इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
आजादी का डिजिटल महोत्सव
राजीव चंद्रशेखर ने ब्लॉकचेन पर राष्ट्रीय रणनीति पेश की
भारत का पहला स्वदेशी सर्वर- रुद्र लॉन्च किया
स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज के प्रतिभागियों के साथ संवाद किया और उन्हें एमईआईटीवाई से उनको सभी जरूरी सहायता का भरोसा दिलाया
उन्हें इलेक्ट्रॉनिकी और सेमीकंडक्टर डिजाइन व विनिर्माण के क्षेत्र में अग्रणी रूप में भारत के इस सफर की पटकथा लिखने में भागीदार बताया
Posted On:
03 DEC 2021 5:48PM by PIB Delhi
आजादी का डिजिटल महोत्सव मनाते हुए, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने 3 दिसंबर, 2021 को ब्लॉकचेन पर राष्ट्रीय रणनीति जारी की।
रणनीतिक दस्तावेज का उद्देश्य साझा ब्लॉकचेन इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से विश्वसनीय डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करना, अनुसंधान एवं विकास, नवाचार, प्रौद्योगिकी और एप्लीकेशन विकास को प्रोत्साहन देना और नागरिकों और उद्यमों को अत्याधुनिक, पारदर्शी, सुरक्षित व भरोसेमंद डिजिटल सेवा की आपूर्ति करना है, जिससे भारत को ब्लॉकचेन तकनीक में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाया जा सके।
ब्लॉकचेन ई-गवर्नैंस समाधानों और अन्य क्षेत्रों के लिए उपयुक्त तकनीक है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में भरोसा बढ़ाती है। ब्लॉकचेन सुरक्षा और गोपनीयता उपलब्ध कराती है, और विश्वसनीय इकाइयों को भरोसेमंद तरीके से विवरण दर्ज करने और पहुंच के विशेष अधिकार के साथ अनुमति मिलती है।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने साझा ब्लॉकचेन इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से विश्वसनीय डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करने, अनुसंधान एवं विकास, नवाचार, प्रौद्योगिकी और एप्लीकेशन विकास को प्रोत्साहन देने और नागरिकों और उद्यमों को अत्याधुनिक, पारदर्शी, सुरक्षित व भरोसेमंद डिजिटल सेवा देने के विजन के साथ ब्लॉकचेन पर राष्ट्रीय रणनीति तैयार की है।
यह रणनीति दस्तावेज तकनीक, विधिक, कानूनी और नियामकीय ढांचे, मानक विकास, भागीदारी, मानव संसाधन विकास और संभावित इस्तेमाल के मामलों को कवर करते हुए राष्ट्रीय ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म के विकास और कार्यान्वयन रणनीतियों संबंधित समग्र विजन का खाका खींचती है। इसमें कल्पना की गई है कि यह रणनीति दस्तावेज राष्ट्रीय ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म तैयार करने और विभिन्न क्षेत्रों में इस प्लेटफॉर्म के उपयोग से प्रासंगिक एप्लीकेशंस के विकास के विजन को साकार करने और राष्ट्रव्यापी इकोसिस्टम विकसित करने के लिए जरूरी मार्गदर्शन व समर्थन उपलब्ध कराएगा।
केंद्रीय मंत्री ने भारत का पहला स्वदेशी सर्वर- माइटी और डीएसटी द्वारा समर्थित राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) के तहत प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) द्वारा विकसित रुद्रा- भी पेश किया है।
यह भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत की पहल पर आगे बढ़ते हुए सुपरकंप्यूटिंग में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक कदम है।
एनएसएम फेज-3 के परिणाम स्वरूप प्राप्त रुद्रा सर्वर सुरक्षित, विश्वसनीय, इंटेलल स्केलेबल प्रोसेसर तकनीक की वर्तमान पीढ़ी पर आधारित डुअल सॉकेट है और तेज गणना को समर्थन देता है। इसका उद्देश्य भारत में सुपरकम्प्यूटर्स का डिजाइन और विनिर्माण करना है। यह 3.6 टी1 से 34 आईटी तक की गणना क्षमता के साथ हाफ विद्थ 1यू और 2यू में केंद्रीय बिजी आपूर्ति के साथ एक सघन फॉर्म फैक्टर सर्वर है। यह देश की बहु-क्षेत्रीय गणना जरूरतों के तहत डिजाइन, विकास, निर्माण और डिलिवरी की भारत की क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए तैयार है और इसका अहम रणनीतिक व राष्ट्रीय महत्व है। इस स्वदेश में विकसित सर्वर से एचपीसी सिस्टम्स, हाइपरस्केल डाटा सेंटर्स, एज कम्प्यूटिंग, बैंकिंग और वाणिज्य, विनिर्माण, तेल एवं गैस उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन उद्योग, रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्र लाभान्वित होंगे। सर्वर के डिजाइन को अलग वाणिज्यिक सर्वर तैयार करने और दसियों पेटाफ्लॉप्स की गणना करने वाले सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम विकास के लिए ब्लॉक्स के निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय मिशन की आवश्यकताओं के अनुरूप बेहतर ऊर्जा दक्षता, घनत्व और आर्किटेक्चर सुविधाएं हासिल करना है। बेहतर कूलिंग और ऊर्जा दक्षता के लिए डिजाइन में समावेशन के उद्देश्य से स्वदेशी डायरेक्ट लिक्विड कूलिंग तकनीक की खोज की जा रही है। सी-डैक प्रौद्योगिकी भागीदारों इंटेल और एनवीआईडीआईए विनिर्माण भागीदार एटीओएस के साथ काम कर रही है।
