सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
उपराष्ट्रपति ने लोगों से खादी को 'राष्ट्रीय वस्त्र' की तरह महत्व देने की अपील की
खादी को व्यापक पैमाने पर अपनाना समय की आवश्यकता-उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने भारत के स्वाधीनता संग्राम को वीरता,प्रतिरोध और सच्ची देशभक्ति की गाथा कहा
उपराष्ट्रपति ने शिक्षण संस्थानों से यूनिफॉर्म के लिए खादी को अपनाने की अपील की
उपराष्ट्रपति ने 'खादी इंडिया क्विज प्रतियोगिता' का शुभारंभ किया
Posted On:
31 AUG 2021 1:01PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज नागरिकों से खादी को 'राष्ट्रीय वस्त्र' के रूप में अपनाने और इसके उपयोग को व्यापक रूप में बढ़ावा देने की अपील की। श्री नायडु ने विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों से भी आगे आने और खादी के उपयोग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने का आह्वान किया।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा 'आजादी का अमृत महोत्सव' के अंतर्गत आयोजित 'खादी इंडिया क्विज़ कॉन्टेस्ट' के शुभारंभ के अवसर पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने यह बातें कहीं।
'खादी इंडिया क्विज कॉन्टेस्ट' में सभी से भाग लेने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रतियोगिता हमें अपनी जड़ों की ओर वापस ले जाने का एक रोचक तरीका है क्योंकि इससे हमें अपने देश के स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक क्षणों और हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के अद्वितीय योगदान को फिर से स्मरण करने का अवसर मिलेगा।
'आजादी का अमृत महोत्सव' के क्रम में इस वर्ष 6 अप्रैल को आयोजित प्रतीकात्मक 'दांडी मार्च' के समापन समारोह में भाग लेने के लिए दांडी की अपनी यात्रा का स्मरण करते हुएउपराष्ट्रपति ने कहा कि औपचारिक दांडी मार्च में भाग लेने वालों के साथ बातचीत ने उन्हें भारत के अतीत के गौरव के क्षणों को फिर से जीने का अवसर दिया और इसे उन्होंने "एक बहुत ही समृद्ध अनुभव" कहा।
भारत के स्वाधीनता संग्राम को वीरता की गाथा, प्रतिरोध और सच्ची देशभक्ति बताते हुए उपराष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि कैसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष में देश भर की जनता को प्रेरित किया। सभी वर्गों के पुरुषों और महिलाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया, उन्होंने कहा, "यह वास्तव में मानव इतिहास की एक अद्वितीय घटना थी"।
स्वतंत्रता सेनानियों के सर्वोच्च बलिदान का स्मरण करते हुएउपराष्ट्रपति ने कहा कि मातंगिनी हाजरा, भगत सिंह, प्रीतिलता वद्देदार, राजगुरु, सुखदेव और इन्हीं के जैसे हजारों अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को स्वतंत्र कराने के अपने सपने को साकार करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से पहले एक बार भी नहीं सोचा। उन्होंने कहा कि "इन वीर पुरुषों और महिलाओं ने यह जानते हुए भी सर्वोच्च बलिदान दे दिया कि वे अपने सपने को हकीकत में बदलता हुआ देखने के लिए जीवित नहीं रहेंगे।"
उन्होंने कहा कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम दृढ़ता और आशा का सफर "जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों"। उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों से सीखने के लिए बहुत कुछ है, विशेषकर मातृभूमि के हितों को हर अन्य चीज से आगे रखने की भावना।
श्री नायडू ने पिछले 7 वर्षों में खादी में अभूतपूर्व बदलाव पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे बढ़ावा देने में सरकार, केवीआईसी और अन्य सभी हितधारकों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, "मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि केवीआईसी ने सम्पूर्ण भारत में अपनी पहुँच बनाने में सफलता अर्जित की है और देश के दूर-दराज के इलाकों में भी लोगों को स्वरोजगार की स्थायी गतिविधियों से जोड़ा है।"
