उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने टीबी से निपटने के लिए नई और लंबी अवधि तक चलने वाले टीके को विकसित करने का आह्वान किया


उपराष्ट्रपति ने निजी क्षेत्रों से आग्रह किया कि वे 2025 तक टीबी को खत्म करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयासों को आगे बढ़ाए

उपराष्ट्रपति ने सस्ता उपचार प्रदान करने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच सहयोग की बात की

उन्होंने इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लोसिस एंड लंग डिजीजेज द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

Posted On: 30 OCT 2019 7:50PM by PIB Delhi

  भारत के उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने टीबी से निपटने के लिए एक नई और लंबी अवधि तक तक चलने वाले टीके का विकास करने का आह्वान किया, जो कि 2018 में, पूरी दुनिया में मृत्यु के शीर्ष 10 कारणों में से एक कारण रहा है।

  ‘फेफड़े के स्वास्थ्य पर आयोजित 50वें केंद्रीय विश्व सम्मेलन का आज हैदराबाद में उद्घाटन करते हुए, उन्होंने इस दावे का उल्लेख किया कि टीबी के लिए उपयोग किए जाने वाले बीसीजी वैक्सीन का प्रभाव कई वर्षों तक नहीं रहता है, इसलिए उन्होंने कहा कि अब बूस्टर वैक्सीन या एक ऐसे नए वैक्सीन की अत्यंत आवश्यकता है जो कि प्रभावी हो और लंबे समय तक चलने वाला हो। इस चार दिवसीय सम्मेलन में 130 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

  उन्होंने खुशी जाहिर किया गया कि भारत सरकार ने नए संभावित टीकों के परीक्षण का काम शुरू किया है।

टीबी फैलाने वाले विभिन्न कारणों का समाधन करने के लिए, गरीबी और भीड़भाड़ वाले इलाकों सहित, श्री नायडू ने कहा कि टीबी के विस्तार को नियंत्रित करने के लिए रोकथाम ही सबसे प्रभावी तरीका है और कहा कि इस दिशा में ज्यादा प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि डायबिटीज जैसी जीवन शैली विकारों से भी टीबी का खतरा बढ़ जाता है।

उन्होंन फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य अंगों में टीबी का बेहतर रूप से पता लगाने वाले डाइअग्नास्टिक की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि, वैश्विक स्तर पर 2,000 से लेकर 2,018 के बीच टीबी के उपचार से लगभग 58 मिलियन लोगों की जानें बचाई गई है और उसी अवधि में टीबी से मरने वालों की संख्या में 42% की गिरावट दर्ज की गई है।

वायु प्रदूषण के कारण होने वाले सांस और फेफड़ा संबंधित बीमारियों की बढ़ती हुई घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने यह पाया है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से फेफड़े की कार्यक्षमता कम हो सकती है और सांस का संक्रमण और गंभीर अस्थमा हो सकता है।

श्री नायडू ने इस समस्या को रोकने के लिए हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को कम करने वाले बहुपक्षीय दृष्टिकोणों को अपनाने वाले उपायों का आह्वान किया, विशेषकर वह जो पीएम 2.5 के स्तर के अंतर्गत आता है।

डब्ल्यूएचओ के आंकड़ें का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर परिवेशी (बाहरी वायु प्रदूषण), मौत और बीमारी का एक प्रमुख कारण रहा है। वैश्विक स्तर पर अनुमानित 4.2 मिलियन लोगों की अकाल मृत्यु के लिए परिवेशी वायु प्रदूषण जिम्मेदार है, मुख्य रूप से हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी बीमारी, फेफड़े का कैंसर और बच्चों में तीव्र श्वसन संक्रमण।

वर्ष 2025 तक भारत को टीबी से मुक्त करने के लिए एक बहु-क्षेत्रीय और सामुदायिक नेतृत्व वाला दृष्टिकोण अपनाने के लिए सरकार की सराहना करते हुए, श्री नायडू ने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वे सरकार के साथ सक्रिय रूप से टीबी को खत्म करने के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाए।

यह बताते हुए कि भारत सरकार फेफड़े की बीमारी और तपेदिक की व्यापकता के कारण उत्पन्न आपातकाल स्थिति को समाप्त करने के लिए वैश्विक कार्रवाई में सबसे आगे रही है, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक टीबी का उन्मूलन करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञा ली है।

संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) जैसी पहलों के सकारात्मक परिणामों का उल्लेख करते हुए, जिसके कारण भारत में टीबी की घटनाएं 1.7% की वार्षिक दर पर कम होकप पहुंच गई है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को ज्यादा से ज्यादा टीबी रोगियों तक पहुंचने और उन्हें किफायती उपचार प्रदान करने के लिए एकसाथ मिलकर काम करना चाहिए।

तेलंगाना को प्रगतिशील चिकित्सा विज्ञान और जैव चिकित्सा उद्योग के लिए एक गतिशील और आगे बढ़ता हुआ केंद्र बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने राज्य में व्यापार जगत के लोगों को टीबी के उपचार, देखभाल और रोकथाम में अनुसंधान और विकास में सहयोग करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

इस बात को देखते हुए कि कैंसर, मधुमेह और दिल का दौरा जैसी गैर-संचारी बीमारियों पर परिवारों द्वारा ज्यादा खर्च करना पड़ता है, श्री नायडू ने कहा कि यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज को सुनिश्चित करने से इस समस्या का निदान काफी हद तक किया जा सकता है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भी वित्तीय कठिनाईयों का सामना किए हुए उत्कृष्ट उपचार की प्राप्ति होती है।

उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत जैसा कार्यक्रम 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को व्यापक बीमा कवरेज प्रदान करने की दिशा में एक अच्छा कदम है। इस अवसर पर तेलंगाना के राज्यपाल, डॉ. तमिलसाई सुंदरराजन, भारत सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री, श्री अश्विनी कुमार चौबे, तेलंगाना सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री इतेला राजेंद्र, डॉ.जेरामेहिया, अध्यक्ष, इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लोसिस एंड लंग डिजीजेज, श्री लुईस कास्त्रो, श्री एम. वेंकटेश्वरवर, अध्यक्ष, टीएफसीसीआई इस कार्यक्रम में मौजूद थे।

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