राष्ट्रपति सचिवालय
कम्प्यूटर, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘आईसीआरएसीसीआईटी - 2019’ के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का संबोधन
प्रविष्टि तिथि:
30 NOV 2019 6:37PM by PIB Delhi
कानपुर में आपके बीच आकर मुझे खुशी हो रही है। ऐसा केवल इसलिए नहीं कि कानपुर मेरा अपना नगर है। यह नगर मुझे इसलिए प्रिय है, क्योंकि यह सच्चे अर्थों में परम्परा और आधुनिकता का संगमस्थल है। कम्प्यूटर विज्ञान, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हाल के विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के लिए यहां उपस्थित होना मेरे लिए गर्व की बात है, जिसे पीएसआईटी, कानपुर में आयोजित किया जा रहा है। मुझे देश के कुछ अत्यंत मेधावी युवाओं को संबोधित करने का अवसर मिला है।
इस महान नगर के रग-रग में प्रौद्योगिकी रची-बसी है। काफी समय से, प्रौद्योगिकी के विकास के साथ कानपुर हमेशा जुड़ा रहा है। 20वीं सदी में, एक अथवा
अन्य प्रकार की प्रौद्योगिकी के बल पर इस नगर को काफी सराहना मिली। वस्त्र उद्योग में इसकी विशिष्टता के कारण इसे ‘पूरब का मैनचेस्टर’ कहा गया, जब विश्व भर में इसकी मिलों ने अपनी श्रेष्ठता कायम की। वस्त्र क्षेत्र के उत्थान के साथ यहां बहुत-से उद्योग स्थापित किये गये और यह नगर एक औद्योगिक केन्द्र बन गया। इतना ही नहीं, यह एक प्रमुख व्यापार केन्द्र बन गया और इसे उत्तर प्रदेश की ‘वाणिज्यिक राजधानी’ भी कहा गया। वस्त्र क्षेत्र के उत्थान के बाद, यह चमड़ा प्रौद्योगिकी के बल पर एक महत्वपूर्ण नगर बन गया। अब इसे ‘विश्व का लेदर सिटी’ माना जाता है।
प्रौद्योगिकी एवं उद्योग के इस संगम के कारण, कोई आश्चर्य नहीं कि यह नगर अभियंत्रण शिक्षा के क्षेत्र में कुछ सर्वश्रेष्ठ हस्तियों का भी नगर है। इस नगर के बारे में एक बात विशेष है कि भौतिक संसाधनों के सृजन के संदर्भ में उन्नत शिक्षा के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलने के लिए भी यह दृढ़प्रतिज्ञ है। दुनिया में ऐसा कौन है, जो आईआईटी कानपुर की प्रसिद्धि से अवगत नहीं है? इस प्रमुख संस्थान के साथ-साथ यहां हारकोर्ट बटलर टेक्निकल इन्स्टीट्यूट (एचबीटीआई) भी है, जो एक अत्यन्त महत्वपूर्ण शिक्षण केन्द्र है। अब यह एक सुव्यवस्थित विश्वविद्यालय बन गया है। यहां कई अन्य संस्थान भी है, जिसने विशिष्ट इंजीनियर और वैज्ञानिक दिये हैं।
पीएसआईटी भी इस नगर की विरासत को समृद्ध बनाता है। मैं इस सम्मेलन के आयोजन के लिए इस संस्थान को बधाई देता हूं। मैं मानता हूं कि विभिन्न क्षेत्रों में नवीनतम खोजों के बारे में चर्चा के लिये यह भारत और विदेश के अनुसंधानकर्ताओं और व्यवसाइयों के लिए एक विशिष्ट मंच साबित होगा।
देवियो और सज्जनो,
मुझे प्रतीत होता है कि यह दुनिया प्रौद्योगिकी की ओर केन्द्रित है, क्योंकि प्रौद्योगिकी सामाजिक बदलाव का इंजन है। अपनी स्वतंत्रता के समय एक निर्धन राष्ट्र से लेकर भारत के विश्व की सबसे तीव्रगामी और बढ़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने तक की यात्रा का श्रेय केवल प्रौद्योगिकी को जाता है। हम 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं। इसके लिए हम प्रौद्योगिकी की भूमिका की आशा करते हैं। हमें एक आर्थिक शक्ति बनाने के साथ-साथ, ज्ञान के नये रूपों से समाज की हाशिये वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। इसके अलावा, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विकास से जीवन के सभी पक्षों में काफी राहत मिली है।
हालांकि, प्रौद्योगिकी केवल एक औजार है। चाहे अग्नि अथवा बिजली हो, ये काफी अच्छे खिदमतगार तो हैं, किन्तु बुरे मालिक भी हैं। यह नगर निर्माण और विनाश की प्रौद्योगिकी की शक्तियों का साक्षी है। जब आप नवीनतम प्रौद्योगिकीय बदलाव के बारे में चर्चा करते हैं, तो मैं आपसे कहूंगा कि मानवता पर इसके प्रभावों के बारे में काफी ध्यान रखें। कानपुर मानवता के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का एक विशिष्ट उदाहरण है। पिछले कई दशकों से, भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एएलआईएमसीओ) ने प्रौद्योगिकी के निरन्तर उन्नयन पर जोर देते हुए, पुनर्वास उपकरणों का निर्माण करके असंख्य दिव्यांगजनों की मदद की है।
हमें बताया गया है कि हम चौथी औद्योगिक क्रांति के युग में प्रवेश कर रहे हैं। दूरदर्शी व्यक्ति हमारे दैनिक जीवन में मूलभूत बदलाव की आशा करते हैं, क्योंकि डिजिटल एवं इंफोटेक क्रांति से साइबर, भौतिक एवं जीवन वैज्ञानिक क्षेत्रों के विलय का मार्ग प्रशस्त होता है। हमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स एवं 3डी प्रिंटिंग से वे सब चीजें मिल रही हैं, जो कल तक विज्ञान उपन्यास के पन्नों में होती थीं। हम आशा करते हैं कि इससे मानव जीनव में चहुमुखी सुधार का मार्ग प्रशस्त होगा। हालांकि, प्रौद्योगिकी से कई प्रकार के भय भी हैं। कई दशकों से, कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) प्रौद्योगिकी शिक्षा जगत का विषय था, किन्तु अब यह वास्तविकता बन गई है। कृत्रिम बौद्धिकता की बहुप्रतीक्षित सफलताओं के स्थान पर, हम प्रारंभिक प्रभाव के तौर पर रोजगार की कमी पाते हैं, क्योंकि लोगों का काम मशीनें करने लगी हैं।
अब तक की सभी प्रौद्योगिकीय क्रांतियों ने हमें सुधार के महत्वपूर्ण औजार दिये हैं, किन्तु इसकी बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है। हम कानपुर में वायु प्रदूषण का सामना करते हैं। किन्तु मैं आशावादी हूं। मैं मानता हूं कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत महान हस्तियां हमेशा मानवीय चिन्ताओं के प्रति संवेदनशील रही हैं।
मैं समझता हूं कि आप सभी दो दिनों के विचार-विमर्श सत्र की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। छात्रों को भी अनुभवी लोगों से सीखने का अवसर मिलेगा। मैं पुनः इस सम्मेलन के आयोजकों को बधाई देता हूं और आप सभी के लिए सफलता की कामना करता हूं।
आप सभी को धन्यवाद,
जयहिन्द !
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आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/एसकेएस/एम- 4527
(रिलीज़ आईडी: 1594563)
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