कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड ने पांचवां वार्षिक दिवस मनाया
Posted On:
01 OCT 2021 8:28PM by PIB Delhi
भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने आज यहां अपना पांचवां वार्षिक दिवस मनाया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में सचिव श्री राजेश वर्मा और वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम विशिष्ट अतिथि थे। आईबीबीआई के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एम. एस. साहू इस अवसर पर विशेष आमंत्रित व्यक्ति के तौर पर उपस्थित थे।
आईबीबीआई ने अपनी स्थापना के उपलक्ष्य में एक वार्षिक दिवस व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया है। डॉ. बिबेक देबरॉय ने 'फ्रॉम नो एक्जिट टू ईजी एक्जिट-ए केस स्टडी ऑफ आईबीसी' विषय पर पांचवां वार्षिक दिवस व्याख्यान दिया।
डॉ. देबरॉय ने अपने संबोधन में चाणक्य नीति के प्राचीन भारतीय ज्ञान का उल्लेख करते हुए पहले पांच वर्षों में आईबीबीआई के सफल विकास का उल्लेख किया और कहा कि यह परिपक्वता की ओर आगे बढ़ने के लिए सही चरण में है। उन्होंने उद्यमिता को बढ़ावा देने में आईबीसी की संभावित भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने सदियों से दिवाला कानूनों के विकास पर प्रकाश डाला और आईबीसी के आधुनिक ढांचे की सराहना की। आईबीसी को कार्य प्रगति पर बताते हुए उन्होंने कहा कि आईबीसी और आईबीबीआई ने उद्यमियों के लिए बाहर निकलने की राह आसान बना दी है लेकिन प्रक्रियाओं को और भी आसान बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में सचिव श्री राजेश वर्मा ने इस अवसर पर काफी कम समय में आईबीसी परिवेश के विकास और संहिता के परिणामों की सराहना की। प्री-पैकेज्ड इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रक्रिया के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आईबीबीआई की कड़ी मेहनत के कारण 5 दिनों के रिकॉर्ड समय में इन नियमों को अधिसूचित करना संभव हुआ है। उन्होंने इस संहिता के सफल कार्यान्वयन को सुगम बनाने के लिए आईबीबीआई की सराहना की।
वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने अपने संबोधन में महज एक छोटी समयावधि में भारतीय अर्थव्यवस्था पर आईबीसी के प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात की सराहना की कि आईबीसी ने पूंजीवादी समाज में प्रवर्तकों के सामंतवाद को काफी हद तक समाप्त कर दिया है। उन्होंने उन महत्वपूर्ण सुधारों का उल्लेख किया जो आईबीसी ने सरफेसी, डीआरटी आदि अन्य ऋण समाधान तंत्र के मुकाबले हासिल किए हैं। उन्होंने एक परिप्रेक्ष्य के साथ भारतीय दिवाला समाधान ढांचे के उल्लेखनीय परिणामों को उजागर किया और उसकी तुलना में अमेरिका के दिवाला समाधान ढांचे के परिणामों का उल्लेख किया। उन्होंने दिवाला समाधान के लिए नैतिक दृष्टिकोण का भी हवाला दिया और उद्योग से दिवाला समाधान के लिए नैतिक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया।
आईबीबीआई के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एम. एस. साहू ने 1990 के दशक से आईबीसी, 2016 के अधिनियमन तक आर्थिक सुधारों की यात्रा का उल्लेख किया जिससे ईमानदार कारोबारी विफलताओं के मामले में बाहर निकलने के लिए आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। उन्होंने देश में ऐस किसी बाजार संस्थान अथवा तंत्र का पहले से कोई अनुभव न होने के बावजूद आईबीबीआई और आईबीसी की आरंभिक यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने आईबीसी परिवेश के विकास में सभी हितधारकों द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की। उन्होंने उद्यमी एवं उद्यम के बाहर निकलने और इसके नीतिगत निहितार्थों के बीच अंतर पर भी प्रकाश डाला।
वार्षिक दिवस समारोह के दौरान डॉ. सुब्रमण्यम के नेतृत्व में गणमान्य व्यक्तियों ने आईबीबीआई की वार्षिक पत्रिका ' क्विन्क्वेनीअल ऑफ इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016' का विमोचन भी किया। यह पत्रिका कारोबारियों, नीति निर्माताओं, विषय विशेषज्ञों और शिक्षाविदों के विचारों व दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करती है जो दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 की अब तक की यात्रा और आगे की राह के बारे में विचारों को स्पष्ट करते हैं। यह दिवाला कानून के बारे में विद्वतापूर्ण और नीतिगत चर्चा में योगदान करने का एक प्रयास है।
आईबीबीआई ने इस अवसर पर आईसीएआई के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स के सहयोग से इस संहिता के अधिनियमन के पांच साल पूरे होने के उपलक्ष्य में '5 इयर्स ऑफ फैसिलिटेटिंग ईज ऑफ एक्जिट' शीर्षक के तहत एक ई-पुस्तक का विमोचन किया। इस ई-पुस्तक में आईबीसी परिवेश के सफर में प्रमुख घटनाओं, कार्यान्वयन एवं सफलता की कहानियां, परिणाम एवं फैसले और मान्यता को ज्वलंत दृश्यों, तस्वीरों और कलात्मक पाठ के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
इस संहिता के सफल क्रियान्वयन के पांच वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक विभाग के दिल्ली सर्किल के पोस्टमास्टर जनरल श्री हरप्रीत सिंह द्वारा 'दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016' पर आधारित 'माई स्टांप' जारी करने की सुविधा प्रदान की गई।
आईबीबीआई ने विभिन्न हितधारकों के बीच आईबीसी संहिता के प्रति जागरूकता फैलाने और समझ को बेहतर करने के लिए माईजीओवी डॉट इन और बीएसई आईपीएफ के सहयोग से 1 से 31 अगस्त, 2021 के दौरान 'दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 पर दूसरा राष्ट्रीय ऑनलाइन क्विज' का आयोजन किया था। इस क्विज को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 63,000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इस अवसर पर डॉ. सुब्रमण्यम ने क्विज में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागी को पदक, मेरिट सर्टिफिकेट और नकद पुरस्कार प्रदान किया।
आईबीबीआई के पूर्णकालिक सदस्य डॉ. नवरंग सैनी ने अपने स्वागत भाषण में उन सभी हितधारकों को धन्यवाद दिया जो आईबीबीआई और आईबीसी परिवेश की सफल यात्रा में शामिल रहे हैं। उन्होंने इस संहिता के अधिनियमन और इसके परिणामों की यात्रा का चित्रण किया। उन्होंने आईबीबीआई की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और कहा कि यह एक संस्था बन रही है। उन्होंने आईबीसी और आईबीबीआई की 5 साल की इस सफल यात्रा में योगदान करने के लिए सरकार, न्यायपालिका और इस परिवेश के अन्य हितधारकों को धन्यवाद दिया।
कोविड-19 वैश्विक महामारी प्रोटोकॉल के मद्देनजर वार्षिक दिवस में सीमित संख्या में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति देखी गई। हालांकि, बड़ी संख्या में हितधारकों ने ई-माध्यम से इस कार्यक्रम को लाइव देखा।
आईबीबीआई की पूर्णकालिक सदस्य डॉ. मुकुलिता विजयवर्गीय ने कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन दिया।
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एमजी/एएम/एसकेसी
(Release ID: 1760240)
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