वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय
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घरेलू और विदेशी निवेशों को बढ़ावा देने के लिए पहल


पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 81.97 बिलियन डॉलर का अब तक का सर्वाधिक वार्षिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई)


41 बिलियन डॉलर के बराबर के शीघ्र आरंभ होने वाले 272 प्रस्तावों सहित 121 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ कुल 863 निवेश परियोजनाएं सक्रिय विचार के अधीन


पीएलआई योजनाएं उत्पादन में 504 बिलियन डॉलर का बढ़ावा देंगी और लगभग 1 करोड़ रोजगारों का सृजन करेंगी

Posted On: 16 DEC 2021 6:55PM by PIB Delhi

सरकार ने भारत में घरेलू और विदेशी निवेशों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाये हैं। इनमें कंपनी कर दरों में कमी, एनबीएफसी तथा बैंकों की तरलता समस्याओं का समाधान, व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार, एफडीआई नीति में संशोधन, अनुपालन बोझ में कमी, सार्वजनिक खरीद ऑर्डरों के जरिये घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत उपाय, चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी), विभिन्न मंत्रालयों की उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों के लिए योजनाएं शामिल हैं। निवेशों को सुगम बनाने के लिए, भारत औद्योगिक भूमि बैंक (आईआईएलबी), औद्योगिक पार्क रेंटिंग प्रणाली (आईपीआरएस), नेशनल सिंगल विंडो स्स्टिम (एनएसडब्ल्यूएस), राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी), राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) आदि जैसे उपाय भी किए गए हैं।

इसके परिणामस्वरूप, भारत ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 81.97 बिलियन डॉलर ( अनंतिम संख्या) का अब तक की सर्वाधिक वार्षिक एफडीआई आवक दर्ज कराई है। पिछले सात वित्तीय वर्षों ( 2014-21) में एफडीआई आवक 440.27 बिलियन डॉलर की रही है जो पिछले 21 वित्तीय वर्षों ( 2000-21: 763.83 बिलियन डॉलर ) में रहे कुल एफडीआई आवक की लगभग 58 प्रतिशत है। अप्रैल, 2014 और अगस्त 2021 के दौरान जिन शीर्ष पांच देशों से एफडीआई इक्विटी प्रवाह प्राप्त हुआ, वे हैं- सिंगापुर ( 28 प्रतिशत), मॉरीशस ( 22 प्रतिशत), अमेरिका ( 10 प्रतिशत), नीदरलैंड ( 8 प्रतिशत) और जापान ( 6 प्रतिशत)। पिछले सात वर्षों से अधिक की समान अवधि में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सेक्टर ने एफडीआई आवक का सबसे अधिक हिस्सा ( 19 प्रतिशत)  आकर्षित किया जिसके बाद सेवा क्षेत्र ( 15 प्रतिशत), ट्रेडिंग ( 8 प्रतिशत) और दूरसंचार तथा निर्माण (अवसंरचना) ( 7 प्रतिशत प्रत्येक) के स्थान रहे।

सचिवों का अधिकार संपन्न समूह (ईजीओएस) एवं परियोजना विकास प्रकोष्ठ (पीडीसी)

निवेशकों की सहायता करने, सुविधा प्रदान करने तथा निवेशक अनुकूल परितंत्र उपलब्ध कराने के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सचिवों के अधिकारसंपन्न समूह (ईजीओएस) तथा मंत्रालयों में परियोजना विकास प्रकोष्ठ (पीडीसी) के भी गठन को मंजूरी दी जिससे कि केंद्रीय सरकार तथा राज्य सरकारों के बीच समन्वयन में निवेशों को फास्ट ट्रैक किया जा सके तथा इसके माध्यम से घरेलू निवेशों और एफडीआई आवक को बढ़ाने के लिए भारत में निवेश योग्य परियोजनाओें की पाइपलाइन को बढ़ावा दिया जा सके।

संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की अध्यक्षता में भारत सरकार के 29 मंत्रालय में अब पीडीसी की स्थापना की गई है। सभी पीडीसी स्पष्ट रूप से निर्धारित निवेशक जुड़ाव कार्यनीतियों का निष्पादन कर रहे हैं जिनमें संभावित निवेशकों की पहचान, निवेशकों के साथ बहु स्तरीय जुड़ाव शामिल हैं जिन्होंने निवेशकों के वर्तमान मुद्वों के समाधान, नई परियोजनाओं के विकास तथा वर्तमान निवेश अवसरों को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों की एक विशाल श्रृंखला के साथ सक्रिय भागीदारी में दिलचस्पी प्रदर्शित की है।

