अणु ऊर्जा विभाग
"कर्नाटक में लिथियम रिज़र्व से जुड़ी मीडिया खबरों पर परमाणु खनिज निदेशालय का स्पष्टीकरण"
Posted On:
09 FEB 2021 6:32PM by PIB Delhi
परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय ( पखनि ) , जो परमाणु ऊर्जा विभाग की एक संघटक इकाई है तथा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण अन्वेषण कायों में संलग्र है । पखनि द्वारा निदेशालय को दिये गए अधिदेश के अंतर्गत यूरेनियम , थोरियम , नायोबियम , टैंटलम , लिथियम , बेरिलियम और विरल मृदा तत्वों के संसाधनों , जो देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए आवश्यक है , के सर्वेक्षण , पूर्वेक्षण और विकास का कार्यान्वन सुनिश्चित किया जाता है । लिथियम नई प्रौद्योगिकियों के लिए प्रमुख तत्व है और इसका उपयोग मृतिका ( सिरेमिक ) , कॉच ( ग्लास ) , दूरसंचार और अन्तरिक्ष ( एयरोस्पेस ) उद्योगों में किया जाता है । लिथियम की मुख्य उपयोगिता लिथियम आयन बैटरी , लुब्रीकेटिंग ग्रीज़ , रॉकेट प्रणोदक के लिए उच्च ऊर्जा योजक , मोबाइल फोन के लिए ऑप्टिकल मॉड्यूलेटर और ताप - नाभिकीय अभिक्रियायों अर्थात संलयन के लिए कच्ची सामग्री के रूप में उपयोग किए जाने वाले ट्रिशियम के रूपांतरक के रूप में किया जाता है । लिथियम का ताप - नाभिकीय अनुप्रयोग इसे परमाणु ऊर्जा अधिनियम , 1962 के अंतर्गत " विहित पदार्थ " की श्रेणी में शामिल करता है , जो पखनि को देश के विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्षेत्रों में लिथियम का अन्वेषण किए जाने की अनुमति प्रदान करता है । आयन बैटरियों में लिथियम की लगातार बढ़ती मांग के कारण पिछले कुछ वर्षों में लिथियम की मांग में बढ़ोत्तरी हुई है । राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए , पखनि , देश के विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्षेत्रों में लिथियम के लिए गहन अन्वेषण कार्य कर रहा है ।
हाल ही में , माड्या जिला , कर्नाटक के श्रीरंगपटना तालुक में अल्लापटना - मागल्ला क्षेत्र में लिथियम अन्वेषण और संसाधन के संदर्भ में विभिन्न मीडिया माध्यमों में समाचार प्रकाशित किए गए हैं । इस संबंध में , यह स्पष्ट किया जाता है कि वर्ष 1979 से 1988 तक ( प्रथम चरण ) और तदोपरांत वर्ष 2013 से ( द्वितीय चरण ) पखनि ही एकमात्र अन्वेषण संस्था है जिसके द्वारा पेग्मेटाइट बजरी ( ग्रेवल ) में स्पोड्यूमिन ( लिथियम - खनिज जिसमें Li2O - 8 % होता है ) और नायोबियम - टैंटलम ( Nb205 और Ta50s ) खनिज के लिए अन्वेषण कार्य किए जा रहे हैं । इस प्रकार , राजस्थान और गुजरात के लवण जल ( ब्राइन ) झील से व ओडिशा और छत्तीसगढ़ की अभ्रक पट्टी ( माइका बेल्ट ) से लिथियम प्राप्त करने के लिए पखनि द्वारा किए गए अन्वेषणात्मक कार्यों के संबंध में भी समाचार प्रकाशित किए गए हैं , जहां पखनि द्वारा किए जा रहे अन्वेषण कार्य अभी प्रारंभिक एवं आवीक्षी स्तर पर हैं ।
अन्वेषण कार्य एक सतत प्रक्रिया है , जहा सकारात्मक और नकारात्मक परिणामों के आधार पर आंकड़ो का अद्यतन किया जाता है । कुछ समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचारित रिपोटों में दक्षिणी कर्नाटक के मांड्या जिले में एक सीमित सर्वेक्षण क्षेत्र में लिथियम धातु के अनुमानन को बढ़ा - चढ़ा कर 14,100 टन बताया गया है । इस संबंध में पखनि द्वारा यह स्पष्ट किया जाता है कि अन्वेषण प्रयासों से अब तक कर्नाटक के मांड्या ज़िला के श्रीरंगपटना तालुक में अल्लापटना- मागल्ला क्षेत्र में ' इन्फर्ट थेणी ' के अंतर्गत 1600 टन ( निम्न स्तर असंशय ) लिथियम स्थापित किया गया है । यह एक प्रारंभिक अनुमान है और उच्च स्तर असंशय पर अनुमानित संसाधनों को दोहन श्रेणी में परिवर्तित करने तथा लिथियम संसाधनों को संवर्धित करने हेतु आगे और अधिक अन्वेषण प्रयास किए जाने की आवश्यकता है । इसके अलावा , जब तक अयस्क से लिथियम को लाभकारी रूप से पृथक करने की एक उचित तकनीक / विधि उपलब्ध नहीं होती , तब तक अन्वेषण का वास्तविक लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता है । पखनि में उपलब्ध आकड़ों के आधार पर वर्तमान स्थिति में अन्वेषण के वास्तविक आर्थिक लाभों का अनुमान लगाना संभव नहीं है । इस दौरान , पखनि देश के अन्य संभावित भूवैज्ञानिक प्रक्षेत्रों में लिथियम संसाधनों के संवर्धन के लिए अन्वेषणात्मक कार्य कर रहा है । इस दिशा में आगे का कार्य प्रगति पर है ।
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