विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

34वां डीबीटी स्थापना दिवस मनाया गया


"इंडिया@75" के लिए सभी वैज्ञानिकों से खुद को अभिनव विचारों में संलग्‍न करने का आह्वान

डीबीटी द्वारा "एमके भान यंग इन्वेस्टिगेटर्स रिसर्च अवार्ड" लॉन्च करने की घोषणा

34 वैज्ञानिकों को डीबीटी ब्राइट पुरस्‍कार प्रदान किया गया

भारत, दुनिया के शीर्ष 12 जैव प्रौद्योगिकी देशों में शामिल

Posted On: 26 FEB 2020 7:40PM by PIB Delhi

  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने आज नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्युनोलॉजी (एनआईआई), नई दिल्ली में अपना 34वां स्थापना दिवस मनाया।

इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भू-विज्ञान और स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन मुख्य अतिथि थे। उन्‍होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग को इसके अग्रणी काम के लिए बधाई दी और सभी वैज्ञानिकों से खुद को अभिनव विचारों में संलग्न करने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नये भारत के विजन को साकार करने के लिए 2022 में अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने तक मिलने वाली नई चुनौतियों के लिए काम करने का आह्वान किया। डॉ. हर्षवर्धन ने युवा वैज्ञानिकों और पुरस्‍कार विजेताओं से 'इंडिया @75' कार्यक्रम के लिए नये समाधान के साथ आने का आह्वान किया।

डॉ. हर्षवर्धन ने डीबीटी के पूर्व सचिव प्रो. एम. के. भान के महान योगदान को याद किया, जिनका हाल ही में निधन हुआ। उन्‍होंने शोध के चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में काम करने वाले युवा अनुसंधानकर्ताओं को बढ़ावा देने के लिए डीबीटी द्वारा प्रोफेसर भान की स्‍मृति में "एम के भान यंग इन्वेस्टिगेटर्स रिसर्च अवार्ड" लॉन्च करने की घोषणा की।

डॉ. हर्षवर्धन ने 100 दिन के कार्यक्रम के एक हिस्‍से के रूप में राष्ट्रीय स्तर की तीन नई पहल शुरू करने के लिए विभाग के प्रयासों की सराहना की -

1) जीनोम इंडिया का शुभारंभ,

2) सभी महत्‍वाकांक्षी जिलों में जैव प्रौद्योगिकी किसान केन्‍द्र और

3) अपशिष्‍ट पदार्थों को उपयोगी पदार्थ में बदलने की प्रौद्योगिकी।

 

इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन ने 34 वैज्ञानिकों को पुरस्कार प्रदान किए। जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने अपनी स्थापना के बाद से देश भर में विभिन्न अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों, वैज्ञानिक संगठनों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं आदि में विभिन्न स्तरों पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के योगदान को प्रोत्साहित और मान्‍यता दिलाने के लिए विभिन्न पुरस्कारों की शुरूआत की। डीबीटी द्वारा शुरू किये गये विभिन्‍न पुरस्‍कार में डीबीटी ब्राइट पुरस्‍कार (बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एक्सीलेंस अवार्ड्स) काफी अहम है। डीबीटी ने हमारे देश के उत्कृष्ट वैज्ञानिकों के सम्मान में कुछ पुरस्कारों के नाम बदल दिये है, जिनका भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में बड़ा योगदान है और वे पूरी दुनिया में वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा बने हैं।

डीबीटी द्वारा गठित डीबीटी ब्राइट पुरस्‍कारों में निम्‍नलिखित पुरस्‍कार शामिल हैं -

·                     हर गोबिंद खुराना - इनोवेटिव यंग बायोटेक्नोलॉजिस्ट पुरस्कार

·                     एस. रामचंद्रन - नेशनल बायोसाइंस अवार्ड फॉर कैरियर डेवलपमेंट

·                     जानकी अम्मल नेशनल वुमैन बायोसाइंटिस्ट अवार्ड

·                     टाटा इनोवेटिव फेलोशिप अवार्ड

·                     बायोटेक्नोलॉजिस्ट सोशल डेवलपमेंट अवार्ड

 

एल. वी. प्रसाद आई इंस्टीट्यूट, हैदराबाद के एमेरिटस निदेशक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. डी. बालासुब्रमण्यम ने डीबीटी स्थापना दिवस पर व्याख्यान दिया। केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विभाग द्वारा प्रकाशित  "बायोटेक्नोलॉजी- कंट्रीब्यूटिंग टू ग्रोइंग बायोइकोनॉमी" पुस्‍तक भी जारी की।

भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले तीन दशकों में विकसित हुआ है और इसका विभिन्न क्षेत्रों खासकर स्वास्थ्य, कृषि इत्यादि में महत्वपूर्ण योगदान है। सरकारी और निजी क्षेत्रों से बड़ी मदद मिलने के वजह से जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र लगभग 20 फीसदी की दर से तेज सालाना वृद्धि कर रहा है। भारत दुनिया के शीर्ष 12 जैव प्रौद्योगिकी देशों में से एक है।

2025 तक 150 अरब अमेरिकी डॉलर के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों और सेवाओं की मांग महत्वपूर्ण है। विकास की संभावनाओं को देखते हुए जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र की स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, ऊर्जा, पशुधन इत्‍यादि की प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि चूंकि हमारा फोकस नवाचार और अनुसंधान एवं विकास पर है, इसलिए डीबीटी का स्थापना दिवस इस बात पर चर्चा करने का सही अवसर है कि निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए या कम से कम निर्धारित लक्ष्यों के पास पहुंचने के लिए कौन-कौन से तरीके और रणनीतियाँ लागू की जानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि ऐसा करने के लिए हमें प्रतिभाओं का विकास और उनकी उत्कृष्टता के लिए उन्हें पुरस्कृत करने की आवश्यकता है ताकि वे राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम करते रहें।

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एस.शुक्‍ला/एएम/एके/जीआरएस – 5971


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