 मनाया गया, जिसमें देश भर से 2,16,95,954 छात्रों ने भाग लिया।

स्वदेशी खेलों पर ऑनलाइन श्रृंखला: स्कूलों के बंद होने के दौरान, खेल और युवा मामले मंत्रालय के फिट इंडिया सेल के समन्वय से भारत के स्वदेशी खेलों पर एक ऑनलाइन श्रृंखला का आयोजन किया गया।

 

सांस्कृतिक विविधता में एकता पर पुस्तक: एनसीईआरटी द्वारा तैयार की गई एक पुस्तक "सांस्कृतिक विविधता में एकता" को आगे के प्रसार के लिए सभी राज्यों के साथ साझा किया गया है।

 

विद्यांजलि: प्रधानमंत्री ने देश भर में सामुदायिक, सीएसआर और निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से स्कूलों को मजबूत करने और स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के उद्देश्य से 7 सितंबर, 2021 को विद्यांजलि कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विद्यांजलि पोर्टल योगदानकर्ताओं को सीधे स्कूलों से जोड़कर एक सूत्रधार के रूप में कार्य करता है। सरकार के बाहर उपलब्ध क्षमता का दोहन करके स्कूलों में ज्ञान/कौशल/मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे के अंतर को पाटने का प्रयास है। यह सरकार की जिम्मेदारी को प्रतिस्थापित करने के लिए नहीं है, बल्कि सर्वोत्तम संभव तरीके से अंतिम मील तक पहुंचने के सरकारी प्रयासों को पूरा करने और मजबूत करने के लिए है।

 

विद्यांजलि की मदद से - शैक्षणिक संस्थानों के पूर्व छात्र, सेवारत और सेवानिवृत्त शिक्षक, वैज्ञानिक, सरकारी / अर्ध-सरकारी अधिकारी, सेवानिवृत्त सशस्त्र बल के जवान, स्वरोजगार और वेतनभोगी पेशेवर, गृहिणी, भारतीय प्रवासी और किसी अन्य संगठन / समूह के व्यक्ति या कंपनी स्वेच्छा से अपने ज्ञान और कौशल को साझा करके या संपत्ति / सामग्री / उपकरण का योगदान करके अपनी पसंद के स्कूलों में भाग ले सकती हैं।

 

योगदान की व्यापक श्रेणियों में सेवाओं / गतिविधियों, प्रायोजन गतिविधियों के साथ-साथ बुनियादी नागरिक सुविधा, बुनियादी विद्युत प्रणाली, डिजिटल बुनियादी संरचना, पाठ्येतर गतिविधियों और खेल के लिए उपकरण, योग, स्वास्थ्य और सुरक्षा सहायता, शिक्षण सामग्री, रखरखाव और मरम्मत, कार्यालय स्टेशनरी/फर्नीचर/समर्थन सेवाएं/आवश्यकताएं आदि जैसी संपत्ति/ सामग्री शामिल हैं।

 

स्कूलों द्वारा अनुरोध के आधार पर, एक स्वयंसेवी, अपनी विशेषज्ञता / रुचि या संपत्ति और सामग्री के क्षेत्र के आधार पर, स्कूलों के अनुरोध में आंशिक रूप से / पूरी तरह से योगदान करने के लिए अपनी रुचि व्यक्त करता है। अब तक 99,888 स्कूलों को जोड़ा गया है और 1,1750 स्वयंसेवकों ने विद्यांजलि पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। स्वयंसेवकों ने कई क्षेत्रों में रुचि व्यक्त की है, जैसे विषय सहायता, प्रतिभाशाली बच्चों की सलाह, व्यावसायिक कौशल सिखाना, प्रोजेक्टर, लैपटॉप और स्कूलों के लिए पुस्तकालय आदि।

भारत में स्कूली शिक्षा की सांख्यिकीय रूपरेखा

 

निष्पादन ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई): स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) द्वारा विकसित निष्पादन ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) का उद्देश्य सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के सापेक्ष प्रदर्शन का एक समान पैमाने पर मूल्यांकन करना है, ताकि राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। पीजीआई की संकल्पना राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शीर्ष निष्पादन करने वाले राज्यों द्वारा अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करने की दिशा में एक औजार के रूप में की गई है। पीजीआई में पांच डोमेन हैं जिनमें सत्तर (70) संकेतक हैं, जिनका स्कोर 1000 है। पीजीआई: वर्ष 2019-20 के लिए राज्य रिपोर्ट जून 2021 में जारी की गई थी। पीजीआई की रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में https://www.education.gov.in/en/statistics-new?shs_term_node_tid_depth=391&Apply=ApplyPGI रिपोर्ट 2019-20 (अंग्रेज़ी)/(हिंदी), PGI रिपोर्ट 2018-19 (अंग्रेज़ी)/(हिंदी) आदि में देखा जा सकता है। पीजीआई के अगले तार्किक चरण के रूप में पीजीआई: राज्य, एक 83 संकेतक आधारित पीजीआई: जिले को स्कूली शिक्षा में सभी जिलों के निष्पादन को ग्रेड करने के लिए पीजीआई: जिले के लिए ऑनलाइन डेटा संग्रह और संकलन तंत्र विकसित करके उसे लॉन्च किया गया है। वर्ष 2018-19 और 2019-20 के लिए आंकड़ों का संकलन प्रक्रियाधीन है। पीजीआई: जिला से राज्य के शिक्षा विभागों को जिला स्तर पर कमियों की पहचान करने और उनके निष्पादन में सुधार करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

 

यूडीआईएसई प्लस: स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा विकसित "यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) प्लस सालाना आधार पर स्कूली शिक्षा पर विभिन्न संकेतकों के बारे में 15 लाख से अधिक स्कूलों और लगभग 26.5 करोड़ छात्रों से डेटा एकत्र करता है। यूडीआईएसई प्लस में डेटा सीधे स्कूलों द्वारा पोर्टल जैसे http://udiseplus.gov.in/# में ऑनलाइन भरा जाता है। यूडीआईएसई प्लस डेटा की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर सत्यापित और प्रमाणित किया जाता है। 2019-20 के लिए यूडीआईएसई प्लस रिपोर्ट जुलाई 2021 में जारी की गई है, जिसे http://dashboard.udiseplus.gov.in पर ऑनलाइन देखा जा सकता है। संदर्भ वर्ष 2020-21 के लिए आंकड़ों का संकलन प्रक्रियाधीन है।

 

परीक्षा परिणाम: स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग देश में विभिन्न परीक्षा बोर्डों द्वारा आयोजित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक परीक्षाओं के परिणामों के आंकड़ों का अनुपालन करता है। माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक दोनों स्तरों के लिए बोर्ड परीक्षा परिणामों को दर्शाने वाले समग्र डेटासेट होने की दृष्टि से सूचना का प्रसार किया जाता है। वर्ष 2020 का परीक्षा परिणाम स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा अक्टूबर 2021 में प्रकाशित किया गया है, जो https://www.education.gov.in/en/statistics-new?shs_term_node_tid_depth=380&Apply=Apply लिंक पर उपलब्ध है।

 

डेटा गवर्नेंस क्वालिटी इंडेक्स (डीजीक्यूआई): नीति आयोग ने केंद्रीय क्षेत्र/केंद्र प्रायोजित योजनाओं के संबंध में मंत्रालयों/विभागों की डेटा तैयारियों का आकलन करने के लिए 2020 में डीजीक्यूआई प्लेटफॉर्म विकसित किया है। डीजीक्यूआई 0 से 5 के एक समान पैमाने पर भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों का आकलन करता है। डीजीक्यूआई 1.0 (2020) में, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को 5 में से 2.95 का स्कोर सौंपा गया था। नीति आयोग ने 2021 में डीजीक्यूआई 2.0 अभ्यास किया है, जिसमें डेटा स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की 3 योजनाओं के संबंध में, समग्र शिक्षा, मध्याह्न भोजन और राष्ट्रीय साधन सह मेरिट छात्रवृत्ति पर मूल्यांकन के लिए विचार किया गया है। डीजीक्यूआई 2.0 ड्राफ्ट रिपोर्ट में, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 2021 में उल्लेखनीय सुधार करते हुए अपने स्कोर को 2.95 से 4.28 तक सुधार लिया है।

केन्द्रीय विद्यालय संगठन

1. डिजिटल भाषा प्रयोगशाला का उद्घाटन

भारत की प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद ने 7 जनवरी, 2021 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय विद्यालय, राष्ट्रपति संपदा में डिजिटल भाषा प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री भी उपस्थित थे।

 

