वित्त मंत्रालय
एनबीएफसी/एचएफसी के लिए विकसित नायाब ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ से इस सेक्टर में संभावित तरलता संकट के बारे में पूर्व चेतावनी संकेत मिल सकते हैं
नीति निर्माता तरलता संकट से बचने के लिए निगरानी व्यवस्था के रूप में ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ का उपयोग कर सकते हैं
Posted On:
31 JAN 2020 1:17PM by PIB Delhi
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा, 2019-20 पेश की। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी)/आवास वित्त कंपनी (एचएफसी) सेक्टरों के लिए विकसित एक नायाब ‘वित्तीय स्थिति स्कोर (फाइनेंशियल हेल्थ स्कोर)’ से इस सेक्टर की कंपनियों में उत्पन्न होने वाली संभावित तरलता (लिक्विडिटी) समस्याओं के बारे में पूर्व चेतावनी संकेतों को समझने में मदद मिल सकती है। नायाब स्कोर प्रणाली का उपयोग कर एचएफसी और रिटेल-एनबीएफसी के लिए मात्रात्मक रोलओवर जोखिम की गणना की जाती है। आर्थिक समीक्षा में इस नई प्रणाली या पद्धति का विस्तृत विश्लेषण पेश किया गया है जिसमें एनबीएफसी और एचएफसी के वित्तीय स्वास्थ्य या स्थिति के बारे में पूर्वानुमान व्यक्त करने से जुड़ी इसकी विश्वसनीयता भी शामिल है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ का उपयोग आवश्यक सुधारात्मक कदमों पर अमल के लिए एक बहुमूल्य साधन के रूप में किया जा सकता है, ताकि समयबद्ध ढंग से प्रतिकूल वित्तीय हालात से निपटना संभव हो सके।
आईएलएंडएफएस और डीएचएफएल की दो सहायक कंपनियों द्वारा ऋण अदायगी में चूक (डिफॉल्ट) के हालिया उदाहरण को उद्धृत करते हुए आर्थिक समीक्षा में एनबीएफसी के कर्ज डिफॉल्ट से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले व्यापक प्रतिकूल प्रभावों के बारे में बताया गया है। इन दोनों कंपनियों के कर्ज डिफॉल्ट से कई घटनाक्रम एक क्रम से होने लगे जिनका प्रतिकूल प्रभाव उनके कमर्शियल पेपरों के बाजार मूल्य पर पड़ा और फिर डेट म्यूचुअल फंडों के निवेशकों ने घबराहटपूर्ण बिकवाली शुरू कर दी जिससे इन डेट फंडों के शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य में 53 प्रतिशत की भारी गिरावट आई और इसके साथ ही कर्ज बोझ से दबी एनबीएफसी के शेयर भावों में भारी गिरावट दर्ज की गई। इससे एनबीएफसी को 4000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ। इसका अत्यंत प्रतिकूल असर भारतीय अर्थव्यवस्था में समग्र रूप से ऋण वृद्धि दर पर पड़ा और इसके चलते जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में गिरावट आई।
वित्तीय स्थिति स्कोर : एनबीएफसी/एचएफसी के लिए हालिया रुझान
‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ दरअसल रोलओवर जोखिम पर आधारित है जिसमें परिसंपत्ति तरलता प्रबंधन जोखिम, आपस में संबंधित जोखिम, किसी एनबीएफसी की वित्तीय एवं संचालनात्मक सुदृढ़ता शामिल हैं। आर्थिक समीक्षा से जुड़े विश्लेषण में कहा गया है कि एचएफसी सेक्टर का ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ वर्ष 2014 के बाद गिरावट का रुख दर्शाने लगा। वित्त वर्ष 2019 के आखिर तक इस पूरे सेक्टर की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो गई थी। इसी तरह रिटेल- एनबीएफसी सेक्टर का वित्तीय स्थिति स्कोर भी वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2019 तक की अवधि के दौरान अपेक्षा से काफी कम रहा। बड़ी रिटेल-एनबीएफसी का वित्तीय स्थिति स्कोर अपेक्षाकृत अच्छा रहा था, लेकिन मझोली एवं छोटी रिटेल-एनबीएफसी में से मझोली एनबीएफसी का वित्तीय स्थिति स्कोर मार्च 2014 से लेकर मार्च 2019 तक की पूरी अवधि के दौरान अपेक्षाकृत कम रहा है।
उपर्युक्त जानकारियों से यह पता चलता है कि वित्तीय स्थिति स्कोर संभावित तरलता संकट के बारे में पूर्व चेतावनी संकेत दे सकता है। इस विश्लेषण से यह भी पता चला है कि एचएफसी और रिटेल-एनबीएफसी का वित्तीय स्थिति स्कोर बढ़ने पर शेयर बाजारों का रुख अनुकूल हो जाता है जिससे पूर्व चेतावनी संकेत के रूप में ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ या फाइनेंशियल हेल्थ स्कोर की विशिष्ट अहमियत की पुष्टि होती है।
वित्तीय स्थिति स्कोर का उपयोग:
बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह नायाब ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ दरअसल आर्थिक विकास के शैडो बैंकिंग चैनल या एनबीएफसी के संदर्भ में नीति निर्माताओं के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है।
‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ वित्तीय कंपनियों के पुनर्वित्त संबंधी दबाव का पूर्वानुमान व्यक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यही नहीं, ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ भविष्य में इस तरह की समस्याओं की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण निगरानी व्यवस्था के रूप में काम आ सकता है। इसके अलावा, विभिन्न घटकों को अलग-अलग करने और उनके रुझान पर गौर करने से इस बात पर प्रकाश डाला जा सकता है कि आखिरकार एनबीएफसी का नियमन किस तरह से करें।
एनबीएफसी सेक्टर में कर्ज संबंधी बोझ के अग्रणी संकेतक के रूप में अपनी विशिष्ट उपयोगिता के अलावा ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ का उपयोग नीति निर्माताओं द्वारा भी कर्ज बोझ से जूझ रही एनबीएफसी को दुर्लभ पूंजी का ईष्टतम आवंटन करने के लिए किया जा सकता है, ताकि तरलता संकट से बचा जा सके।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ का उपयोग उन विवेकपूर्ण आरंभिक सीमा को तय करने में भी किया जा सकता है कि आखिरकार शैडो बैंकिंग प्रणाली की कंपनियों के लिए किस हद तक थोक वित्त पोषण की अनुमति दी जा सकती है। नियामक ‘वित्तीय स्थिति स्कोर’ का उपयोग दुर्लभ संसाधन का उपयुक्त आवंटन सुनिश्चित करने के लिए उन एनबीएफसी को नई पूंजी मुहैया कराने के एक आधार के रूप में कर सकते हैं जो इसकी हकदार हैं।
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आर.मल्होत्रा/आरकेमीणा/आरएनएम/आरआरएस/एजी/एमएस/केपी/आरके/जेके/एसकेएस/एके/वीके/एमएस/एसके/डीए/डीके/सीएल/सीएस/वाईबी/जीआरएस - 13
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