वित्त मंत्रालय
जीएसटी प्रणाली को सुसंगत बनाने के लिए दूसरा राष्ट्रीय जीएसटी सम्मेलन आयोजित हुआ
Posted On:
07 JAN 2020 6:19PM by PIB Delhi
वित्त मंत्रालय के राजस्व सचिव डॉ. अजय भूषण पांडेय की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में राज्य कर आयुक्तों एवं केन्द्रीय कर के मुख्य आयुक्तों का दूसरे राष्ट्रीय जीएसटी सम्मेलन का आयोजन हुआ।
सम्मेलन में वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली को सुसंगत बनाने और राजस्व हानि को रोकने पर गहन विचार-विमर्श किया गया। इस सम्मेलन में कर प्रशासन के दोनों स्तरों के अधिकारियों ने अपने अनुभव व सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा किया और कर प्रशासन में एकरूपता लाने के लिए आपसी समन्वय स्थापित करने पर बल दिया।
सम्मेलन के दौरान, अंतर्विभागीय डाटा को विभिन्न एजेंसियों – जीएसटीसी, सीबीडीटी, सीबीआईसी, एफआईयू, डीओआर, डीजीजीआई और राज्य कर प्रशासन आदि के बीच साझा करने की व्यवस्था पर विचार-विमर्श किया गया ताकि राजस्व संग्रह में वृद्धि हो और कर चोरी को रोकने में दक्षता हासिल हो।
सम्मेलन में विभिन्न प्रस्तुतियां दी गईं। इनमें प्रमुख हैं – आयुक्त (जांच), सीबीआईसी ने जाली/धोखाधड़ी आईटीसी पर प्रस्तुति दी; डीआरआई के डीजी ने विभाग द्वारा ढूंढ निकाले गए कई अनूठे केसों के बारे में जानकारी दी। इसमें एक ऐसा मामला भी शामिल है, जो पूरे भारत में अपनी गतिविधियां संचालित करता था। आईटीसी/आईडीएसटी के धन वापसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रक्रिया के संबंध में भी प्रस्तुति दी गई। एआरएम के डीजी धोखाधड़ी की समय पूर्व पहचान के लिए डाटा विश्लेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के उपयोग के संबंध में प्रस्तुति दी। सीबीडीटी और एफआईयू-इंडिया ने कर चोरी रोकने के लिए डाटा के आदान-प्रदान और एसटीआर के प्रसार पर आधारित प्रस्तुति दी।
जीएसटी नीति प्रभाग और सीबीआईसी ने राजस्व बढ़ाने के लिए और अनुपालन अंतर को कम करने के तरीकों पर प्रस्तुति दी। इससे ऋण वसूली, धन वापसी की समीक्षा, कर के संबंध में जानकारी न देने वालों का प्रबंधन, जीएसटी प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक चालान की रिपोर्टिंग तथा व्यापक एवं समन्वित लेखा-परीक्षण में मदद मिलेगी।
दिन भर की गहन विचार-विमर्श के बाद आवश्यक कार्रवाई के लिए निम्नलिखित उपाय तय किए गए:-
- केन्द्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की एक समिति गठित की जाए, जो जाली धन वापसी के दावों की जांच करेगी और त्वरित उपायों को लागू करेगी। समिति एक सप्ताह के अंदर विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करेगी, जिसे जनवरी के अंत तक पूरे देश में लागू किया जा सकता है।
- जाली आईजीएसटी धन वापसी दावों के संबंध में इस तथ्य पर विचार किया गया कि जोखिम वाले और नए निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा प्राप्तियों को आईजीएसटी धन वापसी से जोड़ दिया जाए।
- जाली इनपुट टैक्स क्रेडिट, निर्यात-आयात धोखाधड़ी और जाली धन वापसी के सभी बड़े मामलों की जांच अनिवार्य रूप से आयकर विभाग की जांच इकाई द्वारा की जाएगी।
- एपीआई के जरिये डाटा साझा करने के लिए सीबीडीटी, सीबीआईसी और जीएसटीएन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। डाटा को साझा करने का कार्य वार्षिक की बजाय तिमाही आधार पर किया जाएगा।
- आरबीआई और एनपीसीआई के परामर्श से जीएसटी प्रणाली बैंकिंग लेन-देन और बैंक खातों तक पहुंच बनाने का प्रयास करेगा। पैन आधारित बैंक लेन-देन समेत बैंक खाते और लेन-देन का ब्यौरा प्राप्त करने के उद्देश्य से जीएसटी सिस्टम को एफआईयू के साथ जोड़ने के संबंध में भी सुझाव प्राप्त हुए।
- सीबीआईसी द्वारा पता लगाए गए कर चोरी और धोखाधड़ी धन वापसी के मामलों से संबंधित डाटा को सीबीडीटी के साथ साझा करना। सीबीडीटी भी सीबीआईसी के साथ कर चोरी मामलों के डाटा साझा करेगी।
- विदेशी मुद्रा प्राप्ति और धन वापसी प्राप्ति के लिए एक बैंक खाते का सुझाव दिया गया।
- व्यवसाय को बंद करने के संदर्भ में जीएसटीआर फॉर्म में उपयुक्त संशोधन किया जाना चाहिए और उसमें स्व-आकलन घोषणा जोड़ी जानी चाहिए।
- बिना मिलान वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभों की जांच की जानी चाहिए।
राजस्व में वृद्धि करने और अनुपालन प्रबंधन के संबंध में सर्वोत्तम अभ्यासों पर सेंट्रल टैक्स जोनल कार्यालय, मुंबई और वडोदरा ने प्रस्तुति दी। इसके बाद गुजरात और आंध्र प्रदेश ने भी सर्वोत्तम अभ्यासों के बारे में प्रस्तुतियां दीं।
राजस्व में वृद्धि करने और अनुपालन प्रबंधन के राष्ट्रीय लक्ष्य के लिए डाटा व ज्ञान साझा करने और सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाने के आधार पर कार्यान्वयन को मजबूत किया जाना चाहिए। इसका सभी लोगों ने स्वागत किया।
सेंट्रल टैक्स जोनल के सभी मुख्य आयुक्त, राज्य कर के राज्य आयुक्त, सीबीआईसी के महानिदेशक, सीबीआईसी के सदस्य, सीबीडीटी के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिकारी, एफआईयू-इंडिया के निदेशक तथा वरिष्ठ अधिकारियों की टीम, सीबीआईसी एवं राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, जीएसटीएन की तकनीकी टीम आदि भी सम्मेलन में उपस्थित थे।
****
आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/जेके/डीएस–5200
(Release ID: 1598963)
Visitor Counter : 184