2. के.वी नंबर 4 कोरबा के नए भवन का उद्घाटन

शिक्षा मंत्री द्वारा 21.01.2021 को सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस केवी नंबर 4 कोरबा (छत्तीसगढ़) के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया गया।

 

3. के.वी सिद्धार्थनगर के नए भवन का उद्घाटन

 

केन्द्रीय विद्यालय सिद्धार्थ नगर के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन 23 सितम्बर, 2021 को शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा किया गया। नया भवन अपनी आधुनिक सुविधाओं के साथ छात्रों के सर्वांगीण विकास की सुविधा प्रदान करेगा।

 

4. डेनमार्क की प्रधानमंत्री की यात्रा

 

डेनमार्क की प्रधानमंत्री सुश्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर छात्राओं के जीवन और सपनों पर चर्चा करने के लिए केन्द्रीय विद्यालय सेक्टर 8, आरके पुरम, दिल्ली का दौरा किया।

 

5. वायुसेनाध्यक्ष ने अपने अल्मा मेटर को मिग-21 भेंट की

 

वायु सेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने 6.9.2021 को अपने अल्मा मेटर का दौरा किया और केवी सेक्टर 47, चंडीगढ़ को एक सेवामुक्त मिग-21 विमान का एयर फ्रेम भेंट किया। इस अवसर पर केंद्रीय विद्यालय संगठन के अधिकारियों के साथ उनके कई सहपाठी भी मौजूद थे।

 

6. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2021

 

केन्द्रीय विद्यालयों के दो छात्रों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2021 से सम्मानित किया गया

 

7. गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

 

के.वी तिरुमलागिरी में टीजीटी (डब्ल्यूई) ने 'ओरिगेमी पीकॉक का सबसे बड़ा प्रदर्शन' के माध्यम से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सफल प्रवेश किया। उन्होंने 1776 मोर प्रदर्शित किए और उन्हें गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया।

 

8. के.वी शिक्षक को राष्ट्रीय पुरस्कार

 

भारत सरकार हर साल शिक्षक दिवस पर विभिन्न संगठनों के प्रख्यात शिक्षकों को सम्मानित और पुरस्कृत करती है। के.वी.एस की ओर से यह पुरस्कार केंद्रीय विद्यालय पट्टम के टीजीटी (लाइब्रेरियन) को शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए प्रदान किया गया।

 

9. परीक्षा पे चर्चा-2021

 

वर्चुअल मोड पर आयोजित इस वर्ष के परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में केन्द्रीय विद्यालय आईआईटी गुवाहाटी के कक्षा 10वीं के छात्र कुमारी क्रिस्टी सैकिया को प्रधानमंत्री श्री नरेंन्द्र मोदी से परीक्षा संबंधी प्रश्न पूछने का अवसर मिला। उनका सवाल था कि नई पीढ़ी और माता-पिता के बीच पीढ़ी के अंतर को कैसे कम किया जाए। प्रधानमंत्री ने इस सवाल का विस्तार से जवाब दिया और अलग मातृभाषा होने के बावजूद क्रिस्टी की अच्छी हिंदी के लिए उनकी तारीफ भी की।

 

10. शैक्षणिक वर्ष में उच्चतम परीक्षा परिणाम

 

केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में अब तक का सर्वोच्च परिणाम हासिल किया है। जहां 10वीं बोर्ड परीक्षा में शत-प्रतिशत (राउंड ऑफ) छात्र पास हुए, वहीं 12वीं कक्षा में 99.99 प्रतिशत छात्र पास हुए।

 

11. दिनांक 01.01.2021 से अब तक खोले गए केन्द्रीय विद्यालयों का विवरण

 

अब तक कुल 3 केन्द्रीय विद्यालय खोले जा चुके हैं। आज की तारीख में केवीएस के पास विदेश में तीन (मास्को, काठमांडू और तेहरान) सहित 1248 के.वी की एक विशाल श्रृंखला है।

 

क्र.सं.

 

के.वी का नाम

राज्य

1

सदालगाह

कर्नाटक

2

आईआईटी रोपड़

पंजाब

3

बिलासपुर

हरियाणा

12. 2021 के दौरान पूरा किए गए के.वी स्कूल भवनों का विवरण

 

वर्ष 2021 के दौरान कुल 14 केन्द्रीय विद्यालय भवनों का निर्माण पूरा हुआ। वे पांडुराना (मध्य प्रदेश), मियाओ (अरुणाचल प्रदेश), सेक्टर-28 रोहिणी (दिल्ली), चौराई (मध्य प्रदेश), टोंक (राजस्थान), जालोर (राजस्थान), कोप्पल (कर्नाटक), चिकोडी (कर्नाटक), नंबर 2 छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश), चाकुर (महाराष्ट्र), कान्हागढ़ (केरल), बुदयान (हरियाणा), नागौर (राजस्थान), सिद्धार्थनगर (उत्तर प्रदेश) में हैं।

 

नवोदय विद्यालय समिति

 

सीबीएसई कक्षा बारहवीं के परिणाम: 557 जेएनवी के कुल 32943 छात्र अखिल भारतीय वरिष्ठ स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा-2021 (कक्षा XII) में उपस्थित हुए। कुल 32925 छात्र परीक्षा (99.94 प्रतिशत) में उत्तीर्ण हुए, जिनमें से 32766 छात्रों ने प्रथम श्रेणी (99.46 प्रतिशत) हासिल की। 543 जेएनवी ने शत-प्रतिशत उत्तीर्णता के परिणाम दिए और 44 छात्रों ने सेंटम हासिल किया।

 

संघ लोक सेवा आयोग 2020: संघ लोक सेवा आयोग 2020 में सिविल सेवा के लिए 27 जेएनवी के पूर्व छात्रों का चयन किया गया।

 

जेईई मेन 2021 में, 10247 छात्रों में से जेएनवी के 4292 छात्र (41.89 प्रतिशत) उपस्थित हुए।

जेईई एडवांस 2021 में कुल 2770 छात्रों में से 1121 एनवीएस छात्र (40.47 प्रतिशत) उपस्थित हुए।

नीट 2021 में एनवीएस के 17520 में से 14025 छात्र पास हुए (80.05 प्रतिशत)।

 

संयुक्त संगीत प्रतियोगिता एनवीएस और केवीएस : एनवीएस ने 9 सितंबर, 2021 को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित एनवीएस और केवीएस के बीच संयुक्त संगीत प्रतियोगिता में पहला और तीसरा स्थान हासिल किया।

 

इंस्पायर मानक पुरस्कार: इंस्पायर इंस्पायर मानक पुरस्कार 2019-20 में, राष्ट्रीय स्तर पर कुल 60 चयनित छात्रों में से दो (2) छात्र एनवीएस से हैं।

 

खगोलशाला क्षुद्रग्रह खोज अभियान (केएएससी): जेएनवी के छात्रों ने कार्यक्रम के 2 चरणों में जनवरी से मार्च तक इस अभियान के तहत 384 क्षुद्रग्रहों की प्रारंभिक खोज की थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय खोज सहयोग (आईएएससी) और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जेएनवी की 8 टीमों (16 छात्रों) से कुल 9 क्षुद्रग्रहों (अनंतिम खोज) की पुष्टि की गई।

 

अंतर्राष्ट्रीय प्रवेश: एनवीएस के 3 छात्रों को 2021 में अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश मिला

 

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के "प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम" (पीएमजेवीके) के तहत 99 जेएनवी (प्रत्येक जेएनवी में एक वर्चुअल क्लास सहित) में सभी कक्षाओं (कुल 1173) को स्मार्ट क्लासरूम में बदल दिया गया है।

 

संसदीय कार्य मंत्रालय ने 23वीं राष्ट्रीय युवा संसद का परिणाम घोषित कर दिया है। हैदराबाद क्षेत्र का जवाहर नवोदय विद्यालय एलेप्पी, केरल से राष्ट्रीय स्तर पर पहले स्थान पर रहा और नेहरू रनिंग शील्ड और एक ट्रॉफी हासिल की।

 

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद

 

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) शिक्षा के क्षेत्र में खासकर स्कूली शिक्षा और शिक्षक शिक्षा के लिए अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण और कार्यान्वयन में केंद्र और राज्य सरकारों को सहायता और सलाह देने के लिए भारत सरकार द्वारा 1961 में स्थापित एक शीर्ष संसाधन संगठन है। यह स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए अकादमिक और तकनीकी सहायता प्रदान करता है और शैक्षिक अनुसंधान, विकास, प्रशिक्षण, विस्तार, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, प्रकाशन और सूचना के प्रसार से संबंधित कार्यक्रम चलाता है।

