उप राष्ट्रपति सचिवालय
राज्य सभा ने 1952 से लेकर अब तक पिछले 67 वर्षों में 5,466 बैठकों में 3,817 विधेयक पारित किए
ऊपरी सदन द्वारा पारित 60 विधेयक निचले सदन के भंग होने के कारण निरस्त हो गए; 63 विधेयक राज्य सभा द्वारा पारित मान लिए गए
120 विधेयकों में संशोधन किया और लोक सभा द्वारा पारित पांच विधेयकों को अस्वीकार कर दिया
अब तक कुल 2,282 सदस्य; 208 महिला सदस्य और 137 मनोनीत
1952 में 15 महिला सदस्य जबकि 2014 में संख्या दोगुनी होकर 31 हुई
भारतीय शुल्क (दूसरा संशोधन) विधेयक पहला पारित विधेयक; विशेष विवाह विधेयक, पहला सामाजिक सुधार विधेयक
राज्य सभा के सभापति ने कल शुरू हो रहे 250वें सत्र से पूर्व राज्य सभा की यात्रा पर पुस्तिका जारी की
Posted On:
17 NOV 2019 6:56PM by PIB Delhi
राज्य सभा के 1952 में अस्तित्व में आने के बाद उसके विधायी कार्यों की संख्या निर्धारित करने और उनका विश्लेषण करने के राज्य सभा सचिवालय के पहले प्रयास से यह जानकारी मिली है कि सदन ने पिछले और 249वें सत्र की समाप्ति तक 3,817 विधेयक पारित किए। इनमें से 60 विधेयक अलग-अलग समय पर लोक सभा भंग होने के कारण निरस्त हो गए, जबकि 63 विधेयकों को ऊपरी सदन द्वारा पारित मान लिया गया। उसके द्वारा पारित दो विधेयक अभी भी लोकसभा में लिए जाने हैं। 1952 में पहले आम चुनाव के बाद से संसद द्वारा कुल 3,818 कानून बनाए गए।
सदन के कामकाज के विभिन्न पहलुओं के बारे में आंकड़ों के साथ जानकारी और अन्य विवरण एक प्रकाशन ‘राज्य सभा: द जर्नी सिंस 1952’ जिसे सभापति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज नई दिल्ली में विभिन्न दलों और समूहों के नेताओं की बैठक में जारी किया। श्री नायडू ने यह बैठक राज्य सभा के कल से शुरू हो रहे ऐतिहासिक 250वें सत्र का कामकाज सुचारू तरीके से चलाने के लिए विभिन्न दलों का सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से बुलाई थी।
29 अध्यायों के साथ 118 पृष्ठों का प्रकाशन दिलचस्प आंकड़ों के साथ तैयार संगणक है, इसमें सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक बदलाव, औद्योगिक विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पर्यावरण, राष्ट्रीय सुरक्षा और अब तक किए गए 103 संविधान संशोधनों के उद्देश्य के संबंध में राज्य सभा द्वारा पारित प्रमुख विधेयकों के विवरण के अलावा पहली बार उठाए गए कदमों और कुछ अनोखी घटनाओं का विवरण है।
राज्य सभा की 13.05.1952 को पहली बैठक के बाद पिछले 67 वर्षों के दौरान सदन की यात्रा से जुड़ी जानकारियों की एक झलक नीचे दी गई है :
सदस्य :
राज्य सभा के एक से अधिक बार रहे सदस्यों, 208 महिलाओं, 137 मनोनीत सदस्यों सहित अब तक कुल सदस्यों की संख्या 2282 रही है। डॉ. महेन्द्र प्रसाद सबसे अधिक सात बार सदस्य रहे और डॉ. मनमोहन सिंह का छठा कार्यकाल चल रहा है। डॉ. नजमा हेपतुल्ला और स्वर्गीय श्री राम जेठमलानी छह बार सदन के सदस्य रहे। श्री गुलाम नबी आजाद, श्री ए.के. एंटनी, श्री अहमद पटेल और श्रीमती अम्बिका सोनी का पांचवां कार्यकाल चल रहा है, जबकि श्री प्रणब मुखर्जी, स्वर्गीय श्री भूपेश गुप्ता, श्री सीता राम केसरी, सुश्री सरोज खापर्डे, श्री बी.वी. अब्दुला कोया उन 11 सदस्यों में से हैं, जो पांच बार ऊपरी सदन के सदस्य रहे। राज्य सभा के सभापति श्री नायडू उन 45 सदस्यों में हैं, जो चार बार सदस्य रह चुके हैं।
राज्य सभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 1952 में 15 (6.94 प्रतिशत) से बढ़कर 2014 में 31 (12.76 प्रतिशत) और इस समय 2019 में 26 (10.83 प्रतिशत) हो गया।
