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पटकथा, प्रत्येक प्रोडक्शन डिजाइनर के लिए बाइबिल की तरह है : एफटीआईआई के प्रोफेसर उज्ज्वल गावंद


"प्रोडक्शन डिजाइनर को निर्देशक के विज़न और फिल्म-शैली का पालन करना चाहिए"

Posted On: 21 JAN 2021 9:37PM by PIB Delhi

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के पहले हाइब्रिड संस्करण के ऑनलाइन सत्र में, एफटीआईआई (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) के प्रोफेसर उज्जवल गावंद ने "प्रोडक्शन डिज़ाइन - ए वर्ल्ड बिल्डिंग फ़ॉर फिल्म्स" विषय पर प्रोडक्शन डिजाइन, सिनेमा की दृश्य कला और शिल्प के सम्बन्ध में अपने विचार रखे।

प्रोगावंद ने फिल्म निर्माण प्रक्रिया में पटकथा के महत्व पर जोर दिया। "प्रत्येक प्रोडक्शन डिज़ाइनर के लिए, फ़िल्म की पटकथा बाइबिल होती है, प्रोडक्शन डिज़ाइनर कोपटकथा से ही दृष्टि मिलती है और मुख्य संदर्भ भी पटकथा ही है।"

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उन्होंने कहा कि मोशन पिक्चर का लुक और स्टाइल; कल्पना, कलात्मकता तथा  निर्देशक, फोटोग्राफी-निदेशक और प्रोडक्शन डिजाइनर के सहयोग से बनाया जाता है। प्रोडक्शन डिज़ाइनर को पता होना चाहिए कि निर्देशक, फोटोग्राफी-निदेशक और लेखक के साथ कैसे तालमेल बिठाना है। प्रोडक्शन डिजाइनर को निर्देशक के विज़न और फिल्म शैली का पालन करना चाहिए। उन्हें वीएफएक्स डिज़ाइनर और कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर के साथ सहयोग करना होगा, क्योंकि वे एक ही रंग-योजना का पालन करते हैं तथा साउंड डिज़ाइनर के साथतालमेल बिठाना होगा, यदि सिंक साउंड रिकॉर्डिंग की आवश्यकता है।"

प्रोफेसर उज्जवलने प्रोडक्शन डिजाइन का अर्थ और इतिहास पेश किया। "एक प्रोडक्शन डिजाइनरपर फिल्म-निर्देशक के विज़न के साथ पटकथा को एकीकृत करने और ऐसे वातावरण तैयार करने की जिम्मेदारी होती है, जिसमें अभिनेता अपने पात्रों को विकसित कर सकते हैं और कहानी पेश कर सकते हैं।" प्रोडक्शन डिजाइनर 1939 में तब अस्तित्व में आया, जब निर्माता डेविड ओ सेल्ज़निक (एक अमेरिकी फिल्म निर्माता, पटकथा लेखक और फिल्म स्टूडियो कार्यकारी) ने विलियम कैमरन मेन्ज़ीज़ को ‘गॉन विद द विंड’फिल्म में उनके काम के लिए यह उपाधि दी। वे न केवल सेट और सजावट, बल्कि स्टोरीबोर्ड, रंग, शैली, लघु डिजाइन, फ्रेमिंग और रचना भी करते थे। अपने असाधारण विज़न के लिए विलियम कैमरन मेन्ज़ीज़ को प्रोडक्शन डिजाइन का जनक कहा जाता है।

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प्रो. उज्जवल ने कहा कि प्रोडक्शन डिजाइन कथा कहने का उपकरण है। इसमें एक ऐसी दुनिया बनाने की क्षमता है जहां कथा और एक्शन होते हैं। यह सेट में अधिक रुचि और अधिक प्रामाणिकता लाता है। यह हमारी कल्पना को आगे बढ़ाता है और हमें एक ऐसी दुनिया मेंले जाता है, जिसमें वास्तुकला, रंग, स्थान, आकार, बनावट, दृश्य रूपक और पटकथा की परिकल्पना शामिल होते हैं।

उन्होंने फिल्म ‘द शेप ऑफ वॉटर’ के क्लिप के साथ इन बातों को समझाया।

 

दर्शकों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म एक सिंथेटिक और कला का संयोजन है; संस्थागत प्रशिक्षण होना अनिवार्य नहीं है।

 

उन्होंने जॉन मेहर्रे (शिकागो), ब्रायन मॉरिस (पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन), नीतीश रॉय, स्निग्धा बसु, आराधना सेठ और सुजैन कैपलान मेरवानजी (गली बॉय) का अपने पसंदीदा प्रोडक्शन डिजाइन के रूप में उल्लेख किया।

 

 

एमजी/ एएम/ जेके



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