पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
यूएनएफसीसीसी कॉप 25 में केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री का वक्तव्य
Posted On:
10 DEC 2019 6:39PM by PIB Delhi
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज स्पेन के मैड्रिड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के तहत कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (सीओपी) के 25वें सत्र को संबोधित किया।
वक्तव्य निम्न है :
आदरणीया अध्यक्ष महोदया, उपस्थित विशिष्टजन, देवियों और सज्जनों,
अपने संबोधन की शुरूआत में मैं महात्मा गांधी को उद्धृत करना चाहूंगा। उन्होंने कहा था, ‘हमारा भविष्य उन कार्यों पर निर्भर करता है जो हम आज करते हैं।‘
महामहिम,
मैं कॉप 25 का आयोजन करने तथा उत्तम व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए स्पेन सरकार की सराहना करता हूं। हम चिली के राष्ट्रपति को सफल कॉप के लिए पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन देते हैं।
महामहिम,
जलवायु परिवर्तन वास्तविक है। पूरी दुनिया ने इसे पहचाना है और पेरिस में एक व्यापक समझौते पर सहमति हुई है। हमें पेरिस समझौते के कार्यान्वयन पर ध्यान देना चाहिए और इससे विचलित नहीं होना चाहिए। यदि जलवायु परिवर्तन के रूप में हमारे समक्ष एक असुविधाजनक सत्य है तो हमने इसके लिए एक आसान कार्य योजना भी तैयार की है। हम इस कार्य योजना पर अमल कर रहे हैं।
भारत ने जीडीपी के उत्सर्जन घनत्व में 21 प्रतिशत की कमी की है। हम पेरिस समझौते में किये गये वायदे के अनुरूप उत्सर्जन में 35 प्रतिशत तक की कमी करने की राह पर है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस समझौते के तहत नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य 175 गीगावॉट तय किया है। हमने 83 गीगावॉट के लक्ष्य को हासिल कर लिया है। हाल में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्य सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने लक्ष्य को बढ़ाकर 450 गीगावॉट करने की घोषणा की है। हम सौर, वायो-मास और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में एक समान प्रगति कर रहे हैं।
हमने 6 डॉलर प्रति टन की दर से कोयला उत्पादन पर कार्बन टैक्स लगाया है। हालांकि हमारी संसद में 36 पार्टियों का प्रतिनिधित्व है, लेकिन हमने इसे सर्वसम्मति से पारित किया।
एक प्रमुख बात यह है कि एक वाणिज्यिक हवाई यात्रा शत-प्रतिशत बायो ईंधन से परिचालित हुई। हमने 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वाहन उत्सर्जन नियमों के मामलों में हम भारत मानक – IV से भारत मानक VI के चरण में पहुंच गये हैं। 1 अप्रैल, 2020 से सभी वाहन बीएस – VI के अनुरूप होंगे।
भारत के 360 मिलियन घरों में एलईडी बल्ब लगाये गये हैं। 10 मिलियन एलईडी स्ट्रीट लाईटें लगाई गई हैं। विभिन्न नीतिगत हस्तक्षेपों और छूटों के जरिये ई-वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया गया है। हमने 80 मिलियन एलपीजी गैस कनेक्शन दिये हैं। इससे पारम्परिक ईंधन (लकड़ी, उपले इत्यादि) का उपयोग कम हुआ है। हमारी प्रशीतन कार्य योजना सुचारू रूप से चल रही है और हम अपने लक्ष्यों को समय पर हासिल करेंगे।
हमने हरित क्षेत्र में वृद्धि करके 2.5 से 3 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन समतुल्य कम करने का वायदा किया है। पिछले 5 वर्षों में हरित क्षेत्रों में 15,000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। हमने शहरी, वन, स्कूल नर्सरी, कृषि वानिकी, जल और वन क्षेत्र में पशु चारे की वृद्धि जैसी परियोजनाएं प्रारंभ की है।
