पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
उपराष्ट्रपति ने चेन्नई में एनआईओटी के रजत जयंती समारोह को संबोधित किया
जल संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के समाधान के लिए नयी खोजों पर जोर दिया
Posted On:
03 NOV 2019 8:53PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज वैज्ञानिकों से कहा कि वे जल संसाधनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन तथा प्रदूषण जैसी समस्याओं से निपटने के लिए नये समाधानों की तलाश करें।
राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से समुद्रतटीय क्षेत्रों के संरक्षण के लिए और समाज के लाभ के लिए समुद्र से जुड़े कारोबार के विकास के लिए प्रौद्योगिकी की जरूरत है।
समुद्री जल को पेयजल के रूप में बदलने के लिए डीसेलीनेशन संयंत्र जैसी प्रौद्योगिकियां विकसित करने को लेकर एनआईओटी की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि ऐसी प्रौद्योगिकियां किफायती हों।
कुल मिलाकर राष्ट्र की प्रगति में नीली अर्थव्यवस्था के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि एनआईओटी मछली पालन और एक्वाकल्चर, अक्षय समुद्री ऊर्जा, पोत एवं नौवहन, अपतटीय हाईड्रोकार्बन, समुद्री खनिज एवं समुद्री जैव-प्रौद्योगिकी सहित नीली अर्थव्यवस्था के छः प्राथमिक क्षेत्रों में काम में जुटा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था से कार्बनों की प्राप्ति, समुद्रतटीय सुरक्षा, सांस्कृतिक मूल्यों और जैव-विविधता जैसे अनेक आर्थिक लाभ मिलते हैं।
उपराष्ट्रपति ने आगामी समुद्रयान परियोजना की सफलता के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और एनआईओटी को अपनी ओर से शुभकामनाएं दी, जिसमें अपनी मानव-सहित पनडुब्बियों के माध्यम से समुद्र की गहराइयों में जलयात्रियों को भेजने का प्रावधान है।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि नीति आयोग के साथ परामर्श करके विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय डीसेलीनेशन पर एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करेगा। इससे हमें जल की बढ़ती समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मैने एनआईओटी की कई प्रमुख परियोजनाओं को देखा है, जिनमें लक्षद्वीप के समुदाय को जल उपलब्ध कराने हेतु डीसेलीनेशन परियोजना और डीसेलीनेशन के लिए बिजली उत्पादन हेतु कावारत्ती की ओशन थर्मल एनर्जी कन्वर्शन परियोजना मुख्य रूप से शामिल हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि उन्होंने एनआईओटी के पोलर रिमोटली ओपरेबल व्हीकल (आरओवी) को राष्ट्र को समर्पित भी किया था, जिसका इस्तेमाल समुद्र में डूबे हुए भारतीय वायुसेना के एएन-32 विमान की खोज करने में किया गया था। उन्होंने कहा कि आरओवी के बल पर भारत अमरीका, जापान, फ्रांस, जर्मनी और कोरिया जैसे देशों के समूह में शामिल हो गया, जिसने 6000 मीटर की गहराई के लिए दूर-नियंत्रित वाहन का सफलतापूर्वक विकास और इस्तेमाल किया था।
इससे पहले, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ. राजीवन ने आमंत्रित लोगों का स्वागत किया और पिछले 25 वर्षों के दौरान एनआईओटी की उपलब्धियों के बारे में बताया। एनआईओटी के निदेशक डॉ. एम.ए आत्मानंद ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित, तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री श्री ओ. पन्नीरसेल्वम और तमिलनाडु सरकार के मछली-पालन और कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार मंत्री श्री डी. जयकुमार अन्य गणमान्य लोगों के साथ उपस्थित थे।
भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत समिति के रूप में तत्कालीन समुद्र विकास विभाग द्वारा नवंबर 1993 में एनआईओटी की स्थापना की गयी थी।
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आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/एसकेएस/पीबी-3974
(Release ID: 1590233)
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