उपराष्ट्रपति ने खादी की ऐतिहासिक प्रासंगिकता का उल्लेख किया और कहा कि यह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जनता को आपस में जोड़ने का एक माध्यम बना था। श्री नायडू ने उल्लेख किया कि महात्मा गांधी ने कैसे वर्ष 1918 में गरीबी में जकड़ी जनता के लिए आय का एक स्रोत उत्पन्न करने हेतु खादी आंदोलन शुरू किया और बाद में विदेशी शासन के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार के रूप में इसका उपयोग किया।
खादी के पर्यावरण से जुड़े लाभों का उल्लेख करते हुएउपराष्ट्रपति ने कहा कि खादी में शून्य कार्बन फुटप्रिंट है क्योंकि इसके उत्पादन में बिजली या किसी भी अन्य प्रकार के ईंधन की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने कहा, "ऐसे समय में जब दुनिया कपड़ों में स्थायी विकल्प तलाश रही है, यह याद रखना चाहिए कि खादी पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ वस्त्र के रूप में निश्चित रूप से इस आवश्यकता को पूरा करता है।"
उपराष्ट्रपति ने शैक्षणिक संस्थानों से अपने संस्थान में यूनिफ़ोर्म के लिए खादी के उपयोग के तौर-तरीकों का पता लगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल छात्रों को खादी के कई लाभों का अनुभव करने का अवसर प्राप्त होगा बल्कि उन्हें हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानने और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि " हमारी स्थानीय जलवायु परिस्थितियों में भी अपनी बनावट के कारण खादी काफी उपयुक्त है।" उन्होंने युवाओं से खादी को फैशन स्टेटमेंट बनाने और जुनून के साथ सभी के बीच इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करने की अपील की।
इस कार्यक्रम के दौरान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रीश्री नारायण राणे, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्रीश्री भानु प्रताप सिंह वर्मा, खादी और ग्रामोद्योग आयोग तथासूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सचिवश्री बी बी स्वैन एवं अन्य भी उपस्थित थे।
सम्बोधन का मूल पाठ निम्नलिखित है:
“प्रिय बहनों और भाइयों,
मुझे 'आजादी का अमृत महोत्सव' के अंतर्गत खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा आयोजित 'खादी इंडिया क्विज कॉन्टेस्ट' का शुभारंभ करते हुए बेहद प्रसन्नता हो रही है।
इस वर्ष के आरंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 75-सप्ताह तक चलने वाले "आजादी का अमृत महोत्सव" कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसी "आज़ादी का अमृत महोत्सव" कार्यक्रम के तहत पिछले 75 वर्षों में हमारे महान राष्ट्र द्वारा अर्जित की गई उपलब्धियों का गौरव मना रहे हैं।
इस साल 6 अप्रैल को, मैंने दांडी में 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के हिस्से के रूप में आयोजित औपचारिक 'दांडी मार्च' के समापन समारोह में भाग लिया। उस अवसर पर मैंने दांडी मार्च में भाग लेने वालों के साथ बातचीत की और जो मेरे लिए अपने अतीत के गौरव शाली क्षणों को फिर से जीने का एक अवसर था। यह वास्तव में एक बहुत ही समृद्ध अनुभव था।
प्रिय बहनों और भाइयों,
हमारा स्वाधीनता संग्राम वीरता, प्रतिरोध और सच्ची देशभक्ति की गाथा है। राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष में राष्ट्र के कोने-कोने में जनता को प्रेरित किया। उस समय कई अन्य नेताओं और राष्ट्रवादी समाचार पत्रों ने लोगों में देशभक्ति की अग्नि प्रज्ज्वलित करने और लोगों को एक विदेशी शासन के खिलाफ विद्रोह करने के लिए एक जुट करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम में सभी वर्गों और सभी वर्गों के पुरुषों और महिलाओं ने भाग लिया। यह वास्तव में मानवता के इतिहास की एक अद्वितीय घटना थी।
हम जब भी अपने स्वतंत्रता आंदोलन के गौरवशाली अध्यायों को याद करते हैं, तब मातृभूमि के लिए प्रेम की एक जैसी उत्कृष्ट भावना हम सभी को आपस में बांधती है। राष्ट्र को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने के लिए देश के वीर सपूतों के बलिदानों के बारे में हमें जानना चाहिए, हमें अपने अपने शानदार अतीत को फिर से देखना चाहिए। इसके लिए हम ऐतिहासिक महत्व के स्थलों का दौरा कर सकते हैं।