आकलनों से संकेत मिलता है कि 121 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ कुल 863 निवेश परियोजनाएं पीडीसी के तहत सक्रिय रूप से विचाराधीन है। इनमें 41 बिलियन डॉलर के बराबर की 272 उच्च संभाव्य ( 90 प्रतिशत से अधिक संभाव्यता के साथ), 69 बिलियन डॉलर के बराबर की मझोले रूप से संभाव्य (51-90 प्रतिशत) तथा 11 बिलियन डॉलर के बराबर की दीर्घ अवधि ( 50 प्रतिशत से कम) की परियोजनाएं शामिल हैं।

उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों (पीएलआई) के लिए योजनाएं

भारत के ‘ आत्म निर्भर‘ बन जाने तथा विनिर्माण क्षमताओं एवं निर्यातों को बढ़ाने के के विजन को दृष्टि में रखते हुए, वित वर्ष 2021-22 से आरंभ होकर विनिर्माण के 13 प्रमुख सेक्टरों के लिए पीएलआई स्कीमों के लिए 2021-22 के आम बजट में 1.97 लाख करोड़ रुपये ( 26 बिलियन डॉलर से अधिक) के एक परिव्यय की घोषणा की गई है।

13 प्रमुख सेक्टरों में पहले से ही विद्यमान तीन सेक्टर जिनमे नाम हैं-(1) मोबाइल विनिर्माण एवं विशिष्ट इलेक्ट्रोनिक कंपोनेंट, (2) क्रिटिकल की स्टार्टिंग मैटेरियल्स/ड्रग्स इंटरमीडियरीज एंड एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (3) मेडिकल डिवाइसेज का विनिर्माण तथा 10 नए प्रमुख सेक्टर जिन्हें नवंबर 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदितत किया गया है। ये 10 प्रमुख सेक्टर हैं:

(1) ऑटोमोबाइल एवं ऑटों कंपोनेंट, (2) फार्मास्यूटिकल ड्रग्स, (3) स्पेशियलिटी स्टील (4) टेलीकॉम एवं नेटवर्किंग उत्पाद, (5) इलेक्ट्रोनिक/टेक्नोलॉजी उत्पाद (6) व्हाइट गुड्स (एसी एवं एलईडी), (7) खाद्य उत्पाद, (8) कपड़ा उत्पाद: एमएमएफ सेगमेंट एवं टेक्निकल टेक्सटाइल (9) उच्च दक्षता प्राप्त सोलर पीवी मॉड्यूल्स एवं एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी।

एक अतिरिक्त सेक्टर, ड्रोन और ड्रोन कंपोनेंट के लिए भी पीएलआई स्कीम को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सितंबर 2021 में मंजूरी दी गई है। पीएलआई स्कीमों की घोषणा के साथ, अगले पांच वर्षों तथा और अधिक समय में उत्पादन के उल्लेखनीय सृजन, रोजगार और आर्थिक विकास की उम्मीद है।

इन योजनाओं की रूपरेखा विशेष रूप से कोर क्षमता तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने, दक्षता सुनिश्चित करने तथा विनिर्माण क्षेत्र में आकार और परिमाण की अर्थव्यवस्थाओं को लाने और भारतीय विनिर्माताओं को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने जिससे कि वे वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ समेकित हो सकें, के लिए बनाई गई है।

ऐसी उम्मीद है कि पीएलआई योजनाओं से अगले पांच वर्षों तथा और अधिक समय में उत्पादन उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगा ( 504 बिलियन डॉलर से अधिक), रोजगार में बढोतरी होगी ( एक करोड़ से अधिक) तथा आर्थिक वृद्धि होगी।

मेक इन इंडिया

निवेश को सुगम बनाने, नवोन्मेषण को बढ़ावा देने, स्तरीय अवसंरचना में सर्वश्रेष्ठ का निर्माण करने और विनिर्माण, डिजाइन और नवोन्मेषण के लिए भारत को हब बनाने के लिए 25 सितंबर, 2014 को ‘मेक इन इंडिया‘ योजना लांच की गई थी। एक मजबूत विनिर्माण सेक्टर का विकास अभी भी भारत सरकार की प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है।

