ग्रामीण विकास मंत्रालय

बजट 2021-22: ग्रामीण विकास मंत्रालय सरप्लस सरकारी भूमि की पहचान, भूमि के बाजार मूल्य का पता लगाने और भूमि के स्वामित्व के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है

Posted On: 09 FEB 2021 4:15PM by PIB Delhi

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में निष्क्रिय परिसंपत्तियों यानी नॉन-कोर परिसंपत्तियों का उल्लेख किया है जिसमें मुख्यतः सरकारी मंत्रालयों/विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पैराग्राफ 89) की सरप्लस भूमि शामिल है । ग्रामीण विकास मंत्रालय सरप्लस सरकारी भूमि की पहचान करने, भूमि के बाज़ार मूल्य का पता लगाने और भूमि के स्वामित्व के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ।

बजट भाषण के पैराग्राफ 89 में कहा गया है कि "निष्क्रिय परिसंपत्तियां आत्मनिर्भर भारत में योगदान नहीं देंगी ।" मुख्य फोकस मुख्यतः सरकारी मंत्रालयों/विभागों/ सार्वजनिक क्षेत्र/ उपक्रमों की सरप्लस भूमि से बनी नॉन-कोर परिसंपत्तियों की पहचान करने पर है, उसके बाद विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के उपयोग के साथ भूमि के मुद्रीकरण की प्रक्रिया को अपनाने पर है । यह विभाग एसपीवी का नीचे बताए गए तीन चरणों में समर्थन कर सकता है ।

प्रथम चरण - सरप्लस सरकारी भूमि की पहचान

विभाग एक व्यापक एमआईएस प्रणाली में राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के भू-अभिलेखों के डाटाबेस को बनाए हुए है और लगातार अपडेट कर रहा है । एमआईएस में 90% से अधिक गांवों (कुल 6.55 लाख गांवों में से 5.90 लाख गांव) के संबंध में जानकारी भूमि रिकॉर्ड में शामिल है । इसलिए विभाग संबंधित विभाग द्वारा उपयोग नहीं किए जाने वाली भूमि की पहचान करने में विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) की मदद कर सकता है ।

द्वितीय चरण - भूमि के बाजार मूल्य का पता लगाना

सरकार के पास उपलब्ध सरप्लस भूमि का मुद्रीकरण करने के लिए यह अनिवार्य होगा कि भूमि की क़ीमत के लिए उसके न्यूनतम आधार मूल्य का पता लगाया जाए । भविष्य में एसपीवी के लिए देश भर में फैली ज़मीन का वास्तविक बाजार मूल्य पता लगाना मुश्किल काम होने वाला है । विभाग सरप्लस सरकारी भूमि के मुद्रीकरण के लिए आवश्यक न्यूनतम आधार मूल्य का पता लगाने में विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) की सहायता कर सकता है ।

तीसरा चरण - भूमि के स्वामित्व का हस्तांतरण

भूमि के मुद्रीकरण की प्रक्रिया में, इसके बाद में, यह प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है कि भूमि का स्वामित्व मांगने वाली संस्थाओं को हस्तांतरित किया जाना चाहिए । विभाग पंजीकरण अधिनियम, 1908 का इस्तेमाल भी कर रहा है, जिसमें पंजीकरण के साथ स्वामित्व का हस्तांतरण अधिनियम के समुचित प्रावधानों का उपयोग कर इस विभाग द्वारा केंद्रीय रूप से प्रदान किया जा सकता है ।

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