 

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसरण के तौर पर, एनसीईआरटी ने स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, प्रारंभिक बचपन की देखभाल के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, शिक्षक शिक्षा और शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा और राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए काम शुरु किया है। एनसीएफ को समय पर विकसित करने के लिए, शुरू की गई गतिविधियों में फोकस समूहों के लिए एनईपी, 2020 में 25 विषयों की पहचान करना, सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रणनीति दस्तावेज साझा करना, प्रक्रिया को तेज करने के लिए एनसीईआरटी में आंतरिक समितियों का गठन करना शामिल है। प्रश्नावली और टेम्प्लेट को रोल आउट करने के लिए टेक-प्लेटफॉर्म के विकास की प्रक्रिया, MyGovSuvey प्रश्नावली को रोल आउट करने, राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी) का गठन और एनएससी की पहली बैठक आयोजित की, प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के लिए राष्ट्रीय स्तर के नोडल अधिकारियों की पहचान की और प्रायोगिक आधार पर जिला स्तरीय परामर्श की प्रक्रिया को लेकर पहल की।

 

मनोदर्पण : आत्मनिर्भर भारत अभियानके हिस्से के रूप में, एनसीईआरटी द्वारा मनोदर्पण कार्यक्रम कोविड-19 और उसके बाद के समय के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण के लिए छात्रों, शिक्षकों और परिवारों को मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए आयोजित किया जाता है। पहल के तहत, शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर एक वेबपेज बनाया गया है। इसके अलावा, राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन (8448440632) छात्रों (स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में), उनके माता-पिता और शिक्षकों को उनके मानसिक स्वास्थ्य और मनो-सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए टेली-परामर्श सेवाएं प्रदान करने के लिए स्थापित की गई है। शिक्षा मंत्रालय के निर्देश के अनुसार, अक्टूबर 2020 में एनआईई, एनसीईआरटी, नई दिल्ली में 'मनोदर्पण सेल' की स्थापना की गई थी। मनोदर्पण के तहत, टेली-हेल्पलाइन चलाने, वेबिनार आयोजित करने, अभ्यास परामर्शदाताओं के साथ लाइव इंटरैक्टिव सत्र 'सहयोग' जैसी कई गतिविधियां, स्कूल-कॉलेजों आदि में 'मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह' मनाया गया।

 

पीएम -विद्या: पीएम -विद्या भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा बच्चों की शिक्षा की सुविधा के लिए एक पहल है। यह मल्टी-प्लेटफ़ॉर्म मोड जैसे डिजिटल / ऑनलाइन, टीवी, रेडियो, सामुदायिक रेडियो, पॉडकास्ट, आदि में विविध शैक्षिक संसाधन प्रदान करता है। दीक्षा, वन नेशन-वन डिजिटल प्लेटफॉर्म, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षार्थियों, शिक्षकों और अन्य हितधारकों द्वारा उपयोग के लिए बहुत सारी मल्टी-मोडल शिक्षा सामग्री मुफ्त में प्रस्तुत करता है। दीक्षा को सीबीएसई सहित लगभग सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, केंद्रीय स्वायत्त निकायों/बोर्डों द्वारा अपनाया गया है। दीक्षा को देश भर के शिक्षार्थी और शिक्षक एक्सेस कर सकते हैं, जो वर्तमान में 31 भारतीय भाषाओं का समर्थन करता है। प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश दीक्षा मंच का अपने तरीके से लाभ उठाता है, क्योंकि उसके पास शिक्षकों, शिक्षार्थियों और प्रशासकों के लिए कार्यक्रमों को डिजाइन करने और चलाने के लिए मंच की विभिन्न क्षमताओं और समाधानों का उपयोग करने की स्वतंत्रता और विकल्प मौजूद है। एनसीईआरटी ने आईएसएलआरटीसी के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत सांकेतिक भाषा के वीडियो संयुक्त रूप से विकसित किए गए। दीक्षा पर लगभग 610 आईएसएल वीडियो रिकॉर्ड और अपलोड किए गए हैं। लगभग 3,059 श्रव्य पुस्तक अध्याय विकसित किए गए हैं और दीक्षा पर अपलोड किए गए हैं। दीक्षा में वीडियो, वर्कशीट और इंफो ग्राफिक्स के रूप में उच्च प्राथमिक के लिए परिणाम-आधारित सामग्री भी है। स्कूली छात्रों द्वारा दीक्षा पर कई ऑनलाइन क्विज़ का भी उपयोग किया गया था, जैसे, कानून और न्याय मंत्रालय के साथ राष्ट्रीय संविधान प्रश्नोत्तरी, राष्ट्रीय योग प्रश्नोत्तरी, अपने संविधान प्रश्नोत्तरी को जानें, गांधी प्रश्नोत्तरी खोजें, आदि।

 

एनसीईआरटी ने छात्रों के लिए दोपहर 12 बजे -विद्या डीटीएच टीवी चैनलों (एक कक्षा, एक चैनल से कक्षा I से XII तक) के माध्यम से सामग्री वितरित की, जो 24x7 आधार पर कक्षा-वार सामग्री वितरित करता है; ये क्यूआर कोड के माध्यम से दीक्षा से जुड़े हुए हैं। एनसीईआरटी ने अपने टीवी और रेडियो कार्यक्रम की प्रोडक्शन प्रक्रिया को तेज कर दिया है और पीएम ई-विद्या के तहत इसके प्रसार के लिए एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित बड़ी संख्या में शैक्षिक ऑडियो वीडियो कार्यक्रम विकसित किए हैं। वन क्लास, वन चैनल के हिस्से के रूप में, 12 डीटीएच टीवी चैनल 1.4.2015 से शुरू किए गए हैं। 1 सितंबर, 2020 और पाठ्यक्रम आधारित कार्यक्रम कक्षा 1-12 (हर कक्षा के लिए एक समर्पित चैनल) से 24x7 आधार पर प्रसारित किए जा रहे हैं। सभी चैनल डीडी फ्री डिश द्वारा चलाए जाते हैं और कुछ निजी केबल ऑपरेटर भी इन चैनलों को चलाते हैं। इन चैनलों की सामग्री जिओ टीवी मोबाइल ऐप पर भी उपलब्ध है। पाठ्यचर्या आधारित शैक्षिक रेडियो कार्यक्रम भी 230 रेडियो स्टेशनों (18 ज्ञान वाणी रेडियो स्टेशनों, 80 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों और 132 अखिल भारतीय रेडियो स्टेशनों सहित) और पॉडकास्ट को जिओ सावन मोबाइल ऐप और आई-रेडियो पर पॉडकास्ट के रूप में प्रसारित किया जाता है। टेलीकास्ट और प्रसारण के माध्यम से प्रसारित सामग्री दीक्षा पोर्टल और ऐप के माध्यम से ऑनलाइन मोड में सीखने के लिए डिजिटल सामग्री (एनईपी-2020) के लिए लचीला और एकजुट पहुंच के हिस्से के रूप में भी उपलब्ध है।

एनसीईआरटी ने विभिन्न आईसीटी उपकरणों, राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल पहल, शैक्षिक प्रौद्योगिकी में उभरते रुझान, साइबर सुरक्षा और संरक्षा आदि पर शिक्षकों, छात्रों और अन्य हितधारकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक वेबिनार श्रृंखला शुरू की। अंग्रेजी और हिंदी में विभिन्न सत्रों का लाइव आयोजन किया गया है। जो एनसीईआरटी के आधिकारिक YouTube चैनल के साथ-साथ 12 PMeVIDYA DTH TV चैनल और Jio TV मोबाइल ऐप के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। जून 2021 तक डिजिटल इंडिया (2015) और एनईपी, 2020 के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए शिक्षण शिक्षण और मूल्यांकन के लिए आईसीटी उपकरणों पर एक-एक घंटे के 446 से अधिक लाइव सत्र आयोजित किए गए हैं। आसान संदर्भ के लिए इन प्रस्तुतियों का एक भंडार भी बनाया गया है और https://ciet.nic.in/pages.php?id=webinar&ln=en पर देखा जा सकता है।

 

साइबर सुरक्षा और संरक्षा दिशानिर्देश: ऑनलाइन सीखने के दौरान सुरक्षा चिंताओं पर गंभीरता से विचार किया जाता है और एनसीईआरटी ने शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और स्कूलों के लिए साइबर सुरक्षा और सुरक्षा दिशानिर्देश तैयार किए हैं और यूनेस्को तथा आईएसईए-सीडीएसी, एमईआईटीवाई के सहयोग से साइबर बुलिंग पर दिशानिर्देश भी विकसित किए हैं। प्रौद्योगिकी के सुरक्षित उपयोग में विभिन्न हितधारकों को उन्मुख करने के लिए ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी आयोजित की गई। दिशानिर्देश https://ciet.nic.in/pages.php?id=booklet-on-cyber-safetysecurity&ln=en&ln=en पर देखे जा सकते हैं।

