इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
प्रौद्योगिकी जीवन आसान और सरल बनाने के उपयुक्त होनी चाहिए : श्री रविशंकर प्रसाद
डिजिटल इंडिया को परिवर्तनकारी कार्यक्रम होना चाहिए
आंकड़े प्रौद्योगिकी और शासन को संचालित करने वाले हैं
एनआईसी टेककॉन्क्लेव 2020 के दूसरे संस्करण का उद्धाटन
Posted On:
21 JAN 2020 3:55PM by PIB Delhi
केन्द्रीय न्याय एवं विधि, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि प्रौद्योगिकी जीवन आसान और सरल बनाने के उपयुक्त होनी चाहिए। श्री प्रसाद आज यहां राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) द्वारा आयोजित एनआईसी टेककॉन्क्लेव 2020 के दूसरे संस्करण का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनआईसी को व्यवस्था से बाहर के लोगों को उनके विचार जानने और व्यवस्था में तदनुसार संशोधन के लिए उनकी सलाह लेने के लिए जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी सरकार की जरूरत है, जिसके चरित्र में परिवर्तनकारी भावना हो। उन्होंने कहा कि बदलाव के लिए प्रौद्योगिकी शासन का सबसे बड़ा प्रवर्तक बन गया है।
उन्होंने तकनीक विशेषज्ञों को सलाह दी कि वे बड़े सपने देखना शुरू करें और उन्हें वास्तविकता में बदलने के लिए कठिन प्रयास करें। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रौद्योगिकी बड़ा सुविधा प्रदाता है। उन्होंने कहा कि यदि आपके पास दूरदर्शिता है, यदि आपके पास महत्वाकांक्षा है, यदि आपके पास सपना है और यदि आपके पास उसे वास्तविकता में बदने की प्रतिबद्धता है, तो सब कुछ संभव हो सकता है।
श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि डिजिटल भारत को एक परिवर्तनकारी कार्यक्रम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे सामने डिजिटल इंडिया को जोड़ने की चुनौती है और डिजिटल इंडिया को आम नागरिकों को प्रौद्योगिकी की शक्ति से सशक्त करने के उपयुक्त बनाया गया है। श्री प्रसाद ने कहा कि डिजिटल इंडिया को क्या किया जाए और क्या नहीं किया जाए के विभाजन को पाटने के लिए बनाया गया है और डिजिटल इंडिया को डिजिटल समावेशन लाना होगा।
श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्रौद्योगिकी किफायती, विकासपरक और समावेशी होनी चाहिए। उन्होंने नया नारा ‘डिजिटल इंडिया मतलब टेक्नोलॉजी फ्रॉम द क्लासेस टू द टेक्नोलॉजी फॉर द मासेस’ दिया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन उभरती चुनौतियों का पता लगाएगा और इससे निकलने का रास्ता भी दिखाएगा।
शासन के आदर्श के रूप में अधिक से अधिक ग्रामीण सशक्तिकरण मिशनों के बारे में सोचे जाने की बात कहते हुए श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनआईसी ने देश में स्वच्छ भारत अभियान की निगरानी में मदद की है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने लायक बनाना है।
श्री प्रसाद ने कहा कि वित्तीय समावेशन डिजिटल समावेशन का पूरक है, जो हमारे देश के भविष्य का रोडमैप बनने जा रहा है। डिजिटल इंडिया को डिजिटल समावेशन का पूरक बनना चाहिए।
श्री रविशंकर प्रसाद ने आशा व्यक्त की है कि दूरदराज के गांव में महिला के हाथ में स्मार्ट फोन के साथ बैंक तक उसकी पहुंच भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर गांव में महिला उद्यमियों के समूह का गठन उनके वित्तीय समावेशन, डिजिटल समावेशन एवं उन्हें और सशक्त बनाने के लिए किया जाना चाहिए।
श्री प्रसाद ने कहा कि भारत वित्तीय समावेशन के एक बड़े बदलाव के इंतजार में है। उन्होंने कहा कि डिजिटल समावेशन और वित्तीय समावेशन को भारत के परिवर्तनकारी शासन का मानदंड बनने दिया जाए।
श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आंकड़े प्रौद्योगिकी और शासन को संचालित करने जा रहे हैं। हम सभी को आंकड़ों के असर को समझना होगा। उन्होंने आंकड़ों के पांच तत्वों – आंकड़ा उपलब्धता, आंकड़ा उपयोगिता, आंकड़ा नवाचार, आंकड़े की अज्ञानता और आंकड़ा गोपनीयता की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के साथ काम करते हुए हमें इन पांच तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को डाटा संशोधन प्रक्रिया का बड़ा केन्द्र होना चाहिए और एनआईसी को इस दिशा में काम करना चाहिए।
इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव श्री अजय साहनी, सिस्को (भारत और सार्क) के अध्यक्ष श्री समीर गार्डे, एनआईसी की महानिदेशक डॉ. नीता वर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एके/वाईबी–5392
(Release ID: 1600019)
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