उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने गुट निरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) मंच के दुरुपयोग के लिए पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की


उपराष्ट्रपति ने पाकिस्तान के व्यवहार पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उसे अपने पड़ोसियों और दुनिया की भलाई के लिए आतंकवाद को खत्म करने की चेतावनी दी

​​​​​​​उपराष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुधारों और समान विश्व व्यवस्था का आह्वान किया

उन्होंने एनएएम देशों से आतंकवाद के खिलाफ एक आम मोर्चा बनाने के लिए कहा

उपराष्ट्रपति ने सहयोग बढ़ाने और वैश्विक चुनौतियों के समाधान खोजने के लिए एनएएम से आग्रह किया

श्री नायडू  ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति  वियतनाम के उपराष्ट्रपति और

क्यूबा के राष्ट्रपति के साथ शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत की

Posted On: 25 OCT 2019 8:35PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ "सीमा पार आतंकवाद के संचालन की अपनी दीर्घकालिक नीति को उचित ठहराने" के लिए एनएएम शिखर सम्मेलन का दुरुपयोग करने के लिए पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की।

 

18वें एनएएम शिखर सम्मेलन  के दौरान अपने संबोधन में  श्री नायडू ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने अगस्त फोरम का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि वास्तव में  हम पाकिस्तान के व्यवहार के बारे में अपनी गहरी चिंता  व्यक्त करते हुए इसके खिलाफ बड़े क्षेत्र के लिए बोलते हैं।

 यह जोर देते हुए कि पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का विश्वास अर्जित करने के लिए स्पष्ट रूप  से और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमे स्वयं अपनी  भलाई के लिए निर्णायक रूप से आतंकवाद को समाप्त करना चाहिए।

 

श्री नायडू ने 21 वीं सदी की समकालीन वास्तविकताओं को दर्शाने के लिए सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में सुधार करके एक न्यायसंगत, समान और वैश्विक शासन प्रणाली का प्रतिनिधित्व अर्जित करने का आह्वान किया।  

 

उपराष्ट्रपति ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन से आतंकवाद, वैश्विक शासन सुधार, सतत विकास और  दक्षिण-दक्षिण सहयोग से संबंधित चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए एक प्रभावशाली    समूह बने रहने पर दोबारा ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

 

उन्होंने सभी एनएएम देशों से सभी प्रकार के आतंक के खिलाफ एक आम मोर्चा बनाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया क्योंकि हिंसक चरमपंथी विचारधाराओं और आतंकवादी कार्रवाइयों और निर्दोष लोगों की हत्या का कोई औचित्य नहीं है।

 

इस ओर इशारा करते हुए कि समकालीन खतरे की कोई सीमा नहीं है, चाहे वह आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, महामारी, वित्तीय संकट या साइबर सुरक्षा ही क्यों न हो।  आतंकवाद अकेले ही न ही केवल अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए ही सबसे विनाशकारी खतरा है बल्कि उन सिद्धांतों के लिए भी है जिनकी  हम आज चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नुकसान पहुंचाने की उनकी क्षमता सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के साथ-साथ कई गुना बढ़ गई है। इससे आतंकवादी संगठनों की आपराधिक साइबर क्षमताओं में बढ़ोत्तरी भी हुई है। 

 

 श्री नायडू ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों से निपटने के लिए सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और तंत्र को मजबूत करने का आह्वान करते हुए कहा कि एनएएम भागीदारों को अंतर-एजेंसी समन्वय, सूचना के आदान-प्रदान और 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को मजबूती प्रदान करके मौजूदा कानूनी ढांचे को कारगर बनाना चाहिए।

 

अजरबैजान के बाकू में ऐतिहासिक एनएएम शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज का अन्तर-निर्भर विश्व गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। वैश्वीकरण और  अभूतपूर्व तकनीकी विकास अप्रत्याशित  रूप से विघटनकारी तरीकों से 21 वीं सदी को आकार प्रदान कर रहे हैं। जैसा कि हम सभी समावेशी, टिकाऊ विकास और अपने लोगों का बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए हमें यह महसूस करना चाहिए कि इनसे हमारे भाग्य तरह जुड़े हुए हैं जैसे पहले कभी नही थे।

 गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) को अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने छह दशक पुराने आंदोलन को आधुनिक दुनिया की चुनौतियों के संदर्भ में प्रासंगिक बने रहने के लिए अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है। बाकू, अजरबैजान में 18 वें एनएएम  शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए वर्तमान समय में एनएएम की भूमिका के बारे में भारत के विचारों का आज उपराष्ट्रपति ने उल्लेख किया। शिखर सम्मेलन का विषय है समकालीन दुनिया की चुनौतियों के लिए ठोस और पर्याप्त प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए बांडुंग सिद्धांतों को बनाए रखना।

 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें प्रौद्योगिकी में हो रहे तेजी से विकास  के कारण से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपने लोगों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और नौकरियों के लिए की विकास चुनौतियों का तुरंत समाधान करना चाहिए। इन सामान्य लक्ष्यों को वैश्विक शासन प्रणाली के माध्यम से अर्जित किया जा सकता है। 

यह देखते हुए कि एनएएम को किसी विचारधारा या राष्ट्रों के समूहों के खिलाफ या खुद के लिए स्थिति बतान की आवश्यकता नहीं है,  उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी ऊर्जा को उन मुद्दों पर बर्बाद न करें जो हमारे बीच असंगति का कारण बनते है। उन्होंने ने कहा कि एक केंद्रित, सकारात्मक, दीर्घकालिक एजेंडे को अपनाकर 'विविधता में एकता' की ताकत बढ़ाई जा सकती है।

 

श्री नायडू ने एनएएम से पार-क्षेत्रीय चुनौतियों का चयन करने और आतंकवाद, वैश्विक शासन सुधार, सतत विकास और दक्षिण-दक्षिण सहयोग जैसे मुद्दों  के बारे में समाधान पेश करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।

 

श्री नायडू ने सभी के समर्थन, सभी के विकास के माध्यम से भारत के विकास एजेंडे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि  भारत हमेशा अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि भारत क्षमता निर्माण, परियोजनाओं को लागू करने तथा मानवीय राहत प्रदान करने में अन्य विकासशील देशों के साथ भागीदारी कर रहा है।   

उन्होंने कहा कि भारत ने  नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढावा देने तथा आपदा  रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन हेतु अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना में एक बड़ी पहल की है।

 

उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि एनएएम अपने समान अनुभवों और साझा आकांक्षाओं के साथ समूहीकरण करके निश्चित रूप से एक बड़ी ताकत बन सकता है। यह अतीत की तरह चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक प्रतिक्रियाओं को आकार दे सकता है।  

 

श्री नायडू ने कहा कि भारत की दृष्टि मानवता की आम भलाई के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की है। अपने लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से हमें अपने आंदोलन को महत्वपूर्ण बनाना चाहिए। आइए हम शांति और विकास की शक्तियों के साथ गठबंधन करें। यह वह संदेश है जो मैं 1.3 बिलियन भारतीयों की ओर से एनएएम में लाया हूं।

 

उन्होंने यह भी कहा कि भारत सभी के लिए एक समृद्ध और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सकारात्मक और प्रगतिशील एजेंडे को आगे बढ़ाने की इच्छा रखता है। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि एनएएम इन साझा उद्देश्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज शिखर सम्मेलन से इतर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद अशरफ़ गनी, वियतनामी उपराष्ट्रपति सुश्री डांग थी नोक थिन्ह और क्यूबा के राष्ट्रपति श्री मिगुएल डिआज़-कैनेल बरमूडेज़ के साथ बातचीत की।

तीनों गणमान्य लोगों के साथ अपनी बातचीत के दौरान, उपराष्ट्रपति ने सभी क्षेत्रों में अफगानिस्तान, वियतनाम और क्यूबा के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधों को और मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

 

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आरकेमीणा/आरएनएम/आईपीएस/पीबी - 3838



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