 

-पाठशाला : शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की -पाठशाला पहल डिजिटल पुस्तकों और -सामग्री के प्रसार के लिए है। -पाठशाला वेब पोर्टल (https://epathshala.nic.in/) और मोबाइल ऐप (एंड्रॉइड, आईओएस, विंडोज) का उपयोग करके, छात्र, शिक्षक, शिक्षकों के शिक्षक और अभिभावक मुफ्त और खुले संसाधनों के रूप में 377 -पाठ्यपुस्तकों (कक्षा-I से बारहवीं) सहित 696 से अधिक डिजिटल पुस्तकों और एनसीईआरटी के 6,235 ऑडियो और वीडियो तक विभिन्न भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू) में पहुंच सकते हैं। -पाठशाला (https://epathshala.nic.in/) पोर्टल पर लगभग 14.6 करोड़ आगंतुक हैं और 49.1 लाख ऐप डाउनलोड किए गए हैं।

 

एनआरओईआर: नेशनल रिपोजिटरी ऑफ ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज (एनआरओईआर) वेब पोर्टल छात्रों, शिक्षकों, शिक्षक के शिक्षकों और अभिभावकों के लिए -सामग्री का भंडार है। एनसीईआरटी और अन्य सहयोगी भागीदारों के लगभग 19,723 -कंटेंट एनआरओईआर पर विभिन्न विषयों (कक्षा I से XII) में मुफ्त में उपलब्ध हैं। इन पाठ्यक्रम-आधारित -सामग्री को https://nroer.gov.in/welcome पर लॉग इन करके एक्सेस किया जा सकता है। एनआरओईआर में प्रतिदिन लगभग 2.5 लाख आगंतुक और 9,000 अद्वितीय आगंतुक आते हैं। ये सामग्री एनसीईआरटी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध हैं।

 

व्यावसायिक शिक्षा: पंडित सुदरलाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान, भोपाल, एनसीईआरटी की एक संघटक इकाई ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा के व्यावसायिकीकरण की योजना के तहत चिन्हित रोजगार की भूमिकाओं के लिए छात्रों की पाठ्यपुस्तकों को विकसित किया। पाठ्यपुस्तकों को परियोजना अनुमोदन बोर्ड (पीएबी) द्वारा अनुमोदित एनएसक्यूएफ के तहत 19 क्षेत्रों में 52 रोजगार भूमिकाओं के लिए विकसित किया गया था और 19 क्षेत्रों में 57 छात्र पाठ्यपुस्तकों को प्रकाशित किया गया था।

 

अनुसंधान परियोजनाएं: एनसीईआरटी ने स्कूल और शिक्षक शिक्षा के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे प्रीस्कूल शिक्षा, समावेशी शिक्षा, शिक्षा में महिला-पुरुष, पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें, सामाज विज्ञान, विज्ञान, भाषा शिक्षा, आईसीटी, शैक्षिक मनोविज्ञान, आदि में शोध अध्ययन किए हैं। परिषद ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में ब्लॉक स्तरीय अनुसंधान परियोजनाएं शुरू की हैं।

 

सेवा-पूर्व पाठ्यक्रम: अजमेर, भोपाल, भुवनेश्वर, मैसूर और एनईआरआईई, उमियाम स्थित एनसीईआरटी के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों में नियमित सेवा-पूर्व पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। (i) चार वर्षीय एकीकृत बी.एससी.बी.एड, (ii) दो वर्षीय एम.एससी (जीवन विज्ञान) एड, (iii) चार वर्षीय एकीकृत बी..बी.एड, (iv) दो वर्षीय बी.एड, (v) दो वर्षीय एम.एड, (vi) एक वर्षीय एम. फिल- शिक्षा और (vii) प्री-पीएचडी। केंद्रों पर शिक्षा में पाठ्यक्रम तथा मार्गदर्शन एवं परामर्श में एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है। सेवा-पूर्व पाठ्यक्रम के घटकों के रूप में छात्रों के लिए बहु-सांस्कृतिक प्लेसमेंट, इंटर्नशिप-इन-टीचिंग, समुदाय के साथ काम करना और फील्ड वर्क जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया था। आरआईई में पीएच.डी. पाठ्यक्रम की की सुविधाएं भी है और आरआईई, भुवनेश्वर को शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए और शिक्षा में प्री-पीएचडी पाठ्यक्रम के लिए एक नोडल केंद्र के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

एनसीईआरटी का अंतर्राष्ट्रीय संबंध प्रभाग (आईआरडी), एनसीईआरटी तथा एजेंसियों एवं विदेशी संस्थानों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देता है, एनसीईआरटी और विदेशों में इच्छुक एजेंसियों / संस्थानों के बीच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करता है। यह प्रभाग विदेशों से आने वाले प्रतिनिधिमंडलों की मेजबानी करता है और राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों के निर्माण, राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना के विकास, सेवा-पूर्व और सेवाकालीन शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रमों की तैयारी, व्यावसायिक शिक्षा, शैक्षिक प्रौद्योगिकी के पाठ्यक्रमों के निर्माण और कार्यान्वयन के क्षेत्रों में सहयोग की सुविधा प्रदान करता है और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों आदि में एनसीईआरटी से संकाय की भागीदारी की सुविधा प्रदान करता है। एनसीईआरटी और फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी (एफएसयू) के फ्लोरिडा सेंटर फॉर रीडिंग रिसर्च और कॉलेज ऑफ एजुकेशन, यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट फ्रांसिस (यूएसएफ), यूएसए, ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन (जीआईएसई), नेशनल ताइवान नॉर्मल यूनिवर्सिटी (एनटीएनयू), कर्टिन यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया, आदि के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

 

पाठ्यपुस्तक: एनसीईआरटी स्कूल के पाठ्यपुस्तकों, वर्क बुक, पूरक पाठकों, शिक्षक गाइडों, प्रयोगशाला मैनुअल, मूल्यांकन पर स्रोत पुस्तकों, गणित में उदाहरण योग्य समस्याओं, अनुसंधान रिपोर्ट/मोनोग्राफ और शैक्षिक पत्रिकाओं का निरंतर प्रकाशन करता है। एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें राज्यों द्वारा अपने राष्ट्रीयकृत पाठ्यपुस्तक कार्यक्रम के तहत स्वतंत्र रूप से अपनाई जाती हैं। वे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, केंद्रीय विद्यालयों, जवाहर नवोदय विद्यालयों, तिब्बती स्कूलों और कई राज्य सरकार के स्कूलों से संबद्ध स्कूलों में भी व्यापक रूप से स्वीकार की जाती हैं।

 

समावेशी शिक्षा: परिषद दिव्यांग बच्चों (सीडब्ल्यूडी) और सामाजिक रूप से वंचित समूहों, जैसे अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अल्पसंख्यकों से संबंधित बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में काम करती है। सभी के लिए समावेशी शिक्षा प्रणाली का कार्यान्वयन प्रणालीगत सुधारों के लिए विशेष रूप से सामाजिक रूप से वंचितों और दिव्यांग व्यक्तियों के संदर्भ में अधिक महत्व रखता है। वर्ष 2021-22 के लिए इस क्षेत्र में परिषद द्वारा कई समयबद्ध परियोजनाओं और कार्यक्रमों को हाथ में लिया गया।

 

राष्ट्रीय बाल भवन

 

ऑनलाइन माध्यम से आउटरीच गतिविधियां आयोजित की गई, जहां राष्ट्रीय बाल भवन (एनबीबी) की गतिविधि से जुड़े कर्मचारी प्रेरक वीडियो और शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रोत्साहन प्रोग्रामर के साथ आए। इन वीडियो को एनबीबी के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था और साथ ही प्रशिक्षकों ने वीडियो चैट और कॉल के माध्यम से बच्चों के साथ सहयोग किया था और एनबीबी को नियमित छात्रों के साथ-साथ गैर-नियमित छात्रों से जबरदस्त प्रत्युत्तर मिला है।

 

