Posted On:
10 DEC 2019 6:54PM by PIB Delhi
संसद में आज आयुध (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित हो गया। राज्यसभा में इस विधेयक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए गृह राज्य मंत्री श्री जी.किशन रेड्डी ने संशोधन विधेयक के प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया और इसके साथ ही विभिन्न सांसदों की आशंकाओं का निराकरण भी किया।
उन्होंने कहा कि यह संशोधन किसी राजनीतिक हित को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि आतंकवाद एवं उग्रवाद से जुड़ी गतिविधियों के साथ-साथ अवैध हथियारों के उपयोग पर रोक लगाने के उद्देश्य से किया गया है, जो आम आदमी के हित में है। यह विधेयक कल ही लोकसभा में पारित हो गया था।
श्री रेड्डी ने बताया कि बंदूकों से आत्महत्या करने की घटनाओं की कुल संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि लाइसेंसी हथियारों का भी गलत इस्तेमाल किया जाता रहा है, जिन पर रोक लगाने की जरूरत है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए आयुध अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन किये जा रहे हैं। विभिन्न सांसदों के सुझावों को स्वीकार करते हुए मंत्री ने कहा कि नवीनतम संशोधनों के तहत दो हथियारों को रखने की अधिकतम सीमा तय करने के अलावा लोगों को अपने पूर्वजों की बंदूकों को बंद अवस्था में रखने की इजाजत दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यही हुआ कि इन बंदूकों को ‘डेमो गन’ के रूप में रखा जा सकता है, जिसे चलाना निश्चित तौर पर संभव नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा, श्री रेड्डी ने यह भी जानकारी दी कि निकट भविष्य में सरकार ने क्रम संख्या वाली बुलेट को पेश करने की योजना बनाई है, ताकि उनका लेखा-जोखा रखा जा सकें। इसके अलावा एक पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है, जिसमें हथियार लाइसेंस संबंधी राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीएएल) और हथियार लाइसेंस जारी प्रणाली (एएलआईएस) भी समाहित होगी। यह पोर्टल जारी किये गये हथियार लाइसेंसों, लाइसेंसधारकों और इस्तेमाल में लाए जा चुके गोलाबारूद से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करने का एकल प्लेटफॉर्म होगा।
इस विधेयक में मौजूदा अपराधों जैसे अवैध रूप से हथियार बनाने, बिक्री एवं किसी को हस्तांतरित करने, प्रतिबंधित हथियारों या प्रतिबंधित गोलाबारूद को अवैध रूप से हासिल करने, रखने या कहीं ले जाने और आग्नेयास्त्रों का अवैध रूप से निर्माण, बिक्री, हस्तांतरित, परिवर्तन, आयात-निर्यात करने पर दंड में वृद्धि करने का प्रावधान है। इसमें नये अपराधों को परिभाषित करने और उनके लिए दंड तय करने का भी प्रस्ताव किया गया है। पुलिस या सशस्त्र बलों से आग्नेयास्त्रों को छीनने, संगठित अपराधों में लिप्त होने, विदेश में निर्मित आग्नेयास्त्रों या प्रतिबंधित हथियारों एवं गोलाबारूद की अवैध तस्करी, किसी समारोह के दौरान हर्ष-फायरिंग के कारण लोगों की जान को खतरा होने इत्यादि इन नये अपराधों में शामिल हैं। इसके अलावा, हथियार लाइसेंस की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर पांच साल करने और जालसाजी रोकने के लिए हथियार लाइसेंस को इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में जारी करने के भी प्रावधान इस विधेयक में किये गये हैं।
श्री रेड्डी ने सदन को यह आश्वासन दिया कि इस विधेयक के कारण खिलाडि़यों के पास लाइसेंस एवं हथियारों के स्वामित्व पर कोई आंच नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि खिलाडि़यों को जिन-जिन तरह के हथियारों को रखने की अनुमति दी गई है, उनकी संख्या बढ़ा दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त एवं कार्यरत कर्मियों के पास हथियारों के स्वामित्व से संबंधित प्रावधान इस संशोधन के कारण पहले की तरह ही यथावत रहेंगे।
संशोधन के तहत सजा में की गई वृद्धि का उल्लेख करते हुए श्री रेड्डी ने कहा कि विदेश में निर्मित तस्करी वाले आग्नेयास्त्रों सहित गोलाबारूद और आग्नेयास्त्रों की अवैध तस्करी के लिए कारावास की सजा दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक कर दी गई है। श्री रेड्डी ने कहा कि पुलिस या सशस्त्र बलों से हथियारों को छीनने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा होगी। इसी तरह हथियारों के अवैध निर्माण, बिक्री, परिवर्तन, मरम्मत, आयात-निर्यात पर सात साल से लेकर आजीवन कारावास; प्रतिबंधित हथियारों एवं गोलाबारूद को हासिल करने, अपने पास रखने या अपने साथ कहीं ले जाने पर सात से लेकर 14 साल तक की सजा और संगठित अपराधों में लिप्त रहने पर दस साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा होगी। उन्होंने कहा कि आग्नेयास्त्रों का लापरवाही तरीके से उपयोग करने में लिप्त रहने या हर्ष-फायरिंग से मानव जीवन को खतरे में डालने पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना या दो साल की कारावास या दोनों ही तरह की सजा होगी।
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरआरएस/जीआरएस-4722