‘वोकल फॉर लोकल‘ की पहलों ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र को पहली बार दुनिया के सामने प्रकट किया था। इस सेक्टर में न केवल आर्थिक विकास को उच्चतर मार्ग पर ले जाने की क्षमता है बल्कि यह हमारे युवा श्रम बल के बड़े हिस्से को रोजगार भी उपलब्ध करा सकता है।

अपने लांच होने के बाद से मेक इन इंडिया ने उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं और अब यह मेक इन इंडिया 2.0 के तहत 27 सेक्टरों पर फोकस कर रहा है। डीपीआईआईटी 15 विनिर्माण सेक्टरों के लिए कार्य योजनाओं को समन्वित कर रहा है जबकि वाणिज्य विभाग 12 सेवा सेक्टरों को समन्वित कर रहा है। डीपीआईआईटी 24 उप-क्षेत्रों के साथ भी घनिष्ठतापूर्वक कार्य कर रहा है जिन्हें भारतय उद्योगों की ताकत और प्रतिस्पर्धी लाभ, आयात प्रतिस्थापन, निर्यात की क्षमता तथा बढ़ी हुई रोजगारपरकता को ध्यान में रखते हुए चुना गया है।

निवेश मंजूरी प्रकोष्ठ (आईसीसी)

आम बजट 2020-21 प्रस्तुत करते हुए, वित मंत्री ने एक निवेश मंजूरी प्रकोष्ठ (आईसीसी) के गठन की योजनाओं की घोषणा की थी जो निवेश पूर्व परामर्श, भूमि बैंकों से संबंधित सूचना उपलब्ध कराने तथा केंद्र एवं राज्य स्तर पर मंजूरियों को सुगम बनाने सहित निवेशकों को ‘संपूर्ण‘ सुविधा प्रदान करेंगे। इस प्रकोष्ठ को एक ऑनलाइन डिजिटल पोर्टल के माध्यम से ऑपरेट किया जाना प्रस्तावित था।

देश में सभी नियामकीय मंजूरियों और सेवाओं के लिए वन स्टाप के रूप में परिकल्पित, एनएसडब्ल्यूएस [www.nsws.gov.in] ,  को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल द्वारा 22 सितंबर, 2021 को साफ्ट लांच किया गया था। यह राष्ट्रीय पोर्टल बिना मंत्रालयों/विभागों के वर्तमान आईटी पोर्टलों को बाधित किए भारत सरकार तथा राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की वर्तमान मंजूरी प्रणालियों को समेकित करता है। पहले चरण में 19 मंत्रालयों/विभागों एवं 11 राज्यों की सिंगल विंडो प्रणालियों की मंजूरी ऑन-बोर्ड कर दी गई है। 32 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों तथा 14 राज्यों की पूरी ऑन-बोर्डिंग अगले चरणों में कर दी जाएगी, सभी शेष राज्यों को चरणबद्ध तरीके से ऑन-बोर्ड कर दिया जाएगा।

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी)

भारत सरकार देश के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए एक रूपांतरकारी पहल पर काम कर रही है। इसे एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल कहा गया है जिसका उद्वेश्य भारत के प्रत्येक जिले में अनूठे उत्पादों के उत्पादन की पहचान करना तथा उन्हें बढ़ावा देना है जिसका वैश्विक रूप से विपणन किया जा सके। यह किसी जिले की वास्तविक क्षमता को अर्जित करने में सहायता करेगा, आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, रोजगार तथा ग्रामीण उद्यमशीलता का सृजन करेगा। ओडीओपी पहल का प्रचालनगत रूप से ‘ निर्यात हब के रूप में जिला‘ पहल के साथ विलय किया गया है जिसे वाणिज्य विभाग के डीजीएफटी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है जिसमें डीपीआईआईटी डीजीएफटी द्वारा आरंभ किए गए कार्य को समन्वित करने के लिए एक प्रमुख हितधारक है। ओडीओपी के तहत इनवेट इंडिया के साथ डीपीआईआईटी द्वारा जिन प्रमुख कार्यकलापों को सुगम बनाया जा रहा है, वे हैं विनिर्माण, विपणन, ब्रांडिंग, आंतरिक व्यापार एवं ई-कॉमर्स।

ओडीओपी के आरंभिक चरण के तहत, देश भर में 103 जिलों से 106 उत्पादों की पहचान की गई है। ओडीओपी पहल के तहत निर्यात को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय सफलता अर्जित कर ली गई है।

 

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