एनबीबी द्वारा वर्चुअल प्रदर्शनी, भरतनाट्यम की ऑनलाइन गतिविधियां, गायन संगीत पर ऑनलाइन गतिविधियां, लोक संगीत पर ऑनलाइन गतिविधियां, लोक नृत्य, वाद्य संगीत (तबला), वाद्य संगीत (सितार), नाटक, पेंटिंग, हस्तशिल्प, सिलाई, बुनाई, मिट्टी के शिल्प, लकड़ी के शिल्प, शारीरिक शिक्षा, गृह प्रबंधन, फोटोग्राफी, पर्यावरण तथा एक्वेरियम एवं एनिमल कॉर्नर, एरोमॉडलिंग, खगोल विज्ञान, संग्रहालय, कंप्यूटर और रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कुछ महत्वपूर्ण ऑनलाइन गतिविधियां आयोजित की गई।

 

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान

 

कोविड -19 के दौरान पहल: एनआईओएस ने माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर शिक्षार्थियों के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रम और भारतीय सांकेतिक भाषा आधारित सामग्री सहित सीखने के लिए निरंतर सहायता प्रदान करने के लिए पीएम -विद्या 10 और 12 चैनलों पर हर दिन लाइव कार्यक्रम प्रदान करने के अभिनव कदम की शुरुआत की।

 

समावेशी शिक्षा: एक विषय के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा: एक भाषा विषय के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा को पेश किया गया। इसे बधिर/ श्रवण बाधित शिक्षार्थियों द्वारा किसी अन्य भाषा के स्थान पर भाषा विषय के रूप में चुना जा सकता है। अन्य शिक्षार्थी (बधिर / सुनने में कठिन शिक्षार्थियों को छोड़कर) जो भारतीय सांकेतिक भाषा का अध्ययन करना चाहते हैं, वे इसे एक अतिरिक्त विषय के रूप में चुन सकते हैं।

 

एनआईओएस पीएम -विद्या टीवी चैनल 10 पर सप्ताह में दो बार भारतीय सांकेतिक भाषा में एक घंटे का लाइव कार्यक्रम देता है।

माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर 8 विषयों में सांकेतिक भाषा सामग्री विकसित की गई है। ये दीक्षा पोर्टल, एनआईओएस के यूट्यूब चैनल और वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर में 46 विषयों में टॉकिंग बुक्स विकसित की गई हैं

भारतीय ज्ञान परंपरा: एनआईओएस ने वैदिक शिक्षा, संस्कृत भाषा और साहित्य, भारतीय दर्शन और प्राचीन भारतीय ज्ञान के कई अन्य क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने के लिए ओबीई कार्यक्रम, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक पाठ्यक्रमों के लिए एक नई धारा-'भारतीय ज्ञान परंपरा' (भारतीय ज्ञान परंपरा) शुरू की है।

नव-साक्षरों का बुनियादी साक्षरता मूल्यांकन: एनआईओएस ने लगभग 10 करोड़ वयस्क शिक्षार्थियों के लिए बुनियादी साक्षरता का आकलन किया है, जिसमें से लगभग 7.6 करोड़ शिक्षार्थियों को प्रमाणित किया गया है।https://nios.ac.in/nios-nlma-basic-literacy-assessment.aspx. देश भर में 31 भाषाओं में साल में दो बार मूल्यांकन किया जाता है।

 

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा): इसका उद्देश्य लोगों को डिजिटलीकरण से लाभ उठाने में सक्षम बनाना है। इस योजना में महिला-पुरुष, वर्ग और धर्म समावेशी है। इस पहल के तहत अब तक 1.1 करोड़ शिक्षार्थियों को प्रमाणित किया जा चुका है।

 

भारतीय सेना के लिए एनआईओएस शिक्षा परियोजना (एनईपीआईए): एनआईओएस ने भारतीय सेना के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसमें सेना के सैनिक (जवान), सैन्य इतिहास, सैन्य अध्ययन और शारीरिक शिक्षा और योग जैसे अपनी रुचि और आवश्यकताओं के विषयों को चुनते हुए एनआईओएस से अपना 10वीं या 12वीं प्रमाणन पूरा कर सकते हैं।

 

वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से हस्तशिल्प कारीगरों और उनके बच्चों का कौशल प्रशिक्षण: एनआईओएस ने अब तक हस्तशिल्प समूहों में 300 हस्तशिल्प कारीगरों का प्रशिक्षण आयोजित किया है, जिसमें स्वयं शिक्षण और आमने-सामने शिक्षण दोनों शामिल हैं। पीसीपी में भाग लेने के दौरान कारीगरों को मजदूरी मुआवजे के साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

 

9 लाख से अधिक आशा कार्यकर्ताओं का प्रमाणन (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और एनएचएसआरसी के सहयोग से): 1500 जिला प्रशिक्षकों और राज्य प्रशिक्षकों के साथ 55 हजार आशा वर्कर को प्रमाणित किया जा चुका है।

शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के साथ व्यावसायिक पाठ्यक्रम का एकीकरण: सभी शिक्षार्थी माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर 4 शैक्षणिक विषय और 1 व्यावसायिक पाठ्यक्रम ले सकते हैं।

व्यावसायिक विषय: सौंदर्य और कल्याण, कृषि और पशुपालन, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, आईटी और आईटीईएस

माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक के लिए क्रेडिट ट्रांसर के माध्यम से आईटीआई शिक्षार्थियों के लिए शैक्षणिक समानता

370 जन शिक्षण संस्थान के लिए एनआईओएस ओपन बेसिक एजुकेशन के माध्यम से 9 लाख गैर-साक्षरों और नव-साक्षरों की शिक्षा के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ समझौता

एनआईओएस ने राज्य सरकारों और मंत्रालयों के साथ विभिन्न समझौते किए हैं -

 

  1. भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई): 22 जनवरी, 2020 को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा को एकीकृत करना और एनआईओएस पाठ्यक्रम में एफएसएसएआई की जागरूकता सामग्री और संयुक्त प्रमाणीकरण प्रदान करने के लिए संयुक्त रूप से पोषण और खाद्य सुरक्षा पर पाठ्यक्रम विकसित करना है।

 

ii) कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी), गांधीनगर के साथ समझौता: एनआईओएस ने केजीबीवी में नामांकित छात्राओं को व्यावसायिक कौशल प्रदान करने के लिए नवंबर 2019 में गुजरात प्रारंभिक शिक्षा परिषद के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। स्कूलों द्वारा ब्यूटी कल्चर, बेसिक कंप्यूटिंग, योगा, इंडियन एम्ब्रायडरी और कटिंग टेलरिंग और ड्रेस मेकिंग जैसे क्षेत्रों में लड़कियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए परियोजना के तहत 168 केजीबीवी को मान्यता दी गई थी।

 

iii) बिहार राज्य सरकार के साथ समझौता: बिहार राज्य में अप्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कौशल प्रशिक्षण - एनआईओएस और राज्य स्वास्थ्य सोसायटी, स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार के बीच बिहार के 4 लाख अप्रशिक्षित सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

 

iv) एनएचएम, महाराष्ट्र के साथ समझौता: एनआईओएस और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जन स्वास्थ्य विभाग, महाराष्ट्र सरकार ने 7 मई, 2019 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता ज्ञापन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को एनआईओएस पाठ्यक्रम के माध्यम से व्यावसायिक कार्यक्रमों की पेशकश करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (एमपीडब्ल्यू) और तृतीय श्रेणी के पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को एक समान, सुव्यवस्थित और गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करना है। शिक्षार्थियों के लिए मराठी भाषा में पाठ्यक्रम सामग्री प्रक्रियाधीन है।

v) भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के साथ समझौता: एनआईओएस और आईएमए ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य एनआईओएस द्वारा प्रस्तावित स्वास्थ्य और पैरामेडिकल से संबंधित परियोजनाओं और कार्यक्रमों पर सहयोग करना है।

vi) प्रशांति बालमंदिर ट्रस्ट के साथ समझौता: माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक पाठ्यक्रम के लिए स्कूलों के प्रत्यायन के लिए जुलाई 2021 को एनआईओएस द्वारा प्रशांति बालमंदिर ट्रस्ट के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। ट्रस्ट ने कर्नाटक के 18 जिलों और तेलंगाना में एक में 23 संस्थानों की स्थापना की है। इसके अलावा इसकी कर्नाटक के सभी जिलों और अन्य राज्यों में भी अपनी गतिविधियों को विस्तारित करने की योजना है। लगभग 5000 लड़के और लड़कियां मूल्य आधारित शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

डिजिटल पहल

 

वर्चुअल ओपन स्कूल: केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने 14 अगस्त, 2021 को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) की "वर्चुअल स्कूल पहल" की शुरुआत की।

 

