कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये आत्मनिर्भर कृषि एवं आत्मनिर्भर किसान महत्वपूर्ण हैं – 74वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी


केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री के नज़रिये एवं प्राथमिकताओं के अनुरूप कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों की अगुवाई कर अनेक कदम उठाए

कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन के बावजूद कृषि क्षेत्र ने 2018-19 के दौरान 2.74% की तुलना में 2019-20 में 2.9% की वृद्धि दर के साथ बेहतर प्रदर्शन किया है


Posted On: 15 AUG 2020 4:00PM by PIB Delhi

74वें स्वतंत्रता दिवस के दौरान राष्ट्र के नाम अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने जैसे ही देश में कृषि के क्षेत्र में बढ़ते कदमों को चिह्नांकित किया- वर्तमान कोविड-19 महामारी एवं देश को आत्मनिर्भर बनाने वाले अग्रसक्रिय रवैये को उनके भाषण में स्थान मिला । लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस उद्बोधन में कृषि संबंधी सार निम्नलिखित है- 

 

मेरे प्यारे देशवासियो,

 

आत्मनिर्भर भारत की प्राथमिकता आत्मनिर्भर कृषि और आत्मनिर्भर किसान हैं और इनको हम कभी भी नज़रअंदाज नहीं कर सकते हैं। किसान को पिछले दिनों हमने देखा है। आज़ादी के इतने सालों के बाद एक के बाद एक सुधार किए गए हैं। किसान को तमाम बंधनों से मुक्त करना होगा, वो काम हमने कर दिया है ।

 

आप सोच भी नहीं सकते हैं, हमारे देश में अगर आप साबुन बनाते हैं, तो हिंदुस्तान के उस कोने में जाकर साबुन बेच सकते हैं; आप अगर कपड़ा बनाते हैं, तो हिंदुस्तान के किसी कोने में जाकर कपड़ा बेच सकते हैं; आप चीनी बनाएं, आप चीनी बेच सकते हैं, लेकिन मेराकिसान- बहुत लोगों को पता नहीं होगा- मेरे देश का किसान जो उत्पादन करता था, न वो अपनी मर्जी से बेच सकता था, न अपनी मर्जी से जहां बेचना चाहता था वहां बेच सकता था; उसके लिए जो दायरा तय किया था, वहीं बेचना पड़ता था। उन सारे बंधनों को हमने ख़त्म कर दिया है ।

 

अब हिंदुस्तान का किसान उस आजादी की सांस को ले पाएगा ताकि वो हिंदुस्तान के किसी भी कोने में, दुनिया के किसी भी कोने में अपना माल बेचना चाहता है, अपनी शर्तों पर वह बेच पाएगा। हमने किसान की आय को बढ़ाने के लिए अनेक वैकल्पिक चीजों पर भी बल दिया है। उसकी किसानी में लागत कैसे कम हो, सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप उसको डीजल पंप से मुक्ति कैसे दिला दें, अन्नदाता, ऊर्जादाता कैसे बने, मधुमक्खी पालन हो, मत्स्य पालन हो, मुर्गीपालन हो, ऐसी अनेक चीजें उसके साथ जुड़ जाएं, ताकि उसकी आय दोगुनी हो जाए, हम लगातार उस दिशा में काम कर रहे हैं ।

 

आज समय की मांग है हमारा कृषि क्षेत्र आधुनिक बने। मूल्यवृद्धि हो, मूल्य संवर्धन हो, खाद्य प्रसंस्करण हो, पैकेजिंग की व्यवस्था हो, उसको संभालने की व्यवस्था हो, और इसलिए अच्छी अवसंरचना की ज़रूरत है।

 

आपने देखा होगा कि इस कोरोना के कालखंड में ही पिछले दिनों कृषि क्षेत्र की ढांचागत व्यवस्था के लिए भारत सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। अवसंरचना जो किसानों की भलाई के लिए होगी और इसके कारण किसान अपना मूल्य भी प्राप्त कर सकेगा, दुनिया के बाजार में बेच भी पाएगा, विश्व बाजार में उसकी पहुंच बढ़ेगी।

 

आज हमें ग्रामीण उद्योगों को मजबूत करने की ज़रूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में विशिष्ट प्रकार से आर्थिक क्लस्टर बनाए जाएंगे। गांव के अंदर कृषि और गैर-कृषि उद्योगों का एक जाल बनाया जाएगा और उसके कारण उसके साथ-साथ हमने किसानों के लिए जो नये किसान उत्पादक संघ बनाने की कोशिश की है, वो स्वयं में एक बहुत बड़े आर्थिक सशक्तिकरण का काम करेगा।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नज़रिये एवं प्राथमिकताओं के अनुरूप केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों की अगुवाई कर अनेक कदम उठाए हैं, जो कि भारत के कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन में प्रतिबिम्बित होते हैं।

 

भारत का कृषि क्षेत्र फिलहाल देश की जीडीपी में लगभग 15.9% तथा कुल रोज़गार (2018-19) में 49% भाग का योगदान करता है। कोविड-19 महामारी एवं तत्पश्चात लागू लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था के अधिकतर क्षेत्रों को प्रभावित किया है। हालांकि कृषि क्षेत्र ने 2019-20 के दौरान 2018-19 में प्राप्त 2.74% दर की तुलना में 2.9% की विकास दर के साथ बेहतर प्रदर्शन किया है। किसानों ने कोविड के दौरान सभी विषमताओं के विरुद्ध श्रम किया है एवं विशेषकर चावल, गेहूं, दालों एवं सब्जियों जैसी मुख्य उपज समेत कृषि संबंधी माल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए खाद्य सुरक्षा मुहैया कराई है। वह हमारे कोविड योद्धा रहे हैं एवं केंद्र एवं प्रदेश सरकारों की समयबद्ध दखल के साथ मूक रहते हुए किसानों के प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया है कि कटाई संबंधी गतिविधियों में कोई रुकावट न होने पाए।

