कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय

नई दिल्ली में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण 2020 का अखिल भारतीय सम्मेलन संपन्न हुआ

Posted On: 16 FEB 2020 8:10PM by PIB Delhi

केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) का वार्षिक अखिल भारतीय सम्मेलन आज नई दिल्ली में आयोजित किया गया। एक दिवसीय सम्मेलन में देश भर से कैट के सभी 17 बेंचों के न्यायिक और प्रशासनिक सदस्यों, कैट बार एसोसिएशन के सदस्य और प्रख्यात न्यायविद शामिल हुए, जिन्होंने 2020 के लिए अधिकरण की कार्यप्रणाली और प्राथमिकताओं के से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

कैट के काम से संबंधित दो तकनीकी सत्रों में कैट के न्यायिक और प्रशासनिक सदस्यों ने विचार-विमर्श किया, जिसमें संरचनात्मक और संस्थागत मुद्दे, अन्य कानूनी प्रणालियों में प्रशासनिक न्यायाधिकरणों के कामकाज और अधिकरण के कामकाज की कार्यप्रणाली शामिल है। सत्रों की पहचान और निपटान की दर में सुधार के लिए उपायों की पहचान, सदस्यों की सेवा की स्थिति और अधिकरण के बेंच के ढांचागत पहलू पर भी विचार-विमर्श किया गया।

सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने की । श्री प्रसाद ने अपने संबोधन में अधिकरण में सदस्यों की कमी के बावजूद मामलों के निस्तारण में उल्लेखनीय सुधार लाने के लिए कैट के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हा रेड्डी और उनकी टीम को बधाई दी। उन्होंने उस भूमिका का स्वागत किया, जो कैट ने देश में सेवा क्षेत्र के विकास में अपने विभिन्न कार्यों के जरिए निभाई है। उन्होंने कैट द्वारा इन-हाउस न्यायिक प्रभाव मूल्यांकन की आवश्यकता पर और सेवा न्याय क्षेत्र में प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी सलाह दी कि न्यायिक शिक्षा भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कानून अस्पष्टता के दायरे में है। उन्होंने शासन में अधिक पारदर्शिता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के मद्देनजर, अधिक स्पष्टता के साथ सेवा न्यायक्षेत्र पर निर्णय लेने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अधिकरण के कामकाज में कृत्रिम इंटेलिजेंस का उपयोग करने में आईटी विभाग की मदद का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’, और प्रदर्शन, सुधार और परिवर्तन के सिद्धांत के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। इस दिशा में, सेवा क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। उन्होंने दोहराया कि कैट पिछले कुछ वर्षों में शिकायत-मुक्त वितरण प्रणाली की उपलब्धि के लिए सरकार का एक आवश्यक अंग रहा है, और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और अन्य सेवा मामलों में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।

डॉ. सिंह ने कहा कि सदस्यों की कमी को देखते हुए अधिक सदस्यों को नियुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है ताकि अधिकरण के काम को आसान बनाया जा सके। उन्होंने अधिकरण को इस बात के लिए बधाई दी कि इस कमी के बावजूद, उसने 104% से अधिक का लक्ष्य हासिल किया है। उन्होंने जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में कैट पीठों की आवश्यकता का भी उल्लेख किया। इस संबंध में, उन्होंने जस्टिस रेड्डी के साथ चर्चा की और यह तय किया कि फिलहाल कुछ समय के लिए न्यायिक बेंच ही जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के लिए काम करेगा।

इस समारोह के मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के जज जस्ट्स एन.वी. रमन्ना ने अधिकरण के सदस्यों की सेवा शर्तों के बारे में बात की और इस बात पर भी जोर दिया कि कार्यकाल पर्याप्त समय का होना चाहिए। उन्होंने संकेत दिया कि सेवा मामले की सुनवाई काफी देर से हो रही है क्योंकि वर्तमान में कैट में लगभग 50,000 से ज्यादा मामले लंबित हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि निर्णय सटीक और संक्षिप्तता के साथ-साथ स्पष्टता और तार्किक भी होने चाहिए।

इस अवसर पर दिल्ली के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धीरूभाई नारनभाई पटेल ने विशिष्ट अतिथि के तोर पर भाग लिया और जोर देकर कहा कि  वादी और काउंसल को सुनवाई के दौरान ध्यान से सभी पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायिक आदेशों को तथ्यों, संबंधित कानूनों और पहले दिए गए फैसलों पर ध्यान देना चाहिए।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के समन्वय से, कैट द्वारा आने वाले दिनों में तकनीकी सत्रों में सदस्यों द्वारा किए गए विभिन्न सुझावों को आगे बढ़ाया जाएगा।

 

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एस.शुक्‍ला/एएम/पीकेपी- 5787



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