वर्चुअल ओपन स्कूल 27 अक्टूबर, 2021 से शुरू हो गया है, विभिन्न विषयों में माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक की लगभग 62 कक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित की गई हैं।

 

पीएम -विद्या कार्यक्रम -विद्या चैनल 10 (माध्यमिक) और -विद्या चैनल 12 (सीनियर सेकेंडरी) पर कार्यदिवसों पर लाइव, इंटरैक्टिव कार्यक्रमों के माध्यम से पीएम -विद्या पर माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर पाठ्यक्रमों का संचालन।

 

एमओओसी पहल - पीडीएफ में पाठ, एक शिक्षण वीडियो, आत्म-मूल्यांकन अभ्यास और चर्चा मंच के इस्तेमाल से स्वयं एमओओसी को विकसित किया गया है। वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर स्वयं एमओओसी पर 20 पाठ्यक्रम और माध्यमिक स्तर पर 16 पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।

 

दीक्षा: एनआईओएस दीक्षा पोर्टल में एक सक्रिय योगदानकर्ता है। एनआईओएस इस डिजिटल रिपॉजिटरी पर माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर विभिन्न पाठ्यक्रमों की डिजिटल पाठ्यपुस्तकों को लगातार अपलोड कर रहा है। वर्तमान में माध्यमिक स्तर पर 21 विषय (अंग्रेजी माध्यम) और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर 32 विषयों (अंग्रेजी माध्यम) की सामग्री अपलोड है।

 

ऑडियो और वीडियो संसाधन: एनआईओएस ऑडियो/वीडियो संसाधन एनआईओएस वेबसाइट www.nios.ac.in और यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध हैं।

 

क्यूआर कोड, -पब और मोबाइल एप: शैक्षणिक विभाग ओबीई कार्यक्रम, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के सभी पाठ्यक्रमों में एसएलएम के लिए क्यूआर कोड, -पब और मोबाइल ऐप शुरू करने का प्रयास कर रहा है।

 

पुरस्कार और उपलब्धियां: एनआईओएस ने 'भारतीय सांकेतिक भाषा-आधारित सामग्री पर विशेष ध्यान देने के साथ प्रौद्योगिकी-सक्षम समावेशी शिक्षण सामग्री के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों को शिक्षित करने' के लिए प्रतिष्ठित यूनेस्को किंग सेजोंग साक्षरता पुरस्कार 2021 जीता।

 

क्षेत्रीय केंद्र गांधीनगर, एनआईओएस, 24 अध्ययन केंद्रों को समग्र शिक्षा, गुजरात स्कूल शिक्षा परिषद (जीसीएसई) की योजना के तहत स्कूल से बाहर के बच्चों (ओओएससी) के लिए माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक पाठ्यक्रम के लिए गुजराती / हिंदी / अंग्रेजी माध्यम के लिए मान्यता दी गई है।

 

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड

 

() पाठ्यचर्या पहल

 

वर्ष 2021-22 के लिए मूल्यांकन की नई योजना: सीबीएसई ने सत्र 2021-22 से पाठ्यक्रम में निर्धारित आंतरिक मूल्यांकन के अलावा विभिन्न ऑनलाइन / ऑफलाइन विकल्पों के साथ द्विवार्षिक परीक्षा की एक योजना अधिसूचित की है। परीक्षाएं पाठ्यक्रम के आधे हिस्से पर दो-दो टर्म के अंत में आयोजित की जाएंगी। नवंबर-दिसंबर 2021 के दौरान पहले टर्म की डेढ़ घंटे की अवधि की परीक्षा छात्रों के स्कूलों में आंतरिक रूप से आयोजित की गई, जिसमें सीबीएसई द्वारा नियुक्त बाहरी पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में सीबीएसई द्वारा विकसित बहु-विकल्प प्रश्नपत्र का उपयोग किया गया। दूसरे सत्र की परीक्षा मार्च-अप्रैल 2022 के दौरान बाहरी केंद्रों में 2 घंटे की कम अवधि के लिए आयोजित की जाएगी। इसमें वर्णनात्मक प्रश्न होंगे। जुलाई 2021 माह में इस योजना की अधिसूचना के बाद स्कूलों में विभाजित पाठ्यक्रम के आधार पर शिक्षण शुरू हो गया है।

 

ग्रेड 3, 5 और 8 के लिए स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट फॉर एनालिसिस लर्निंग (सफल) का शुभारंभ: सीबीएसई ने स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट फॉर एनालिसिस लर्निंग (सफल) लॉन्च किया, जो छात्रों के बीच मूलभूत कौशल और बुनियादी शिक्षण के परिणामों / दक्षताओं की प्रगति का आकलन करने के लिए ग्रेड 3, 5 और 8 के लिए एक योग्यता-आधारित मूल्यांकन है। सफल, नैदानिक ​​मूल्यांकन के रूप में, छात्रों पर अतिरिक्त परीक्षा दबाव के बिना शिक्षण में सुधार के लिए स्कूलों और शिक्षकों को विकास संबंधी फीडबैक प्रदान करेगा। इसे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को पूरे स्कूल के वर्षों में सीखने की प्रगति को ट्रैक करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो केवल कक्षा 10 और 12 के लिए ही नहीं है। सफल परिणामों का उपयोग स्कूलों द्वारा अगली कक्षा में छात्रों की पदोन्नति के लिए किसी भी तरह से नहीं किया जाएगा। भाषा, गणित और ईवीएस/विज्ञान के प्रमुख पाठ्यक्रम क्षेत्रों में शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के दौरान कक्षा 3, 5 और 8 के छात्रों के लिए सीबीएसई स्कूलों में प्रायोगिक आधार पर सफल आयोजित किया जाएगा।

 

सीबीएसई स्कूलों में निपुण भारत दिशानिर्देशों के साथ सीबीएसई फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी (एफएलएन) मिशन का शुभारंभ: अपने स्कूलों में निपुण भारत के कार्यान्वयन के लिए, सीबीएसई ने सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन के सहयोग से शिक्षकों के क्षमता निर्माण के लिए एफएलएन पर व्यावसायिक विकास पाठ्यक्रम शुरू किया है। प्रारंभिक ग्रेड में सीखने की कमी को दूर करने, एफएलएन डोमेन में अवधारणाओं को समझने के लिए शिक्षकों की क्षमता विकसित करने और उन्हें कक्षाओं में उनकी मदद करने के लिए उपकरणों और संसाधनों से लैस करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। बोर्ड ने एफएलएन कॉर्नर नामक एक माइक्रोसाइट भी बनाई है और इसे http://cbseacademic.nic.in/fln/ पर देखा जा सकता है।

 

सीबीएसई एफएलएन माइक्रोसाइट पर उपलब्ध ग्रेड 1 से 5 के लिए प्रत्येक ग्रेड के लिए 500 योग्यता-आधारित प्रश्नों का एक प्रश्न-बैंक।

 

सीबीएसई एसक्यूएए फ्रेमवर्क या सीबीएसई के स्कूल गुणवत्ता आश्वासन और आकलन ढांचे का शुभारंभ: सीबीएसई को केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों के लिए मानक निर्धारण प्राधिकरण (एसएसए) के रूप में कार्य करने के लिए अनिवार्य किया गया है और इसके लिए इन स्कूलों का मूल्यांकन गुणवत्ता संबंधी क्रियाकलाप के लिए किया जा सकता है। यह गुणवत्ता मूल्यांकन ढांचा स्कूलों को परिभाषित मानकों के अनुसार खुद का मूल्यांकन करने और सुधार करने और स्कूलों को गुणात्मक बेंचमार्क प्रदान करने में सक्षम बनाता है, जिसके आसपास वे अपने स्वयं के सुधार का मूल्यांकन कर सकते हैं। स्कूल के कामकाज के विभिन्न 7 क्षेत्रों में मानक - पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन (40 प्रतिशत), आधारभूत संरचना (10 प्रतिशत), मानव संसाधन (10 प्रतिशत), समावेशी अभ्यास (10 प्रतिशत), प्रबंधन और शासन (10) प्रतिशत), नेतृत्व (10 प्रतिशत), लाभार्थी संतुष्टि (10 प्रतिशत) तैयार किए गए हैं सीबीएसई ने के.वी, जेएनवी सहित देश भर के विभिन्न स्कूलों के साथ एक पायलट अध्ययन शुरू किया है, जो जनवरी 2022 में संपन्न होगा और स्कूलों के लिए स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन मानक ढांचे पर उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। एसक्यूएए को वर्ष 2022 से संबद्धता के विस्तार से जोड़ा जाएगा।

