विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान(टीएचएसटीआई), जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने नैनोजन फार्मास्युटिकल बायोटेक्नोलॉजी जेएससी, वियतनाम के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए

Posted On: 23 SEP 2021 10:43PM by PIB Delhi

डॉ. रेड्डीज (स्पूतनिक), जायडस कैडिला (डीएनए वैक्सीन) और बायोलॉजिकल ई सहित कोविड-19 के लिए टीकों के परीक्षण/विकास के लिए भारतीय कंपनियों की मदद करने के बाद, अब ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान(टीएचएसटीआई), जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने वियतनाम की एक दवा कंपनी नैनोजन फार्मास्युटिकल बायोटेक्नोलॉजी जेएससी के साथ शोध सहयोग को लेकर समझौता किया है, जो कोविड-19 का एक नया टीका विकसित कर रही है। भारत में वियतनाम के राजदूत श्री फाम सान चाऊ के नेतृत्व में एक टीम ने 23 सितंबर 2021 को टीएचएसटीआई का दौरा किया और टीएचएसटीआई और नैनोजन फार्मास्यूटिकल बायोटेक्नोलॉजी जेएससी के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। टीएचएसटीआई कोविड-19 टीकों के अनुसंधान में अग्रणी रहा है।

हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए टीएचएसटीआई के निदेशक डॉ. प्रमोद गर्ग ने भारत और वियतनाम के बीच अन्य क्षेत्रों के अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण द्विपक्षीय सहयोग पर प्रकाश डाला, जो माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विजन रहा है। प्रो. गर्ग ने वियतनाम के राजदूत श्री फाम सान चाऊ, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और विदेश मंत्रालय, भारत सरकार को उनके मदद और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया, जिसने टीएचएसटीआई और नैनोजन फार्मा के बीच समझौता ज्ञापन को सुगम बनाया। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सहयोग महामारी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में एक और टीके का योगदान करेगा।

वियतनाम में भारत के राजदूत श्री प्रणय वर्मा ने सहयोग के व्यापक क्षेत्रों का उल्लेख किया और ऑक्सीजन टैंकरों और ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर की आपूर्ति सहित कोविड-19 महामारी के दौरान वियतनाम की मदद करने के लिए भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सहयोग दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों की एक स्पष्ट अभिव्यक्ति है। हनोई से शामिल हुए वियतनाम में भारत के राजदूत श्री प्रणय वर्मा ने भारत और वियतनाम के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की सराहना की। उन्होंने किसी भी अंतरराष्ट्रीय बीमारी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया।

श्री फाम सान चाऊ ने नैनोजन द्वारा विकसित वैक्सीन कैंडिडेट नैनोकोवैक्स की क्षमता के आकलन में सहयोग के लिए टीएचएसटीआई, डीबीटी और एमईए का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन सहयोगों से भारत-वियतनाम के मैत्रीपूर्ण संबंधों पर दूरगामी और सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन भारत और वियतनाम के बीच इस तरह के और अवसरों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा और दोनों देशों में वैक्सीन अनुसंधान में योगदान देगा। डॉ. रेणु स्वरूप, सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व स्तर पर अपनी विशेषज्ञता और सुविधाओं का लाभ साझा करने के लिए टीएचएसटीआई को बधाई दी। उन्होंने वैज्ञानिकों और टीकों के विकास व चिकित्सा विज्ञान में उनके प्रयासों की सराहना की।

विद्या कृष्णमूर्ति, टीएचएसटीआई के धन्यवाद प्रस्ताव भाषण देने के साथ ही सत्र का समापन हुआ।

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