विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

इलेक्ट्रॉनिक घटकों को एक साथ रखने वाली नई विषाक्तता-मुक्त, उत्तम कोटि की बहुस्तरीय तकनीक देश के रणनीतिक क्षेत्रों में सहायता कर सकती है

Posted On: 08 OCT 2021 4:48PM by PIB Delhi

भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी रूप से विषाक्तता -मुक्त और उत्तम कोटि की बहुस्तरीय तकनीक विकसित की है जो बहुस्तरीय सर्किट बनाने के लिए प्रतिरोधकों (रेजिस्टर्स), कैपेसिटर्स जैसे इलेक्ट्रॉनिक घटकों को एक साथ रखती है। उपग्रह संचार के घटकों के रूप में अनुप्रयोगों के लिए निम्न-तापमान कोफ़ायर सिरेमिक (एलटीसीसी) और उच्च-तापमान कोफ़ायर सिरेमिक (एचटीसीसी) सबस्ट्रेट्स के रूप में जानी जाने वाली इन प्रौद्योगिकियों को वर्तमान में भारत में आयात किया जा रहा है। इनको देश में विकसित करके आयात के रूप में देश की पूंजी को बाहर जाने से रोक सकता है, जिससे देश के रणनीतिक क्षेत्रों को सहायता मिल सकती है।

लो ऑर्बिट उपग्रह प्रणाली जिसकी आजकल अधिक मांग  है, के लिए  कम उत्पादन समय और सस्ती लागत के अलावा कम भार एवं द्रव्यमान वाले उपग्रह का समर्थन करने वाली एक स्थायी तकनीक की इस समय आवश्यकता है। एलटीसीसी प्रौद्योगिकी पर आधारित मिश्रित सूक्ष्म प्रणालियाँ (हाइब्रिड माइक्रोसिस्टम्स) अर्थात एक बहुस्तरीय सिरेमिक मॉड्यूल में एक कैपेसिटर, रेजिस्टर, प्रारंभ करने वाला इन्डक्टर, रेजोनेटर  यंत्र और फिल्टर आदि जैसे निष्क्रिय घटकों का एकीकरण किया जाता है। यह उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन तथा उचित लागत के कारण भविष्य के संचार उपग्रहों में एक रोचक समाधान है। वर्तमान में, एलटीसीसी उत्पादों को ड्यूपॉन्ट फेरो सदृश  विक्रेताओं से आयात किया जा रहा है। इन उत्पादों की अत्यधिक कीमत के कारण देश के राजस्व की भी हानि हो रही है।

इसलिए, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अंतर्गत सामग्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.  के.पी. सुरेंद्रन एवं राष्ट्रीय अंतर्विषयी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईआईएसटी) ने भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटीकी  की उन्नत विनिर्माण तकनीक योजना के कार्यक्षेत्र में एलटीसीसी टेप और एचटीसीसी सबस्ट्रेट्स की एक ऐसी श्रृंखला विकसित की है, जो अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के अनुरूप है। इनके परावैद्युत गुणों अर्थात विद्युत प्रवाह को रोककर (डाईइलेक्ट्रिक) उस विद्युत ऊर्जा को एक विद्युत क्षेत्र में संग्रहीत करने की क्षमता के कारण इन्हें किसी भी वाणिज्यिक टेप के समकक्ष माना जाता है, जबकि इनकी  तापीय चालकता उनसे बेहतर है। जिरकोन पर आधारित एचटीसीसी सब्सट्रेट की टेप कास्टिंग पर एक पेटेंट पहले ही दायर किया जा चुका है।

एक जलीय टेप कास्टिंग तकनीक भी विकसित की गई है, जिसमें स्वास्थ्य के लिए अपेक्षाकृत  कम जोखिम है, क्योंकि इसमें  जाइलीन और मिथाइल एथिल कीटोन जैसे वाष्पशील कार्बनिक घटकों का प्रयोग  नहीं किया जाता है। विकसित तकनीक एक ग्लास मुक्त एलटीसीसी टेप कास्टिंग संरचना है, जो टेप की प्रतिरोधिता (ब्रूटैलिटी) के मुद्दों को हल कर सकती है ।

इन टेपों का उपयोग अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद (इसरो) में विभिन्न उपग्रह संचार घटकों में प्रयोग होने के अलावा रक्षा अनुसंधान प्रयोगशालाओं और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लि. (बीएचईएल) में किया जाता है और जिसके लिए हर साल हजारों की संख्या में माइक्रोवेव सब्सट्रेट की आवश्यकता पड़ती  है ।

यह प्रौद्योगिकी अपनी तैयारी के 5वें चरण में है  और डॉ. के.पी. सुरेंद्रन ने एलटीसीसी टेप पर एंट्स सेरामिक्स, वसई, महाराष्ट्र के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इन एलटीसीसी टेपों और प्रवाहकीय (कन्डक्टिव) लेपों (पेस्टस) की आपूर्ति  अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), अहमदाबाद को की जा सकती है और  इनका  परीक्षण उन वाणिज्यिक एलटीसीसी टेपों के लागत प्रभावी विकल्प (प्रतिस्थापन) के रूप में किया जा सकता है जिनका वे वर्तमान में आयात कर रहे हैं। यदि यह परीक्षण सफल होता है, तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के कई माइक्रोवेव घटकों जैसे एस- और सी-बैंड रिसीवर में उनके उपग्रह ट्रांसपोंडर के लिए एनआईआईएसटी टेपों का प्रयोग किया जा सकता है।

एएमटी परियोजना के अनुभव और जानकारी ने एनआईआईएसटी को उपग्रह में अनुप्रयोगों के लिए अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र इसरो द्वारा वर्तमान में उपयोग किए जा रहे आयातित वाणिज्यिक एलटीसीसी टेप सिस्टम के विकल्प के रूप में एक संपूर्ण स्वर्ण प्रणाली विकसित करने का भरोसा जगाया है। इसरो की प्रतिक्रिया कार्यक्रम के तहत इस दिशा में एक परियोजना प्रस्तावित की गई है। अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) में सोने के लेप (पेस्ट) आधारित एलटीसीसी टेपों के परीक्षण के बाद इस उत्पाद की वाणिज्यिक संभावनाओं के साथ बड़े पैमाने पर उत्पादन की भी योजना बनाई जा रही है।

(भारतीय पेटेंट संदर्भ संख्या IN201611001838 दिनांक 19/01/2016, फ्रेंच पेटेंट WO2017125947A1)

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें डॉ. के.पी. सुरेंद्रन (kpsurendran@niist.res.in, drkpsurendran@yahoo.com)

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