वित्त मंत्रालय
सामाजिक सेवाओं पर खर्च वर्ष 2014-15 और वर्ष 2019-20 के बीच जीडीपी के अनुपात के रुप में 1.5 प्रतिशत बढ़ा: आर्थिक समीक्षा
1.34 प्रतिशत औसत वार्षिक एचडीआई वृद्धि के साथ भारत तेजी से बढ़ते देशों में से एक बन गया है
वर्ष 2014-15 और वर्ष 2019-20 के बीच शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च जीडीपी के 4 प्रतिशत से बढ़कर 4.7 प्रतिशत हो गया
Posted On:
31 JAN 2020 1:28PM by PIB Delhi
केंद्रीय वित्त एवं कार्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2019-20 पेश की। समीक्षा में कहा गया है कि सामाजिक अवसंरचना पर निवेश समेकित विकास और रोजगार की पहली शर्त है। समीक्षा में सामाजिक रहन-सहन के प्रति सरकार का संकल्प प्रमुख हिस्स के रुप में शामिल है।
सामाजिक सेवाओं पर खर्च का प्रचलन
आर्थिक समीक्षा के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सामाजिक सेवाओं पर खर्च वर्ष 2014-15 में 7.86 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2019-20 (बजट अनुमान) में 15.79 लाख करोड़ रुपये हो गया। सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात के रुप में सामाजिक सेवाओं पर खर्च वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 के दौरान 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 6.2 प्रतिशत से बढ़कर 7.7 प्रतिशत हो गया। शिक्षा पर खर्च वर्ष 2014-15 और वर्ष 2019-20 (बजट अनुमान) के बीच जीडीपी के 2.8 प्रतिशत से बढ़कर 3.1 प्रतिशत हो गया। इसी तरह बजट पूर्व दस्तावेज में बताया गया है कि स्वास्थ्य पर खर्च समान अवधि में जीडीपी के 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 1.6 प्रतिशत हो गया है।
मानव विकास
मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में भारत का दर्जा वर्ष 2017 में 130वें स्थान से सुधरकर वर्ष 2018 में 129वां स्थान हो गया जिससे यह 0.647 मूल्य पर पहुंच गया है। 1.34 प्रतिशत के औसत वार्षिक एचडीआई वृद्धि के साथ भारत तेजी से बढ़ते देशों में शामिल है। ब्रिक्स देशों के समूह में भारत चीन (0.95), दक्षिण अफ्रीका (0.78), रुस (0.69), और ब्राजील (0.59) से आगे है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मानव विकास में इस गति को बनाए रखने और इसमें और तेजी लाने में सामाजिक सेवाओं के प्रतिपादन में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण है।
***
आर.मल्होत्रा/आरकेमीणा/आरएनएम/आरआरएस/एजी/एमएस/केपी/आरके/जेके/एसकेएस/एके/वीके/एमएस/एसके/डीए/डीके/सीएल/सीएस/वाईबी/जीआरएस-22
(Release ID: 1601277)
Visitor Counter : 205