कई बार स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों के हाथों अमानवीय, क्रूर और कठोरतम व्यवहार का सामना करना पड़ा। उनमें से सैकड़ों को 'काला पानी' में निर्वासित कर दिया गया और उन्हें जेल की बर्बर परिस्थितियों में यातनाएं दी गईं। लेकिनअंग्रेज न तो उनके अदम्य साहस को डिगा सके और न ही भारत को स्वतंत्र कराने के उनके अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के दृढ़ संकल्प को।
मातंगिनी हाजरा, भगत सिंह, प्रीतिलता वद्देदार, राजगुरु, सुखदेव और उनके जैसे हजारों अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को स्वतंत्र कराने के अपने सपने को साकार करने के लिए प्राणों की आहुति देने से पहले एक बार भी नहीं सोचा। इन वीर पुरुषों और महिलाओं ने यह जानते हुए भी सर्वोच्च बलिदान दे दिया कि वे अपने सपने को सच होते देखने के लिए जीवित नहीं रहेंगे।
प्रिय बहनों और भाइयों,
हमारा स्वतंत्रता संग्राम दृढ़ता और आशा की यात्रा थी, जो हमें आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करती है, परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों। यह बेजोड़ एकता की यात्रा भी थी, जहां अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करने के आंदोलन में देश के कोने-कोने से लोग एक साथ आए।
हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों से सीखने के लिए बहुत कुछ है, विशेषकर मातृभूमि के हितों को हर एक चीज से आगे रखने की भावना को।
प्रिय बहनों और भाइयों,
हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, 'वंदे मातरम', 'जय हिंद', 'इंकलाब जिंदाबाद' के जय घोष और 'चरखा', 'राखी', 'नमक' या 'खादी' जैसी वस्तुओं ने जनता को आपस में जोड़ने के लिए एक शक्ति के रूप में काम किया।
वर्ष 1918 मेंमहात्मा गांधी जी ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली गरीब जनता के लिए आय के एक स्रोत के रूप में खादी आंदोलन की शुरुआत की और तभी से खादी के एक अद्भुत युग की शुरुआत हुई।
'खद्दर या 'खादी' के नाम से लोकप्रिय वस्त्र हाथ से काता जाता है और हाथ से ही बुना जाता है। खादी की अद्भुत क्षमता का गांधीजी को पहले ही अनुभव हो गया; उनका मानना था कि खादी विदेशी शासन के खिलाफ एक शक्तिशाली, प्रतीकात्मक हथियार बन सकता है और समाज के पुनर्निर्माण में एक प्रभावी साधन भी हो सकता है।
गांधी जी ने एक बार कहा था "मैं स्वराज का विक्रेता हूँ। मैं खादी का भक्त हूँ। यह मेरा दायित्व है कि मैं लोगों को खादी पहनने के लिए प्रेरित करने हेतु सभी संभव यत्न करूँ।
प्रिय बहनों और भाइयों,
हमारे स्वतंत्रता संग्राम में अपनी प्रमुख भूमिका के अलावा, खादी के कई सकारात्मक पहलू हैं जो इसे बाकी किस्म के कपड़ों से अलग बनाते हैं। अपनी विशेष बुनावट के कारण खादी हमारी स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।
ऐसे समय में जब विश्व कपड़ों में टिकाऊ विकल्प का पता लगा रही है, हमें यह याद रखना चाहिए कि खादी पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ वस्त्र के रूप में निश्चित रूप से इस आवश्यकता का विकल्प है। खादी में शून्य कार्बन फुटप्रिंट है क्योंकि इसके उत्पादन में बिजली या किसी भी अन्य प्रकार के ईंधन की आवश्यकता नहीं होती है। खादी के उत्पादन में पानी की भी कम खपत होती है जबकि अन्य मिलों द्वारा किए जाने वाले वस्त्र उत्पादन में बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
खादी को व्यापक रूप से अपनाना समय की मांग है। मैं लोगों से खादी को 'राष्ट्रीय वस्त्र' के रूप में स्वीकार करने और इसके उपयोग को व्यापक रूप से बढ़ावा देने की अपील करता हूं। मैं विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों से भी आगे आने और खादी को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने का अभियान चलाने का आह्वान करना चाहूंगा।