सभी स्टार्टअप्स और छात्रों के लिए मुख्य घटना और बहु प्रतीक्षित पल केंद्रीय माइटी/एमएसडीई राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के साथ उनका संवाद था। केंद्रीय मंत्री ने स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज के प्रतिभागियों द्वारा तैयार विभिन्न समाधानों पर संवाद और उन्हें समझने में अच्छा समय बिताया। उन्होंने देश में स्टार्टअप, नवाचार और शोध के लिए अच्छे माहौल को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज की शीर्ष 10 विजेता टीमों की भी घोषणा की। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्रालय से पूरे समर्थन का भरोसा दिलाया और उन्हें इलेक्ट्रॉनिकी और सेमीकंडक्टर सिस्टम डिजाइन व विनिर्माण में एक लीडर के रूप में भारत के सफर का भागीदार करार दिया।
भारत को माइक्रोप्रोसेसर प्रौद्योगिकी पर पूरा नियंत्रण रखने वाले कुछ चुनिंदा देशों में शुमार कराने के सरकार के प्रयासों के क्रम में घरेलू हार्डवेयर कम्प्यूट सिस्टम में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बीते साल अगस्त में इस चैलेंज की घोषणा की गई थी।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माइक्रोप्रोसेसर विकास कार्यक्रम के तहत, ओपन सोर्स आर्किटेक्चर के इस्तेमाल से दो बेहतरीन स्वदेशी प्रोसेसर विकसित किए गए हैं, जिनमें से एक को आईआईटी मद्रास ने शक्ति प्रोसेसर और एक को सी-डैक ने वीईजीए प्रोसेसर नाम दिया है।
देश और विदेश में फाउंड्री में इन अत्याधुनिक प्रोसेसर वैरिएंट की डिजाइन, विकास और निर्माण देश में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन व विनिर्माण के जीवंत इकोसिस्टम के अंतिम लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक सफल कदम है। आत्मनिर्भर बनने की महत्वाकांक्षा को साकार करने की दिशा में ठोस कदम और “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में, इस पहल का उद्देश्य भारत की रणनीतिक और औद्योगिक क्षेत्रों की भविष्य की जरूरतों पूरा करना व सबसे ज्यादा अहम निर्भरता को कम करना है।
आत्मनिर्भर भारत को प्रोत्साहन देने और वोकल फॉर लोकल के माननीय प्रधानमंत्री के विजन के तहत कंप्यूट डिजाइन में आत्मनिर्भरता हासिल करना सरकार के लिए प्राथमिक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। यह “डिजिटल इंडिया” कार्यक्रम और “मेक इन इंडिया” पहलों के स्तंभों में से एक है।
सभी स्तरों के छात्रों और स्टार्टअप्स के लिए खुला “स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज” देश में प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार इकोसिस्टम को बढ़ावा देने और डिजिटल स्वीकार्यता में अग्रणी रहने के लिए माइटी द्वारा शुरू की गई चरणबद्ध उपायों की श्रृंखला का हिस्सा है। चैलेंज का उद्देश्य प्रतिभागियों से न सिर्फ इन स्वदेशी प्रोसेसर आईपी तैयार करने और समाज की जरूरतों के लिए किफायती समाधानों के नवाचार की सहूलियत देने, बल्कि निकट भविष्य में वैश्विक और घरेलू दोनों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जटिल डिजाइन विकसित करने के लिए स्वदेशी प्रोसेसर के इर्दगिर्द पूर्ण रूप से घरेलू स्तर पर तैयार इकोसिस्टम उपलब्ध कराना भी है।
चैलेंज के लॉन्च होने के कुछ समय के भीतर ही 517 स्टार्ट-अब टीमों, शैक्षणिक संस्थानों की 3,566 टीमों और अन्य इनोवेटर्स की 2,000 टीमों सहित स्टार्ट-अप्स और छात्रों की 6,200 टीमों (1,000 सदस्यों वाली) ने स्वदेशी तकनीकों के द्वारा सरकार के समग्र #AtmaaNirbhar Bharat के मिशन में भाग लेना स्वीकार कर लिया और इसमें योगदान के प्रति अपनी उत्सुकता जाहिर की।
चैलेंज के प्रतिभागियों को माइटी द्वारा कई लाभों और तकनीक संसाधनों की पेशकश की गई थी, जिसमें न सिर्फ 5 चरण के प्रशिक्षण और आईआईटी मद्रास और सी-डैक के सर्वश्रेष्ठ प्रोसेसर डिजाइनरों से नियमित मार्गदर्शन, बल्कि हार्डवेयर प्रोटोटाइप के विकास और स्टार्ट-अप की शुरुआत के लिए चैलेंज के विभिन्न चरणों में 4.40 करोड़ रुपये का वित्तीय समर्थन भी शामिल है।
पेशकश की तारीख के 15 महीने के बाद, चैलेंज का शीर्ष 10 टीमों की घोषणा के साथ अब समापन हो रहा है। इसमें फाइनल जीतने वाले को 2.30 करोड़ रुपये का सीड फंड और 12 महीनों तक इनक्यूबेशन समर्थन मिलेगा और सबसे ऊपर स्वदेशी प्रोसेसर्स के इर्दगिर्द अपने नवाचारों को अमल में लाने, उन्हें सबसे ज्यादा दर्शक संख्या वाले मंच पर प्रदर्शित करने और विचार से बाजार तक ले जाने की सुविधा मिलेगी।
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