वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
वित्त मंत्री ने युवाओं को "शुरू से अंत तक" सुविधा और सहायता उपलब्ध कराने के लिए निवेश मंजूरी प्रकोष्ठ की स्थापना करने की घोषणा की
ब्याज, लाभांश और पूंजीगत लाभ आय में 100 प्रतिशत कर छूट प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विदेशी सरकारों का सॉवरेन धन कोष
मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सेमी-कंडक्टर पैकेजिंग के विनिर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा
Posted On:
01 FEB 2020 3:42PM by PIB Delhi
केन्द्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा है कि उद्यमिता हमेशा भारत की ताकत रही है और हमारे युवा जन और महिलाएं भारत के विकास में अपने उद्यमिता कौशल के साथ अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने आज संसद में केन्द्रीय बजट 2020-21 पेश करते हुए कहा कि हम अपने युवाओं के ज्ञान, कौशल और जोखिम लेने वाली क्षमताओं को पहचानते हैं। वे अब नौकरी की तलाश करने वाले नहीं, बल्कि नौकरी का सृजन करने वाले हैं।
वित्त मंत्री ने एक निवेश मंजूरी प्रकोष्ठ की स्थापना का प्रस्ताव किया, जो युवाओं के लिए अधिक अवसरों का सृजन करने में शुरू से अंत तक सुविधा और सहायता प्रदान करने और बाधाओं को दूर करने में सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने पीपीपी मोड में राज्यों के सहयोग से 5 नई स्मार्ट सिटी विकसित करने का भी प्रस्ताव किया। ऐसे स्थलों का चुनाव किया जाएगा, जो ऊपर उल्लिखित सिद्धान्तों के रूप में बेहतर विकल्प प्रस्तुत करते हों।
उन्होंने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विदेशी सरकारों के सॉवरेन धन कोष द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 31 मार्च, 2024 से पहले 3 साल की न्यूनतम लॉक-इन अवधि के साथ बुनियादी ढांचा और अन्य अधिसूचित क्षेत्रों में किए गए निवेश के संबंध में ब्याज, लाभांश और पूंजीगत लाभ आय पर 100 प्रतिशत कर छूट देने का प्रस्ताव किया। इसके लिए कम लागत पर विदेशी निधियां उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने गैर निवासियों के लिए ब्याज भुगतान के लिए धारा 194एलसी के तहत 5 प्रतिशत की रियायती विद होल्डिंग दर की अवधि बढ़ाने का भी प्रस्ताव किया। वित्त मंत्री ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशकों (क्यूएफआई) को भारतीय कंपनियों और सरकारी प्रतिभूतियों द्वारा जारी किये गये बांड्स के संबंध में ब्याज भुगतान के लिए धारा 194एलडी के तहत 5 प्रतिशत की रियायती विद होल्डिंग दर की अवधि को 30 जून, 2023 तक बढ़ाने का भी प्रस्ताव किया है।
वित्त मंत्री ने भारत को और अधिक आकर्षक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई), गंतव्य बनाने के लिए लाभ को मजबूत बनाने का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के परामर्श से सरकार विमानन, मीडिया और बीमा क्षेत्र में एफडीआई खोलने के सुझावों की जांच करेगी। बीमा मध्यस्थों के लिए शत-प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी और एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के लिए स्थानीय सोर्सिंग मानदंडों को आसान बनाया जाएगा।
शुद्ध बहिर्प्रवाह से शुद्ध अंतर्वाह तथा मजबूत प्रेषण की प्राप्तियों से पोर्टफोलियो प्रवाह से एफडीआई रिबॉन्डिंग के बढ़ते हुए प्रवाह के कारण विदेशी मुद्रा भंडार उच्च स्तर पर दिखाई दे रहे हैं, जो दिसंबर 2019 के अंत में बढ़कर 457.5 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंच गये हैं। शुद्ध एफडीआई अंतर्वाह 2019-20 (अप्रैल-नवंबर) में लगातार बढ़ोतरी हुई और यह 21.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में बढ़कर 24.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जो वैश्विक रूख को दर्शाता है। यह भारत की प्रगति की कथा और सरकार द्वारा किये जा रहे सुधार प्रयासों में बढ़ते हुए विश्वास को दर्शाता है।
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत को नेटवर्क उत्पादों का निर्माण करने की आवश्यकता है जो इसे वैश्विक मूल्य श्रृंखला का एक हिस्सा बना देंगे। इसके बदले में अधिक निवेश प्राप्त होगा और युवाओं के लिए अधिक रोजगार पैदा होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग बहुत प्रतिस्पर्धात्मक है और रोजगार जुटाने की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने यह कहा कि भारत को घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला में भारी निवेश को आकर्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सेमी-कंडक्टर पैकेजिंग के निर्माण को प्रोत्साहित करने की एक योजना का प्रस्ताव किया।
एमएसएमई क्षेत्र के तहत आने वाले फुटवियर और फर्नीचर निर्माण की मदद करने के लिए उन्होंने फुटवियर तथा फर्नीचर जैसी मदों कस्टम ड्यूटी (फुटवियर पर 25 से 35 प्रतिशत, फुटवियर के हिस्सों पर 15 से 20 प्रतिशत तक तथा फर्नीचर पर 20 से 25 प्रतिशत तक) बढ़ाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हमारी एमएसएमई बेहतर क्वालिटी की जिन वस्तुओं का उत्पादन कर रही है, उन वस्तुओं के आयात को हतोत्साहित करने के प्रयासों पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन करने के लिए एमएसएमई में श्रम सघन क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि सस्ते और कम गुणवत्ता के आयात उनके विकास में बाधा हैं।
घरेलू चिकित्सा उपकरण उद्योग को प्रोत्साहन देने और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संसाधन जुटाने के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उन्होंने यह देखते हुए कि ये वस्तुएं अब भारत में बड़ी मात्रा में बनाई जा रही हैं, चिकित्सा उपकरणों के आयात पर कस्टम ड्यूटी के माध्यम से, मामूली स्वास्थ्य उपकर (5 प्रतिशत की दर) लगाने का प्रस्ताव रखा है। इस उपकर से प्राप्त होने वाली आय का महत्वाकांक्षी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बुनियादी ढाँचा तैयार करने के लिए उपयोग किया जाएगा।
जब उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा लालकिले से किए गए आह्वावन "जीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट" विनिर्माण का उल्लेख किया। इस वर्ष के दौरान सभी मंत्रालय गुणवत्ता मानक आदेश जारी करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री का यह विजन है कि प्रत्येक जिले को एक निर्यात हब के रूप में विकसित किया जाए। केन्द्र और राज्य सरकारों के प्रयासों को समन्वित किया जा रहा है और संस्थागत तंत्र का निर्माण किया जा रहा है।
*****
आरकेमीणा/आरएनएम/आईपीएस/जीआरएस –5574
(Release ID: 1601750)
Visitor Counter : 289