 

(बी) प्रमुख सम्मेलन / पुरस्कार

 

शिक्षण और स्कूल में उत्कृष्टता के लिए सीबीएसई सम्मान: 21 सितंबर, 2021 को शिक्षा राज्य मंत्री ने शिक्षण और स्कूल नेतृत्व में उत्कृष्टता का प्रदर्शन करने के लिए भारत में और देश के बाहर सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के 22 शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को सम्मानित किया। सीबीएसई अध्यक्ष और सचिव सीबीएसई की उपस्थिति में एक ऑनलाइन समारोह के दौरान वर्ष 2020-21 के लिए पुरस्कार दिए गए। 22 पुरस्कार विजेता प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के शिक्षक हैं, जिन्होंने केवल अपनी नवीन क्रियाकलापों के साथ अत्यधिक योगदान दिया है, बल्कि कोविड-19 महामारी के दौरान चुनौतियों का सामना भी किया है और ऑनलाइन मोड में निर्बाध शिक्षण सुनिश्चित करते हुए छात्रों तक पहुंच कायम रखा है।

 

(सी) छात्र संवर्धन गतिविधियां

 

i. आर्यभट्ट गणित चैलेंज (एजीसी) 2021: आजादी का अमृत महोत्सव (इंडिया@75) के हिस्से के रूप में, सीबीएसई ने छात्रों के बीच गणितीय क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आर्यभट्ट गणित चैलेंज (एजीसी)-2021 का आयोजन किया। एजीसी-2021 की थीम भारत की गणितीय विरासत थी। देश भर में अधिकतम छात्रों तक पहुंच बनाने के क्रम में, बोर्ड ने इस साल MyGov और दीक्षा प्लेटफॉर्म पर आर्यभट्ट गणित चैलेंज का आयोजन किया। यह चैलेंज 31 अगस्त, 2021 से 30 सितंबर, 2021 तक उपलब्ध थी। कक्षा 8 से 10 तक के छात्र चाहे किसी भी बोर्ड के हों, इस चैलेंज में भाग लेने के पात्र हैं।

 

(ii) आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रगान के गायन के बारे में छात्रों में जागरूकता के लिए गतिविधियाँ: सीबीएसई ने अपने स्कूलों से राष्ट्रगान के गायन सहित सभी कार्यक्रमों - पोस्टरमेकिंग प्रतियोगिता, स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित स्थानों के बारे में अनुच्छेद लेखन, रोल प्ले, दादा-दादी द्वारा कहानी सुनाना और प्रश्नोत्तरी आदि जैसी गतिविधियों में भाग लेने का अनुरोध किया, जो आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के तहत भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित किए जा रहे हैं।

 

(iii) जीवन कौशल, स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम में किशोर शिक्षक नेतृत्व: सीबीएसई ने एक्सप्रेशन्स इंडिया के सहयोग से अपने छात्रों के जीवन कौशल, समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए किशोर शिक्षक नेतृत्व कार्यक्रम शुरू करने और समर्थन करने की योजना बनाई है। शारीरिक, मानसिक और पारस्परिक विकास के अवधारणा से जुड़े क्रियाकलापों के बल पर, अभिविन्यास कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से इस पहल के कार्यान्वयन के पहले चरण को आगे बढ़ाने के लिए कुछ व्यापक विषयों की पहचान की गई है। स्कूल ( कक्षा IX और XI से प्रत्येक में से दो-दो) चार वरिष्ठ छात्रों (पीयर एजुकेटर्स) को व्यापक अभिविन्यास कार्यक्रम में भाग लेने के लिए तथा एक शिक्षक एवं स्कूल काउंसलर / वेलनेस टीचर को 4 शिक्षकों का समर्थन करने के लिए नामित किया जाएगा।

 

(iv) सीबीएसई रीडिंग चैलेंज 3.0 : शिक्षार्थियों के बीच पठन साक्षरता को बढ़ावा देने पर ध्यान देने के साथ, सीबीएसई ने अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं के लिए कक्षा 6 से 10 वीं के छात्रों के लिए सीबीएसई रीडिंग चैलेंज 3.0 का आयोजन किया। यह चैलेंज दीक्षा प्लेटफॉर्म पर 22/11/2021 से 31/12/2021 तक उपलब्ध किया गया। कक्षा 6वीं से 10वीं तक के छात्र इस चैलेंज में भाग लेने के पात्र हैं। जो स्कूल सीबीएसई से संबंध नहीं है, उन स्कूलों के छात्र सीधे दीक्षा मंच पर पाठ्यक्रम का उपयोग कर सकते हैं। पाठ्यक्रम पूरा करने वाले सभी छात्रों को भागीदारी प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। पाठ्यक्रम पूरा होने पर भागीदारी प्रमाणपत्र दीक्षा प्लेटफॉर्म पर ही ऑनलाइन जारी किए जाएंगे।

 

v. आजादी का अमृत महोत्सव: स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग - डाक विभाग का 75 लाख पोस्ट कार्ड अभियान: आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम), डाक विभाग, संचार मंत्रालय, स्कूल शिक्षा विभाग के साथ चल रहे समारोहों के हिस्से के रूप में और साक्षरता, शिक्षा मंत्रालय, सीबीएसई से संबद्ध सभी स्कूलों के कक्षा 4 से 12 वीं के छात्रों के लिए 1-30 दिसंबर, 2021 से 75 लाख पोस्ट कार्ड अभियान' का आयोजन कर रहा है। छात्रों को दो विषयों- "स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक" और "2047 में भारत के लिए मेरा दृष्टिकोण" में से किसी एक पर भारत के प्रधानमंत्री को एक पोस्ट कार्ड लिखना आवश्यक है। स्कूल के प्रधान अधिकतम 10 पोस्ट कार्ड को शॉर्टलिस्ट करेंगे। पोस्ट कार्ड और सीबीएसई पोर्टल/माईगोव पोर्टल पर अपलोड करेंगे। शेष पोस्ट कार्ड स्थानीय डाक अधिकारियों को सौंपे जाएंगे। सीबीएसई राष्ट्रीय स्तर पर, 75 सर्वश्रेष्ठ पोस्ट कार्ड चुने जाएंगे और जनवरी, 2022 के तीसरे या चौथे सप्ताह में आयोजित अंतिम कार्यक्रम में भाग लेने के लिए डाक विभाग को अग्रेषित किए जाएंगे।

vi. वीर गाथा : वीर गाथाओं के विवरण और वीरों के जीवन की कहानियों को छात्रों के बीच प्रसारित करने के लिए, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और रक्षा मंत्रालय ने 21 अक्टूबर से 20 नवंबर, 2021 तक वीर गाथा परियोजना का आयोजन किया। वीर गाथा परियोजना, स्कूलों ने 30 नवंबर, 2021 तक, छात्रों द्वारा तैयार किए गए वीरता पुरस्कार विजेताओं पर सर्वश्रेष्ठ चयनित परियोजनाएं प्रस्तुत कीं। क्षेत्रीय स्तर के मूल्यांकन के बाद सीबीएसई स्कूलों और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से संयुक्त रूप से 25 सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं का चयन किया जाएगा। इन्हें रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय द्वारा आगामी गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी, 2022 को पुरस्कृत किया जाएगा। सीबीएसई स्कूलों से कुल 19142 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं। वीर गाथा परियोजना में सीबीएसई स्कूलों के 8,03,978 छात्रों ने भाग लिया। मूल्यांकन प्रक्रियाधीन है।

 

प्रकाशन

 

i. रीडिंग लिटरेसी: प्रैक्टिस बुक फॉर स्टूडेंट्स: अंग्रेजी में रीडिंग लिटरेसी: प्रैक्टिस बुक फॉर स्टूडेंट्स नामक किताब विकसित करके उन्हें जारी की है। यह अभ्यास पुस्तक कक्षा 7-10 के छात्रों को स्व-शिक्षण मोड में विभिन्न प्रकार के पाठों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करती है। यह छात्रों को एक अभिनव, आकर्षक और कार्यात्मक तरीके से भाषा की बारीकियों को सीखने में मदद करेगी। इस अभ्यास पुस्तक की पाँच इकाइयाँ भोजन, यात्रा, खेल से लेकर हमारी गौरवशाली विरासत तक के विषयों का एक उदार मिश्रण हैं। पुस्तक विभिन्न प्रकार की प्रामाणिक पठन सामग्री जैसे फिल्म समीक्षा, पोस्टर, उद्धरण, कार्टून, ब्लॉग, इंस्टाग्राम पोस्ट और बहुत कुछ प्रस्तुत करती है। यह छात्रों को एक समृद्ध पठन पाठन का अनुभव प्रदान करती है। इन विषयों को शिक्षार्थी के हितों और बड़े शैक्षिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है।