मुझे लगता है कि शैक्षणिक संस्थानों को स्कूल यूनिफॉर्म में खादी का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे न केवल छात्रों को खादी के कई लाभों का अनुभव करने का अवसर मिलेगा बल्कि उन्हें हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानने और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने में अवसर भी प्राप्त होगा।
प्रिय बहनों और भाइयों,
मुझे बताया गया है कि पिछले 7 वर्षों में खादी की स्थिति में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादन में 133.36% की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि बिक्री में 188.85% की वृद्धि दर्ज की गई है। यह उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं और इसके अभूतपूर्व विकास को गति देने के लिए मैं सरकार, केवीआईसी और इसमें शामिल अन्य सभी पक्षों की सराहना करता हूं।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि केवीआईसी ने सम्पूर्ण भारत में अपनी पहुँच बनाने में सफलता अर्जित की है और देश के दूर-दराज के इलाकों में भी लोगों को स्वरोजगार की स्थायी गतिविधियों से जोड़ा है।
मुझे यह भी जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि पिछले कई वर्षों के दौरान खादी, ग्रामीण भारत में एक संभावित रोजगार सृजनकर्ता के रूप में उभरा है। केवीआईसी की योजनाओं और कार्यक्रमों में कुम्हारों, आदिवासियों और बेरोजगार युवाओं जैसे समाज के हाशिए पर चले गए वर्गों को सशक्त बनाने पर जोर दिया गया है। खादी ग्रामोद्योग विकास योजना, खादी सुधार और विकास कार्यक्रम, हनी मिशन, कुम्हार सशक्तिकरण योजना, चमड़ा कारीगर अधिकारिता कार्यक्रम और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जैसे कई कार्यक्रमों ने जरूरतमंदों के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाया है। खादी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण निश्चित रूप से इसके लिए एक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करेगा।
प्रिय बहनों और भाइयों,
अपनी जड़ों और अपने समृद्ध इतिहास से जुड़े रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा आयोजित 'खादी इंडिया क्विज कॉन्टेस्ट' हमें अपनी जड़ों की ओर ले जाने का एक बहुत ही दिलचस्प तरीका है क्योंकि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक क्षणों और भारत के लिए स्वशासन के हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार करने में अद्वितीय योगदान को याद कराता है। ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और गांधी जी के "ग्रामीण पुनरुत्थान" या ग्रामोदय के सपने को साकार करने में खादी के बहुआयामी दृष्टिकोण पर जागरूकता पैदा करने में यह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता महत्वपूर्ण योगदान करेगी।
मुझे बताया गया है कि 'खादी इंडिया क्विज कॉन्टेस्ट' को इस प्रकार से तैयार किया गया है ताकि वर्तमान पीढ़ी में न सिर्फ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सर्वोच्च बलिदान के बारे में जागरूकता पैदा हो,बल्कि स्वदेशी आंदोलन में खादी की महत्वपूर्ण भूमिका और स्वतंत्रता पूर्व युग से लेकर आज तक राष्ट्र निर्माण में इसके योगदान पर भी उनका ज्ञान बढ़े। मुझे लगता है कि हर किसी को इस प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेना चाहिए और हमारे गौरवशाली अतीत के बारे में सीखना चाहिए।
15 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन की सफलता के लिए आयोजकों और प्रतिभागियों को मैं शुभकामनाएं देता हूँ। मैं इस सलाह के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा- इस प्रतियोगिता में भाग लेना महत्वपूर्ण है; क्योंकि इसमें आप हारेंगे नहीं, या तो आप जीतेंगे या आप सीखेंगे। इसलिए अपना सर्वश्रेष्ठ दें और प्रतियोगिता का आनंद लें।
जय हिन्द!”
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एमजी/एएम/डीटी/एसएस
(Release ID: 1751006)
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