मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) ने भोजन एवं चारे के विकास सहित ग्रामीण इलाकों में मुर्गी, भेड़, बकरी और सुअर पालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास एवं नस्ल सुधार पर गहराई से ध्यान दिया है


डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को उनकी कार्यशील पूंजी संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए 4 प्रतिशत का ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा, जिससे 2 करोड़ किसानों को लाभ होगा और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त होगा

भारत सरकार द्वारा 2021-22 से शुरू होकर अगले 5 वर्षों के लिए दी जाने वाली 9800 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता से पशुधन के क्षेत्र में कुल 54,618 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित किया जाएगा

Posted On: 20 JUL 2021 4:05PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) ने भोजन एवं चारे के विकास सहित ग्रामीण इलाकों में मुर्गी, भेड़, बकरी और सुअर पालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास एवं नस्ल सुधार पर गहराई से ध्यान देने का इरादा जताया है। ग्रामीण इलाकों में मुर्गी पालन से जुड़ी उद्यमिता से 1.5 लाख किसानों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा और भेड़, बकरियों एवं मुर्गी पालन के विकास से 2 लाख किसान सीधे लाभान्वित होंगे। अधिक उत्पादन देने वाले लगभग 7.25 लाख पशुओं को जोखिम प्रबंधन के तहत कवर किया जाएगा, जिससे 3.5 लाख किसान लाभान्वित होंगे। चारे से जुड़े उद्यमियों को तैयार कर उन्हें बढ़ावा दिए जाने से देश में चारे और चारे के बीज की उपलब्धता कई गुना बढ़ जाएगी।

इस मिशन से जुड़े पशुधन की गणना और एकीकृत नमूना सर्वेक्षण संबंधी घटक से पशुधन की गणना करने और दूध, मांस, अंडे और ऊन के उत्पादन से बारे में अनुमान लगाने में राज्यों को मदद मिलेगी, जोकि पशुधन के क्षेत्र के समग्र विकास के लिए उपयुक्त रणनीति तैयार करने के के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

पशुधन और मुर्गियों में होने वाले रोगों के खिलाफ रोगनिरोधी टीकाकरण के जरिए पशुओं के स्वास्थ्य संबंधी जोखिम को कम करने, पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता को बेहतर बनाने, रोगों की निगरानी और पशु चिकित्सा से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना को लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत अगले पांच वर्षों में पशुपालन में जुटे 10 करोड़ किसानों के घर-घर जाकर पशु स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए देश में चलंत पशु चिकित्सालय स्थापित किए जायेंगे। इस योजना से भेड़ और बकरियों में पीपीआर के कारण किसानों को होने वाले 8900 करोड़ रुपये और सूअरों में स्वाइन बुखार की वजह से 200 करोड़ रुपये के सालाना नुकसान को रोका जा सकेगा।

डेयरी गतिविधियों में संलग्न डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को उनकी कार्यशील पूंजी संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए 4 प्रतिशत का ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा। कोविड काल के दौरान, इस योजना की मदद से सहकारी क्षेत्र में दूध की खरीद बहुत कम उतार-चढ़ाव के साथ जारी रही क्योंकि सहकारी समितियां इन रियायती कार्यशील पूंजी ऋणों की मदद से खरीद से बचे रह गए दूध को स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) में बदलने में समर्थ रहीं। इससे डेयरी सहकारी समितियों से जुड़े 2 करोड़ किसानों को लाभ हुआ।

इन सभी योजनाओं के कार्यान्वयन से पशुधन और डेयरी से जुड़े किसानों को ब्याज अनुदान और पूंजीगत सब्सिडी के माध्यम से आसान ऋण प्रवाह सुनिश्चित होगा; पशुधन के क्षेत्र में उद्यमिता से जुड़ी गतिविधियों के माध्यम से रोजगार एवं आजीविका के बड़े अवसर और गुणक प्रभाव पैदा होंगे; मांस, मुर्गीपालन एवं डेयरी से जुड़े उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा; तकनीकी हस्तक्षेपों के जरिए मवेशियों और अन्य पशुधन की नस्ल में तेजी से सुधार लाकर अधिक उत्पादकता सुनिश्चित होगी। इससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्यों को हासिल करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

विभाग को इस बात की उम्मीद है कि इन संशोधित योजनाओं की वजह से देशी नस्लों के उत्तम कोटि के जानवरों की संख्या में वृद्धि होगी और स्वदेशी स्टॉक की उपलब्धता बढ़ेगी, कृत्रिम गर्भाधान का कवरेज 30 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत होगा, विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) की सहायता से 30.2 करोड़ जानवरों की पहचान संभव होगी, आईवीएफ एवं सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक के माध्यम से 53 लाख सुनिश्चित गर्भधारण संभव होगा। सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक की शुरूआत की वजह से केवल मादा बछड़ों के उत्पादन के माध्यम से 90 प्रतिशत से अधिक सटीकता के साथ गव्य उत्पादकता में वृद्धि होगी। इससे नर पशुओं की संख्या को कम करके आवारा पशुओं के प्रबंधन में भी मदद मिलेगी। ये संशोधित योजनाएं मांस, दूध, अंडा और ऊन आदि जैसी वस्तुओं की प्रति पशु उत्पादकता के वर्तमान स्तर में सुधार लाने में मदद करेंगी। उत्पादकता में इस वृद्धि से घरेलू और निर्यात बाजार के लिए अधिक मांस के उत्पादन में मदद मिलेगी। पीपीआर और सीएसएफ नियंत्रण कार्यक्रम के कार्यान्वयन से देश में भेड़, बकरी और सुअर के रोगों के उन्मूलन में मदद मिलेगी, जिससे भेड़ और बकरी में होने वाले पीपीआर के कारण 8900 करोड़ रुपये और सूअरों में स्वाइन बुखार की वजह से 200 करोड़ के सालाना नुकसान को रोका जा सकेगा। इन योजनाओं के जरिए देश के 47000 गांवों को कवर करते हुए प्रतिदिन 34 लाख लीटर अतिरिक्त दूध खरीद की क्षमता का सृजन होगा।

राज्य सरकारों, राज्य सहकारी समितियों, वित्तीय संस्थानों, बाहरी वित्त पोषण एजेंसियों और अन्य हितधारकों द्वारा निवेश में की गई हिस्सेदारी सहित भारत सरकार द्वारा इन योजनाओं के लिए 2021-22 से शुरू होकर अगले 5 वर्षों के लिए दी जाने वाली 9800 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता से पशुधन के क्षेत्र में कुल 54,618 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित किया जाएगा।

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