जलवायु संबंधित कार्य योजना को लागू करना भारत की प्राथमिकता रही है। भारत जल संरक्षण के लिए 50 मिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है। दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मरूस्थलीकरण प्रतिरोध सम्मेलन के 14वें कॉप में भारत ने 2030 तक 26 मिलियन एकड़ बंजर भूमि को फिर से उपजाऊ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह दुनिया के सबसे बड़े कार्यक्रमों में एक है, जहां भूमि संसाधन में कार्बन की मात्रा को कम किया जायेगा। यूरिया उर्वरक के नीम-लेपन को दुनिया से सराहा है। मिट्टी की गुणवत्ता की देखभाल के लिए 170 मिलियन स्वायल हेल्थ कार्ड जारी किये गये हैं।
महामहिम,
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमने आपदा प्रतिरोध अवसंरचना गठबंधन लॉन्च किया है। ज्ञान के आदान-प्रदान के जरिये यह देशों को सहयोग प्रदान करेगा तथा आपदा और जलवायु प्रतिरोध अवसंरचना विकसित करने में तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
देवियों और सज्जनों,
पेरिस में घोषित एनडीसी को हासिल करने में सिर्फ 6 देश सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। भारत इन देशों में अग्रणीय है। समावेशी जीवन पद्धति भारत के लोकाचार का हिस्सा है।
महामहिम,
यह मूल्यांकन का समय है, क्योंकि हम 2020 अवधि की समाप्ति के निकट है। दर्पण देखने का समय है। क्या विकसित देशों ने अपने वायदें पूरे किये हैं? दुर्भाग्य से संबंधित देशों ने क्योटो प्रोटोकाल लक्ष्य को हासिल नहीं किया है। उनके एनडीसी भी उनके संकल्पों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। उन्होंने अपने प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने की भी इच्छा व्यक्त नहीं की है। मैं प्रस्ताव देता हूं कि हमें प्री-2020 की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए 3 वर्षों का समय है।
महामहिम,
मैं आपका ध्यान वित्त जैसे महत्वपूर्ण विषय पर आकृष्ट करना चाहूंगा। विकसित देशों ने पिछले 10 वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर का वायदा किया था और इसके 2 प्रतिशत हिस्से का भी कार्यान्वयन नहीं हुआ है। यह सार्वजनिक वित्तीय व्यवस्था है और इसके लिए दोहरी लेखा पद्धति नहीं होनी चाहिए। विकास के क्रम में विकसित देशों ने बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन किया है, इसलिए इन देशों को भुगतान भी करना चाहिए।
विकासशील देशों के लिए किफायती दर पर प्रोद्योगिकी हस्तांतरण बहुत महत्वपूर्ण है। यदि हम आपदा का मुकाबला कर रहे हैं तो इससे किसी व्यक्ति को लाभ अर्जित नहीं करना चाहिए। इसलिए मेरा प्रस्ताव है कि संयुक्त शोध और सहयोग की संख्या में वृद्धि करनी चाहिए तथा लक्ष्य हासिल करने के लिए वित्तीय सहयोग उपलब्ध कराना चाहिए।
आदरणीया अध्यक्ष महोदया,
एक स्वच्छ, हरित और स्वस्थ पृथ्वी के लिए हमारी सामूहिक यात्रा का कॉप 25 एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। बाजार और गैर-बाजार व्यवस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हम आशा करते हैं कि क्योटो प्रोटोकॉल के तहत धारा-6 के लिए दिये गये दिशा-निर्देश स्वच्छ विकास व्यवस्था की ओर जाना सुनिश्चित करेंगे। निजी क्षेत्र ने इसके लिए निवेश किया है। निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहन मिलना सुनिश्चित होगा। हम पूरी दुनिया के कमजोर तबकों को समर्थन देने का आग्रह करते हैं। इसके लिए वारसा इंटरनेशनल मेकेनिज़म फॉर लॉस एंड डैमेज़ को मजबूत बनाया जाना चाहिए और इसमें वित्तीय सहायता का भी प्रावधान होना चाहिए।
महामहिम,
यह जिम्मेदारी लेने का समय है और जवाबदेही के साथ कार्य करने का समय है। भारत अपना कार्य करता रहेगा, इस आशा के साथ कि विकसित देश नेतृत्व प्रदान करेंगे।
थोरो को उद्धरित करते हुए मैं अपना वक्तव्य समाप्त करता हूं, ‘एक मकान का क्या उपयोग है यदि आपके पास ऐसी पृथ्वी नहीं है जिसपर आप इसका निर्माण कर सके।
धन्यवाद मित्रो !
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आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/जेके/एसएस – 4719
(Release ID: 1596247)
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