सूचना और प्रसारण मंत्रालय

"हमें ऐसे साधारण पुरुष मिले जो पितृसत्तात्मक प्रवृत्ति को बदलने के लिए असाधारण काम कर रहे हैं" - निर्देशक विभा बख्शी


"मैंने इस फिल्म को संवादों के बिना बनाने का फैसला किया, मैंने महसूस किया कि यह विजुअल के माध्यम से अधिक प्रभावी बन सकती है" - निर्देशक नीलेश कुंजिर

Posted On: 29 JAN 2020 7:10PM by PIB Delhi

मुंबई के फिल्म प्रभाग में आज एमआईएफएफ प्रदर्शनी के राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड में प्रदर्शित दोनों फिल्मों सन राइज़ ’और शेवंती के निर्देशकों ने आज मीडिया के साथ बातचीत की।

आज एमआईएफएफ में अपनी फिल्मों की स्क्रीनिंग के बाद राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता, निर्देशक (सन राइज़) विभा बख्शी और निर्देशक (शेवंती), नीलेश कुंजिर ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स के लिए मीडिया से मुलाकात की।

विभा बक्शी ने हरियाणा में शूटिंग के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए कहा ‘‘एक सामान्य किसान सामूहिक बलात्कार की पीड़िता से विवाह करने और उसे न्याय दिलाने कि दिशा में काम करने के दौरान किस प्रकार समाज का सामना करता है।’’ हरियाणा पुरूष प्रधान समाज का भारत का केन्द्र है लेकिन  यह वह जगह भी है जहां महिलाओं का समर्थन करने वाले नायक पैदा होते हैं। उन्होंने कहा, हमें ऐसे साधारण पुरुष मिले जो पितृसत्तात्मक प्रवृत्ति को बदलने के लिए असाधारण काम कर रहे हैं"। हमारे नायक, जिनमें से सभी हरियाणा के हैं, हमारे लोगों के लिए उदाहरण हैं। उम्मीद है कि हमारी फिल्में लैंगिक मुद्दों के समाधान में महिलाओं के साथ एकजुट होने के लिए लोगों को प्रेरित करेंगी।

 

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ग्रामीण हरियाणा पर आधारित एक गैर फीचर वृत चित्र सन राइज प्रदर्शित करती है कि साधारण आदमी किस प्रकार असाधारण चीजें कर सकते हैं। इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर एवं गैर फीचर में सर्वश्रेष्ठ संपादन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। उन्होंने कहा ‘संपादन में 8 महीनों से अधिक का समय लगा और हेमन्ती सरकार देश की सर्वश्रेष्ठ संपादक हैं।’

शेवंती एक विवाहित पति-पत्नी के जीवन और समय व्यतीत होने के साथ उनके संबंध किस प्रकार पनपते हैं, पर आधारित एक लघु फिल्म है। यह फिल्म एक मराठी लेखक चन्द्रशेखर गोखले द्वारा लिखित एक लघु कथा पर आधारित है। निदेशक नीलेश कुंजिर ने कहा, मैंने यह फिल्म बनाना इसलिए पसंद किया क्योंकि मुझे कहानी अच्छी लगी और मैंने इस फिल्म को बिना डायलॉग के बनाने का फैसला किया। मैंने महसूस किया कि यह विजुअल के जरिए अधिक प्रभावी बन सकती है। इस फिल्म को आधिकारिक रूप से एशियाई फिल्म समारोह के लिए चुना गया है। यह पूछे जाने पर वह कैसे अपने लेखन में महिला चरित्रों को इतनी अच्छी तरह प्रदर्शित कर पाते हैं, चन्द्रशेखर गोखले ने कहा, ‘मैं सारा श्रेय अपनी मां को देता हूं, जो बहुत भावनापूर्ण थीं और उन्होंने मुझे महिलाओं की भावना को समझना सिखाया।’    

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