 

(ii) आकलन और मूल्यांकन की पुस्तिका: बोर्ड ने अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, बेंगलुरु और सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन के सहयोग से आकलन और मूल्यांकन की - आइटम डिजाइन और परीक्षण विकास नामक सर्वोत्तम अभ्यास पुस्तिका विकसित की है। यह हैंडबुक सभी विषयों के शिक्षकों को परीक्षण आइटम डिजाइन करने में मदद करेगी जो छात्र शिक्षण का एक वैध और विश्वसनीय उपाय है। इस पुस्तिका के कुछ इच्छित उद्देश्य हैं: परीक्षण डेवलपर के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना जो सीखने के आकलन के लिए प्रश्न या क्रियाकलाप तैयार करते हैं; आइटम लेखन, विशेषताओं और उच्च गुणवत्ता वाले मूल्यांकन उपकरणों के विकास के लिए शिक्षण संरचना की भूमिका को विस्तृत करने और मार्किंग गाइड के निर्माण के लिए इनपुट प्रदान करते हैं। यह पुस्तिका आकलनों को अच्छी तरह से परिभाषित करने, समझने में आसान मॉड्यूल विकसित करने की प्रक्रिया को बनाती है, जो शिक्षकों को विभिन्न दक्षताओं के परीक्षण के लिए सटीक परीक्षण आइटम तैयार करने में मदद करेगी। यह पुस्तक सीबीएसई की अकादमिक वेबसाइट http://cbseacademic.nic.in/web_material/Manuals/Assessment- Evaluation_handbook.pdf  लिंक पर उपलब्ध है।

 

(iii) सीटीईटी प्रश्न पत्र विश्लेषण: एनईपी 2020 की दृष्टि और सिफारिशों के अनुरूप, बोर्ड ने एक अध्ययन शुरू किया, जहां सीटीईटी पेपरों की गुणात्मक और मात्रात्मक समीक्षा की गई। इस समीक्षा ने सीटीईटी परीक्षा की टेस्ट पेपर विकास प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

 

पाठ्यक्रम को दक्षता के मूल्यांकन के लिए एक विस्तृत संरचना के रूप में फिर से परिभाषित किया गया था, जो विषय सामग्री पर आधारित ज्ञान और शैक्षणिक सामग्री पर आधारित ज्ञान दोनों का आकलन करता है। इसके अलावा, विशेषज्ञों/ विषय के लेखकों के लिए एक पुस्तिका विकसित की गई थी।

 

इस प्रक्रिया में निम्नलिखित प्रकाशन विकसित किए गए:

 

सीटीईटी2020: अध्ययन रिपोर्ट

सीटीईटी2021: अध्ययन रिपोर्ट

परीक्षण विकास प्रक्रिया: विशेषज्ञों के लिए पुस्तिका

दक्षता कार्यक्रम: पेपर 1

दक्षता कार्यक्रम: पेपर 2

 

यह काम अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी और सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन के सहयोग से किया गया।

 

(iv) सीबीएसई की टर्म-I बोर्ड परीक्षाओं (2021-22) के लिए प्रश्न पत्र डिजाइन करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए समिति की रिपोर्ट: शैक्षणिक सत्र 2020-21 में कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों के बंद होने और अन्य प्रतिबंधों के कारण, और बाद में दूसरी बार अप्रैल 2021 के बाद से, सीबीएसई को 2020-21 की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा। सीबीएसई ने सत्र 2021- 22 के लिए कक्षा X और XII के लिए बोर्ड परीक्षाओं के लिए आकलन की एक विशेष योजना की घोषणा की, जिसमें 02 सत्र की परीक्षाएं शामिल थीं। सत्र 2021-22 के टर्म 1 और टर्म 2 के लिए परीक्षण डिजाइन और विकास के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए जुलाई 2021 में शिक्षाविदों, अनुसंधान, परीक्षण संगठनों और प्रशासकों के विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन किया गया था। कार्य पूरा हो गया था और अंतरिम रिपोर्ट पहले अगस्त 2021 में साझा की गई थी।

 

मनोवैज्ञानिक-सामाजिक कल्याण

 

सीबीएसई परामर्श कार्यक्रम: सीबीएसई परामर्श कार्यक्रम, बोर्ड का एक वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक छात्रों की विभिन्न श्रेणियों को परीक्षा से पहले और बाद में मुफ्त परामर्श देना है।

 

इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए संवाद और आउटरीच के पारंपरिक और उन्नत तरीके अपनाए जाते हैं। सीबीएसई ने इस अग्रणी सामुदायिक कार्य को 23 साल पहले 1998 में टेलीफ़ोनिक परामर्श प्रदान करके शुरू किया था, जो अब विभिन्न तरीकों और कार्यक्षेत्रों में विस्तारित हो गया है:

इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम (आईवीआरएस): सीबीएसई एक टोल-फ्री नंबर पर आईवीआरएस की सुविधा प्रदान करता रहा है। छात्र/ माता-पिता/ हितधारक बोर्ड परीक्षाओं से निपटने के लिए प्री-रिकॉर्डेड उपयोगी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें बेहतर तैयारी, समय और तनाव दूर करने के लिए टिप्स, लाइव टेली-काउंसलिंग सेवाओं के साथ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न शामिल हैं।

 

निःशक्तजन छात्रों के लिए परामर्श : सीबीएसई निःशक्तजन छात्रों के लिए परामर्श सुविधा की भी व्यवस्था करता है। इस अवधि के दौरान प्रश्नों को हल करने के लिए विशेषज्ञ उपलब्ध हैं।

ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतियों के माध्यम से परामर्श: सीबीएसई की वेबसाइट पर छात्रों के साथ-साथ माता-पिता से संबंधित विभिन्न विषयों जैसे आक्रामकता, इंटरनेट की लत विकार, अवसाद, परीक्षा की चिंता, विशिष्ट सीखने की अक्षमता, मादक द्रव्य सेवन विकार और जीवन-कौशल पर ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतियां प्रदान की गईं।

 

पॉडकास्ट: छात्रों, अभिभावकों और आम लोगों के लिए पॉडकास्ट और अन्य सहायक सामग्री भी बनाई गई और उपलब्ध कराई गई। बोर्ड के -मेल के माध्यम से छात्रों के प्रश्नों का अनुकूल और शीघ्रता से उत्तर दिया गया।

 

सोशल मीडिया एंगेजमेंट: यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम प्लेटफॉर्म का उपयोग स्वस्थ व्यवहारों को बढ़ावा देने, महत्वपूर्ण संदेशों को साझा करने और छात्रों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए किया गया था। छात्रों के लाभ के लिए इन प्लेटफॉर्म पर टिप्स और एफएक्यू भी साझा किए गए थे।

 

 

सार्वजनिक उत्तरदायित्व और आउटरीच: हाल के दिनों में सोशल मीडिया के उद्भव और इस क्षेत्र में बढ़ती सार्वजनिक भागीदारी और रुचि के साथ, बोर्ड ने बोर्ड के हितधारकों के साथ व्यापक कनेक्टिविटी और संचार के लिए इसके महत्व और उपयोगिता को समझते हुए यूट्यूब, ट्विटर, फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाए हैं।

 

सोशल मीडिया अपसर्ज: सीबीएसई सोशल मीडिया हैंडल जनता के लिए सूचना के प्रामाणिक स्रोत के रूप में उभरा है। लॉकडाउन अवधि के दौरान, इसके फॉलोवर और ग्राहकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

 

आरटीआई और जन शिकायत निवारण की निगरानी: सीबीएसई ने सार्वजनिक सुविधा को लेकर अपने अभियान में, पारदर्शी और त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत सार्वजनिक शिकायत निवारण तंत्र और सूचना प्रकटीकरण प्रक्रियाओं को ऑनलाइन सिस्टम के साथ जोड़ा है। बोर्ड सक्रिय रूप से ऑनलाइन और ऑफलाइन आरटीआई और लोक शिकायत निपटान की निगरानी और सुविधा प्रदान करता है।

 

कोविड श्रेणी के तहत लोक शिकायत निपटान: कोविड-19 से संबंधित शिकायतों के लिए एक विशेष कोरोना श्रेणी बनाई गई और इस विशेष श्रेणी के तहत प्राप्त जन शिकायतों का 03 दिनों के भीतर जवाब दिया गया।

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एमजी/एएम/एसकेएस/डीवी

 



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