 

हालांकि कोविड-19 महामारी दुनियाभर में चुनौतीपूर्ण रही है, किंतु पिछले छह सालों के दौरान किये गए सुधारों के कारण भारत का कृषि संबंधी तंत्र इसका सामना कर पाने में सफल रहा है। सरकार ने किसान समुदाय के फायदे को दृष्टिगत रखते हुए क्षेत्र में दूरगामी परिवर्तनों का रास्ता बनाने के लिये सुधार की आवश्यकता को प्रोत्साहन देना जारी रखा है । इस मामले में किसानों को सशक्त बनाने के लिये हाल ही में दो बड़े अध्यादेश- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 तथा मूल्य आश्वासन एवं फार्म सेवा पर किसान (सशक्तिकरण एवं सुरक्षा) समझौता अध्यादेश 2020 पारित किये गए हैं – दोनों को दिनांक 5.6.2020 को लागू किया गया।

 

कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाने तथा किसानों की माली हालत ठीक करने के प्रति सरकार की निरंतर इच्छाशक्ति एवं प्रतिबद्धता के अनुरूप दो प्रमुख कदमों- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) एवं कृषि अवसंरचना कोश के रूप में निधि जारी की गई है। पीएम-किसान योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने की अर्हता वाले किसानों को दो-दो हज़ार रुपये की तीन चौमाही किश्तों में प्रतिवर्ष 6000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। दिनांक 9 अगस्त 2020 को एक बटन को दबा कर लगभग 8.5 करोड़ लाभार्थी किसान परिवारों को 17000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्थानांतरित की गई। इस बड़े निधीयन के पश्चात 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 90,000 करोड़ रुपये से अधिक स्थानांतरित किये गए हैं।

 

पीएम-किसान के अंतर्गत सीधे ही नकद सहारा देने के अतिरिक्त किसान-कल्याण के एक पारितंत्र का निर्माण कर एवं सामुदायिक किसानी की संरचनातैयार कर कृषि श्रृंखला में बड़े निवेश को प्रेरित करने हेतु उनका साथ देने के लिये सरकार ने कृषि अवसंरचना निधि के अंतर्गत एक लाख करोड़रुपये की वित्त सुविधा वालीएक नयी केंद्रीय क्षेत्र योजना को अनुमति प्रदान की है। इस योजना का उद्देश्य कृषि मूल्य श्रृंखला में निवेश को प्रोत्साहन देना है। यह योजना विपणन की ढांचागत व्यवस्था में सुधार कर तथा सामुदायिक कृषि संरचना बनाकर- जिससे किसान अपने उत्पाद का तब तक भंडारण कर सकते हैं जब तक उनको बेहतर मूल्य प्राप्त हो पाए, वह उपज की बर्बादी कम कर पाएं एवं सस्ती कृषि कटान ढांचागत व्यवस्था पा सकें- का निर्माण करकिसानों को लाभ पहुंचाएगी।

 

यह योजना अगले चार वर्ष तक एक लाख करोड़ रुपये तक किसानों तथा व्यावसायियों की पहुंच सुनिश्चित करेगी- पहले वर्ष 10,000 करोड़ रुपये तथा अगले तीन वर्ष तक 30,000 करोड़ रुपये। किसान तथा किसानों के कल्याण के पारितंत्र से जुड़े अन्य हिस्सेदारों तक सरकार अब 3% ब्याज की आर्थिक सहायताएवं ऋण गारंटी के साथ फाइनेंसिंग की सुविधा प्रदान करेगी। इससे वह अधिक लाभ वाले उन क्षेत्रों में और अधिकनिवेश कर पाएंगे जिनमें उनके उत्पाद के मूल्य में वृद्धि हो सके।

 

कृषि सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग के अंतर्गत किसान कल्याण कार्यक्रम कार्यान्वयन सोसाइटी निधि संबंधी प्रशासन की अगुवाई करेगी। प्रदेश स्तरीय निगरानी समिति राज्यों में क्रियान्वयन की देखरेख करेगी। ज़िला स्तरीय निगरानी समिति लाभान्वितों की पहचान, परियोजना रिपोर्ट तैयार करने तथा प्रगति की निगरानी करने का कार्य करेगी। नाबार्ड ज़मीनी स्तर के सहकारी संस्थानों के माध्यम से कृषि संबंधी अवसंरचना परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में अगुआ रहा है।

 

यह निधि जारी होने के एक माह के भीतर ही 2280 से अधिक किसान सोसाइटियों को 1000 करोड़ रुपये से भी अधिक धन आवंटित हो चुका है । इसके अतिरिक्त कार्यान्वयन की रफ्तार बढ़ाने एवं उद्ग्रहण में तेज़ी लाने के लिये समझौता-पत्रकों पर हस्ताक्षर के माध्यम से सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एवं वित्तीय संस्थानों कोएक मंच पर लाया गया है।

 

राष्ट्रीय एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जोडते हुए किसानों को कामयाब उत्पादक के रूप में रूपांतरित कर सामूहिक रूप से यह सुधार भारत में कृषि क्षेत्र के लिये एक नई सुबह का आगाज़ करेंगे।

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एमजी/एएम/एबी/एसएस

 



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