विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
केन्द्रीय मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने आम लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए वैश्विक वैज्ञानिक साझेदारी का आह्वान किया
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवाचार पर भारत-स्वीडन बैठक की अध्यक्षता की
Posted On:
02 AUG 2021 6:06PM by PIB Delhi
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री; लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अन्तरिक्ष मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आम आदमी के लिए "जीवन में सुगमता" लाने के लिए वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग का आह्वान किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी और नवाचार में द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा और समीक्षा करने के लिए स्वीडन के राजदूत क्लासमोलिन के नेतृत्व में एक स्वीडिश प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की।
बैठक में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन, सचिव, डीएसटी, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, सचिव डीबीटी, श्रीमती रेणु स्वरूप, महानिदेशक, सीएसआईआर और सचिव, डीएसआईआर, श्री शेखर मांडे और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।
इस अवसर पर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विगत 6-7 वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को विशेष प्रोत्साहन मिला है और वैज्ञानिक गतिविधियों और प्रयासों को विशेष महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के मामले में हुआ उसी तरह से सभी वैज्ञानिक नवाचारों का अंतिम लक्ष्य इसे हर घर तक पहुंचाने का होना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत और स्वीडन विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में हैं। बैठक में विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के मद्देनजर स्मार्ट ग्रिड परियोजना के शीघ्र संचालन पर जोर दिया गया।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि दोनों सरकारों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और स्वीडिश विनोवा (वीआईएनएनओवीए) द्वारा जल्द ही स्वास्थ्य विज्ञान तथा अपशिष्ट से संपदा जैसे विषयों सहित सर्कुलर अर्थव्यवस्था पर एक नई संयुक्त शुरुआत का प्रस्ताव रखा। केन्द्रीय मंत्री ने याद किया कि भारत-स्वीडन नवाचार साझेदारी पर संयुक्त घोषणा और अप्रैल 2018 में भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान अपनाई गई संयुक्त कार्य योजना ने दोनों देशों के बीच ठोस सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए ऊर्जा क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में पहचाना। उन्होंने कहा, 2 मई 2019 को दोनों देशों के बीच छठी संयुक्त समिति की बैठक आयोजित की गई जिसने स्मार्ट सिटी, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, सर्कुलर अर्थव्यवस्था जैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए कई महत्वपूर्ण विषयों की पहचान की।
अपने संबोधन में राजदूत क्लासमोलिन ने कहा कि सहयोग स्वाभाविक तौर-तरीके से हो रहा है और इसे दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व का पूर्ण समर्थन है। उन्होंने स्थायी भविष्य और दोनों देशों में रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए एक संयुक्त कार्य योजना का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वीडन में भारतीय कुशल कामगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है और वर्तमान समय में लगभग 50,000 लोग रोजगार में लगे हैं।
भारत और स्वीडन के प्रधानमंत्रियों ने हाल ही में 5 मार्च 2021 को एक बैठक की थी जिसमें एक दूसरे के संयुक्त औद्योगिक आर एंड डी आह्वान के शुभारंभ से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग के अन्तर्गत स्मार्ट और टिकाऊ शहरों, परिवहन प्रणालियों, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और डिजिटलीकरण और इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर जोर दिया गया था। इसमें भारत-स्वीडन सहयोगात्मक औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम और कई अन्य चीजों के साथ स्मार्ट एनर्जी ग्रिड में सहयोग का स्वागत किया गया था।
5 मार्च 2021 को आयोजित वर्चुअल सम्मेलन में दोनों सरकारों ने, डीएसटी और वीआईएनएनओवीए (स्वीडिश रिसर्च एंड डेवलपमेंट एजेंसी) के माध्यम से स्मार्ट सिटी, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, डिजिटलाइजेशन सहित इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग आदि पर संयुक्त शुरुआत का आह्वान किया गया। इसके तहत, आईओटी, एआई, स्वास्थ्य देखभाल, सौर ऊर्ज, स्मार्ट ग्रिड, स्मार्ट ट्रांसपोर्ट और क्लीनटेक जैसे विभिन्न क्षेत्रों से संयुक्त रूप से 22 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इन परियोजना प्रस्तावों का मूल्यांकन प्रक्रियाधीन है।
कार्यक्रम का उद्देश्य सहयोगी अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के विकास को बढ़ावा देना है जिसके अन्तर्गत निम्नलिखित प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नवीन उत्पादों या प्रक्रियाओं के संयुक्त विकास के लिए दोनों देशों की कंपनियों, अनुसंधान संगठनों, शिक्षाविदों और अन्य सहयोगियों को एक मंच पर आने का मार्ग प्रशस्त होगा:
- स्मार्ट और टिकाऊ शहर और परिवहन प्रणाली
- स्वच्छ प्रौद्योगिकियां, आईओटी और डिजिटलाइजेशन
इसमें निम्नलिखित व्यवस्थाएं भी शामिल हो सकती हैं:
- परिवहन और गतिशीलता; इलेक्ट्रिक वाहन, स्वायत्त वाहन, यातायात सुरक्षा, गतिशीलता एक सेवा के रूप में, यातायात में जाम में कमी, डिजिटल समाधान आदि।
- पर्यावरण प्रौद्योगिकियां (इको-सिस्टम सेवाएं, स्वच्छ जल और वायु, अपशिष्ट प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, आदि)
- सर्कुलर और जैव-आधारित अर्थव्यवस्था (जैव-आधारित सामग्री, जैव-ईंधन, खपत और उत्पादन में संसाधन दक्षता, अपशिष्ट-से-संपदा आदि)
- ऊर्जा (ऊर्जा खपत और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी, वैकल्पिक ईंधन और मोबाइल ऊर्जा स्रोत, अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण, संसाधन-कुशल बुनियादी ढांचा योजना आदि)
- शहरी नियोजन (शहरी तकनीकी आपूर्ति के लिए आईसीटी, जियो डेटा, नागरिकों के साथ संवाद के लिए उपकरण आदि)
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