संस्‍कृति मंत्रालय

संस्कृति मंत्रालय द्वारा एलबीएसएनएए में होने वाले दो दिवसीय जीआई महोत्सव में प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है

Posted On: 04 MAR 2021 5:54PM by PIB Delhi

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), मसूरी में आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय भौगोलिक उपदर्शन (जीआई) महोत्सव में संस्कृति मंत्रालय एक साझेदार मंत्रालय है। संस्कृति मंत्रालय द्वारा 4 मार्च, 2021 को प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें भारत के जीआई उत्पादों के ईर्द-गिर्द जुड़े हुए पूर्ण सत्रों, जीआई वस्त्रों और मसालों का कलात्मक प्रदर्शन, भागीदारी कला मॉड्यूल, हस्तशिल्प प्रदर्शन करने के साथ-साथ एक दिन तक चलने वाले क्यूरेट कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।

भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ उनकी विशिष्टता और संबंधों को ध्यान में रखते हुए, जीआई उत्पाद आत्मनिर्भर भारत के 'सर्वश्रेष्ठ वर्ग' अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाली क्षमता और शक्ति रखते हैं।

एलबीएसएनएए प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए आयोजित किया गया यह विशेष कार्यक्रम कारीगरों, डिजाइन और जीआई उत्पादों की दुनिया का एक अवलोकन कराता है। सत्रों में जीआई के कानूनी निहितार्थों, जीआई शिल्प एवं अन्य के साथ कलात्मक और डिजाइन सहयोग से संबंधित विषयों को शामिल किया गया और कानूनी, अकादमिक और डिजाइन दिग्गजों की ओर से भागीदारी देखने को मिला जैसे कि एम. एस।

भारत (वरिष्ठ साझेदार - आनंद एंड आनंद), डॉ बेस्सी सेसिल (प्रमुख - क्राफ्ट एजुकेशन, कलाक्षेत्र), शरण अप्पारो (संस्थापक - अप्पाराव गैलरीज), पूनम भगत (डिजाइनर - टाइका) और ईशान खोसला (संस्थापक आईकेडी)। इस सत्र का संचालन श्रेयंका बसु, संचार एवं सामग्री विशेषज्ञ, संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।

जीआई टेक्सटाइल की एक मिनी प्रदर्शनी में, जीआई टेक्सटाइल से जुड़ी हुई साड़ियों की एक विस्तृत श्रृंखला जैसे पाटन पटोला, बनारस ब्रोकेड, उप्पदा जमदानी, कलमकारी, पैथानी, कोटा डोरिया, पोचमपल्ली आदि का प्रदर्शन किया गया जो कि भारत की उत्तम बुनाई और डिजाइन परंपराओं को जीवंत करता है।

एनआईडी के पूर्व छात्र, कलाकार और मूर्तिकार शर्ली भटनागर द्वारा पवित्र मसाले शीर्षक वाली एक कला स्थापना के प्रदर्शन को भी संकल्पित किया गया। यह कलाकृति लोगों का ध्यानाकर्षित करती है क्योंकि इसमें हल्दी, तेजपत्ता, बयाडगी मिर्च और बासमती चावल जैसे कुछ दैनिक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है जो लंबे समय से पवित्र भारतीय पाकशास्त्र दुनिया का हिस्सा रही हैं और अब इसे जीआई टैग से सम्मानित किया गया है, जो कि भारतीय पारंपरिक ज्ञान को वैश्विक रूप से संज्ञान में लाता है।

कलाकार कॉर्नर में, हिमाचल प्रदेश के मास्टर आर्टिस्ट धनी राम के कांगड़ा पेंटिंग्स, पंजाब की सीमा रानी की फुलकारी कढ़ाई और मध्य प्रदेश के बिलाल मोहम्मद के बाग प्रिंटिंग कार्य का प्रदर्शन किया गया, जिनमें से सभी लोग जीआई में रजिस्टर्ड कलाकार हैं।

4 मार्च की शाम में विभिन्न नृत्यों से जुड़ी हुई एक नृत्य प्रस्तुति देखी गई, जिसमें 75 कलाकार ऐसे क्षेत्रों से जुड़े हुए थे जिनके पूरे भारतवर्ष में जीआई उत्पाद के लिंक हैं, जैसे कि पुरुलिया छाउ (पश्चिम बंगाल), किन्नौरी नाटी (हिमाचल प्रदेश), राठवा नृत्य (गुजरात), कश्मीरी रौफ़ नृत्य (कश्मीर), बृजरास/ बरसानाकीहोली (उत्तर प्रदेश)। संपूर्ण आयोजन का समन्वय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एक स्वायत्त निकाय, उत्तरी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा किया जा रहा है।

एमजी/एएम/एके-



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