विद्युत मंत्रालय
पेरिस समझौते के तहत अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए भारत ने अपने एनडीसी लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है: श्री आर के सिंह
भारत ने 2005 के स्तर से उत्सर्जन में 28 प्रतिशत की कमी पहले ही हासिल कर ली है, 2030 से पहले अपनी एनडीसी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए तैयार
भारत नवीकरणीय ऊर्जा में 38.5 प्रतिशत स्थापित क्षमता पहले ही हासिल कर चुका है
विद्युत मंत्री ने वैश्विक औसत से अधिक प्रति व्यक्ति जीएचजी उत्सर्जन वाले जी-20 देशों से उत्सर्जन को कम करने का आग्रह किया
जी-20 ऊर्जा एवं जलवायु संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक
Posted On:
23 JUL 2021 8:32PM by PIB Delhi
जी-20 ऊर्जा एवं जलवायु संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक 2021 नेपल्स में इतालवी प्रेसीडेंसी के तहत 23 जुलाई 2021 को आयोजित की गई। इसमें जी-20 देशों के ऊर्जा एवं पर्यावरण मंत्रियों ने भाग लिया और जलवायु परिवर्तन के ज्वलंत मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व विद्युत मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा किया गया।
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह ने विद्युत मंत्रालय के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और वर्चुअल तरीके से बैठक में भाग लिया। श्री आर. के. सिंह ने पेरिस समझौते के तहत जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए अपने एनडीसी लक्ष्यों को पूरा करने में भारत द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति से जी-20 देशों के प्रतिनिधियों को अवगत कराया।
मंत्री ने प्रतिनिधियों को सूचित किया कि 2030 तक उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य के मुकाबले भारत 2005 के उत्सर्जन स्तर से 28 प्रतिशत की कमी पहले ही हासिल कर चुका है। उन्होंने बताया कि इस गति से भारत 2030 से पहले ही अपनी एनडीसी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
मंत्री ने आगे कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा में 38.5 प्रतिशत स्थापित क्षमता पहले ही हासिल कर चुका है। उन्होंने कहा कि यदि निर्माणाधीन नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का भी हिसाब लगाया जाए तो कुल स्थापित क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सेदारी 48 प्रतिशत से अधिक हो जाती है जो कि पेरिस समझौते के तहत की गई प्रतिबद्धताओं से काफी अधिक है।
मंत्री ने धन्यवाद प्रस्ताव के साथ अपने संबोधन का समापन किया। उन्होंने वैश्विक औसत से अधिक प्रति व्यक्ति जीएचजी उत्सर्जन वाले जी-20 देशों से उत्सर्जन को कम करने और अगले कुछ वर्षों में उसे वैश्विक औसत तक नीचे लाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे कुछ हद तक कार्बन के लिए जगह खाली होगी और विकासशील देशों की विकास संबंधी आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।
मंत्री ने जी-20 देशों को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि विश्व समुदाय हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर ग्रह छोड़ने के लिए सही रास्ते पर अग्रसर रहे।
राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) पेरिस समझौते का केंद्र बिंदु है। इसके लिए प्रत्येक देश को 2020 के बाद जलवायु की दिशा में उठाए गए कदमों की रूपरेखा तैयार करने और उसकी जानकारी देने की आवश्यकता होती है।
एनडीसी के तहत भारत ने 2030 तक कुल स्थापित क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत करने और 2005 के उत्सर्जन स्तर के मुकाबले अपने उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत की कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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एमजी/एएम/एसकेसी
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