राज्य सभा से जुड़ी कुछ अनोखी घटनाएं :
- सभापति द्वारा मतदान : पहला और एकमात्र ऐसा मौका आया, जब राज्य सभा के पीठासीन अधिकारी पैनल के अध्यक्ष श्री एम.ए. बेबी ने 5.08.1991 को मतदान किया। उस समय विपक्ष द्वारा रखे गए संवैधानिक संकल्प पर बराबर-बराबर 39-39 मत मिले। इसमें विपक्ष ने आपराधिक प्रक्रिया (संशोधन) अध्यादेश कोड को नामंजूर करने की मांग की थी। इसके कारण सदन में विपक्ष की विजय हुई।
- केवल राज्य सभा द्वारा राष्ट्रपति शासन को मंजूरी : तमिलनाडु और नगालैंड में 1977 में और 1991 में हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के संबंध में केवल दो बार ऐसा हुआ, जब लोक सभा भंग थी।
- न्यायाधीश को हटाना : राज्य सभा ने केवल एक बार 18.08.2011 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौमित्र सेन के मामले में न्यायाधीश को हटाने के लिए एक प्रस्ताव स्वीकार किया, लेकिन लोकसभा में यह प्रस्ताव लाये जाने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
- सदस्यों का निष्कासन : राज्यसभा ने 15.11.1976 को डॉ. सुब्रहमण्यम स्वामी को निष्कासित करने के लिए एक प्रस्ताव स्वीकार किया। उनके आचार और गतिविधियों को एक समिति ने सदन और उसके सदस्यों की मर्यादा के लिए अपमानजनक पाया। डॉ. छत्रपाल सिंह को 23.11.2005 को निष्कासित कर दिया गया, जब आचार समिति ने उन्हें सवाल पूछने के लिए धनराशि लेने का दोषी पाया। डॉ. स्वामी साक्षी जी महाराज को एमपी लैड योजना के अंतर्गत परियोजनाओं की सिफारिश में अनियमितताओं के लिए 21.03.2006 को निष्कासित किया गया।
- सदन के शेष सत्र के लिए सदस्यों का निलंबन : महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन के कामकाज में जानबूझकर बाधा पहुंचाने के लिए 219वें सत्र के शेष दिनों के लिए सात सदस्यों यानी श्री कमल अखतर, श्री वीरपाल सिंह यादव, डॉ. एजाज अली, श्री साबिर अली, श्री सुभाष प्रसाद यादव, श्री अमिल आलम खान और श्री नंद किशोर यादव को 09.03.2010 को निलंबित कर दिया गया।
- सदस्य की निंदा : राज्य सभा के पूर्व सदस्य श्री के.के. तिवारी को सदन में बुलाया गया और 01.06.1990 को समाचार पत्रों में छपे एक बयान के लिए उनकी निंदा की गई, जिससे अध्यक्ष और सदन का अपमान और अवमानना हुई।
- राज्यसभा द्वारा पारित विधेयक, लेकिन लोक सभा द्वारा अस्वीकृत : संविधान (64वां संशोधन) विधेयक 1990, जिसमें पंजाब में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के संबंध में अनुच्छेद 356 में संशोधन करने को कहा गया था।
- लोक सभा द्वारा पारित विधेयक लेकिन राज्य सभा द्वारा अस्वीकृत : संविधान (24वां संशोधन) विधेयक, 1970 जिसमें प्रीवी पर्स और भारत की पूर्व रियासतों की सुविधाओं को समाप्त करने; बैंकिंग सेवा आयोग (निरसन) विधेयक, 1977; संविधान (64वां संशोधन) विधेयक 1989, जिसमें पंचायतों से जुड़े संविधान में नया हिस्सा IX शामिल करने, नगर पंचायतों और नगर पालिकाओं से जुड़े 1989 के संविधान (65वें संशोधन) विधेयक और आतंकवाद निरोधक विधेयक 2002 को समाप्त करने की बात कही गई थी।
- राज्यसभा में दोबार विचार के लिए लाए गए विधेयक : राज्य सभा ने संसद (अयोग्यता की रोकथाम) संशोधन विधेयक 17.05.2006 को उसी रूप में पारित किया, जिसमें लोक सभा ने इसे पारित किया था, लेकिन राष्ट्रपति ने इसे दोबारा विचार के लिए 30.05.2006 को राज्यसभा को भेज दिया। राज्य सभा ने इस पर दोबारा विचार किया और इसे 27.07.2006 को पारित कर दिया। और लोकसभा ने इसे चार दिन बाद पारित किया तथा 18.08.2006 को इसमें राष्ट्रपति की मुहर लग गई।
- संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों में पारित विधेयक :
- दहेज निरोधक विधेयक, 1959 सबसे पहले लोकसभा में पेश किया गया और पारित किया गया। राज्य सभा ने बाद में इसमें कुछ संशोधनों पर जोर दिया, जिस पर लोक सभा सहमत नहीं हुई। इस विधेयक को 09.05.1961 को संयुक्त बैठक में पारित किया गया।
- बैंकिंग सेवा आयोग (निरसन) विधेयक, 1978 सबसे पहले लोकसभा में पेश किया गया और पारित किया गया, जिसे राज्य सभा ने अस्वीकार कर दिया। इसे 16.05.2018 को संयुक्त बैठक में पारित किया गया।
- आतंकवाद निरोधक विधेयक 2002 लोकसभा द्वारा पारित किया गया, लेकिन राज्य सभा ने इसे अस्वीकार कर दिया। इसे बाद में 26.03.2002 को संयुक्त बैठक में पारित किया गया।
राज्य सभा में पहली बार हुए कुछ कार्य :
सदन की पहली बैठक 13.5.1952 को आयोजित की गई।
पहला विधेयक पारित: भारतीय शुल्क (दूसरा संशोधन) विधेयक, 1952
सामाजिक परिवर्तन से संबंधित पहला विधेयक: विशेष विवाह विधेयक, 1952
पहला संविधान संशोधन विधेयक राज्य सभा द्वारा पारित: लोकसभा में प्रतिनिधित्व के पुन:समायोजन के लिए प्रति निर्वाचन क्षेत्र जनसंख्या का आकार बढ़ाकर संविधान (दूसरा संशोधन) विधेयक, 1953
कानून और व्यवस्था पर पहला विधेयक: निवारक नजरबंदी (दूसरा संशोधन) विधेयक, 1952
आयात पर पहला विधेयक: पशुधन आयात (संशोधन) विधेयक, 1953
मीडिया संबंधी पहला विधेयक: प्रेस (आपत्तिजनक मामले) संशोधन विधेयक, 1953
राज्यों के पुनर्गठन पर पहला विधेयक : आंध्र राज्य विधेयक, 1953
स्वास्थ्य शिक्षा पर पहला विधेयक: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान विधेयक, 1955
शहरी विकास पर पहला: फरीदाबाद विकास निगम विधेयक, 1955
कृषि पर पहला विधेयक: कृषि उपज (विकास और भंडारण निगम) विधेयक, 1956
अखिल भारतीय सेवाओं पर पहला विधेयक: अखिल भारतीय सेवा (संशोधन) विधेयक, 1958
पहला सुरक्षा संबंधी विधेयक: सशस्त्र बल (असम और मणिपुर) विशेष शक्तियां विधेयक, 1958
जानवरों से संबंधित पहला विधेयक : जानवरों के साथ क्रूरता निवारक विधेयक, 1959
पहला कॉरपोरेट अधिकार विधेयक : द जयंती शिपिंग कंपनी (प्रबंधन को अधिकार में लेना) विधेयक, 1966
प्रदूषण पर पहला: जल प्रदूषण निवारण विधेयक, 1969
पहला राष्ट्रीयकरण विधेयक: बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) विधेयक, 1970
आर्थिक अपराधों के खिलाफ पहला विधेयक : आर्थिक अपराध (सीमा की अक्षमता) विधेयक, 1974
समझा जाता है कि पहला वित्त विधेयक राज्य सभा द्वारा पारित किया गया था: विनियोग (रेलवे) संख्या 4 विधेयक, 1978
आतंकवाद का जिक्र करने वाला पहला विधेयक: आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र (विशेष न्यायालय) विधेयक, 1984
लोकसभा द्वारा पारित विधेयकों और राज्य सभा द्वारा संशोधित: ऐसे 120 विधेयकों में शामिल हैं; कंपनी विधेयक, 1953, यूजीसी विधेयक, 1954, संविधान (चालीसवां संशोधन) विधेयक, 1978, चिट फंड विधेयक, 1982, भ्रष्टाचार निरोधक विधेयक, 1988, मनी लॉंड्रिंग निवारण विधेयक, 2002, विशेष आर्थिक क्षेत्र विधेयक, 2005, भूमि अधिग्रहण विधेयक, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता का अधिकार, लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक, 2016, राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद विधेयक, 2019 और मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019.
राज्य सभा द्वारा 1952 के बाद क्षेत्रवार पारित सबसे प्रभावी विधेयकों में शामिल हैं:
- हिंदू विवाह और तलाक विधेयक, 1952, हिन्दू उत्तराधिकार विधेयक, 1954, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) विधेयक, 2012, मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकार का संरक्षण) विधेयक, 2019 और संविधान (103वां) संशोधन कानून, 2019 जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण प्रदान करता है।
कंपनी विधेयक, 1953 (1956 और 2013 के), बैंक राष्ट्रीयकरण विधेयक, 1970, कोयला खान राष्ट्रीयकरण विधेयक, 1973, मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम विधेयक, 1999, राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन विधेयक, 2003, काले धन (अज्ञात विदेशी आय और संपत्ति) और टैक्स विधेयक, 2015, सीएसटी शुरू करने वाला संविधान संशोधन विधेयक, 2016; भगौड़े आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 और दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016.
राज्य पुनर्गठन विधेयक, 1956; पूर्वोत्तर परिषद विधेयक, 1969; राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड विधेयक, 1985; पंचायतों और नगर निकायों में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने के साथ सीधे चुनाव कराने वाला संविधान 73 वें और 74 वें संशोधन कानून, 1992; और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019.
कृषि और ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक विधेयक 1981; कृषि और प्रसंस्कृति खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण विधेयक 1985 और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड विधेयक 1987.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान विधेयक 1955; प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग की रोकथाम) विधेयक 1991; मानव अंगों का प्रत्यारोपण (संशोधन) विधेयक 2011 और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2019.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विधेयक, 1954 और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार विधेयक, 2009।
वन्य जीव (संरक्षण) विधेयक, 1972; वन (संरक्षण) विधेयक, 1980, पर्यावरण (संरक्षण) विधेयक, 1986; क्षतिपूर्ति वनीकरण विधेयक, 2016.
गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) विधेयक, 1967; आंतरिक सुरक्षा रखरखाव विधेयक, 1971, राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक, 1980; आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) विधेयक, 1985; आतंकवाद निरोधक विधेयक, 2002; राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक, 2008 और गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019.
राज्य सभा द्वारा पारित अन्य प्रभावशाली विधेयकों में शामिल हैं; राजभाषा विधेयक,1963, आवश्य क वस्तु्ओं की कालाबाजारी और आपूर्ति रखरखाव विधेयक, 1980; उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 1986; प्रसार भारती (भारतीय प्रसारण निगम) विधेयक, 1989; पूजा स्थणल (विशेष प्रावधान) (विधेयक) 1991; अयोध्या में विशेष स्थानों का अधिग्रहण विधेयक, 1993; केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) विधेयक, 1995; विद्युत नियामक आयोग विधेयक, 1998; सूचना प्रौद्योगिकी विधेयक, 2000; सूचना का अधिकार विधेयक, 2005; राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक, 2005; लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक, 2013; आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) विधेयक, 2016 और मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019.
प्रकाशन में अपनी प्रस्तावना में, सभापति श्री वेंकैया नायडू ने कहा, “वास्तव में, राज्यसभा एक जीवंत और दूरदर्शी संस्थान रहा है। इसे लोगों विशेष रूप से युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए और अधिक जोश तथा उत्साह के साथ कार्य जारी रखना चाहिए। फिर भी, कुछ छूटे हुए अवसरों से इनकार नहीं किया जा सकता। हमें पिछले 67 वर्षों के अनुभव से सीखने और नए भारत के निर्माण के लिए अपनी संसद को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि राष्ट्रों के समूह में हमें बेहतर स्थान मिले। इन प्रयासों को तत्काल करने की आवश्यकता है, ताकि खोये हुए अवसरों को फिर से प्राप्त किया जा सके।’
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आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/एमएस/केपी/वाईबी – 4252
(Release ID: 1592057)
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